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पाठ 12 : आदम से नूह तक

नोद में जाकर कैन ने एक शहर का निर्माण किया। यह वास्तव में एक किले कि तरह था। दूसरों की हिंसा से बचने के लिए यह स्थान उसके लिए संरक्षण था। अभिशाप पूर्ण प्रभाव में था, और मनुष्य के जीने के लिए यह एक हिंसक और खतरनाक जगह बन गई थी।

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पाठ 13 : परमेश्वर की खंडित छवि

शेत के होने के बाद, आदम और हव्वा के और बेटे बेटियां उत्पन्न हुए। उन सब के कई बेटे और बेटियां हुईं। पूरी दुनिया ऐसे मनुष्यों से भर रही थी जो परमेश्वर कि छवि में बनाये गए थे। लेकिन एक समस्या थी।

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पाठ 14 : बाढ़

आदम और हव्वा के वंशज कुल विद्रोह में थे। वे उनके अद्भुत और पवित्र परमेश्वर की छवि को प्रतिबिंबित नहीं करते थे। इसके बजाय, वे दुष्टता में जीते थे और स्वयं को और अपने भीषण व्यवहार से अपने परिवारों को शर्मसार करते थे। परमेश्वर अवश्य उनका न्याय करेगा।

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पाठ 15 : पानी का पीछे हटना

परमेश्वर ने नूह को जहाज़ बनाने का आदेश दिया और उसे पृथ्वी के प्राणियों से भर देने को कहा। फिर उसने बारिश भेजी। चालीस दिन और चालीस रात मूसलधार बारिश हुई। पानी पेड़ से ऊपर उठा। यह पहाड़ियों से ऊपर पहुंच गया।

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पाठ 16 : वाचा और विद्रोह

परमेश्वर ने एक उल्लेखनीय काम किया। उन्होंने नूह और उसके पुत्रों के साथ एक विशेष वाचा या वादा किया। उन्होंने कहा, "तुम मुझ पर भरोसा कर सकते हो की मैं ऐसा फिर कभी नहीं करूंगा। मानवजाति हर एक गिरती बारिश को यह ना समझे की न्याय आ गया है।

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