जब मूसा परमेश्वर के साथ सीनै पर्वत पर बात कर रहा था, परमेश्वर ने उसे एक और बहुत ही विशेष वेदी बनाने के निर्देश दिये। बबूल कि लकड़ी किएक वेदी बनाकर उसे वर्गाकार अट्ठारह इंच लम्बी और अट्ठारह इंच चौड़ी बनानी थी।
Read Moreपरमेश्वर ने अपने सुन्दर मंदिर के निर्माण के लिए उन सभी कुशल कारीगरों के नाम मूसा को बताये।
Read Moreयह विद्रोह अत्यधिक था। यह उनका परमेश्वर के प्रति कुल, पूर्ण अविश्वास था। मूसा जब पर्वत पर गया, वह हारून और बुज़ुर्गों को आदेश देकर गया कि वे लोगों की देखभाल करें। उन्हें परमेश्वर के नियमों का सम्मान करना था और लोगों के बीच शांति बनाए रखनी थी।
Read Moreपरमेश्वर और मूसाजब पर्वत पर एक साथ थे, परमेश्वर ने मूसा को लोगों के भयानक विद्रोह के बारे में बताया था। मूसा ने दया के लिए परमेश्वर से बिनती की थी। तब मूसा पर्वत से नीचे गया और स्वयं उनके महान विद्रोह को देखा।
Read Moreमूसा मिलाप वाले तम्बू को डेरे के बाहर लगाएगा। वह लोगों से कुछ दूर जाकर परमेश्वर से प्रार्थना करेगा और उसकी पवित्र इच्छा को जानेगा। जब भी लोग उसे जाते देखते, वे तम्बू के बाहर खड़े होकर उसे देखते थे।
Read Moreपरमेश्वर कि आज्ञाएँ कितनी स्पष्ट और सिद्ध थीं। जब हम एक परिवार और एक राष्ट्र के रूप में उन पर चलते थे, ऐसा लगता था मानो हमारे दिल और दिमाग इस पथ पर निरंतर चलने के लिए बनाये गए हैं। यह परमेश्वर के लिए पथ घर था। यह पथ सभी नष्ट करने वाली चीज़ों से दूर था।
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