पाठ 124 : एलीमेलेक और ग़ुलाम रूबेन
परमेश्वर कि आज्ञाएँ कितनी स्पष्ट और सिद्ध थीं। जब हम एक परिवार और एक राष्ट्र के रूप में उन पर चलते थे, ऐसा लगता था मानो हमारे दिल और दिमाग इस पथ पर निरंतर चलने के लिए बनाये गए हैं। यह परमेश्वर के लिए पथ घर था। यह पथ सभी नष्ट करने वाली चीज़ों से दूर था। सही और गलत की तर्ज स्पष्ट थी, और प्रत्येक व्यक्ति और परिवार समझ गया था की परमेश्वर को कैसे खुश करना है और अपने पड़ोसी का कैसे सम्मान करना है। और हमारी रक्षा करने के लिए और मार्गदर्शन करने के लिए धर्मी न्यायाधीश थे। यह कितना अद्भुत था की इसके द्वारा आदेश और हर किसी के लिए संरचना और शांति बन सकी। यह देखना कितना अद्भुत था कि प्रत्येक मनुष्य इस नियम के आधीन रह कर भय और संदेह से छूट रहा था।
वाचा किपुस्तक मिलने के कई सालों बाद, मेरे परिवार ने उसका मूल्य जाना। स्वर्ण बछड़े के समय, परिवारों के कई पुरुष मर चुके थे। उनके पिताओं और रिश्तेदारों ने उस पापी मद्यपान में भाग लिया था, और इसलिए वे लेवी कि तलवार से काट दिए गए। इसके कारण कई अनाथ बच्चे और विधवाएं थीं जिनका ध्यान रखना था। इस्राएल के अन्य परिवारों ने उन्हें लेने में सहयोग दिया।
मेरी माँ के विरोध करने पर भी, मेरे पिता ने एक ऐसे युवा को घर में लिया जिसका जीवन उसके पिता के पापों के कारण तबाह हो गया था।उसकी मां की उसके जन्म के समय मृत्यु हो गई थी, और उसकी अपनी चाची ने उसकी देखभाल की। उसके पति ने भी विवाह का उल्लंघन कर के दुष्टता में भाग लिया था। जब लेवियों ने उसकी जान ले ली, तो विवाह और अपनी पत्नी के प्रति वफ़ादार रहने के मूल्य ने उन्हें मज़बूत बनाया। लेकिन इससे उसने अपने पति और सुरक्षा को खोया। जब की उसके अपने कबीले के लोगों ने मदद की, उसकी चाची उसके बच्चों की देखभाल के कारण अभिभूत हो गयी।
मेरे पिता ने उसकी दुविधा कि कहानी सुनी और उसके पुत्र के लिए अपने ख़ज़ाने में से चांदी पेश की। मेरे पिता ने कहा की वह उसकी देखभाल करेंगे और उसे अनुशासन में रखेंगे। और माँ को अपने परिवार कि देखभाल के लिए बहुत वस्तुएं दी जाएंगी। परिवार में इनके जुड़ने से पशुओं की देखभाल हो जाएगी और परिवार की मदद भी हो जाएगी। सब के लिए यह एक आशीर्वाद होगा। और यदि यह बालक हमारे घर के आशीर्वाद के तहत रहता है, तो वह अपने परिवारों के पुरुषों से अलग होगा। शायद बचपन में उसने उन सब बातों को सीखा होगा, अब वह परमेश्वर का दास हो कर बड़ा होगा।
उस लड़के का नाम रूबेन था और वह चौदह साल का था। वह हमारे परिवार के बच्चों से कितना अलग था। उसका व्यवहार हमारे जैसा साधारण नहीं था। हमारे कबीले के परिवारों में, हम हज़ारों साधारण नियमों का पालन करते थे जिससे हमारा जीवन आसान हो जाता था।उदाहरण के लिए, जवान बच्चे पशुओं को घास चराने के लिए ले जाते थे। महिलाएं हमारे लिए खाना लाती थीं। अब, हम जान गए थे की दूसरों को देने से पहले कटोरे में से पहले खाना लेना कितना गलत था। इसके द्वारा हम एक दूसरे को सम्मान देते थे। इस लड़के की अशिष्टता तब दिखती थी जब वह खाने का सबसे अधिक भाग लेता था और किसी और को पूछे बगैर ही शेष बचा भोजन भी खा जाता था।इस युवक के कई विघटनकारी और शत्रुतापूर्ण व्यवहार का यह एक छोटा सा उदाहरण है। मुझे यह सोच के भी घबराहट होती है की वह अपने घर में भोजन के समय पर किस तरह का व्यवहार करता होगा। जो सबसे ताक़तवर होंगे, वे कमज़ोरों को भूखा रहने देते होंगे। यह लड़का सहायता लाने के लिए और हमारे परिवार के लिए मदद करने के लिए रखा गया था, लेकिन उसका आना बड़ी हताशा और अप्रसन्नता को ले आया। फिर भी पिता नियमों कि ओर देख रहे थे। यह बच्चा एक अनाथ था, और वह उसके साथ दृढ़ता से लगे रहेंगे।
