पाठ 90 : विपत्तियां भाग 3: टिड्डियां और घोर अंधकार
जबकि फिरौन और उसके अधिकारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के विरुद्ध अपनी हठीली लड़ाई के लिए ज़िम्मेदार थे, परमेश्वर स्वयं के लाभ के लिए उनके पापों का उपयोग कर रहा था। वह पूरी तरह नियंत्रण में था। उसने मूसा से कहा;
"'फिरौन के यहाँ जाओ। मैंने उसे और उसके अधिकारियों को हठी बना दिया है। मैंने यह इसलिए किया है कि मैं उन्हें अपने शक्तिशाली चमत्कार दिखा सकूँ। मैंने इसे इसलिए भी किया कि तुम अपने पुत्र—पुत्रियों तथा पौत्र—पौत्रियों को उन चमत्कारों और अद्भुत बातों को बता सको जो मैंने मिस्र में कि हैं। तब तुम सभी जानोगे कि मैं यहोवा हूँ।'” (निर्गमन 10:। 1-2)
उसके विरुद्ध फिरौन कि स्वयं कि बुराई का उपयोग करने में परमेश्वर किचतुराई देखिये। यह याद रखना महत्वपूर्ण है की परमेश्वर एक निर्दोष राष्ट्र के प्रति कठोर नहीं हो रहा था। इसी राष्ट्र के लोग दशकों से इस्त्राएलियों पर अत्याचार कर रहे थे। वे नील नदी में यहूदी पुत्रों को मारने के लिए जीवित फेंक रहे थे। वे उन्हें भीषण और अपमानजनक रूप से मजदूरी करा रहे थे, जो बदतर होती जा रही थी। मिस्र के राजाओं ने इस्राएलियों को अकल्पनीय कष्ट दिए, परन्तु मिस्र के लोग इस्राएल के दिव्य राजा से इतना कष्ट इसीलिए सह रहे थे क्यूंकि वे उसके लोगों को मुक्त नहीं कर रहे थे।
अपने लोगों के प्रति यहोवा किवफ़ादारी और सुरक्षात्मक शक्ति पूरी दुनिया में जानी जाएगी। उसके प्रेम का प्रदर्शन केवल यहूदियों के इसी पीढ़ी के लिए ही नहीं, लेकिन हर पीढ़ी के लिए था। परमेश्वर के लोगों के बच्चे और पोते और उनके बच्चों के बच्चे भी परमेश्वर के उस महान आशीर्वाद में जीएंगे जो वह कर रहा था। वे एक विदेशी देश में दास नहीं होंगे। वे बिना किसी डर के अपनी ही भूमि पर फ़सल उगाएंगे और अपने बच्चों को पालेंगे। इस्राएल राष्ट्र के भविष्य में, परमेश्वर उन्हें समय समय पर बुलाएगा ताकि उनका उस पर विश्वास बना रहे। जो कार्य उसने मिस्र में करके दिखाया उस प्रेम का और उन्हें बचाने का प्रमाण वह उन्हें दिखाता रहेगा। परमेश्वर के पराक्रम के उद्धार का कार्य केवल उसी समय के लिए नहीं था, वह उन सभी पीढ़ियों के लिए था ताकि वे आशा और विश्वास के साथ उन्हें फिर से देख सकें।
मूसा और हारून फिरौन के पास एक नया संदेश ले कर गए। उसने उसे पश्चाताप का एक और मौका दिया, यह जानते हुए की उसका विद्रोही हृदय ऐसा नहीं करेगा। उसने उससे पूछा की उसे अपने आप को परिवर्तन करने के लिए कितना समय लगेगा। उसने फिरौन को चेतावनी दी की यदि उसने परमेश्वर के लोगों को जाने नहीं दिया, तो टिड्डियों का एक जबरदस्त झुंड उसके राष्ट्र को ढक देगा। वे भूमि पर बिछ जाएंगी और सब कुछ खा जाएंगी। कुछ भी नहीं बचेगा। मिस्र पूरी तरह से बंजर हो जाएगा। उनकी सारी फसलें नष्ट हो जाएंगी, और नयी फसलों को उगाने वाली बीजों को भी वे खा जाएंगे। भूमि इतनी भर जाएगी कि वह कहीं भी दिखाई नहीं देगी। यह ऐसा होगा जैसे मिस्र में कभी भी किसी ने नहीं देखा होगा।
फ़िरौन के अधिकारियों ने उससे पूछा, “'हम लोग कब तक इन लोगों के जाल में फँसे रहेंगे। लोगों को उनके परमेश्वर यहोवा की उपासना करने जाने दें। यदि आप उन्हें नहीं जाने देंगे तो आपके जानने से पहले मिस्र नष्ट हो जाएगा।'”
वाह। कल्पना कीजिये कि वे राजा से उस तरह से बात करने के लिए कितने हताश हो रहे थे। वह उन्हें मार सकता था!
