कहनी ११७: स्वर्ग राज्य में पहले और अंतिम
पेरा जाने के लिए यीशु येरूशलेम और यहूदी के क्षेत्र को छोड़ कर यात्रा पर निकल पड़े। समर्पण का पर्व खत्म हो चूका था, और साढ़े तीन महीने तक यीशु येरूशलेम को वापस नहीं आएगा। वहाँ बहुत अधिक खतरा था। यहूदी यीशु को मारना चाहते थे, और जो वक़्त परमेश्वर पिता ने यीशु को नियुक्त किया था जब उसे अपने प्राण देने होंगे, वो वक़्त अभी नहीं आया था।
जब यीशु वापस जायेंगे, तब फसह का पर्व मनाने का समय होगा, जब सारा इस्राएल उस समय को याद करके समारोह मनाएगा जब परमेश्वर ने उनको मिस्र से फिरौन से आज़ादी दिलाई थी। इस अगले फसह के पर्व पर, परमेश्वर उद्धार को कल्पनीय तरीके से लाएगा और इस बार उद्धार आएगा। जिस श्राप को आदम और हव्वा इस पृथ्वी पर लाये थे वह पूरी तरह से नष्ट किया जाएगा। यीशु पाप के लिए पूरी कीमत चुकायेगा। इस बीच, वह परमेश्वर के राज्य को गाँवो और शहरों में जाकर प्रचार करने लगा।
किसी ने यीशु से पुछा,“प्रभु, क्या थोड़े से ही व्यक्तियों का उद्धार होगा?” यह बहुत ही अच्छा सवाल है, है कि नहीं? बहुत से लोग इस सवाल को इस्राएल में पूछ रहे थे। इस बात को लेकर बहुत चर्चा हो रही थे की बाहर कौन जाएगा और कौन अंदर होगा। लेकिन बहुत से लोग यह सोचते थे कि इस्राएल में हर एक व्यक्ति परमेश्वर की औलाद है, और जब तक कि वह पाप नहीं करता वह बच जाएगा।
जब यीशु ने इस सवाल को सुना उसने सीधा जवाब नहीं दिया। उसने यह नहीं सोचा कि हमें इस बात को लेकर चिंतित होना चाहिए कि कितने होंगे। यह ज़यादा महत्वपूर्ण था कि हम यीशु से उद्धार के प्रति सही मनोदृष्टि के विषय में पूछें। उसने उनसे कहा कि उस सकेत द्वार के लिए पूरे दिल से संघर्ष करें जो उद्धार का चिन्ह है।
उसने उससे कहा,
“'सँकरे द्वार से प्रवेश करने को हर सम्भव प्रयत्न करो क्योंकि मैं तुम्हें बताता हूँ कि भीतर जाने का प्रयत्न बहुत से करेंगे पर जा नहीं पायेंगे। जब एक बार घर का स्वामी उठ कर द्वार बन्द कर देता है, तो तुम बाहर ही खड़े दरवाजा खटखटाते कहोगे,‘हे स्वामी, हमारे लिये दरवाज़ा खोल दे!’ किन्तु वह तुम्हें उत्तर देगा,‘मैं नहीं जानता तुम कहाँ से आये हो?’ तब तुम कहने लागोगे, ‘हमने तेरे साथ खाया, तेरे साथ पिया, तूने हमारी गलियों में हमें शिक्षा दी।’पर वह तुमसे कहेगा,‘मैं नहीं जानता तुम कहाँ से आये हो? अरे कुकर्मियों! मेरे पास से भाग जाओ।’
“तुम इब्राहीम, इसहाक, याकूब तथा अन्य सभी नबियों को परमेश्वर के राज्य में देखोगे किन्तु तुम्हें बाहर धकेल दिया जायेगा तो वहाँ बस रोना और दाँत पीसना ही होगा'" --लूका १३:२४-२८
