कहानी ४: दाऊद की वाचा और यशायाह का अभिषेक
परमेश्वर ने इसराइल के लोगों को अपनी क़ीमती चीज़ होने के लिए बुलाया था। उनके पास परमेश्वर द्वारा चुने जाने का गौरवशाली सम्मान था, फिर भी वे उनके खिलाफ विद्रोह करते रहे। उनके दिल उतने पापी थे जितने आदम और हव्वा के बाकि बच्चों के थे! कभी कभी इस्राएल अपने पापों से पश्चाताप करते थे और वापस व्यवस्था की और लौट जाते। परमेश्वर ऐसे जोरावर अगुए खड़ा करने को था जो उन्हें शुद्ध करके उनको आज्ञाकार होने के लिए मज़बूत करते। लेकिन सदियों के बाद भी, वे हमेशा झूठे देवताओं की पूजा और भयानक दुष्टता में गिर जाते, इतनी दुष्टता की उसके बारे में बात करने में भी गंदा लगता है।
यह पाप इस तरह का था कि उनके देश को रहने के लिए एक खतरनाक जगह बना रहा था। शक्तिशाली लोग कमजोर और गरीब को धमकी से नियंत्रित कर रहे थे। पुरुष, महिलाओं और बच्चों पर बिना दंड के भय के हावी हो रहे थे। वे हर कोने में और हर पेड़ के नीचे मूर्तियों की पूजा कर रहे थे। इस झूठी आराधना में से बुरी भ्रष्टता और परमेश्वर के प्रति अविश्वास की बू आ रही थी। इससे भयानक रोग फैलने लगे। मूर्ति पूजा की गहरी दुष्टता ने उनके दिलों को कठोर कर दिया था। वे अपने राक्षसी देवताओं को अपने ही बच्चे बलि करने लगे। शैतान वह सब कुछ कर रहा था जिससे परमेश्वर के पवित्र लोग नष्ट होते जाए। और लोग सीधे उसके जाल में गिरते जा रहे थे!
बार बार इसराइल का राष्ट्र अपने आसपास के राष्ट्रों के जैसे दुष्टता से खुद दूषित होता जा रहा था। लेकिन परमेश्वर ने धैर्य से उन्हें देखा और अपना क्रोध उनकी ओर नहीं दर्शाया। वह न्यायाधीशओ, राजाओं और भविष्यद्वक्ताओं को खड़ा करता रहा ताकि लोग उनके चेतावनी के शब्द को सुन कर पश्चाताप करे। इन महान पुरुषों और महिलाओं ने परमेश्वर के भविष्य की आशा के बारे में भी बात की। वे पहले ही से परमेश्वर की योजना के बारे में जानते थे- कि हव्वा का एक बेटा शैतान की शक्ति को कुचलेगा। और वे ये भी जानते थे कि परमेश्वर अपने वाचा के अनुसार इस्राएल को दुनिया के सभी लोगों के लिए एक आशीष का कारण ठहराएगा। लेकिन कुछ और भी था।
समय के साथ, परमेश्वर ने अपने राज्य को वापस बहाल करने की योजना के कुछ और अंश भाविश्य्द्वाक्ताओं को प्रकट किया। इसराइल में बचे कुचे कुछ विश्वासियों ने ये वादे लिख कर उनको प्रिय माना। उन्होंने इसका रिकार्ड अपने धर्म की पुस्तक में किया। उन्होंने परमेश्वर के दिए टुकड़ों को लेकर उन्हें जोड़ने की कोशिश करी ताकि वे उस के बारे में और जान सके जो परमेश्वर करने जा रहा था। चलिए, हम उन टुकड़ों के बारे में कुछ और देखते है।
मूसा के तकरीबन पाँच सौ साल बाद, परमेश्वर ने यहूदा के घर से इसराइल के लिए एक राजा खड़ा किया। राजा दाऊद ने परमेश्वर के सम्मुख, इस्राएल के बारह जातियों के ऊपर इतनी पश्चातापी दीनता से राज्य किया कि बाइबल यूं कहती है कि वो ' परमेश्वर के इच्छाओं और मन की लालसा करता था'। परमेश्वर ने राजा दाऊद के साथ एक नई वाचा भी बनाई। उन्होंने कहा;
वाह! परमेश्वर ने राजा दाऊद से वादा किया कि उसके वंश में से एक, एक अनंतकाल के सिंहासन से शासन करेगा। इसका मतलब यह है कि उसके शासनकाल का अंत कभी नहीं होगा ... वो इस दुनिया के ख़त्म होने के बाद भी चलती जाएगी! यह कैसे हो सकता है? खैर, परमेश्वर दाऊद के परिवार के माध्यम से इस्राएल के शाही शासन का उपयोग करना चाहता था जिससे एक राजा आए जो स्वर्ग में शासन कर सके। इसराइल के राष्ट्र का इतिहास परमेश्वर के अनंत राज्य की योजना के साथ बंधे हुए थे! यहूदी लोगों ने सैकड़ों सैकड़ों वर्ष इस पर अपनी उम्मीद टिकाई रखी। धीरे - धीरे, समय के साथ, परमेश्वर ने उन्हें इस भव्य राजा के बारे में और अधिक दिखाना शुरू किया। नबी यशायाह ने अपनी पुस्तक यशायाह ९ः१-७ में कुछ नया बताया है। उसने समझाया,
