हेरोदेस, मसीह के मामले में, किसी भी निष्कर्ष तक पहुँचने में सक्षम नहीं था, इसलिए उसने यीशु को पिलातुस के पास वापस भेज दिया। अब, पिलातुस की यहूदी लोगों के साथ एक परंपरा थी। हर फसह के पर्व पर, वह उनसे किसी एक कैदी की रिहाई का अनुरोध लेता, और वह उसे मुक्त कर देता।
Read Moreयीशु के खिलाफ सज़ा, पिलातुस द्वारा घोषित की गई थी। उन्होंने सैनिकों की पूरी रोमी सेना को अंगना में बुलाया। अपनी बोरियत को दूर करने के लिए,प्रभु के आसपास एकत्र हुए एक सौ से अधिक पुरुष उसका ठट्ठा उड़ाने के लिए वहाँ जमा थे। उन्होंने यीशु का वस्त्र छीन लिया और उन पर एक बैंगनी वस्त्र डाल दिया।
Read Moreफिर जब वे गुलगुता (जिसका अर्थ है “खोपड़ी का स्थान।”) नामक स्थान पर पहुँचे तो उन्होंने यीशु को पित्त मिली दाखरस पीने को दी। किन्तु जब यीशु ने उसे चखा तो पीने से मना कर दिया।
Read Moreयीशु उस पीड़ा के साथ क्रूस पर था, उसके पास बहुत से खड़े जो उसे देख रहे थे। ऐसा लगता था कि कुछ हो जाएगा। क्या वह इस हास्य जनक अनुकरण को अपनी सामर्थ से जीत पाएगा?
Read Moreयीशु क्रूस पर छे घंटे, जहां उसने मानवजाति के पापों कि सज़ा अपने ऊपर ले ली। हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। हमारे हर घिनौने काम कि दुष्टता परमेश्वर के आगे यीशु के व्यक्तित्व में पेश की गई। हर प्रकार के घिनौने पाप। यीशु ने हमारे हर प्रकार के पाप जो अंधकार में किये गए उन्हें अपने ऊपर ले लिया।
Read Moreयहूदियों के पास एक चिंता का विषय था। यरूशलेम के फाटकों के ठीक बाहर, तीन मृत या मरते हुए आदमी क्रूसों पर टंगे थे। परमेश्वर की व्यवस्था के अनुसार, उनके शरीर भूमि को अशुद्ध कर रहे थे। यह एक विशेष रूप से बड़ी समस्या थी क्योंकि सूर्यास्त के बाद सबत शुरू होने को था। विश्राम के दिन पर एक क्रूस से लटका हुआ, मरा आदमी, परमेश्वर की व्यवस्था को तोड़ने वाली बात थी।
Read Moreमसीह के शरीर को क्रूस से उतार लिया गया। एक आदमी था जिसका नाम था अरिमथिया का यूसुफ़ था, जो यीशु पर विश्वास करता था और गुप्त में उसका चेला था। वह एक सच्चा शिष्य था, लेकिन वह महासभा का भी सदस्य था।
Read Moreरविवार की सुबह आई। यह यहूदी सप्ताह का पहला दिन था। मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम सुबह होने से पहले अपने बने मसालों के साथ तैयार थी। जैसे जैसे सूरज पूर्वी आकाश को हल्का करने लगा, वे अन्य महिलाओं के साथ कब्र के लिए निकल पड़ी। उनकी यात्रा में कुछ बिंदु पर ज़मीन हिलने लगी।
Read Moreहम निश्चित रूप से नहीं कह सकते है कि मरियम मगदलीनी ने क्या सोचा और महसूस किया होगा जब वो यीशु के पीछे चलती थी और उनकी मृत्यु और जी उठने से गुजरी। बाइबल हमें कुछ करीबी चित्र देती है जो हमें कल्पना करने में मदद करती है कि उसने क्या कहा होगा। यूहन्ना प्रेरित हमें यीशु के जी उठने की कहानी का लम्बा संस्करण, मरियम के आँखों देखी से बताता है।
Read Moreपरमेश्वर की दिव्य योजना का चमत्कार, भूकंप की शक्ति और महिमा, लुड़काए हुए पत्थर, शानदार स्वर्गदूतों, और उनके दुखियारे दोस्तों से कहे गए प्यार के शब्दों से प्रकट हुई। इस बीच, महायाजक एक बार फिर से एक उन्माद में थे। बात यह थी कि कब्र की रखवाली कर रहा रोमी पहरेदार वहां आया था।
Read Moreक्लीओपस और उसके दोस्त को कुछ अद्भुत दिया गया था। जब वे इम्मौस के लिए यरूशलेम से घर जा रहे थे, यीशु वहां आए। शुरू में, वे उसे नहीं पहचान सके। किसी तरह, उनकी आंखों को यह प्रकट करना यीशु का काम था।
Read Moreयीशु अपने चेलों से यरूशलेम के एक गुप्त, बंद कमरे में बात कर रहे थे, और चेले पूरे ध्यान के साथ सुन रहे थे। अंत में, यीशु की योजनाए उनके जीवनों के बारे में उन्हें ज्ञात हो रही थी। प्रभु यीशु अपने चेलों को उनके आगे जीवन के बारे में निर्देश दे रहे थे।
Read Moreआठ दिन बीत चुके थे जब मसीह अपने चेलों के सामने प्रकट हुए थे। कई जबरदस्त बातें इस छोटे दौरान हुई थी! वे उसके मौत के सदमे से बाहर भी नहीं आ पाए थे जब अचानक वह मुर्दों में से जी उठा! और तो भी, वह उनके साथ नहीं था, कम से कम पहले की तरह तो नहीं।
Read Moreप्रभु ने अपने चेलों से कहा था कि वह उन्हें गलील में मिलना चाहते हैं, तो चेले वहाँ यात्रा करके गए,और पतरस के पुराने शहर में समुन्दर के किनारे रहने लगे। पतरस, थोमा, नथानिएल , याकूब और युहन्ना, और अन्य दो चेलों सब साथ वहां थे। एक ऐसा क्षण आया जब पतरस ने कुछ व्यस्त होने का फैसला किया।
Read Moreचेले नाश्ता खाने के बाद उठकर तट के किनारे चलने लगे। परमेश्वर ने पतरस से कहा, 'शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तुम सच में मुझे इन से अधिक प्यार करते हो ?"
Read Moreयीशु ने अपने चेलों को उसे गलील के एक पहाड़ी पर मिलने को कहा। शायद वह उन्हें वहाँ इसलिए इकट्ठा करना चाहते थे ताकि जो लोग इसराइल के उत्तरी भाग में सागर के किनारे उस पर विश्वास करते थे, यीशु को अपनी आँखों से देखते कि वह कैसे मर जाने के बाद भी मुर्दों में से जी उठा। हम यीशु के इस चयन की वजह को यकीन से नहीं कह सकते है।
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