कहानी ८४: शिष्यों का भेजा जाना
यीशु के जीवन के विषय में पढ़ते समय आपनी ध्यान दिया होगा कि, मत्ती के अध्याय पूरी तरह से मिल गए हैं। उद्धारण के लिये, हमने पांचवे अध्याय से लेकर सांतवे अध्याय को पड़ने से पहले आठवे अध्याय को पढ़ा। ऐसा इसलिए है क्यूंकि हम चारों सुसमाचारों कि कहानियों को एक साथ कर रहे हैं। सुसमाचारों के लेखक का यीशु के जीवन के विषय में लिखने का अपना ही अंदाज़ था। हम यह मानते हैं कि मत्ती ने कहानी को इस तरह लिखा कि अपने चेलों को सिखा सके कि यीशु के लिए कैसे जीना है। यह थोडा पाठ्यपुस्तक कि तरह थी। उसने अपने लिखे हुए काम को इस तरह व्यवस्थित किया ताकि दूसरों को सीखने में आसानी हो। उस व्यवस्थित कार्य को उसने पांच भागों में बात जो यीशु ने सिखाय थे। पहला भाग पहाड़ पर सन्देश का है, जो यह सिखाता है कि कैसे परमेश्वर के राज्य में जीना है। अगला भाग वो है जिसे हम अभी पढ़ने वाले हैं। वह मत्ती 10 से है, और उसमें, यीशु अपने चेलों को सिखाते हैं कि कैसे उन्हें स्वर्गराज्य के लिए सुसमाचार का प्रचार करना है।
यीशु ने सभी शहरों और गांवों में जाकर प्रचार किया। उसे भीड़ पर बहुत दया आई जो उसके पास आती थी। वे जीवन के सभी दबावों और जीवन की पीड़ा से दुखी थे। वे चरवाहे के बिना उस भेड़ के समान थे, और उस नाज़ुक जानवर जो शातिर दुश्मन के द्वारा शिकार किया जाता और ज़ख़्मी किया जाता है।तब यीशु ने अपनेचेलों से कहा,“तैयार खेत तो बहुत हैं किन्तु मज़दूर कम हैं।'" एक खेत में, समय आता है जब फल और अनाज को जमा किया जाता है। यह परिश्रम और उत्सव मनाने का समय होगा जब बहुतायत से फसल को लाया जाएगा। जब यीशु ने भीड़ को देखा जो उसके पीछे आती थी, उसने देखा कि बहुतों के ह्रदय स्वर्ग के राज्य के लिए तैयार थे। तब यीशु ने अपने चेलों से कहा,“तैयार खेत तो बहुत हैं किन्तु मज़दूर कम हैं। इसलिए फसल के प्रभु से प्रार्थना करो कि, वह अपनी फसल को काटने के लिये मज़दूर भेजे।”
जैसे ही यीशु ने उस ज़बरदस्त आवश्यकता को देखा, उन्होंने चेलों को प्रार्थना करने के लिए कहा।यह एक बहुत ही असरदार कार्य था जो वे लोगों कि आवश्यकताओं को मिलाने के लिए कर सकते थे। क्यूंकि आप देखिये, फसल जो है वह परमेश्वर कि फसल है, और लोग उसके लोग हैं। वही है जो उनके प्रति ज़िम्मेदार था और रहेगा। चेलों कि ज़िम्मेदारी थी कि वे उन के लिए प्रार्थना करें जो परमेश्वर के महान फसल कि कटाई के सहभागी थे।
यह कितना दिलचस्प है कि कैसे परमेश्वर प्रार्थनाओं का उत्तर देता है। मत्ती के अगले ही कहानी में, यीशु ने कुछ दिलचस्प किया। उसने अपने चेलों को फसल काटने के लिए अच्छी तरह तैयार कर दिया था।
यीशु ने सबसे पहले अपने बारह चेलों के जोड़े बनाय। शमौन पतरस को उसके भाई अंद्रियास के साथ रखा। उसके बाद याकूब और यूहन्ना,फिर फिलिप्पुस और बरतुल्मै। फिर यीशु ने थोमा और मत्ती को मिलाया, और फिर हलफै और तद्दै का बेटा याकूब। आखिर में शमौन जिलौत जो यहूदा इस्करियोती के साथ रखा गया। यही वह है जो यीशु को धोखे से पकड़वाएगा। इन जोड़ों को बाहर जाकर स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार सुनाने के लिए भेजा जा रहा था। यीशु ने उन्हें दुष्ट आत्माओं को निकलने कि सामर्थ और अधिकार दिया था। उसने उनको सब प्रकार कि बीमारियों को चंगा करने कि शक्ति दी थी।
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि चेलों को कैसा लग रहा होगा? यीशु के साथ सब जगह यात्रा करके और उसे अद्भुद कार्यों को करते देखने के बाद उन्हें भी निमंत्रण दिया गया था कि वे भी उसी सन्देश को उसी सामर्थ के साथ बाटें! उनका नया अधिकार इतना ऊपर तक पहुँच गया था कि जो गिरे हुए दूत थे वे भी इन चेलों के आधीन होगये थे! वे चेले के पद से प्रेरित बन चुके थे। उन्हें एक विशेष कार्य से भेजा जा रहा था, और यह उनके आगे के जीवन को तैयार करने के लिए परमेश्वर का महत्वपूर्ण भाग था!
