पाठ 87 : क्या फिरौन कभी सीखेगा?
जब मूसा और हारून फिर से फिरौन किअदालत में पेश होने की तैयारी कर रहे थे, परमेश्वर ने उन्हें बहुत विशिष्ट निर्देश दिये। सटीक आज्ञाकारिता बहुत महत्वपूर्ण थी। परमेश्वर को मालूम था की फिरौन उन्हें एक चमत्कार दिखाने के लिए कहेगा। मूसा को हारून को बताना था की वह अपनी लाठी ज़मीन पर फेंक दे। परमेश्वर उसे एक सर्प में बदल देगा।
जब वे फिरौन के पास गए, उन्होंने वैसा ही किया जैसा परमेश्वर ने उन्हें बताया था। उस दृश्य की कल्पना कीजिये: फिरौन अपने पूरे शाही अदालत के सामने आलीशान वस्त्र धारण करके बैठा था। सभी लोग अदालत में यह देखने को इकट्ठा थे की अगुवे ग़ुलामों से क्या कहेंगे। फिरौन के अपने जादूगर भी वहाँ होंगे। केवल देश में सबसे शक्तिशाली जादूगरों को अनुमति थी की वे राजा के दरबार में आकर अपने शक्तिशाली कामों को दिखा सकें। मूसा और हारून टोना करने वाले प्रसिद्ध लोगों के विरुद्ध में खड़े थे। फिर भी उनकी शक्तियां बुराई के अंधेरे, राक्षसी ताकतों से आयीं थीं। वे जादू से आये थे। फिरौन के विरुद्ध मूसा और हारून का यह टकराव वास्तव में परमेश्वर और एक मानव राजा कि शक्तियों के बीच और वो शैतानी शक्तियाँ जो उसका समर्थन कर रही थीं।
हारून ने लाठी को ज़मीन पर फेंका और वह एक रेंगते हुए सांप में बदल गयी। मिस्र में, सांप को महान शक्ति का जानवर माना जाता था।राजा अपने मुकुट पर एक साँप पहनता था। जो व्यक्ति एक साँप को अपने नियंत्रण में कर सकता था वही वास्तव में एक शक्तिशाली व्यक्ति था! फिरौन ने अपने जादूगरों को आगे बुलवाया। उन्होंने अंधकार के कामों को दिखाया और ज़मीन पर अपनी लाठियां फेंकीं। उनकी लाठियां भी सांपों में बदल गयीं! लेकिन तब कुछ उल्लेखनीय हुआ। जब सब उन साँपों को ज़मीन पर रेंगते हुए देख रहे थे, हारून की लाठी से बना सांप दूसरे साँपों को निगलने लगा। वे मूसा की लाठी की शक्ति के आगे असहाय थे! वाह! परमेश्वर ने एक अद्भुत चिन्ह फिरौन और उसकी अदालत को दिया। क्या फिरौन सुनेगा? नहीं। उसका दिल बहुत कठोर था। जैसा परमेश्वर ने कहा था, वह उन सब बातों को समझने के लिए इंकार कर रहा था। वह लोगों को जाने नहीं देगा। परमेश्वर ने मूसा को बताया की फिरौन का हृदय नहीं बदला था। तो इस बार, मूसा को सवेरे नील नदी पर जाना था जहां फिरौन स्नान करने के लिए आएगा। उसे वहां राजा के आने तक प्रतीक्षा करना था। फिर उसे यह कहना था;
"‘हिब्रू लोगों के परमेश्वर यहोवा ने हमको तुम्हारे पास भेजा है। यहोवा ने मुझे तुमसे यह कहने को कहा है, मेरे लोगों को मेरी उपासना करने के लिए मरुभूमि में जाने दो। तुमने भी अब तक यहोवा की बात पर कान नहीं दिया है। इसलिए यहोवा कहता है कि, मैं ऐसा करूँगा जिससे तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ। जो मैं अपने हाथ की इस लाठी को लेकर नील नदी के पानी पर मारुँगा और नील नदी खून में बदल जाएगी। तब नील नदी की मछलियाँ मर जाएंगी और नदी से दुर्गन्ध आने लगेगी। और मिस्री लोग नदी से पानी नहीं पी पाएंगे। यहोवा ने मूसा को यह आदेश दिया, “हारून से कहो कि वह नदियों, नहरों, झीलों तथा तालाबों सभी स्थानों पर जहाँ मिस्र के लोग पानी एकत्र करते हैं, अपने हाथ की लाठी को बढ़ाए। जब वह ऐसा करेगा तो सारा जल खून में बदल जाएगा। सारा पानी, यहाँ तक कि लकड़ी और पत्थर के घड़ों का पानी भी, खून में बदल जाएगा।'”
क्या आप इसकी कल्पना कर सकते हैं? पानी की हर बूंद खून बन जाएगी। मिस्र के लोग पानी के बिना कैसे जीवित रहेंगे? उनके परिवारों का क्या होगा? उनके खेतों पर उनके पालतू जानवर और फ़सलें कैसे बच पाएंगे? सड़े हुए खून से कैसे कैसे रोग होंगे? क्या फिरौन पश्चाताप करके परमेश्वर से बिनती करेगा की ये भयानक आपदा उसके लोगों पर आने से रोक दे?
