पाठ 91 : अंतिमविपत्ति

परमेश्वर ने एक बार फिर फिरौन के हृदय को कठोर कर दिया। जब मूसा ने फिरौन से इस्राएलियों और उनके जानवरों को छोड़ने के लिए कहा ताकि वे रेगिस्तान में जाकर उपासना कर सकें, तो उसने इंकार कर दिया। वह लोगों को जाने नहीं दे रहा था। उसने मूसा को उसकी दृष्टि से दूर जाने को आज्ञा दी और कहा की वह दुबारा मूसा को नहीं देखना चाहता था। उसने मूसा से कहा कि यदि वह फिर से उसे दिखा, तो वह मूसा की मृत्यु का दिन होगा!

 

और मूसा सहमत हुआ। उसने फिरौन से कहा कि वह फिर कभी उसके सामने नहीं आएगा। लेकिन पहले उसने एक अंतिम विपत्ति के विषय में फिरौन को बताया जो पूरे राष्ट्र पर आने वाली थी। 

 

यहोवा ने पहले से ही इसके बारे में मूसा को बता दिया था। उसने उसे अंतिम विपत्ति के विषय में बताया जो वह भेजने जा रहा था। इस विपत्ति के बाद फिरौन अपना मन बदल देगा। वह लोगों को जाने देगा। बल्कि, वह उन्हें बाहर निकाल देगा। यहूदी उन सारे क्लेश से इतने परेशान हो चुके होंगे, की वे जाने के लिए बहुत प्रसन्न होंगे। वास्तव में, परमेश्वर ने मूसा से कहा की वह अपने लोगों को मिस्र के लोगों के पास जाकर यात्रा के लिए चांदी और सोने की मांग करें। 

 

फिरौन के भयंकर हटीलेपन और क्रूरता के बारे में सोचना आश्चर्यजनक है। वह इस्राएलियों को जाने नहीं दे रहा था, और वह अपने ही लोगों किरक्षा नहीं कर रहा था। लेकिन परमेश्वर मिस्र के लोगों के दिलों में काम कर रहा था। वे सर्वशक्तिमान ईश्वर, जो अपने लोगों को बचा रहा था और दुष्ट फिरौन जो अपने लोगों को नष्ट होने दे रहा था, के बीच की लड़ाई को देख रहे थे। लोगों का पक्ष मूसा और इस्राएल के बच्चों के साथ था। फिरौन के दरबार के अधिकारीयों को मूसा के सम्मान था! जब इस्राइलियों के जाने का समय आया, तब मिस्र के लोग उनके बहुत आभारी होंगे। 

 

मूसा ने परमेश्वर की ओर से मिले वचन को फिरौन को बताया:

"'आज आधी रात के समय, मैं मिस्र से होकर गुजरुँगा, और मिस्र का हर एक पहलौठा पुत्र मिस्र के शासक फ़िरौन के पहलौठे पुत्र से लेकर चक्की चलाने वाली दासी तक का पहलौठा पुत्र मर जाएगा। पहलौठे नर जानवर भी मरेंगे। मिस्र की समूची धरती पर रोना—पीटना मचेगा। यह रोना—पीटना किसी भी गुजरे समय के रोने—पीटने से अधिक बुरा होगा और यह भविष्य के किसी भी रोने—पीटने के समय से अधिक बुरा होगा। किन्तु इस्राएल के किसी व्यक्ति को कोई चोट नहीं पहुँचेगी। यहाँ तक कि उन पर कोई कुत्ता तक नहीं भौंकेगा। इस्राएल के लोगों के किसी व्यक्ति या किसी जानवर को कोई चोट नहीं पहुँचेगी। इस प्रकार तुम लोग जानोगे कि मैंने मिस्रियों के साथ इस्राएल वालों से भिन्न व्यवहार किया है। तब ये सभी तुम लोगों के दास मिस्री झुक कर मुझे प्रणाम करेंगे और मेरी उपासना करेंगे। वे कहेंगे, “जाओ, और अपने सभी लोगों को अपने साथ ले जाओ।” तब मैं फ़िरौन को क्रोध में छोड़ दूँगा।’”