यीशु ने इन बारहों को बाहर भेजते हुए आज्ञा दी कि क्या करना है और क्या नहीं। उसने कहा,
"'गैर यहूदियों के क्षेत्र में मत जाओ तथा किसी भी सामरी नगर में प्रवेश मत करो। बल्कि इस्राएल के परिवार की खोई हुई भेड़ों के पास ही जाओ और उन्हें उपदेश दो,‘स्वर्ग का राज्य निकट है।’बीमारों को ठीक करो, मरे हुओं को जीवन दो, कोढ़ियों को चंगा करो और दुष्टात्माओं को निकालो। तुमने बिना कुछ दिये प्रभु की आशीष और शक्तियाँ पाई हैं, इसलिये उन्हें दूसरों को बिना कुछ लिये मुक्त भाव से बाँटो। अपने पटुके में सोना, चाँदी या ताँबा मत रखो। यात्रा के लिए कोई झोला तक मत लो। कोई फालतू कुर्ता, चप्पल और छड़ी मत रखो क्योंकि मज़दूर का उसके खाने पर अधिकार है।'"
“तुम लोग जब कभी किसी नगर या गाँव में जाओ तो पता करो कि वहाँ विश्वासयोग्य कौन है। फिर तब तक वहीं ठहरे रहो जब तक वहाँ से चल न दो। जब तुम किसी घर-बार में जाओ तो परिवार के लोगों का सत्कार करते हुए कहो, ‘तुम्हें शांति मिले।’ यदि घर-बार के लोग योग्य होंगे तो तुम्हारा आशीर्वाद उनके साथ साथ रहेगा और यदि वे इस योग्य न होंगे तो तुम्हारा आशीर्वाद तुम्हारे पास वापस आ जाएगा। यदि कोई तुम्हारा स्वागत न करे या तुम्हारी बात न सुने तो उस घर या उस नगर को छोड़ दो। और अपने पाँव में लगी वहाँ की धूल वहीं झाड़ दो। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि जब न्याय होगा, उस दिन उस नगर की स्थिति से सदोम और अमोरा नगरों की स्थिति कहीं अच्छी होगी। मैं तुम्हें ऐसे ही बाहर भेज रहा हूँ जैसे भेड़ों को भेड़ियों के बीच में भेजा जाये। सो साँपों की तरह चतुर और कबूतरों के समान भोले बनो।'"
"'लोगों से सावधान रहना क्योंकि वे तुम्हें बंदी बनाकर यहूदी पंचायतों को सौंप देंगे और वे तुम्हें अपने आराधनालयों में कोड़ों से पिटवायेंगे। तुम्हें शासकों और राजाओं के सामने पेश किया जायेगा, क्योंकि तुम मेरे अनुयायी हो। तुम्हें अवसर दिया जायेगा कि तुम उनकी और ग़ैर यहूदियों को मेरे बारे में गवाही दो। जब वे तुम्हें पकड़े तो चिंता मत करना कि, तुम्हें क्या कहना है और कैसे कहना है। क्योंकि उस समय तुम्हें बता दिया जायेगा कि तुम्हें क्या बोलना है। याद रखो बोलने वाले तुम नहीं हो, बल्कि तुम्हारे परम पिता की आत्मा तुम्हारे भीतर बोलेगी।'"
“भाई अपने भाईयों को पकड़वा कर मरवा डालेंगे, माता-पिता अपने बच्चों को पकड़वायेंगे और बच्चे अपने माँ-बाप के विरुद्ध हो जायेंगे। वे उन्हें मरवा डालेंगे। मेरे नाम के कारण लोग तुमसे घृणा करेंगे किन्तु जो अंत तक टिका रहेगा उसी का उद्धार होगा। वे जब तुम्हें एक नगर में सताएँ तो तुम दूसरे में भाग जाना। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि इससे पहले कि तुम इस्राएल के सभी नगरों का चक्कर पूरा करो, मनुष्य का पुत्र दुबारा आ जाएगा।'"