रूबेन को बहुत जल्दी मालूम हो गया कि, चोरी करना, झूठ बोलना, और महिलाओं के साथ बुरा व्यव्हार करना, हमारे घर में इन चीज़ों किकोई जगह नहीं थी। जब पहली बार उसने मेरी बहन का तिरस्कार किया, तो मुझे बहुत गुस्सा आया और मैं अचंबित रह गया। फिर एक दिन कुछ गायब हुआ, और मेरी माँ ने उससे पूछताछ की। मेरी माँ के विरुद्ध उसके अवमानना को देख कर मैं हैरान रह गया। फिर मेरे पिता ने जाना की रूबेन चोरी करता था, और थोड़ा थोड़ा सामान अपनी जेब में रख लेता था। मालूम नहीं की मेरे पिता के लिए क्या बदतर था, उसका चोरी करके विश्वासघात करना या उनकी पत्नी का अनादर करना। इसे ख़त्म करने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए? संभवतः रूबेन को क्या बदल सकता था। वह हमारा था, और वह कई वर्षों तक रहेगा भी। कैसे हम अपने घर में एक झूठे व्यक्ति को रख सकते थे? हर कोई असुरक्षित महसूस कर रहा था।
पिताजी ने उसकी ऐसी पिटाई कि जिसे वह कभी भूल नहीं पाएगा। हमारे आमतौर पर शांतिपूर्ण घर में यह एक कठिन और अशांत दिन था, लेकिन यह रूबेन में एक अद्भुत मोड़ को ले आया। मेरे पिता ने जब उसे वापस काम में लगा दिया, तो उसे बहुत आश्चर्य हुआ। कुछ दिनों के गुस्से के बाद, उसका अहंकार और व्यंग्यमिश्रित जाने लगा। यह एक अचरज से देखने वाले लड़के में बदल गया।
रूबेन हमारे परिवार को इस प्रकार देखने लगा जो हमारे लिए कुछ असुखद था। वह हमारे परिवार कि खुशियों को देख कर और क्रोधित होने लगा। मैं जेठा पुत्र था, और ऐसा लगता था की वह मेरी तरह बनने कि कोशिश कर रहा हो। मेरे पिता ने मुझे एक तरफ ले जाकर कहा की यह सब अच्छा था। परमेश्वर इस लड़के को एक मौका और दे रहा था। वह एक गुलाम था, लेकिन वह एक प्रेम के घर में गुलाम था।
इतने सालों में रूबेन में परिवर्तन परमेश्वर की अच्छाइयों कि गवाही थी। सातवें वर्ष के समय तक, हम सब सोचते थे कि वह क्या करेगा। वह आज़ाद हो सकता था। यदि वह हमारे घर को छोड़ कर जाना चाहता था, तो पिता ने उसके लिए पशु और चांदी को अलग कर दिया था। वे चाहते थे कि इनका वफ़ादार दास अपने जीवन कि नयी शुरुआत जोश के साथ करे।
फिर भी हम में से कोई भी नहीं चाहता था की वह जाये। वह हमारा हो गया था। वह मेहनत करने लगा था और हमारे परिवार के तरीकों को जान गया था। हम उस पर पूरी तरह विश्वास करने लगे थे। कैसे वह दूसरे परिवार में जा सकता था? और अब वह हम से अलग कैसे हो सकता था?
जब रूबेन ने रुकने का फैसला किया, तो हमें बहुत राहत मिली। पिता ने उसे गले से लगाया और बहुत रोये। उसने अपने आप को अपनी इच्छा से ग़ुलाम होने के लिए दे दिया, जो परिवार के भलाई के लिए काम करेगा। माँ ने इस जश्न को मनाने के लिए भोजन तैयार किया, और पिता ने रूबेन के विषय में कहा कि वह हमारे पूरे राष्ट्र कि एक तस्वीर था। हम भी, स्वतंत्र हुए ग़ुलाम थे। लेकिन एक राष्ट्र के रूप में हमने परमेश्वर के ग़ुलाम बनना चाहा, जो उसके शक्तिशाली पंखों कि सुरक्षा के तहत उसकी सेवा करने को तैयार थे। रूबेन की तरह, हम परमेश्वर के अनमोल ख़ज़ाने थे, और उसके ग़ुलाम बनने के लिए एक राष्ट्र के रूप में चुन लिया था! रूबेन ने जब विवाह किया, उसकी पत्नी हमारे साथ जुड़ गयी, और उसके बच्चे हमारे घर में खुशियों को ले आये। स्वर्ण बछड़े के पाप और विनाश से, यहोवा हमारे लिए अनुग्रह को ले आया।