कहानी ११: गेब्रियल मरियम के पास आता है
लूका १ः२६-३८
परमेश्वर ने गेब्रियल स्वर्गदूत को स्वर्ग के सिंहासन कमरे से अपने मंदिर के महा पवित्र जगह पर भेजा ताकि, वो जकरया को परमेश्वर के योजना की घोषणा कर सके।
जकर्याह का एक पुत्र होगा जो पुराने नबी, एलिय्याह की तरह होगा। वो मसीहा के आने के लिए इस्राएल के लोगों को तैयार करेगा। वे सैकड़ों सालों से मसीहा के आने का इंतजार कर रहे थे। पुराने नियम के सबसे बड़ी नबियों ने इस मसीहा की शक्ति और ताकत के बारे में शानदार भविष्यवाणीयाँ बताई थी। वो इस्राएल के दुश्मनों के खिलाफ युद्ध छेड़ेगा और यरूशलेम में दाऊद के सिंहासन को ले लेगा। वह बंदियों को रिहाई देगा, गरीबों को शुभ समाचार सुनाएगा, और उनके शोक को आनंद में बदल देगा। वो परमेश्वर की आत्मा की सामर्थ में सिद्ध न्याय से शासन करेगा और अपने लोगों के लिए शांति लाएगा।वो इस्राएल की बड़ी उम्मीद थी, और वे उसके लिए तरस रहे थे। अब ऐसा लग रहा था कि परमेश्वर कार्यशील हो रहा था। मसीहा अपने रास्ते पर थे, और उन्हॊने देश में अपने आगमन की घोषणा करने के लिए, जकर्याह के बेटे को चुना था !
एलिजाबेथ के गर्भवती होने के छह महीने बाद, परमेश्वर ने अपने दूत गेब्रियल को अपने सिंघासन कमरे से एक और पवित्र संदेश के साथ भेजा। इस बार, वह एक युवा कुंवारी के पास आया। उसका नाम मरियम था और वह नासरत के शहर में रहती थी। उसकी यूसुफ नाम के एक आदमी से शादी तय हुई थी। वह एक आम आदमी था, एक बढ़ई। वह अमीर या शक्तिशाली नहीं था , लेकिन वह राजा दाऊद की पीड़ी में एक वंशज था।
स्वर्गदूत गैब्रियल मरियम के पास आया और उससे कहा: "नमस्ते , तुम जिस पर अत्यधिक अनुग्रह हैं! प्रभु तुम्हारे साथ है ।" लूका इस बिंदु पर लिखता है कि मरियम परेशान हो गई। वह इस स्वर्गदूत के उच्च और गौरवशाली अभिनन्दन का मतलब नहीं समझ पाई!
"डरो नहीं मरियम, तुमने परमेश्वर से अनुग्रह पाया है। तुम गर्भवती होगी और एक बेटे को जन्म दोगी; और तुम्हे उसका नाम यीशु रखना होगा। वह महान होगा और परमप्रधान का पुत्र कहलाया जाएगा। प्रभु परमेश्वर उसको उसके पिता दाऊद का सिंहासन देंगे, और वह याकूब के घराने पर हमेशा के लिए राज्य करेगा, और उसके राज्य का कभी अंत नहीं होगा।"
वाह! मरियम का भी एक बेटा होने जा रहा था, केवल फर्क यह था कि यह खुद परमेश्वर का पुत्र होगा! यह वही मनुष्य होगा जिसके बारे में नबियों ने सालों साल पहले बताया था। वह एक न ख़त्म होने वाले राज्य पर राजा के रूप में शासन करेगा! वाह!
लेकिन मरियम उलझन में थी। उसकी अभी तक शादी नहीं हुई थी और उसने अपने को शुद्ध रखा था। उसका किसी आदमी के साथ कभी कोई सम्बन्ध नहीं था। उसका एक बच्चे को जन्म देना असंभव था। तो उसने गेब्रियल से पूछा: " ' क्यूंकि मैं एक कुंवारी हूँ, ऐसा कैसे हो सकता है? ' "
गेब्रियल ने उससे कहा: ' पवित्र आत्मा तुम पर उतरेगी, और परमप्रधान की सामर्थ तुम पर छाएगी। इसलिए, इस पैदा होने वाले पवित्र जन को परमेश्वर का पुत्र कहलाया जाएगा। यहां तक कि एलिजाबेथ, तुम्हारी रिश्तेदार, अपने बुढ़ापे में एक बच्चा जनेगी; और वो जिसे बाँझ कहा जाता था, अपने छठे महीने में है। क्यूंकि परमेश्वर के साथ कुछ असंभव नहीं है।'"
अब यह असंभव और गौरवशाली घोषणा सुनने के बाद, मरियम के शांत , सौम्य जवाब को सुनिए: " 'मैं परमेश्वर की दासी हूँ।मेरे साथ ऐसा ही हो जैसा आपने कहा है।'"
वाह। गेब्रियल के शब्दों को फिर पढ़ने की कोशिश करिए। यह कल्पना कीजिये कि मरियम को यह सुनने में कैसा लगा होगा। परमेश्वर स्वयं, अपनी आत्मा की सामर्थ से, मरियम के शरीर में एक चमत्कार करने जा रहे थे! खुद प्रभु, परमेश्वर का पुत्र, उसका बच्चा होने जा रहा था! वह अपने गर्भ के अंदर, ब्रह्मांड के सृष्टिकर्ता का लालन पालन करने जा रही थी! इस छोटी कुंवारी का विश्वास कितना महान रहा होगा कि वो एक इतनी आश्चर्यजनक बात पर विश्वास ला सकी!
मरियम ने यह विश्वास किया कि परमेश्वर वो कर सकते है जो उन्होंने कहा है। कितना सुंदर, सरल विश्वास! उसका विश्वास उसकी बड़ी विनम्रता और साहस में भी देखा जा सकता है। बात यह थी कि जब मरियम ने स्वर्गदूत के संदेश को स्वीकार किया, उसने यह भी स्वीकारा कि उसका जीवन बदलेगा। जब उसके जीवन में हर किसी को उसके गर्भवती होने पर आश्चर्य होगा, तो उसे परमेश्वर की देखबाल पर भरोसा करना होगा। उसके माता पिता क्या कहेंगे? और यूसुफ क्या सोचेगा? क्या यह उसके लिया लज्जा का कारण बनेगा? क्या वह तो भी उससे शादी करेगा? क्या कोई उस पर विश्वास करेगा? क्या वह अकेली हो जाएगी? दुनिया परमेश्वर के कार्य को नहीं समझ पाएगी, लेकिन मरियम का विश्वास एक ऐसे परमेश्वर पर था जिसे वो देख नहीं सकती थी। वह उसकी सुरक्षा थी; और मरियम परमेश्वर की वफादार दासी थी, चाहे उसका दाम कुछ भी क्यों ना हो।