कहानी ८७: एक प्रकार का राजा
मत्ती कि किताब को जब आप पढ़ेंगे, आप देखेंगे कि पतरस को अधिक ध्यान दिया जा रहा था। वह इस प्रकार से कहानियों को बयान करता है कि उससे लगता है कि वह यीशु के करीबी मित्र है और चेलों का अगुवा भी। पतरस का यीशु कि ओर सम्पूर्ण भक्ति कि कहानियां भी हैं। परन्तु उसकी जयवंत कहानियों के साथ साथ उसकी असफलताओं के विषय में भी लिखा है। जब मत्ती ने इस किताब को लिखा, वह यह दिखाना चाहता था कि एक शिष्य का ह्रदय कैसा होना चाहिए जब वह यीशु के पीछे चल रहा है। यह हमारे लिए बहुत तसल्ली देने वाली बात है जो परमेश्वर को महिमा देना चाहते हैं, लेकिन कई बार हम ठोकर खा कर गिर जाते हैं। अगली कहानी में, हम पतरस को यशस्वी, और एक मज़बूत विश्वास के साथ देखते हैं।
कल्पना कीजिए कि आप पतरस हैं। यरदन नदी पर यीशु से मिले करीब दो साल के बाद आप उसे देख रहे हैं। आप यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले को मिलने के लिए यात्रा करते हैं, और वह आपको यीशु कि ओर दर्शाता है कि वही है। आप अपने सारे काम काज को छोड़ कर यीशु को खोजने के लिए शहरों और गाँव बस्तियों में जाते हैं।
कल्पना कीजिये कि आप इस आकर्षित कर देने वाले शिक्षक को अपने घर में ले आते हैं और आपका घर उस भीड़ से भर जाता है जो लगातार यीशु के पीछे चल रही है। उन दिनों कि कलपना कीजिये जब आप उसके गहरे, प्रतिभाशाली सच्चाई को सुनते थे कि सब अचंबित हो जाते थे। उस भयंकर विरोध कि कलपना कीजिये जो शक्तिशाली अगुवों के साथ हुई और आपके स्वंय का वो अत्यधिक आत्मविश्वास जिससे उसने उन्हें जो उस पर गलत इलज़ाम लगाते थे उनके मूह बंद कर दिए।
यह तो साफ़ था कि, आपकी यीशु के साथ मित्रता आपके शहर के अगुवों के साथ प्रसिद्धि नहीं देने वाला था। लेकिन आप उसके साथ खड़े रहे। आप ये अफवाह सुनते हैं कि वे उसे मरवा देना चाहते हैं। यीशु के रोज़ आप यात्रा करते हैं और यह और भी अधिक खतरनाक होता जा रहा है, लेकिन फिर भी आप ऐसा करते ही हैं। आपने काफी देख भी लिया और सुन भी लिया। आप इस व्यक्ति पर विश्वास करते हैं, और जो कुछ वह दावा करता है आप उस पर अपने जीवन को दावं पर लगा देते हैं। आपने अपने विश्वास उस पर डाला है। आप नहीं जानते थे कि यह यात्रा कहाँ को ले जाएगी। लेकिन आपको अपने प्रेम और लगन पर पूरा भरोसा था जो केवल आप उसके लिए ले जा रहे थे जो आपको वहाँ ले जा रहा है। इस मनुष्य ने परमेश्वर के राज्य के विषय में सब सत्य बताया। यदि वो नहीं था तो फिर और कोई नहीं है जिससे उसकी तुलना की जाये।
यदि इस कहानी में आप पतरस होते, तो आप अपने भाई के साथ गलील के क्षेत्र में घूमने जाते। आपके स्वामी ने आपको वो सारी अविश्वसनीय बातें करने का अधिकार दिया है जो आपने उसे पिछले डेढ़ साल से करते देखा है। अब आपकी बारी है कि आप स्वर्ग के राज्य के सन्देश को सुनाएं। अब आप हैं जिसे वो अद्भुद चमत्कार करने हैं। परमेश्वर कि आत्मा जैसे आपके भीतर से यह सब कार्य कर रही है, आपको इस बात का एहसास होता है कि यीशु ने आपको एक सेवक से भी बढ़ कर चुन लिया है। आपको अपने स्वामी के उच्च परमेश्वर के प्रति सामर्थ और आज्ञाकारिता के अधिकार में सहभागी होने के लिए जिलाया गया है। क्या आपको कभी सोचते हैं कि यीशु ने आपको क्यूँ चुना है? पूरी भीड़ में से और पूरे क्षेत्र के धार्मिल अगुवों में से आपको उन बारह में चुन लिया गया। आप अगुवे भी थे!
इस कहानी के दिन, पतरस ने यीशु को पांच रोटी और दो मछलियों से पांच हज़ार लोगों को खिलते देखा था। वह कितना अपरिहार्य ख़ुशी थी भोजन को ख़त्म ना होने तक सबको खिलाना जब तक सब तृप्त नहीं हो गये!
जब तक सब समाप्त हुआ, शाम के छे बज गए थे। यीशु ने उन्हें कफरनहूम को एक कश्ती में बैठा कर भेज दिया। फिर वह एक पहाड़ी पर एकांत समय बिताने के लिए चला गया।
इस बीच, यीशु ने अपने चेलों को समुन्द्र में देखा, और वह उनकी ओर जा रहा था। वह पानी पर पूरे विश्वास और निडरता से चला क्यूंकि वह उनका स्वंय था। जब उसके शिष्यों ने उसे उनकी ओर आते देखा तो वे घबराकर चिल्लाने लगे। उन्हें लगा कि वह कोई भूत है। लेकिन यीशु ने कहा ,“हिम्मत रखो! यह मैं हूँ! अब और मत डरो।”
पतरस ने उत्तर देते हुए उससे कहा,“प्रभु, यदि यह तू है, तो मुझे पानी पर चलकर अपने पास आने को कह।”
यीशु ने कहा, “चला आ।”
पतरस नाव से निकल कर पानी पर यीशु की तरफ चल पड़ा।वह पानी पर निकल पड़ा! वह एक एक कदम यीशु कि ओर बढ़ाने लगा। पुराने नियम में किसी ने भी ऐसा नहीं किया होगा! पतरस यीशु के नज़दीक एक एक कदम लेकर आया। यह कितना यशस्वी क्षण था!
लेकिन जब उसके पैरों के नीचे से पानी हिलने लगा, उसने नीचे देखा। उसने जब तेज हवा देखी तो वह घबराया। वह डूबने लगा और चिल्लाया, “प्रभु, मेरी रक्षा कर।”
यीशु ने तत्काल उसके पास पहुँच कर उसे सँभाल लिया और उससे बोला, “ओ अल्पविश्वासी, तूने संदेह क्यों किया?”यह मैं भी डर नहीं है है'"
और वे नाव पर चढ़ आये। हवा थम गयी। नाव पर के लोगों ने यीशु की उपासना की और कहा, “तू सचमुच परमेश्वर का पुत्र है।”
वह भूत उनका स्वंय का स्वामी ही निकला। सो झील पार करके वे गन्नेसरत के तट पर उतर गये। जब वहाँ रहने वालों ने यीशु को पहचाना तो उन्होंने उसके आने का समाचार आसपास सब कहीं भिजवा दिया। जिससे लोग-जो रोगी थे, उन सब को वहाँ ले आये। हर जगह जहाँ यीशु गए, लोग अपने बिमारों को सड़क के किनारे बैठा देते थे ताकि वे उसके वस्त्र को छु सकें। हर कोई जो यीशु के वस्त्र को छूटा था वह चंगा हो जाता था।