कहानी १७५: जी उठा
रविवार की सुबह आई। यह यहूदी सप्ताह का पहला दिन था। मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम सुबह होने से पहले अपने बने मसालों के साथ तैयार थी। जैसे जैसे सूरज पूर्वी आकाश को हल्का करने लगा, वे अन्य महिलाओं के साथ कब्र के लिए निकल पड़ी। उनकी यात्रा में कुछ बिंदु पर ज़मीन हिलने लगी। यह एक और भूकंप था। इसका क्या मतलब हो सकता है? अक्सर बाइबिल में भूकंप परमेश्वर के आने का एक संकेत था।
लेकिन शायद उनके विचार अभी भी अपने दु: ख से भरे हुए थे। वे भूकंप के आश्चर्यजनक, अद्भुत अर्थ का अनुमान नहीं लगा सकीं। क्यूंकि असल में, परमेश्वर आए थे। यीशु मरे हुओं में से जी उठे थे! और जब एक शानदार स्वर्गदूत उसके कब्र पर पत्थर को लुड्काने आया था, पृथ्वी कांप उठी। जब रोमी पहरेदारों ने उस चमकदार स्वर्गीय प्राणी को देखा, तो वे भय से भर कर ज़मीन पर गिर गए।
स्वर्गदूत यीशु को बाहर निकलने में मदद के लिए नहीं आया था। परमेश्वर अपने अविनाशी जीवन की शक्ति के आधार पर जी उठे थे। वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर की शक्ति में जी उठे। और जब स्वर्गदूत ने पत्थर लुढ़काया, तो वह परमेश्वर के काम का एक प्रकाशन, एक घोषणा थी! क्या ही महान घटना का एक अकाट्य सबूत!
लेकिन महिलाओं को अभी तक यह पता नहीं था। जैसे वो साथ चल रहीं थीं, वे सोच में थी कि पत्थर को कैसे हटाया जाए। क्या रोमी पहरेदार उनको कब्र के पास जाने देंगे?
जब वे वहां पहुंचे, तो उन्होंने पाया कि अब यह एक प्रश्न नहीं रहा। हैरान रोमन पहरेदारों के शव चारों ओर पड़े हुए थे। क्या चल रहा था? कब्र के अंदर जा कर उन्होंने पाया कि शव तो गायब था। यह कैसे हो सकता है? वे प्रभु को कहाँ ले गए थे? वे भ्रम और थके हुए, दु: ख में एक दूसरे को देखने लगे।
अचानक, दो स्वर्गदूत शानदार सफेद कपड़ों में दिखाई पड़े। महिलाए डर में अपने चेहरे के बल ज़मीन पर गिर गई।
स्वर्गदूतों में से एक ने उन से पूछा, "तुम मृतकों में जीवितों को क्यूँ ढूँढ रहे हो? डरो मत, क्यूंकि मै जानता हूँ तुम किसे ढूँढ रहे हो। वह यहाँ नहीं है, वह जी उठा है! याद करो कि जब वो तुम्हारे साथ यहाँ गालील में था तो उसने तुम्हे क्या बताया था- यह आवश्यक है कि मनुष्य का पुत्र पापी पुरुषों के हाथों में डाल दिया जाए, क्रूस पर चढ़ाया जाए और तीसरे दिन फिर से उठाया जाए "'
जैसे जैसे स्वर्गदूत बोलता गया, वैसे वैसे महिलाओं ने यीशु के शब्द याद किये।
स्वर्गदूत ने कहा: "'जल्दी जाओ, उनके चेलों को बताओ कि वो मुर्दों में से जी उठा है। वह गलील में तुम से पहले जा रहा है, वहाँ तुम उन्हें पाओगे, जैसे उन्होंने तुमसे कहा। '"
महिलाए डर और खुशी से काँप उठी। वे शिष्यों को यह अद्भुत खबर बताने के लिए कब्र से चल पड़ी। उन्होंने रास्ते में किसी से बात नहीं की,यह डर से कि वे इस आश्चर्यजनक खबर के बारे में क्या कह दे। उन्होंने ग्यारह को पाया और अपने आँखों देखा हाल उन्हें बताया। महिलाओं के शब्द बकवास की तरह लग रहे थे। और कुछ हद तक, वे थे। यहां तक कि मरियम मगदलीनी की रिपोर्ट अभी उलझन से भरी थी। "'वे प्रभु को कब्र से बाहर ले गए है, और हम नहीं जानते है कि उन लोगों ने उन्हें कहाँ रखा है'" उसने घोषणा की। अपनी हताशा में, उसके पास सिर्फ एक ही ख्याल था। शानदार स्वर्गदूतों के शब्द उसके लिए कोई मान्यता नहीं रखते थे। उसके लिए सिर्फ प्रभु को ढूँढना मायने रखता था।
