कहानी २९: यूहन्ना बपतिस्मा देने वाली घटना
यरूशलेम से जाने के बाद, यीशु और उसके चेले यहूदी पहाड़ी क्षेत्र से बाहर चले गए। यीशु ने वहाँ अपने चेलों के साथ समय बिताया और उन्हें बपतिस्मा दिया जो उनके पास आये। यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला लोगों को ऐनोन के क्षेत्र में बपतिस्मा दे रहा था। वहाँ बहुत से लोग उसके पास दूर दूर से आने लगे। उसके चेले आपस में चर्चा करने लगे की कहीं यह एक वास्तविक समस्या है। वे परेशान थे। इसलिए वे यूहन्ना के पास गए। ऐसा लगता था कि लोग यूहन्ना के पास न जाकर अधिक से अधिक यीशु के पास बपतिस्मा लेने के लिए जा रहे थे! उन्होंने कहा,
" ' हे रब्बी, जो व्यक्ति यरदन के उस पार तेरे साथ था और जिसके बारे में तूने बताया था, वही लोगों को बपतिस्मा दे रहा है, और हर आदमी उसके पास जा रहा है।”'
यूहन्ना के चेलों को यह नहीं भाया की जो ध्यान और लोकप्रियता यीशु को मिल रहा है वह उनके अपने अग्वे को नहीं मिल रहा था। वे उसकी सेवकाई की रक्षा करना चाहता थे। लेकिन यूहन्ना अपने ही प्रसिद्धि या लोकप्रियता के बारे में चिंतित नहीं था। परमेश्वर की सेवा के लिए उसने अपने जीवन को समर्पित कर दिया था और वह मसीह के रास्ते को तैयार कर रहा था। यूहन्ना की विनम्रता की शक्ति और सौंदर्य को सुनो;
" जवाब में यूहन्ना ने कहा, “किसी आदमी को तब तक कुछ नहीं मिल सकता जब तक वह उसे स्वर्ग से न दिया गया हो। तुम सब गवाह हो कि मैंने कहा था, ‘मैं मसीह नहीं हूँ बल्कि मैं तो उससे पहले भेजा गया हूँ।’ दूल्हा वही है जिसे दुल्हन मिलती है। पर दूल्हे का मित्र जो खड़ा रहता है और उसकी अगुवाई में जब दूल्हे की आवाज़ को सुनता है, तो बहुत खुश होता है। मेरी यही खुशी अब पूरी हुई है। अब निश्चित है कि उसकी महिमा बढ़े और मेरी घटे। "
यूहन्ना ३ः२७-३०
वाह! क्या आपने इसे समझा? यूहन्ना कहता है की यीशु विवाह के दुल्हे के समान है। हजारों साल से, यीशु उसके लिए एक दुल्हन की तैयारी कर रहा था। दुल्हन इस्राएल का राष्ट्र था! दुल्हे को भेजने से पहले, परमेश्वर ने यूहन्ना को दुल्हन को उसके लिए तैयार करने के लिए पहले भेज दिया जिसका वह इंतज़ार कर रही थी। हर व्यक्ति जिसने पश्चाताप करके बपतिस्मा लिया वह यह दर्शा रहा था की वह तैयार है। और अब वह आ गया था! यीशु के हाथ में यहूदी लोगों को सौंपने के लिए योहन्ना बहुत आनंदित था। यही उसका कार्य था! उसे इस बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी कि सब उसे भूल गए पर यह की सब उस यशस्वी दुल्हे के पीछे हो लिए हैं।
तब यूहन्ना ने कुछ ऐसा कहा जो यह बताती है की यीशु कौन है और हम कौन हैं:
"'जो ऊपर से आता है वह सबसे महान् है। वह जो धरती से है, धरती से जुड़ा है। इसलिये वह धरती की ही बातें करता है। जो स्वर्ग से उतरा है, सबके ऊपर है; उसने जो कुछ देखा है, और सुना है, वह उसकी साक्षी देता है पर उसकी साक्षी को कोई ग्रहण नहीं करना चाहता। जो उसकी साक्षी को मानता है वह प्रमाणित करता है कि परमेश्वर सच्चा है। क्योंकि वह, जिसे परमेश्वर ने भेजा है, परमेश्वर की ही बातें बोलता है। क्योंकि परमेश्वर ने उसे आत्मा का अनन्त दान दिया है। पिता अपने पुत्र को प्यार करता है। और उसी के हाथों में उसने सब कुछ सौंप दिया है। इसलिए वह जो उसके पुत्र में विश्वास करता है अनन्त जीवन पाता है पर वह जो परमेश्वर के पुत्र की बात नहीं मानता उसे वह जीवन नहीं मिलेगा। इसके बजाय उस पर परम पिता परमेश्वर का क्रोध बना रहेगा।”'
यूहन्ना ३ः३१-३६