निर्गमन 11: 4b-8

 

इस भयानक खबर को सुनने के बाद भी, फिरौन लोगों को जाने नहीं दे रहा था। उसने मिस्र के बच्चों को जोखिम में डाल दिया था। उसने स्वयं के पुत्र को भी, जो उसके सिंघासन का वारिस था, जोखिम में डाल दिया। जिस परमेश्वर ने सब कुछ बनाया, उसकी आज्ञा का भी पालन नहीं किया। यह कितना दिलचस्प है की परमेश्वर ने स्वयं फिरौन को बनाया था। जिस परमेश्वर ने फिरौन को जीवन दिया उसी के विरुद्ध वह विद्रोह कर रहा था। यह एक अकल्पनीय विश्वासघात था!

 

यह विपत्ति अन्य सब विपत्तियों से अलग थी। इस बार, इस्त्राएलियों के पास अपने आप पर आने वाली बातों से बचने के लिए ऐसे कुछ कार्य करने थे। महीने के दसवें दिन को, समुदाय में हर घर को एक भेड़ या बकरी का बलिदान करना होता था। ऐसे बड़े बलिदान को करने के लिए यदि उनका परिवार बहुत छोटा था, तो वे एक और परिवार के साथ साझा कर सकते थे। वहाँ हर किसी के खाने के लिए पर्याप्त होना ही था! पशु एक साल का दोषरहित होना चाहिए। महीने के चौदहवें दिन, पूरे समुदाय में हर परिवार को सूरज क्षितिज होने पर भेड़ के बच्चे का बलिदान करना था। पशु का कुछ रक्त ले कर उसे अपने घरों के प्रवेश द्वार के ऊपर चौखट पर लगाना था। फिर उसे दरवाज़े के पक्ष को पेंट करना था। एक आग पर पशु को भून कर कड़वी जड़ी बूटियों और अखमीरी रोटी के साथ परिवार के साथ खाना था। 

 

उन्हें यात्रा करने के लिए तैयार कपड़ों में उसे खाना था। इनके लबादे पेटियों में कसे होने चाहिए और जूते पहने हुए यात्रा के लिए एक छड़ी साथ में होनी चाहिए थी। बहुत जल्द, इस्राएल यात्रा पर निकल जाएगा। 

                           

                                                

उसी रात, परमेश्वर अपनी अंतिम विपत्ति को लाएगा। वह रात के अँधेरे में मिस्र से गुज़रेगा। हर एक पहलौठा मारा जाएगा। परमेश्वर भी मिस्र के देवताओं पर दण्ड लाएगा। परन्तु परमेश्वर हर उस घर के आगे से गुज़र जाएगा जिसके चौखट पर खून का विशेष चिन्ह लगा होगा।इस्राएलियों के पहलौठे पुत्र उस लहू द्वारा संरक्षित होंगे। 

 

परमेश्वर ने आज्ञा दी कि भविष्य में इस्राएली फसह नामक एक महान त्योहार को मनाएंगे। वे पर्व को मनाने के लिए केवल अखमीरी रोटी ही खा सकते थे। वास्तव में, इस्राएलियों को अपने घरों से खमीर को पूरी तौर से हटा देना था। सात दिन के लिए एक राष्ट्र के रूप में उन्हें एक साथ इकट्ठा होना था। किसी को भी पूरे हफ्ते के लिए काम करने की अनुमति नहीं थी। केवल एक ही काम वे कर सकते थे वो था सब के लिए भोजन को तैयार करना। फसह के पहले और आखिरी दिन पर, उन्हें इकट्ठा होकर परमेश्वर की उपासना करनी थी। जो परमेश्वर करने जा रहा था वह इतना विशाल था किइब्रियों के वंशज अगले पैंतीस सौ वर्षों के लिए यह जश्न मनाते रहेंगे। यीशु ऊपर के कमरे में अपने चेलों के साथ इसका सम्मान करेगा। इस कहानी को सारी दुनिया कभी नहीं भूलेगी।