कहानी ९०: फरीसियों, सदूकियों, और हेरोदेस का खमीर
यीशु ने जीवन की रोटी होने का दावा किया था, और इसके विषय में शब्द जल्दी से फैल गया। उनके शिक्षण की खबर यरूशलेम पहुंच गयी और यहूदी अगुवों को क्रोधित कर दिया।लेकिन वे क्या कर सकता थे? उसने हर बहस के ऊपर विजय पाई, और भीड़ ने उसकी चँगाइयों को पसन्द किया। लेकिन धार्मिक अगुवे उसे रोकने के प्रयास में थे। वे उसे मारने कि योजना बना रहे थे। यहूदी क्षेत्र जो येरूशलेम के चरों ओर घिरा हुआ है, यीशु के लिए एक खतरनाक जगह बन चूका था।
धार्मिक अगुवों ने कुछ फरीसी और शास्त्रियों को यीशु से मिलने के लिए येरूशलेम भेजा। वे उसे पाप में रंगे हाथ पकड़ना चाहते थे ताकि उसको सज़ा दे सकें। उन्होंने यीशु के चेलों को बगैर हाथ धोये रोटी को खाया। पुरखों की रीति पर चलते हुए फ़रीसी और दूसरे यहूदी जब तक सावधानी के साथ पूरी तरह अपने हाथ नहीं धो लेते भोजन नहीं करते। ऐसे ही बाज़ार से लाये खाने को वे बिना धोये नहीं खाते। ऐसी ही और भी अनेक रुढ़ियाँ हैं, जिनका वे पालन करते हैं। जैसे कटोरों, कलसों, ताँबे के बर्तनों को माँजना, धोना आदि। इसलिये फरीसियों और धर्मशास्त्रियों ने यीशु से पूछा, “तुम्हारे शिष्य पुरखों की परम्परा का पालन क्यों नहीं करते? बल्कि अपना खाना बिना हाथ धोये ही खा लेते हैं।”
यीशु ने उनसे कहा,
“यशायाह ने तुम जैसे कपटियों के बारे में ठीक ही भविष्यवाणी की थी। जैसा कि लिखा है:
‘ये मेरा आदर केवल होठों से करते है,
पर इनके मन मुझसे सदा दूर हैं।
मेरे लिए उनकी उपासना व्यर्थ है,
क्योंकि उनकी शिक्षा केवल लोगों द्वारा बनाए हुए सिद्धान्त हैं।’
उसने उनसे कहा,
तुमने परमेश्वर का आदेश उठाकर एक तरफ रख दिया है और तुम मनुष्यों की परम्परा का सहारा ले रहे हो। तुम परमेश्वर के आदेशों को टालने में बहुत चतुर हो गये हो ताकि तुम अपनी रूढ़ियों की स्थापना कर सको! उदाहरण के लिये मूसा ने कहा, ‘अपने माता-पिता का आदर कर’ और ‘जो कोई पिता या माता को बुरा कहे, उसे निश्चय ही मार डाला जाये।’ पर तुम कहते हो कि यदि कोई व्यक्ति अपने माता-पिता से कहता है कि ‘मेरी जिस किसी वस्तु से तुम्हें लाभ पहुँच सकता था, मैंने परमेश्वर को समर्पित कर दी है।’ तो तुम उसके माता-पिता के लिये कुछ भी करना समाप्त कर देने की अनुमति देते हो। इस तरह तुम अपने बनाये रीति-रिवाजों से परमेश्वर के वचन को टाल देते हो। ऐसी ही और भी बहुत सी बातें तुम लोग करते हो।'”