तौभी संकट-भरा अन्धकार जाता रहेगा। पहले लोग सोचा करते थे कि जबूलून और नप्ताली की धरती महत्वपूर्ण नहीं है। किन्तु बाद में परमेश्वर उस धरती को महान बनायेगा। समुद्र के पास की धरती पर, यरदन नदी के पार और गालील में गैर यहूदी लोग रहते हैं।
यद्यपि आज ये लोग अन्धकार में निवास करते हैं, किन्तु इन्हें महान प्रकाश का दर्शन होगा। ये लोग एक ऐसे अन्धेरे स्थान में रहते हैं जो मृत्य़ु के देश के समान है। किन्तु वह “अद्भुत ज्योति” उन पर प्रकाशित होगा।
हे परमेश्वर! तू इस जाति की बढ़ौतरी कर। तू लोगों को खुशहाल बना। ये लोग तुझे अपनी प्रसन्नता दर्शायेंगे। यह प्रसन्नता वैसी ही होगी जैसी कटनी के समय पर होती है। यह प्रसन्नता वैसी ही होगी जैसी युद्ध में जीतने के बाद लोग जब विजय की वस्तुओं को आपस में बाँटते हैं, तब उन्हें होती है।
ऐसा क्यों होगा क्योंकि तुम पर से भारी बोझ उतर जायेगा। लोगों की पीठों पर रखे हुए भारी बल्लों को तुम उतरवा दोगे। तुम उस दण्ड को छीन लोगे जिससे शत्रु तुम्हारे लोगों को दण्ड दिया करता है। यह वैसा समय होगा जैसा वह समय था जब तुमने मिद्यानियों को हराया था।
हर वह कदम जो युद्ध में आगे बढ़ा, नष्ट कर दिया जायेगा। हर वह वर्दी जिस पर लहू के धब्बे लगे हुए हैं, नष्ट कर दी जायेगी। ये वस्तुएँ आग में झोंक दी जायेंगी।
यह सब कुछ तब घटेगा जब उस विशेष बच्चे का जन्म होगा। परमेश्वर हमें एक पुत्र प्रदान करेगा। यह पुत्र लोगों की अगुवाई के लिये उत्तरदायी होगा। उसका नाम होगा: “अद्भुत, उपदेशक, सामर्थी परमेश्वर, पिता—चिर अमर और शांति का राजकुमार।”
उसके राज्य में शक्ति और शांति का निवास होगा। दाऊद के वंशज, उस राजा के राज्य का निरन्तर विकास होता रहेगा। वह राजा नेकी और निष्पक्ष न्याय का अपने राज्य के शासन में सदा—सदा उपयोग करता रहेगा। वह सर्वशक्तिशाली यहोवा अपनी प्रजा से गहरा प्रेम रखता है और उसका यह गहरा प्रेम ही उससे ऐसे काम करवाता है।
वाह! इसराइल के सारे पाप और घोर विद्रोह के बावजूद, परमेश्वर की योजना थी कि वे सारी मानवजाति को इस महान राजा के माध्यम से अच्छी वस्तुओं से परिपूर्ण करेगा। वह आकर दुनिया के देशों में पूर्ण परिवर्तन लाएगा। वह शहरों का पुनर्निर्माण करेगा और मानव समाज को बद्लेगा जिससे शान्ति और धार्मिकता सबसे उत्तम हो। और उसकी सरकार का शासन कभी नहीं गिरेगा। यह हमेशा बढेगा और फैलेगा जब तक यह सब कुछ बदल न जाए! यह कोई आश्चर्य नहीं है कि यहूदी लोग उस दिन का इंतजार करते है जब उसका राज्य आएगा!परमेश्वर ने यशायाह को दाऊद वंशी के इस राजा की एक और तस्वीर दी। यशायाह ने भविष्यवाणी की "एक टहनी यिशै के ठूंठ में से आएगी"। यिशै दाऊद का पिता था। यह कल्पना कीजिये कि यिशै और दाऊद का परिवार एक पेड़ की ठूंठ की तरह है। अब कल्पना कीजिये कि एक शाखा इस ठूंठ से उग रही है। वो शाखा दाऊद के वंशज से है जो एक अनंतकाल के सिंहासन से राज्य करेगा। यशायाह ने उसे 'अभिषेक किया हुआ' या 'मसीहा' नाम दिया है। यशायाह बताता है कि वो कैसे मार्ग दिखाएगा; तब यिशै के ठूंठ में से एक डाली फूट निकलेगी और उसकी जड़ में से एक शाखा निकलकर फलवन्त होगी।
वाह! इस अगुए के पास शक्ति और समझ होगी क्योंकि परमेश्वर की अपनी आत्मा उसे एक खास तरीके से अभिषिक्त करेगी। हम यशायाह से यह भी सीखते है कि एक दिन, यह अभिषिक्त किया हुआ एक शापित और दुष्ट दुनिया में परमेश्वर के सच्चे न्याय को लाएगा। वह अंधेरे की शक्तियों को दूर करेगा और दुष्टता पर जीत पाएगा। वह पृथ्वी पर अपने शक्तिशाली शब्द के द्वारा परमेश्वर के राज्य को स्थापित करेगा। बाइबल उस समय के बारे में हमें बार बार बताती है।उसको 'प्रभु का दिन' कहा जाता है, और हम इसके बारे में और अधिक सीखेंगे।