कहनी १३३: छोटे बच्चे और अमीर युवा शासक
फिर लोग कुछ बालकों को यीशु के पास लाये कि वह उनके सिर पर हाथ रख कर उन्हें आशीर्वाद दे और उनके लिए प्रार्थना करे। किन्तु उसके शिष्यों ने उन्हें डाँटा। जब यीशु ने यह देखा तो उसे बहुत क्रोध आया। फिर उसने उनसे कहा,
“नन्हे-मुन्ने बच्चों को मेरे पास आने दो। उन्हें रोको मत क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों का ही है। मैं तुमसे सत्य कहता हूँ जो कोई परमेश्वर के राज्य को एक छोटे बच्चे की तरह नहीं अपनायेगा, उसमें कभी प्रवेश नहीं करेगा।'” -मरकुस १०:१४b-१५
क्या आपको विधवा कि प्रार्थना स्मरण है? क्या आपको उस चुंगी लेने वाले कि प्रार्थना याद है जब वह विनम्रता से पश्चाताप कर रहा था? यीशु उनकी प्रशंसा की जिस प्रकार वे परमेश्वर के पास आते थे। बच्चे परमेश्वर के साथ वो रिश्ता बनाने के आदर्श हैं जो परमेश्वर अपने वफादार बच्चों से चाहता है।
यीशु ने बच्चों को अपनी बाहों में लिया। उसने हर एक पर हाथ रखकर उन्हें आशीष दी।
यीशु जैसे ही अपनी यात्रा पर निकला, एक व्यक्ति उसकी ओर दौड़ा और उसके सामने झुक कर उसने पूछा,“उत्तम गुरु, अनन्त जीवन का अधिकार पाने के लिये मुझे क्या करना चाहिये?”
यीशु ने उसे उत्तर दिया,
“'तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? केवल परमेश्वर के सिवा और कोई उत्तम नहीं है। तू व्यवस्था की आज्ञाओं को जानता है: ‘हत्या मत कर, व्यभिचार मत कर, चोरी मत कर, झूठी गवाही मत दे, छल मत कर, अपने माता-पिता का आदर कर …’"
उस व्यक्ति ने यीशु से कहा,“गुरु, मैं अपने लड़कपन से ही इन सब बातों पर चलता रहा हूँ।”
यीशु ने उस पर दृष्टि डाली और उसके प्रति प्रेम का अनुभव किया। फिर उससे कहा,“'तुझमें एक कमी है। जा, जो कुछ तेरे पास है, उसे बेच कर गरीबों में बाँट दे। स्वर्ग में तुझे धन का भंडार मिलेगा। फिर आ, और मेरे पीछे हो ले।'"
किसी से ऐसा करने को कहना बहुत साहस कि बात है। फिर भी यह एक बहुत ही अद्भुद अवसर है! कितना यशस्वी आमंत्रण है।
जब उस जवान ने सुना तो वह बहुत मायूस हुआ। वह उदास होकर वहाँ से चला गया। उसका दाम बहुत ऊंचा था। वह बहुत ही अमीर था और वह उन वस्तुओं को छोड़ना नहीं चाहता था। यीशु के लिए भी नहीं।
यीशु ने चारों ओर देख कर अपने शिष्यों से कहा,“'उन लोगों के लिये, जिनके पास धन है, परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कितना कठिन है!'”
चेले बहुत ही अचंबित हुए! उन दिनों के यहूदी यह समझते थे कि अमीर इसलिए धनवान थे क्यूंकि वे अच्छे लोग थे। वे यह मानते थे कि परमेश्वर उन्हें इसलिए आशीष देता है क्यूंकि वे दूसरों से बेहतर थे। यीशु उन्हें बता रहे थे कि वह सब कुछ जो होता है वह इसलिए होता है क्यूंकि वह सब कुछ तय किया गया है। उसने सब कुछ इस तरह कहा मानो धन एक बोझ है। यह ऐसा कैसे हो सकता था?
