पाठ 125 : वापस योजना की ओर

अपने लोगों के साथ परमेश्वर कि वाचा एक बड़े संकट से गुज़रा। पूरे ब्रह्मांड का गौरवशाली सृष्टिकर्ता मूसा से भेंट करने के लिए पर्वत पर उतर आया। इस बीच, उसके लोगों ने सोने से जानवरों की मूर्तियां बना कर उनकी पूजा अनैतिकता में की। लेकिन परमेश्वर ने सिद्ध न्याय किया, और लोगों ने पछतावा किया। मूसा ने परमेश्वर के पास आकर लोगों के लिए माफी मांगी, और टूटी हुई वाचा का नवीकरण किया। परमेश्वर ने उन नियमों को दोबारा लिखा जिन्हें परमेश्वर के अति पवित्र स्थान में रखा जाएगा। संकट समाप्त हो गया था, लेकिन यह आने वाली बातों को संकेत कर रहे थे। इस्राएल का राष्ट्र बार बार परमेश्वर के प्रति विद्रोह करेगा। प्रत्येक पीढ़ी परमेश्वर की राह में चलेगी, और प्रत्येक पीढ़ी को अपने बच्चों को सिद्धता में प्रशिक्षित करने का चयन करना होगा। और इस सब में, परमेश्वर अपने वचन के प्रति वफ़ादार रहेगा। 

परमेश्वर ने सीनै पर्वत पर अपनी वाचा को नवीकृत किया। उसने अपने लोगों के साथ रहने का वादा किया जब वे वादा के देश में जा रहे थे। उसने पहले से ही मूसा को परमेश्वर के मंदिर को बनाने का विवरण दे दिया था, जो परमेश्वर का सांसारिक महल था। अब जबकि परमेश्वर कि उपस्थिति का आश्वासन उन्हें मिल गया था, उसे बनाने का समय आ गया था।

मूसा ने इस्राएल के पूरे समुदाय को इकट्ठा किया। उसने कहा, "'यही है जो यहोवा ने आदेश दिया है। यहोवा के लिए विशेष भेंट इकट्ठी करो। तुम्हें अपने मन में निश्चय करना चाहिए कि तुम क्या भेंट करोगे। और तब तुम वह भेंट यहोवा के पास लाओ। सोना, चाँदी और काँसा; नीला बैंगनी और लाल कपड़ा, सन का उत्तम रेशा; बकरी के बाल; भेड़ की लाल रंगी खाल, सुइसों का चमड़ा; बबूल की लकड़ी; दीपकों के लिए जैतून का तेल; अभिषेक के तेल के लिए मसाले, सुगन्धित धूप के लिए मसाले, गोमेदक नग तथा अन्य रत्न भेंट में लाओ। ये नग और रत्न एपोद और सीनाबन्द पर लगाए जाएंगे।'" 

तब परमेश्वर ने उन सब लोगों को बुलवाया जो विभिन्न कार्यों में माहिर थे और मंदिर के भिन्न भिन्न भागों का निर्माण कर सकते थे। लोग अपने अपने तम्बुओं में चले गए। जिनके मन तैयार थे, वे परमेश्वर के लिए मूसा के पास अपनी भेंटों को इच्छापूर्वक लेकर आये। कई महिलाएं अपने गहने लाईं और कुछ बुनने के लिए आवश्यक ऊन ले कर आईं। इस्राएल के डेरे में जो कुशल महिलाएं थीं, वे मंदिर के लिए अपने ही हाथों से बने कपड़े लाईं। इस्राएलियों की उदारता को देख कर मूसा ने उन्हें और अधिक लाने से रोक दिया। परमेश्वर ने मंदिर के निर्माण के लिए विशेष क्षमता और कौशल पुरुष प्रदान किये। 

तब मूसा ने इस्राएल के लोगों से कहा, 

“देखो! यहोवा ने बसलेल को चुना है जो ऊरी का पुत्र और यहूदा के परिवार समूह का है। यहोवा ने बसलेल को परमेश्वर की शक्ति से भर दिया अर्थात् बसलेल को हर प्रकार का काम करने की विशेष निपुणता और जानकारी दी। वह सोने, चाँदी और काँसे की चीज़ों का आलेखन करके उन्हें बना सकता है। वह नग और रत्न को काट और जड़ सकता है। बसलेल लकड़ी का काम कर सकता है और सभी प्रकार की चीज़ें बना सकता है। यहोवा ने बसलेल और ओहोलीआब को अन्य लोगों के सिखाने की विशेष निपुणता दे रखी है।

निर्गमन 35: 30b-34

ये लोग इस्राएल के डेरे में परमेश्वर कि पवित्र उपस्थिति कि जगह को तैयार करने में दूसरों का नेतृत्व करेंगे। उन्हें एक विशेष नई रचना करने के लिए परमेश्वर की आत्मा द्वारा सशक्त किया गया था। यह वही आत्मा थी जो ब्रह्मांड को बनाने के समय में मंडराती थी। जो अद्भुत काम परमेश्वर ने सृष्टि किरचना करने में किया था, वही नया काम वह इस सृष्टि के भीतर कर रहा था। वह मानवता द्वारा किये विश्वासघाती पाप के कारण नुकसान को बहाल कर रहा था। परमेश्वर ने आदम और हव्वा को अपने से अलग कर दिया था, और उन्हें उसकी चमत्कारिक उपस्थिति से वाटिका को छोड़ना पड़ा। अब परमेश्वर एक नए तरीके से मानवता के निकट आना चाहता था। परमेश्वर की आत्मा उस में थी, और उसने लोगों को सशक्त किया था कि वे मंदिर को इस प्रकार बनाएं जो परमेश्वर की आँखों को भाय। 

