पाठ 86 : महान पीड़ा के बीच परमेश्वर का महान वादा
मिस्री दास स्वामी और हिब्रू कार्य प्रबन्धक इस्राएल के लोगों के पास गए और उन्हें वही करने का आदेश दिया जो फिरौन उनसे चाहता था कि वे करें। उन्हें आज्ञा दी गयी की वे बाहर जाकर ईंटें बनाने के लिए भूसा इकट्ठा करें, लेकिन उन्हें उतना ही बनाना था जितना उन्होंने पहले बनाया था। सभी इस्राएली भूसा ढूंढने के लिए बाहर चले गए। प्रत्येक व्यक्ति को अपने काम को पूरा करने के लिए पर्याप्त की जरूरत थी, नहीं तो उन्हें दास स्वामी की क्रूरता का खतरा था! फिर भी वे सब खोज में लगे थे, और इसलिए इसे खोजना और कठिन हो गया! वे कैसे हर दिन पुआल मिल जाने पर वापस अपने काम पर पहुंच कर ईंटों को पहले जैसे बनाएँगे? यह एक असंभव काम था, और एक बड़ा अन्याय था। वे ऐसा नहीं कर सकते थे। फिरौन ने एक असंभव लक्ष्य का गठन किया था। गुलाम स्वामी उन यहूदी पुरुषों को ले गए जो अपने इस्राएली भाइयों के काम का निरीक्षण कर रहे थे और उन्हें मारा। वे जानना चाहते थे की पहले के मुताबिक ईंटें क्यूँ कम बन रही थीं।
तब हिब्रू कार्य—प्रबन्धक फ़िरौन के पास गए। उन्होंने शिकायत किऔर कहा, “आप अपने सेवकों के साथ ऐसा बरताव क्यों कर रहे है? आपने हम लोगों को भूसा नहीं दिया। किन्तु हम लोगों को आदेश दिया गया कि उतनी ही ईंटें बनाएँ जितनी पहले बनती थीं और अब हम लोगों के स्वामी हमे पीटते हैं। ऐसा करने में आपके लोगों की ग़लती है।” (निर्गमन 5:15-16)
फ़िरौन ने उत्तर दिया, “तुम लोग आलसी हो। तुम लोग काम करना नहीं चाहते। यही कारण है कि तुम लोग माँग करते हो कि मैं तुम लोगों को जाने दूँ और यही कारण है कि तुम लोग यह स्थान छोड़ना चाहते हो और यहोवा को बलि चढ़ाना चाहते हो। अब काम पर लौट जाओ। हम तुम लोगों को कोई भूसा नहीं देंगे। किन्तु तुम लोग उतनी ही ईंटें बनाओ जितनी पहले बनाया करते थे।”
यह मिस्र का राजा कितना क्रूर तानाशाही था! इस्त्राएलियों को मालूम था कि वे भयानक मुसीबत में थे। पूरे दिन भूसे की तलाश करने के बाद उनके लोग ईंटों किएक ही राशि कैसे बना सकते थे! वे हारून और मूसा के पास गए जो उनका इंतज़ार कर रहे थे। उन्होंने कहा, “'तुम लोगों ने बुरा किया कि तुम ने फ़िरौन से हम लोगों को जाने देने के लिए कहा। यहोवा तुम को दण्ड दे क्योंकि तुम लोगों ने फ़िरौन और उसके प्रशासकों में हम लोगों के प्रति घृणा उत्पन्न की। तुम ने हम लोगों को मारने का एक बहाना उन्हें दिया है।'”
मूसा वह देख कर बहुत दुखी हुआ जो फिरौन उसके लोगों के साथ कर रहा था। वह उस समस्या को यहोवा के पास लेकर गया। परमेश्वर ने कहा, "'अब तुम देखोगे कि फ़िरौन का मैं क्या करता हूँ। मैं अपनी महान शक्ति का उपयोग उसके विरोध में करूँगा और वह मेरे लोगों को जाने देगा। वह उन्हें छोड़ने के लिए इतना अधिक आतुर होगा कि वह स्वयं उन्हें जाने के लिए विवश करेगा।'”
परमेश्वर मूसा को बता रहा था किजब कि वह इब्राहीम, इसहाक, और याकूब के लिए आया था, उसके विषय में कुछ ऐसी बातें थीं जो अब तक उसने उन्हें प्रकट नहीं की थीं। अब परमेश्वर अपने आप को 'मैं हूँ' के रूप में खुद को प्रकट करेगा। वह अपने आप को ऐसे प्रकट करेगा जिस प्रकार उसने अपने लोगों को और दुनिया के देशों को कभी नहीं दिखाया है। जब परमेश्वर कहता है "मैं यहोवा हूँ," इसका अर्थ है की जो कुछ उसने कहा है वह निश्चित रूप से होगा। वह तारों को बनाता है और पूरे ब्रह्मांड को चलाता है। जब वह कहता है की कुछ नया होने वाला है, तो यह निश्चित है कि हर दिन के बाद पूर्व दिन में सूरज उगता है!