आपने देखा कि यीशु क्या कह रहे थे? धार्मिक अगुवों ने कुछ नियम बना लिए थे, और यहूदी लोगों को बता रहे थे कि उन्हें कुरबान नामक तोहफे को चढ़ाना है। उन्होंने ने लोगों के पैसे ले लिए थे जिससे कि लोग अपने माता पिता का ध्यान नहीं रख सके। दस आज्ञाओं में ऐसा लिखा है कि, "'अपनी माता और पिता का आदर करो।'" धार्मिक अगुवों ने लोगों को कुरबान देना सिखाया था ताकि उससे उन्हें पैसे मिलें, लेकिन ऐसा कर के मूसा कि विधियों का उलंघन हो रहा था! वे धार्मिक अगुवों के संस्कारों को परमेश्वर के वचनों से अधिक महत्व दे रहे थे, और वे दूसरों को भी ऐसा सिखा रहे थे। यह स्पष्ट था कि आत्मा के विधियों के अनुसार यहूदियों को अपने माता पिता का ध्यान रखना था, और वे लोगों को उसका विपरीत करना सिखा रहे थे। यीशु ने कहा कि यह उनमें से एक उदहारण था जहां वे पूरे राष्ट्र के लिए प्रति दिन के लिए अपने ही बनाय हुए विधियों को बनाकर परमेश्वर की सच्चे विधियों का अनादर कर रहे थे। वे लोगों पर कुरबान देने का दबाव डालते थे चाहे उन्हें अपने माता पिता का ध्यान ना रखना पड़े।
यीशु ने भीड़ को फिर अपने पास बुलाया और कहा,
“'हर कोई मेरी बात सुने और समझे। ऐसी कोई वस्तु नहीं है जो बाहर से मनुष्य के भीतर जा कर उसे अशुद्ध करे, बल्कि जो वस्तुएँ मनुष्य के भीतर से निकलतीं हैं, वे ही उसे अशुद्ध कर सकती हैं।'”
यीशु के चेले उसकी बातों को लेकर परेशन हो गए। पुराने नियम में. परमेश्वर ने खाने को लेकर सारे नियम दिये थे कि किस प्रकार का भोजन खाना चाहिए और कैसा नहीं। जिस खाने कि वस्तु से उन्हें दूर रहना था वह "अशुद्ध" कहलाता था। अब यीशु कह रहा था कि कोई भी खाने कि वस्तु अपने आप से अशुद्ध नहीं होती। वह यहूदी लोगों को खाने कि वस्तु के बारे में एक नया तरीका बता रहा था! पंद्रह हज़ार सालों से, उन्होंने ने मूसा कि विधियों का पालन किया था, लेकिन अब वह यह घोषित कर रहा था कि उन विधियों का कोई असर नहीं रहा। वे मूसा कि वाचा का एक भाग था जो मसीह के रास्ते कि ओर ले जाता था। अब मसीह आ चूका था, और वह एक नयी वाचा और नयी आशा को ले कर आ रहा था। परमेश्वर के विश्वासियों के लिए नए नियमों का संग्रह मिला था जिसे उन्हें मानना था, जब कि गहराई में वे दोनों एक सामान थे क्यूंकि वे परमेश्वर के चरित्र को दर्शाते थे। जिस तरह मूसा कि विधियां यहूदी लोगों को यह बताती थीं कि उन्हें अपने माता पिता का आदर प्रेम दिखा कर करना था, और नयी विधियां यह आदेश देती थीं कि यीशु के चेलों को एक दुसरे से प्रेम करना है। ये विचार वही थे जो यीशु के भीतर से आते थे। लेकिन चेलों को ये समझ नहीं आए।
तब उसने उनसे कहा,
“क्या तुम भी कुछ नहीं समझे? क्या तुम नहीं देखते कि कोई भी वस्तु जो किसी व्यक्ति में बाहर से भीतर जाती है, वह उसे दूषित नहीं कर सकती।क्योंकि वह उसके हृदय में नहीं, पेट में जाती है और फिर पखाने से होकर बाहर निकल जाती है।” फिर उसने कहा, “मनुष्य के भीतर से जो निकलता है, वही उसे अशुद्ध बनाता है क्योंकि मनुष्य के हृदय के भीतर से ही बुरे विचार और अनैतिक कार्य, चोरी, हत्या, व्यभिचार, लालच, दुष्टता, छल-कपट, अभद्रता, ईर्ष्या, चुगलखोरी, अहंकार और मूर्खता बाहर आते हैं। ये सब बुरी बातें भीतर से आती हैं और व्यक्ति को अशुद्ध बना देती हैं।”