सो इस्राएल के लोगों ने स्वर्ण संदूक के काम को शुरू किया, जिसमें करूबों को लगाया जाएगा जिनके पंख शुद्ध सोने से लदे होंगे। उन्होंने सोने को पिघलाया और उससे दीवट बनाये और एक मेज़ बनाई जिस पर परमेश्वर कि उपस्थिति की रोटी रखी जाएगी। पर्दों के लिए नीले, लाल और बैंगनी रंग के पर्दे बनाये। करूबों की छवियों को पर्दों पर सीया जो परमेश्वर किउपस्थिति का एहसास देंगी। उन्होंने बकरे के बालों को एक साथ बुना और मंदिर के लिए चमड़े का कवर बनाया जिस समय उसे यात्रा में ले जाया जाएगा। पीतल की एक वेदी बनाई और याजकों के हाथ पैर धोने के लिए एक बेसिन तैयार किया। याजकों के वस्त्रों को सीया और परमेश्वर के लिए अभिषेक होने के लिए उनकी पगड़ी और एपोद तैयार किया।

बसलेल और ओहोलीआब के लिए यह बहुत व्यस्त समय रहा होगा। "'यहोवा ने मूसा को जैसा आदेश दिया था इस्राएल के लोगों ने ठीक सभी काम उसी तरह किये। मूसा ने सभी कामों को ध्यान से देखा। मूसा ने देखा कि सब काम ठीक उसी प्रकार हुआ जैसा यहोवा ने आदेश दिया था। इसलिए मूसा ने उनको आशीर्वाद दिया।'" (निर्गमन 39: 42-43)

स्वर्ण बछड़े की मूर्ती के समय से यह कितना भिन्न था। लोग आत्मा से भरे अगुवों का सम्मान के साथ व्यवहार कर रहे थे, और परमेश्वर के निर्देश को पूरी आज्ञाकारिता से मान रहे थे!

परमेश्वर ने मूसा से कहा किवह इस्राएलियों को निर्देश दे कि मंदिर की स्थापना पहले जैसे ही हो। उन्हें वर्ष के पहले दिन शुरुआत करनी थी।इस्राएल देश के लिए, यह सृष्टि के पहले दिन का प्रतीक था, और यह प्रायश्चित का दिन बन जाएगा। पहले उन्होंने बबूल की लकड़ी से और सुन्दर पर्दों से मिलापवाले तम्बू का निर्माण किया। एक बार तम्बू बन गया, संदूक को परमेश्वर के अति पवित्र स्थान में रखना था। मूसा ने सन्दूक के अंदर आज्ञाओं के पत्थर किपट्टियों को रखा। उसके सामने एक पर्दे को लटका दिया गया था। तब वे सोने के बर्तन और भांडों को लाये। मूसा परमेश्वर के आगे रोटी को लाया। वे स्वर्ण दिवटों को लाये और उन्हें जलाया। सन्दूक और प्रायश्चित के परदे के पीछे स्वर्ण सुगन्धित वेदी को रखा। मूसा ने वेदी पर धूप को डाला और परमेश्वर की उपस्थिति में उसे जलाया। तब मूसा ने परमेश्वर के पवित्र स्थान, जो मिलापवाला तम्बू था, वहां एक पर्दा लटका दिया।

पवित्र स्थान के काम हो जाने के बाद, उन्होंने मिलापवाले तम्बू के प्रवेश द्वार पर कांस्य वेदी को रखा। मूसा ने वेदी पर अन्नबलि को चढ़ाया।वे परमेश्वर की स्तुति और कृतज्ञता को दर्शाते थे। प्रवेश द्वार पर पानी का बेसिन रखा गया ताकि याजक अपने पैरों और हाथों को धो सकें।आंगन के पर्दे वाली दीवारें फ्रेम से जुड़ी थीं, और सनी पर्दा नीले, लाल और बैंगनी रंग के साथ सिला गया था। मूसा ने तेल लेकर उन सब चीज़ों को अभिषेक किया जो परमेश्वर के लिए पवित्र ठहराए गए थे। 

फिर मूसा मिलापवाले तम्बू के द्वार पर हारून और उसके पुत्रों को लाया। उसने हारून को पानी से शुद्ध किया और याजक के वस्त्र पहनाये। उसने हारून के पुत्रों के साथ भी वही किया। इस्राएल के याजक सम्मानजनक तरीके से उन पवित्र वस्त्रों में खड़े हुए, जो उन्हें परमेश्वर किसेवा के लिए अलग करते हैं। 

जब सभी चीज़ें पूरी हो गईं, बादल ने मिलापवाले तम्बू को ढक लिया। और यहोवा के तेज़ से पवित्र तम्बू भर गया। बादल मिलापवाले तम्बू पर उतर आया। और यहोवा के तेज ने पवित्र तम्बू को भर दिया। इसलिए मूसा मिलापवाले तम्बू में नहीं घुस सका।

"इस बादल ने लोगों को संकेत दिया कि उन्हें कब चलना है। जब बादल तम्बू से उठता तो इस्राएल के लोग चलना आरम्भ कर देते थे। किन्तु जब बादल तम्बू पर ठहर जाता तो लोग चलने की कोशिश नहीं करते थे। वे उसी स्थान पर ठहरे रहते थे, जब तक बादल तम्बू से नहीं उठता था। इसलिए दिन में यहोवा का बादल तम्बू पर रहता था, और रात को बादल में आग होती थी। इसलिए इस्राएल के सबी लोग यात्रा करते समय बादल को देख सकते थे।'"

निर्गमन 40:36-38