अधिकतर पुरुष और स्त्रियों कि धन को पाने के लालच से बचने के लिए भावुक ताक़त कमज़ोर होती है। यह बहुत ही धोखा देने वाली बात है। परमेश्वर के राज्य के लिए जीने से रोकने वाली बातें एक बोझ के समान हैं। यीशु ने परमेश्वर के राज्य के विशाल वैभव को समझा। उसने यह समझा कि यह दुनिया कितनी शक्तिहीन है। परमेश्वर कि नज़र में जो भी बातें स्वर्ग के धन से दूर रखती हों, वह बहुत गम्भीर हैं।
सोचिये एक बच्चा यीशु के पास कैसे आता है। सोचिये उस विधवा के विषय में जो अपनी आवश्यकता को कितनी गम्भीरता से जानती थी। उस चुंगी लेने वाले का पश्चाताप अनिच्छुक अगुवे से अधिक सुंदर था। एक बच्चे कि स्वतंत्रता, एक विधवा कि हताश निर्भरता, और चुंगी लेने वाले का विनम्र पश्चाताप, यह सब स्वर्गीय धन के चिन्ह थे। यह परमेश्वर कि और तोहफा था, बच्चों को सही ह्रदय के साथ उसके पास आने का महान तोहफा था। परमेश्वर कि नज़र में, जो इस संसार में अमीर हैं वे वास्तव में गरीब हैं। परन्तु वे जिनकी ज़रुरत परमेश्वर के लिए है और उस आशा को पकड़े हुए हैं, वे ही धनवान हैं!
यीशु ने अपने शिष्यों से कहा,
“'मैं तुमसे सत्य कहता हूँ कि एक धनवान का स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर पाना कठिन है।हाँ, मैं तुमसे कहता हूँ कि किसी धनवान व्यक्ति के स्वर्ग के राज्य में प्रवेश पाने से एक ऊँट का सूई के नकुए से निकल जाना आसान है।'" -मत्ती १९:२३b-२४
क्या आपको पता है कि एक ऊँठ कितना बड़ा होता है? उनका वज़न 1500 पाउन्ड होता है! यीशु ने इस्राएल में पाये गए सबसे बड़े पशु को चुना। क्या आप जानते हैं कि एक सुई कि आँख कितनी छोटी होती है? एक ऊँठ का एक सुई से असम्भव है! उन्हें और अधिक अचरज हुआ। वे आपस में कहने लगे,“फिर किसका उद्धार हो सकता है?”
यीशु ने उन्हें देखते हुए कहा,“यह मनुष्यों के लिये असम्भव है किन्तु परमेश्वर के लिये नहीं। क्योंकि परमेश्वर के लिये सब कुछ सम्भव है।”
फिर पतरस उससे कहने लगा,“देख, हम सब कुछ त्याग कर तेरे पीछे हो लिये हैं।”
यीशु का उत्तर अत्यंत शानदार था। यदि हम इसे पढ़ें और समझेंगे तो जानेंगे कि यह एक बेहतरीन सत्य है।
“'मैं तुम लोगों से सत्य कहता हूँ कि नये युग में जब मनुष्य का पुत्र अपने प्राप्ती सिंहासन पर विराजेगा तो तुम भी, जो मेरे पीछे हो लिये हो, बाहर सिंहासनों पर बैठकर परमेश्वर के लोगों का न्याय करोगे।'" -मरकुस १०:२९-३१
स्वर्गीय राज्य के विषय में यीशु कि शिक्षाएं कि उसमें प्रवेश करना कितना कथों है, यह एक विशाल सुकून के समान है। ना केवल उसके चेलों का अनंतकाल के जीवन में प्रवेश किया जाएगा, उन्हें अधिकार भी दिया जाएगा!
क्या आप इसकी कल्पना कर सकते हैं? अंतिम दिनों में, परमेश्वर श्राप को पूर्ण रूप से समाप्त कर देगा और सारी सृष्टि को नया कर देगा। उस समय, यीशु के बारह चेले अपने अपने सिंहासन पर बैठ कर अपने राज्यों का न्याय करेंगे। उन्होंने अपने घर और जीवन यूं ही नहीं छोड़ा था। उनका इनाम उनकी सोच से भी परे है। लेकिन वह इनाम केवल उनके लिए ही नहीं था।
यीशु ने कहा:
“'मैं तुमसे सत्य कहता हूँ, कोई भी ऐसा नहीं है जो मेरे लिये और सुसमाचार के लिये घर, भाईयों, बहनों, माँ, बाप, बच्चों, खेत, सब कुछ को छोड़ देगा। और जो इस युग में घरों, भाईयों, बहनों, माताओं, बच्चों और खेतों को सौ गुना अधिक करके नहीं पायेगा-किन्तु यातना के साथ और आने वाले युग में अनन्त जीवन। और बहुत से वे जो आज सबसे अन्तिम हैं, सबसे पहले हो जायेंगे, और बहुत से वे जो आज सबसे पहले हैं, सबसे अन्तिम हो जायेंगे।'" -मरकुस १०:२९-३१