यहोवा ने मूसा को याद दिलाया कि वह निश्चित रूप से अपने लोगों को मिस्र से निकाल कर वादे के देश में ले जाएगा। उसने उनका करहाना सुना और अपनी वाचा को पूरा करने के लिए उस पर भरोसा रख सकते हैं। उसने वादा किया किवह उन्हें गुलामी से मुक्त करेगा। उसने कहा, तुम लोग मेरे लोग होंगे और मैं तुम लोगों का परमेश्वर। (निर्गमन 6: 7a) ध्यान दीजिये कि जो कुछ परमेश्वर कह रहा था वह उसे करने जा रहा था। उसने सब बातों में और सब कामों में पहल की। इस्राइलियों को केवल दृढ़ रहना था और उस पर विश्वास करना था। केवल उसे अभिनय करने के लिए उन्हें उसका इंतज़ार करना था।
मूसा ने परमेश्वर के अद्भुत संदेश को उसके लोगों तक पहुंचाया, लेकिन वे यह नहीं सुनना चाहता थे! उनकी पीड़ा बहुत महान थी, और वे केवल राहत पाना चाहते थे। तब परमेश्वर ने मूसा से कहा कि वह फिरौन के पास जाये और उससे कहे कि वह यहोवा के लोगों को जाने दे। मूसा को नहीं लगा की इससे कोई मदद होगी। जब यहोवा के ही लोग उस पर विश्वास नहीं करते हैं तो फिरौन क्यूँ मानेगा?
परमेश्वर ने मूसा को बताया किफिरौन उतना शक्तिशाली और ताकतवर नहीं था जितना कि मूसा उसे समझ रहा था। परमेश्वर मूसा को फिरौन के सामने एक देवता कि तरह बनाने जा रहा था। यहोवा इतना महान था कि उसके सेवक भी बहुत से शक्तिशाली लोगों के लिए देवताओं की तरह थे। हारून मिस्र के राजा को मूसा की कही बातों को बताकर, फिरौन के लिए एक नबी कि तरह होगा। परमेश्वर की जगह बोलने के लिए मूसा का पद इतना ऊंचा उठ गया किफिरौन उससे सीधे बात नहीं कर सकता था। यही हारून का काम था!
परमेश्वर ने आने वाले दिनों के विषय में मूसा को बता दिया था। मूसा और हारून फिरौन के पास जाएंगे और उसे मौका देंगे कि वह इस्राएल के लोगों को जाने दे। फिरौन का हृदय कठोर हो जाएगा क्यूंकि परमेश्वर स्वयं उसका हृदय कठोर कर देगा। वह उन्हें जाने नहीं देगा।तब परमेश्वर मिस्रियों के न्याय के विरुद्ध में अपनी सामर्थ द्वारा महान और पराक्रमी चिन्ह दिखाएगा क्यूंकि उन्होंने उसके लोगों को ग़ुलामी में रखा। पूरी दुनिया एक अभिमानी मिस्र के राजा और सारी सृष्टि के यहोवा के बीच की लड़ाई को देखेगी। इस्राएल का यहोवा फिरौन को पश्चाताप करने का और उसके लोगों को मुक्त करने का बार बार मौका देगा, लेकिन वह इंकार करेगा। अंत में, मिस्र की दुष्टता के विरुद्ध यहोवा के अथक न्याय के बाद, फिरौन उन्हें जाने देगा। जैसा परमेश्वर ने कहा था, वह अपने लोगों को मिस्र से निकालेगा। वह पूरी तरह नियंत्रण में था।
परमेश्वर इस कहानी को मूसा को क्यूँ कह रहा था? फिरौन ने जब मूसा को मना कर दिया था तब मूसा को कैसा महसूस हुआ होगा? उसे कैसा लगा होगा जब उसके बोलने के कारण फिरौन इस्राएलियों के साथ बदतर व्यवहार कर रहा था? मूसा को कैसा लग रहा होगा जब इस्राएली स्वयं उसके विरुद्ध द्वेषपूर्ण हो गए? उसके लिए एक बहुत ही भयावह और दर्दनाक समय रहा होगा। परमेश्वर जानता था की मूसा को अपने विश्वास को मजबूत करने के लिए फिर से परमेश्वर की योजना को सुनने की आवश्यकता है। क्या यह काम करेगा? क्या मूसा छोड़ देगा? या फिर वह परमेश्वर पर भरोसा करेगा और फिर उसके लिए अटल रहने के लिए साहस रखेगा?