कहनी १२२: खोई हुई भेड़ और खोया हुआ सिक्का

story 141.jpg

कभी कभी जब हम प्रभु यीशु के जीवन और शब्दों के बारे में पढ़ते हैं तो वह जंगली और अदम्य लग सकता है। वह अप्रत्याशित है। वह हमारी उम्मीद से बढ़कर करता है। ऐसा लगता है मनो वह एक दूसरी दुनिया से आया हो और अपने साथ उन अजीब रिवाज़ों और आस्थाओं को अपने साथ लाया हो। यह ऐसा इसलिए लगता है क्यूंकि यह सच है। यीशु इस दुनिया में जो पाप और घमंड से बिगड़ा हुआ था, और धार्मिकता भी दुष्ट कामों के लिए उपयोग किया जा रहा था। लेकिन स्वर्ग का राजा नीचे उतर के आया और अपने उत्तम और स्पष्ट अच्छाइयों से प्रचार करने लगा। इस्राएल बहुत से जानते थे कि वे कितने टेढ़े और टूटे हुए थे, लेकिन जब यीशु आया, वे इस बात से आनंदित हुए कि वह उन्हें ठीक करेगा। ऐसे शिक्षक का होना कितनी राहत कि बात है जो सब कुछ ठीक कर देता हो!

लेकिन इस्राएल में बहुत से यह सोचने लगे थे कि वे बिलकुल सीधे हैं। वास्तव में, वे इस बात से इस बात से घमंड करते थे कि वे औरों से ज़यादा सही हैं। यीशु उनके पास आया और कहा,"नहीं, तुम भी टेढ़े हो।" वे इस बात से खुश नहीं थे। यहूदी अगुवे इस बात बहुत क्रोधित थे कि किसी कि इतनी हिम्मत कि उन्हें टेढ़ा कहे। उसकी इतनी हिम्मत!

सबसे बुरी बात यह थी कि यह ज़िद्दी यीशु सारा समय उन्हें चंगाई दे रहा था, और वे इसके लिए उससे प्रेम करते थे। इन लोगो से फरीसी और शास्त्री दूर रहते थे। वे उन्हें सीखने से इंकार करते थे क्यूंकि वे अपवित्र थे, और वे उनके साथ भोजन कि सोच भी नहीं सकते थे। यीशु को क्या हुआ? क्या वह नहीं जानता था कि वे पापी हैं?

चुंगी लेने वाले और इस्राएल के पापी लोग टूटी हुई और झुकी हुई लकड़ी के समान थे। चुंगी लेने वाले भयानक धोखेबाज़ थे। वे यहूदी लोगों से चुंगी लेकर अपने महान दुश्मन रोमियों साम्राज्य को दे देते थे। यह उन्हें धोखेबाज़ बना देता था। लेकिन उन्होंने उसे और भी अधिक बुरा बना दिया जब अपनी जेबें भरने के लिए उन्होंने कर को बढ़ा दिया। वे बहुत लालची थे अपने पड़ोसियों से ज़बरदस्ती कर के और अधिक मांग कर धनि बन जाते थे। पापी वे थे जो सारे दुष्ट काम करते थे और जिन्हें यीशु के चेले नहीं करते थे। वे उस प्रेम को जो केवल एक विवाह के भीतर होना चाहिए, उसे करके दूसरों के साथ अदला बदली करते थे। उन्होंने अपने पवित्र वाचा के साथ धोखा किया, उन पर धन को लेकर विश्वास नहीं किया जा सकता था, वे चोरी करते और सारे गलत काम करते, और अपने आप को शराब पीने और लापरवाही में जीवन को दे देते थे। कुछ तो काम करने से इंकार करते थे, और कुछ अपने स्वार्थ के लिए अपने ही परिवार और बच्चों को छोड़ देते थे। यह एक अच्छा दृश्य नहीं था, उनके पाप वास्तविक थे, और सब कुछ बुरा था।

और फिर भी यह पापी और चुंगी लेने वाले यीशु के आकर्षित थे। क्यूँ? वे पवित्र जन के इतने करीब क्यूँ जाना चाहेंगे? और यीशु ने उन्हें इतना समय क्यूँ दिया? वह उनके साथ क्यूँ भोजन करना चाहेगा? यह सब इस बात को प्रकट कर रहा था कि वह उन्हें अपना रहा था!

यीशु को देख कर फरीसी और शास्त्री लोग बहुत क्रोधित हुए। वे बैठ कर के उस पर न्याय कर रहे थे, उसकी बातों कि आलोचना कर रहे थे। यदि वह परमेश्वर कि ओर से भेजा गया है तो उसे बेहतर मालूम होगा।

यीशु जानता था कि धार्मिक अगुवे उसके विरुद्ध में क्या कह रहे हैं। और वे यह भी जानते थे कि उनकी शिकायतें इस बात का चिन्ह था कि वे कितने झुके हुए थे। चुंगी लेने वाला घमंड के कारण झुका हुआ था और एक पापी अपने पापी सुखों के कारण झुका हुआ था, और धार्मिक अगुवे अपने घमंड और द्वेष के कारण झुके हुए थे। सो यीशु ने यहूदी अगुवों को दृष्टान्त के द्वारा समझाया। शायद अगर यीशु अपनी सीधी लकड़ियों को उनकी टेढ़ी लकड़ियों के बराबर में रख दे, तो वे अपने पापों से पश्चाताप करना चाहेंगे। पहले दृष्टान्त में याशु ने कहा,

