कहानी ३९: कुंड के पास वह व्यक्ति

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यहूदियों का एक और पर्व आया था, और इसलिए यीशु अपने पिता की आराधना करने के लिए यरूशलेम को गया। यरूशलेम सैकड़ों वर्ष पहले बनाया गया था और वह ऊंची दीवारें से घिरा हुआ था और कुछ साल से बना हुआ था। इन दीवारों के ऊंचे फाटक थे ताकि लोग उस पवित्र नगर में आ सकें। उनमें से एक का नाम था भेड़ फाटक। उस फाटक के पास एक कुंड था जिसका नाम बहतसदा था। इसके किनारे पञ्च बरामदे थे। बहुत से लोग अपने परिवार के सदस्यों को और दोस्तों को लाते थे जो बीमार या लंगड़े या अंधे थे और उन्हें कुंड के बरामदे पर तब तक बैठते थे जब तक कुछ हलचल न हो। ऐसा लगता था कि समय समय पर कुंड का पानी हिलता था। वे यह मानते थे कि एक स्वर्गदूत उसे हिलता है, और जो कोई भी उस पानी में उतरेगा जब वह हिलाया जाये तो वह अपने सब रोगों से चंगा हो जाएगा।

जिस दिन यीशु आया, लोगों कि भीड़ उस पानी के हिलने का इंतज़ार कर रही थी। यीशु ने एक व्यक्ति को वहाँ लेता देखा। वह ३८ सालों से बीमार था। यीशु यह जानता था कि वह कितने वर्षों से बीमार है और उससे कहा,"'क्या तुम चंगे होना चाहते हो?'"

रोगी ने जवाब दिया, “हे प्रभु, मेरे पास कोई नहीं है जो जल के हिलने पर मुझे तालाब में उतार दे। जब मैं तालाब में जाने को होता हूँ, हमेशा कोई दूसरा आदमी मुझसे पहले उसमें उतर जाता है।”

उस व्यक्ति को कितना अकेला महसूस हुआ होगा जब उसे किसी कि मदद कि ज़रुरत पड़ी होगी? लेकिन यीशु आया। उसने कहा,“खड़ा हो, अपना बिस्तर उठा और चल पड़।”

वह आदमी तत्काल अच्छा हो गया। उसने अपना बिस्तर उठाया और चल दिया। वाह! काय आप उसके चेहरे कि कल्पना कर सकते हैं? उसके चारों ओर सब चकित हुए होंगे! एक बहुत बड़ा चमत्कार हुआ था! एक इस्राएल का पुत्र आज़ाद हुआ था!

जिस दिन यह चमत्कार हुआ, वह सबत का दिन था जो प्रभु ने अपने लोगों के लिए विश्राम लेने के लिए ठराया था! यह वह दिन था जो सब कामों को छोड़ कर केवल परमेश्वर कि आराधना करने के लिए दिया गया था। कई सालों में ,यहूदी आगवों ने सबत के दिन को पुराना नियम से लेकर नयी नयी विचार उसमें जोड़ दिए। वे यह देखते थे कोई भी उसमें से एक भी नियमन तोड़े। सबत के दिन थूकने भी अवैध माना जाता क्युंकि थूक धरती पर गिर कर एक छेद बना देता है और उसे कार्य मन्ना जाता था। वे यह सब इस्राएली लोगों पर डाल देते थे जिससे सख्त विधिपरायणता बनती थीं और वह परभी के विश्राम का दिन था! यीशु वैसा कुछ नहीं मानता था। वह जानता था कि पिता ने सबत किस लिए बनाया था और वह उसे वैसे ही मानेगा।

कुछ यहूदियों ने उस व्यक्ति से जो चंगा हुआ था सड़क पर चलते देखा और उससे पूछ अकी सबत के दिन वह अपनी ख़त उठा कर क्यूँ जा रहा है। इस पर उसने जवाब दिया, “जिसने मुझे अच्छा किया है उसने कहा है कि अपना बिस्तर उठा और चल।”

उन यहूदियों ने उससे पुछा की किसने उससे ऐसा करने को कहा, लेकिन वह नहीं जानता था। यीशु वहाँ से चला गया इससे पहले कि वह उसे ढूंढ पाता।

बाद में, यीशु ने उस व्यक्ति को मंदिर में देखा। उसने उससे कहा, "'देख, तू चंगा हो गया है; फिर से पाप मत करना, ऐसा न हो कि इससे कोई भारी विपत्ति तुझ पर आ पड़े।'"

सो उस व्यक्ति ने उन यहूदियों को बताया कि यीशु ने उसे चंगा किया है। यहूदी बहुत ही नाराज़ हुए। यह कौन है जो दुसरे को सबत के दिन नियम तोड़ने को कहता है! वे यीशु को अपने शब्दों से वार करने लगे, उसके ऊपर इलज़ाम लगाने लगे क्यूंकि उसने वो नियम तोड़े थे जो उन्होंने ने लोगों के लिए बनाये थे। उसकी कितनी हिम्मत कि वह उनके नियमों को इतना अनादर दिखाए?

यीशु ने उनकी औऱ देखा और बोला, "' जैसा पिता अब तक काम करता है, और मैं भी काम करता हूँ।'" यह एक बहुत साहसपूर्ण बयान था। उसने परमेश्वर को अपना पिता कहा! वह अपने आप को परमेश्वर का पुत्र भी कहता है! अपने को परमेश्वर के तुल्य बनाकर स्वयं परमेश्वर बन गया! यह काफी बुरा था कि वह सबत का उलंघन कर रहा था! अब वह अपने को परमेश्वर कह रहा था!

यहूदी लोग गुस्से से लाल पीले हो रहे थे। वे यीशु पर इलज़ाम लगाने के लिए रास्ते ढूंढ रहे थे ताकि उसे मार डालें। क्या उनमें से किसी ने यह पुछा की उसके पास चंगाई करने कि सामर्थ कहाँ से आई? क्या अगर यह परमेश्वर कि ओर से था?