मूसा और हारून को फिरौन के पास वापस लाया गया। उसने कहा कि वह उन्हें जाने देगा, लेकिन फिर उसने पूछा कि वे अपने साथ किसे ले जाना चाहते थे। मूसा और हारून ने कहा कि वे हर किसी को ले जाएंगे। उनके त्यौहार के लिए सभी पुरुष, महिलाएं, बच्चे और यहां तक कि उनकी भेड़ और गाय-बैल भी उनके साथ जाएंगे। फिरौन ने उनके साथ बहस करने की कोशिश की। उसने कहा कि वे कुछ बुरा करने जा रहे थे। उसने यह अनुमान लगाया कियदि वह पूरे देश को एक साथ जाने देगा, तो वे फिर कभी नहीं लौटेंगे। सो उसने कहा कि केवल पुरुष ही परमेश्वर की उपासना करने जा सकते थे। मिस्र में महिलाएं और बच्चे रहेंगे जिससे उनका वापस आना पक्का हो जाये। तब मूसा और हारून को उसके भयानक क्रोध के कारण बाहर निकाला गया। उसका अपने राज्य पर नियंत्रण खो रहा था, और उसकी नाराज़गी उसे क्रोधित कर रही थी।
एक बार फिर परमेश्वर ने मूसा को अपने हाथ को फैलाने के लिए कहा। टिड्डी भारी झुण्ड में सुबह किहवा के साथ भर गए। जो कुछ ओलों के बाद बच गया था वे सब कुछ खा रहे थे। सारी भूमि उनसे काली हो गयी। फिरौन ने मूसा और हारून को बुलवाकर परमेश्वर के विरुद्ध किये अपने पापों को स्वीकार किया। उसने उनसे उसे एक बार फिर माफ़ करने और विपत्ति के हट जाने के लिए प्रार्थना करने को कहा। मूसा ने वैसा ही किया, और परमेश्वर ने एक अन्य हवा चलाई और लाल सागर में टिड्डियों को भेज दिया। एक भी नहीं छोड़ी। लेकिन परमेश्वर ने फिरौन के मन को कठोर कर दिया, और वह अभी भी परमेश्वर के लोगों को जाने नहीं दे रहा था।
एक बार फिर परमेश्वर ने मूसा को अपने हाथ को फैलाने के लिए कहा। इस बार, परमेश्वर ने पूरी ज़मीन को एक गहरे और भयानक अंधकार से भर दिया। अँधेरा इतना अधिक था की वे उसकी शक्ति को महसूस कर सकते थे। तीन दिन के लिए मिस्र में, एक निरपेक्ष और पूर्ण अंधकार हो गया। यह इतना घोर था की कोई भी अपने घर से बाहर नहीं जा सकता था और ना ही कुछ देख सकता था।
मूसा को फिरौन के दरबार में बुलाया गया। राजा ने कहा कि परमेश्वर के लोग उपासना करने के लिए जा सकते थे, लेकिन उन्हें अपने जानवरों को पीछे छोड़ना होगा। इससे मिस्र में वापस आने का उनका आना पक्का हो जाएगा। मूसा ने दबाव डाला की उनके जानवर उनके साथ ही जाएंगे। जंगल में परमेश्वर को बलिदान चढ़ाने के लिए उन्हें जानवरों कि बलि लानी होगी, और वे नहीं जानते थे कि उन्हें किस चीज़ किआवश्यकता हो जाये जब तक कि वे वहां पहुंच नहीं जाते। अब फिरौन क्या करेगा?