यह बहुत ही भयंकर अध्याय है। बहुत से लोग जो यह सोचते हैं कि वे विश्वास करते हैं कि उन्हें उद्धार मिला है, बाद में उन्हें यह पता चलेगा कि उन्हें उद्धार मिला ही नहीं था! जब परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने का समय आएगा जहां जीवित यीशु अपने पूरे जगमगाते महिमा में होगा, बहुतों को इंकार दिया जाएगा। चाहे इस्राएल के कई महान नबी वहाँ होंगे, फिर भी बहुत से यहूदियों को वहाँ प्रवेश करने से इंकार कर दिया जाएगा। वास्तव में, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई किस देश का है या किस परिवार का। महत्वपूर्ण यह है कि हमने परमेश्वर के सन्देश पर विश्वास किया और उस पर भरोसा रखा।
आपने ध्यान दिया कि वे जो बाहर रह जाएंगे उनका रोना और दाँत पीसना ही होगा? जब कोई अपने दांत पीसता है वह इसलिए नहीं कि उसे कोई पछतावा या दुःख है। वह इसलिए क्यूंकि वे क्रोधित हैं। फिर भी, यीशु के सिंहासन पर राजाओं के राजा और प्रभुओं के प्रभु होने के बावाजूद, वे मायूसी और नफ़रत कि मनोदृष्टि दिखाएंगे।
जब हम एक एक कहानी को पड़ते हैं और हर एक पात्र को देखते हैं कि वह यीशु के प्रति क्या प्रतिक्रिया रखता है, तब हम यह सीखते हैं कि उसके पीछे पूर्ण रूप से चलने में कितना संघर्ष है। हम यह भी सीखते हैं कि जब लोग अपने आप को इस बात से धोखा देते हैं कि वे बहुत धर्मी हैं, जब कि वे परमेश्वर के विरुद्ध में विश्वासघात द्वेष में जी रहे होते हैं।
यीशु ने यह स्पष्ट कर दिया था कि इस्राएल में बहुत से नहीं बचेंगे। इससे बहुत से सुनने वालों को आश्चर्य हुआ होगा। लेकिन जो वह आगे कहने जा रहा था उससे उनको बहुत धक्का लगेगा:
"'फिर पूर्व और पश्चिम, उत्तर और दक्षिण से लोग परमेश्वर के राज्य में आकर भोजन की चौकी पर अपना स्थान ग्रहण करेंगे। ध्यान रहे कि वहाँ जो अंतिम हैं, पहले हो जायेंगे और जो पहले हैं, वे अंतिम हो जायेंगे।'”
जब यीशु पूरब,पश्चिम, उत्तर, दक्षिण कि बात करता है, तो वह पृथ्वी के सारे देशों कि बात कर रहा है। उद्धार के शानदार इनाम के लिए, वह लोगों को सब जगह से इकट्ठा करेगा! यहूदी लोगों ने सोचा कि उन्हें परमेश्वर कि ओर से प्राथमिकता दी जाएगी। पुराने नियम में, वह उन्हें कीमती खज़ाना कह कर बुलाता है! उसने उनके साथ एक विशेष वाचा बाँधी! यीशु अब एक नयी वाचा को ला रहा था। वह लोगों को परमेश्वर के राज्य में उसके लहू के द्वारा बंधेगा जो उसने क्रूस पर बहाया था। वह उन्हें एक नया ह्रदय देगा! और वहाँ एक बहुत बड़ा जश्न मनाया जाएगा! ये अद्भुद आशीषें यहूदी होने से नहीं मिलती। यह परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास के कारण से आती हैं, वही जिसे यहूदी कौम ने अस्वीकार किया था!
उन्हें बहुत बुरा सबक सीखने को मिलेगा। जो यह सोचते थे कि वे पहले होंगे, वे अपने को आखिर में पाएंगे। और वे, जिन्होंने अपने आप को तुच्छ समझा था, वे परमेश्वर के राज्य में पहले होंगे!