“शिष्य अपने गुरु से बड़ा नहीं होता और न ही कोई दास अपने स्वामी से बड़ा होता है। शिष्य को गुरु के बराबर होने में और दास को स्वामी के बराबर होने में ही संतोष करना चाहिये। जब वे घर के स्वामी को ही बैल्जा़बुल कहते हैं, तो उसके घर के दूसरे लोगों के साथ तो और भी बुरा व्यवहार करेंगे! इसलिये उनसे डरना मत क्योंकि जो कुछ छिपा है, सब उजागर होगा। और हर वह वस्तु जो गुप्त है, प्रकट की जायेगी। मैं अँधेरे में जो कुछ तुमसे कहता हूँ, मैं चाहता हूँ, उसे तुम उजाले में कहो। मैंने जो कुछ तुम्हारे कानों में कहा है, तुम उसकी मकान की छतों पर चढ़कर, घोषणा करो। उनसे मत डरो जो तुम्हारे शरीर को नष्ट कर सकते हैं किन्तु तुम्हारी आत्मा को नहीं मार सकते। बस उस परमेश्वर से डरो जो तुम्हारे शरीर और तुम्हारी आत्मा को नरक में डालकर नष्ट कर सकता है।'"
"'एक पैसे की दो चिड़ियाओं में से भी एक तुम्हारे परम पिता के जाने बिना और उसकी इच्छा के बिना धरती पर नहीं गिर सकती। अरे तुम्हारे तो सिर का एक एक बाल तक गिना हुआ है। इसलिये डरो मत तुम्हारा मूल्य तो वैसी अनेक चिड़ियाओं से कहीं अधिक है।
“'जो कोई मुझे सब लोगों के सामने अपनायेगा, मैं भी उसे स्वर्ग में स्थित अपने परम-पिता के सामने अपनाऊँगा। किन्तु जो कोई मुझे सब लोगों के सामने नकारेगा, मैं भी उसे स्वर्ग में स्थित परम-पिता के सामने नकारूँगा।'"
“यह मत सोचो कि मैं धरती पर शांति लाने आया हूँ। शांति नहीं बल्कि मैं तलवार का आवाहन करने आया हूँ। मैं यह करने आया हूँ:
‘पुत्र, पिता के विरोध में,
पुत्री, माँ के विरोध में,
बहू, सास के विरोध में होंगे।
मनुष्य के शत्रु, उसके अपने घर के ही लोग होंगे।’
“जो अपने माता-पिता को मुझसे अधिक प्रेम करता है, वह मेरा होने के योग्य नहीं है। जो अपने बेटे बेटी को मुझसे ज्या़दा प्यार करता है, वह मेरा होने के योग्य नहीं है। वह जो यातनाओं का अपना क्रूस स्वयं उठाकर मेरे पीछे नहीं हो लेता, मेरा होने के योग्य नहीं है। वह जो अपनी जान बचाने की चेष्टा करता है, अपने प्राण खो देगा। किन्तु जो मेरे लिये अपनी जान देगा, वह जीवन पायेगा।'"
“जो तुम्हें अपनाता है, वह मुझे अपनाता है और जो मुझे अपनाता है, वह उस परमेश्वर को अपनाता है, जिसने मुझे भेजा है। जो किसी नबी को इसलिये अपनाता है कि वह नबी है, उसे वही प्रतिफल मिलेगा जो कि नबी को मिलता है। और यदि तुम किसी भले आदमी का इसलिये स्वागत करते हो कि वह भला आदमी है, उसे सचमुच वही प्रतिफल मिलेगा जो किसी भले आदमी को मिलना चाहिए। और यदि कोई मेरे इन भोले-भाले शिष्यों में से किसी एक को भी इसलिये एक गिलास ठंडा पानी तक दे कि वह मेरा अनुयायी है, तो मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि उसे इसका प्रतिफल, निश्चय ही, बिना मिले नहीं रहेगा।'”