पहले तो चेलों ने महिलाओं पर विश्वास नहीं किया। लेकिन जब वह इन शब्दों को समझने लगे, पतरस को लगा कि इस बात में सच्चाई हो सकती है! वह कूद कर कब्र की ओर भागा। यूहन्ना भी बहुत पीछे नहीं था। वे पूरी ताकत लगा के भागे। यूहन्ना जवान और तेज़ था और सबसे पहले कब्र पर पहुंचा। वह प्रवेश द्वार पर रुका और एक शरीर या एक दूत या एक चिन्ह के लिए खोजने लगा। वहाँ, जहाँ यीशु को रखा गया था, बड़े तरीके से कपड़ा में तह लगा हुआ अलग रखा था। चेहरे का कपड़ा एक ओर अलग से रखा था। पतरस यूहन्ना को पार कर सीधे कब्र में घुस गया। उसने भी वो कपड़े की पट्टियाँ देखीं। यूहन्ना पतरस के पीछे आया, और इसके अर्थ के बारे में दोनों सोचने लगे। यूहन्ना ने विश्वास किया पर फिर भी विचारा। दोनों इस बात की पूर्णता को नहीं समझ पा रहे थे। सांसारिक रूप से, यह नए तथ्य कुछ अटपटे लग रहे थे। वे इस बात को नहीं समझ पा रहे थे कि येशु को मुर्दों में से जिंदा होना था। चेले कब्र छोड़ कर चले गए और वापस अपने घरों को लौट गए।
मरियम मगदलीनी उन लोगों के पीछे कब्र की ओर बड़ रही थी। वह वहाँ खड़े होकर रोने लगी। क्यूंकि उसके पास कहीं जाने को नहीं था। प्रभु यीशु उसकी आशा और जिंदगी बन गए थे। वह द्वार के पास गई और अंदर कदम रखा। एक बार फिर, दो स्वर्गदूत उसके समक्ष पेश हुए। एक, जहाँ यीशु को रखा गया था, उसके सिरे और उसके पैर में बैठे थे।
आने वाले दिनों में, मरियम और चेलों ने इसके बारे में विचारा होगा। क्यूंकि यह वही चित्र था जो वाचा के सन्दूक के ढक्कन पर पाया जा सकता था और जो केवल परम पवित्र में रखा जाता था। यह सोने का डब्बा परमेश्वर ने मूसा के लिए बनाया था। ढक्कन ही शुद्ध सोने का बना था, और उसे परमेश्वर की दया की गद्दी बुलाई जाती थी। परमेश्वर ने मूसा को निर्देश दिए कि सन्दूक के दोनों छोर पर दो, गौरवशाली, सुनहरे स्वर्गदूतों की प्रतिमा लगाईं जाए। उनके पंख दया की गद्दी पर फैले थे। यह सन्दूक खोने से पहले, इसराइल के देश की सबसे पवित्र चीज़ थी, और इसकी छवि हर यहूदी के मन में गड़ी थी। अब, मसीह स्वयं परमेश्वर की दया की गद्दी थे - वो महान प्रायश्चित जिसके द्वारा सारे मानव का उद्धार हो सकता है। जब यह दो स्वर्गदूत उनके बलिदान हुए शरीर की जगह पर इर्द गिर्द बैठे थे, तो क्या उन महिलाओं को यह समझ में आया होगा?
यह सारी गहरी और सुंदर चीज़े वो गौरवशाली सत्य थे जिन्हें आने वाले सालों में कलीसिया समझेगी और अनुभव करेगी। प्रेरित यूहन्ना ने अपने लेखन में यह सुनिश्चित किया। लेकिन स्वर्गदूतों की उपस्थिति में रो रही वहां खड़ी तबाह मरियम के दिमाग में, यह बातें नहीं थी।
"'नारी, तू क्यों रोती है?" उन्होंने कहा.
वह सिर्फ प्रभु के बारे में ही सोच सकती थी। "'क्योंकि वे मेरे प्रभु को उठा ले गए है, और मैं नहीं जानती कि उन्होंने प्रभु को कहाँ रखा है'" उसे अभी भी उनके जी उठने की आशा नहीं थी, लेकिन उसका प्यार इतना विशाल था कि उसे अपने प्रभु को खोजना था।
जैसे ही उसने यह कहा, वह जाने को निकली, लेकिन वहाँ एक आदमी खड़ा था। यह यीशु था, लेकिन उसे यह पता नहीं था। उसे लगा कि यह माली है।"'नारी, तू क्यों रोती है?'" यीशु से पूछा। "'तुम किसे खोज रही हो?"
उसने कहा, "'सरकार, अगर आपने उन्हें उठाया है, तो मुझे बताएँ की आपने उसे कहाँ रखा है ताकि मै उन्हें ले जाऊं।"
वह अपने उद्धारकर्ता को कितना प्यार करती थी! क्या आप इस लालसा को सुन सकते हैं? यीशु भी सुन सकते थे। "'मरियम," उन्होंने कहा। जैसे ही उन्होंने मरियम का नाम लिया, वो पहचान गई कि वो कौन थे। "'गुरु!'" वह बोल पड़ी। वह धरती पर गिर पड़ी और अपने को उनके पैरों से लपेट लिया।
" मुझे पकड़ों मत', यीशु ने कहा, " क्यूंकि मै अभी तक अपने पिता के पास नहीं पहुंचा हूँ। इसके बजाय, मेरे भाइयों के पास जाओ और उन्हें बताओ, "मैं अपने पिता और तुम्हारे पिता, अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर के पास लौट रहा हूँ।"
मरियम बेसुध उत्साह से भर गई। उसका प्रिय प्रभु गायब नहीं हो गया था! उन्होंने उसे छोड़ा नहीं था! उसका उत्तम प्रेम जिंदा था! वह चेलों को यह अकल्पनीय अच्छी खबर बताने के लिए भागी। "'मैंने प्रभु को देखा है!'" उसने घोषणा की। फिर उसने इन बातों का विवरण दिया। क्या आप उनके सदमे और उत्तेजना की कल्पना कर सकते हैं? क्या आप उन सवालों की कल्पना कर सकते हैं जो उठे होंगे? और अब आगे क्या होने जा रहा था?