“'मानों तुममें से किसी के पास सौ भेड़ें हैं और उनमें से कोई एक खो जाये तो क्या वह निन्यानबे भेड़ों को खुले में छोड़ कर खोई हुई भेड़ का पीछा तब तक नहीं करेगा, जब तक कि वह उसे पा न ले। फिर जब उसे भेड़ मिल जाती है तो वह उसे प्रसन्नता के साथ अपने कन्धों पर उठा लेता है। और जब घर लौटता है तो अपने मित्रों और पड़ोसियों को पास बुलाकर उनसे कहता है,‘मेरे साथ आनन्द मनाओ क्योंकि मुझे मेरी खोयी हुई भेड़ मिल गयी है।’  मैं तुमसे कहता हूँ, इसी प्रकार किसी एक मन फिराने वाले पापी के लिये, उन निन्यानबे धर्मी पुरुषों से, जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं है, स्वर्ग में कहीं अधिक आनन्द मनाया जाएगा।'" --लूका १५:४-७

छोटी भेड़ इतनी कमज़ोर हो गयी थी कि चरवाहे ने उसे गोद में उठा लिया। आप देख सकते हैं कि किस तरह सब आनन्द मानते हैं जब एक खोया हुआ व्यक्ति मिल जाता है? परमेश्वर का राज्य भी इसी तरह का है! स्वर्गदूत ख़ुशी से चिल्लाते हैं और पिता अपने सिंहासन से बैठकर आनंदित होता है। उसका एक बच्चा घर लौट आया है! लेकिन फरीसी आनंद नहीं मनाते थे। सारे पापी और चुंगी लेने वाले जब यीशु को सुन रहे थे और पश्चाताप कर रहे थे, तो वे केवल बड़बड़ा रहे थे। वे कितने झुके हुए और बिगड़े हुए थे! वे धार्मिक अगुवे थे! उनका काम था कि लोगों को परमेश्वर के पास लेकर आयें!

इस दृष्टान्त के आखरी वाक्य में, यीशु कहता है कि स्वर्ग में उस एक के लिए बहुत ख़ुशी मनाई जाएगी जिसने उद्धार पाया बजाय उन निन्यानवे के जिन्होंने पश्चाताप नहीं किया। क्या आपको लगता है कि उन निन्यानवे लोगों को पश्चाताप करने कि आवश्यकता नहीं थी? सबको पश्चाताप करने कि ज़रुरत है। सब पाप करते हैं! केवल एक ही है इतिहास में जो पाप से रहित है, और वह यीशु स्वयं था। इस दृष्टान्त में वे निन्यानवे उन लोगों को प्रदर्शित करता है जो परमेश्वर के विरुद्ध घमंड और अभिमानी हैं कि उन्हें यह नहीं दीखता कि वे स्वयं कितने पापी हैं। वे वास्तव में मानते हैं कि उन्हें पश्चाताप करने कि आवश्यकता नहीं है, और यह बड़ी दुष्टता है। स्वर्ग में इसका कोई आनंद नहीं मनाया जाएगा।

आपको लगता है कि इस दृष्टान्त के द्वारा उन धार्मिक अग्गुवां ने यह देखा हो कि परमेश्वर को हर पापी का पश्चाताप करना कितना भाता है? आपको लगता है कि उन्हें अपनी घृणा एक खोये हुए के लिए उन्हें दिखती होगी? क्या उन्हें लगा होगा कि वे खोये हुए हैं? यीशु ने उन्हें समझने के लिए एक और दुष्टान् बताया:

“'या सोचो कोई औरत है जिसके पास दस चाँदी के सिक्के हैं और उसका एक सिक्का खो जाता है तो क्या वह दीपक जला कर घर को तब तक नहीं बुहारती रहेगी और सावधानी से नहीं खोजती रहेगी जब तक कि वह उसे मिल न जाये? और जब वह उसे पा लेती है तो अपने मित्रों और पड़ोसियों को पास बुला कर कहती है,‘मेरे साथ आनन्द मनाओ क्योंकि मेरा सिक्का जो खो गया था, मिल गया है।’ मैं तुमसे कहता हूँ कि इसी प्रकार एक मन फिराने वाले पापी के लिये भी परमेश्वर के दूतों की उपस्थिति में वहाँ आनन्द मनाया जायेगा।'”  --लूका १५:८-१०

परमेश्वर के राज्य के सीधे और उत्तम मार्ग में, एक पापी का अन्धकार के राज्य से निकल कर ज्योति के राज्य में आने से जश्न मनाया जाता है! परमेश्वर पिता और स्वर्गीय दूत यह जानते हैं कि वास्तव में क्या दाव पर लगाया गया है।  वे जानते हैं कि यह कितना बड़ा परिवर्तन होता है जब एक परमेश्वर के विरुद्ध चलने वाला क्रोध से मुड़ कर उज्जवल ज्योति कि ओर चला आता है!