न्यायाधीशों को उन्ही के क्षेत्रों के मामले के विषय में निर्णय लेने के लिए नियुक्त किया गया था। दूसरे महत्वपूर्ण समूह जो सही न्याय कर सकते थे वे स्वयं लोग ही थे। एक समूह के रूप में वे तय कर सकते थे यदि किसी ने परमेश्वर के पवित्र नियमों का उल्लंघन किया है।
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