नहीं, उसने ऐसा नहीं किया। उसका दिल बहुत कठोर था। हारून ने फिरौन और उसके शक्तिशाली साथियों के सामने अपनी लाठी उठाई। उसने उसे ऊपर उठाया और नील नदी के साफ़ पानी में मारा। और जैसे ही उस परमेश्वर ने जिसने सब बनाया, वचन दिया, तो वह महान नील नदी खून में परिवर्तित हो गयी। कल्पना कीजिये कि कैसे मिस्र के वे लोग अचंभित रह गए होंगे जब वे रोज़ की तरह नील नदी पर नहाने या पानी भरने के लिए गए होंगे। मरती हुई मछलियों की दुर्गन्द की कल्पना कीजिये जो नदी के ऊपर तैर रही होंगी। मिस्र की स्त्रियों की दहशत की कल्पना कीजिये जब उन्होंने अपने भंडारण मर्तबानों को खून से भरा हुआ देखा। सारे शहर में घृणा और भय का सदमा फ़ैल गया होगा। कुछ बहुत गलत हो रहा था। क्या फिरौन अपना मन बदलेगा?
लेकिन तब फिरौन के जादूगर अपने जादू के साथ आये। उन्होंने राजा को दिखाया की वे भी मूसा की तरह कुछ कर के दिखा सकते थे। केवल समस्या यह थी कि उनकी शक्ति परमप्रधान परमेश्वर की ओर से नहीं आई थी। मूसा ने परमेश्वर के विरुद्ध उपहास करने के लिए इसे एक बहाने के रूप में इस्तेमाल किया। मूसा का यह परमेश्वर इतना शक्तिशाली नहीं था! वह परमेश्वर के दास से दूर हुआ और वापस अपने महल में चला गया। लेकिन मिस्र के सभी लोगों को ताजा पानी पीने के लिए नील नदी के किनारे कुओं की खुदाई शुरू करनी पड़ी।
यह एक दिलचस्प कहानी है। बहते हुए पानी से ज़्यादा नील नदी का पानी लोगों के लिए अधिक मायने रखता था। मिस्र के लोग एक देवता के रूप में नील नदी की उपासना करते थे। यह एक महान, चमचमाती मूर्ति के समान थी जिसे वे पूजते थे। मिस्र देश के लिए नील सही मायने में एक बड़ी सहायक थी। हर साल यह बारिश के पानी से भर जाती थी और उनके खेतों और फसलों को पानी देती थी। मिस्र की बहुतायत और महानता इसके पानी के अद्भुत, विश्वसनीय स्रोत के कारण था। लेकिन नील एक देवता नहीं था! यह सारी सृष्टि के परमेश्वर की ओर से एक उपहार था! यहोवा ने इसे बनाया था! और अब यहोवा अपने लोगों को मुक्त करने के लिए आ रहा था, और मिस्र का राजा उपहास और अवमानना के साथ व्यव्हार कर रहा था! परमेश्वर ने यह प्रमाणित कर दिया था की उसके पास उनकी प्रिय नदी को क्षण भर में बेकार करने की सामर्थ थी। वह उसे उसके दास द्वारा कर सकता था, जो मिस्र में एक ग़ुलाम था। जीवित परमेश्वर की भव्यता और शक्ति के आगे उनके झूठे देवता बेकार थे! क्या फिरौन कभी सीखेगा?