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पाठ 86 : महान पीड़ा के बीच परमेश्वर का महान वादा

मिस्री दास स्वामी और हिब्रू कार्य प्रबन्धक इस्राएल के लोगों के पास गए और उन्हें वही करने का आदेश दिया जो फिरौन उनसे चाहता था कि वे करें। उन्हें आज्ञा दी गयी की वे बाहर जाकर ईंटें बनाने के लिए भूसा इकट्ठा करें, लेकिन उन्हें उतना ही बनाना था जितना उन्होंने पहले बनाया था।

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पाठ 88 : मेंढकों और कुटकियों और डांसों की विपत्तियां भाग 1

परमेश्वर मिस्र के देवताओं पर युद्ध छेड़ने जा रहा था। फिरौन ने उनके लोगों को बंदी बना रखा था और वह उन्हें जाने नहीं दे रहा था। परमेश्वर अपने लोगों को रिहा करने के लिए एक शक्तिशाली काम कर सकता था, लेकिन उसके मन में एक बड़ी योजना थी।

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पाठ 89 : विपत्तियां भाग 2: मवेशी और फोड़े और ओलावृष्टि

फिरौन ने परमेश्वर कि शक्ति को अपने विरुद्ध में काम करते देखा था। जो क्लेश वह और उसके पूर्ववर्तियां दशकों से इस्त्राएलियों पर ला रहे थे, वे अब उसके ही लोगों द्वारा महसूस किया जा रहा था।

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पाठ 90 : विपत्तियां भाग 3: टिड्डियां और घोर अंधकार

जबकि फिरौन और उसके अधिकारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के विरुद्ध अपनी हठीली लड़ाई के लिए ज़िम्मेदार थे, परमेश्वर स्वयं के लाभ के लिए उनके पापों का उपयोग कर रहा था। वह पूरी तरह नियंत्रण में था।

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पाठ 91 : अंतिमविपत्ति

परमेश्वर ने एक बार फिर फिरौन के हृदय को कठोर कर दिया। जब मूसा ने फिरौन से इस्राएलियों और उनके जानवरों को छोड़ने के लिए कहा ताकि वे रेगिस्तान में जाकर उपासना कर सकें, तो उसने इंकार कर दिया। वह लोगों को जाने नहीं दे रहा था।

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