कहानी ७७: स्वर्ग राष्ट्र के दृष्टान्त: बीज का बढ़ना, सरसों का बीज, और खमीर
यीशु ने दृष्टान्तों में परमेश्वर के राज्य के बारे में बताना शुरू कर दिया था। जब उसने राज्य के विषय में पहले सिखाया, उसने उस अभिशाप के विरुद्ध लड़ने वाले युद्ध के विषय में चेतावनी दी जो आदम और हव्वा के कारण इस दुनिया में आया। हर किसी को पश्चाताप एक बड़ा और भयानक दिन आ रहा है। परन्तु यीशु जब गलील भर में सुसमाचार सुनाते जा रहे थे, यहूदी लोगों ने पश्चाताप नहीं किया। वास्तव में, जब वह बीमारों को चंगा कर रहा था और प्रेम के बारे में प्रचार कर रहे थे, वे उसे शैतान की शक्ति में काम करने का आरोप लगा रहे थे। उनके लिए, संदेश छुपा हुआ था।लेकिन उनके लिए जिन्होंने पाप से सच्च में पश्चाताप किया, यीशु स्वर्ग राज्य के बारे में नई अंतर्दृष्टि को प्रकट कर रहे थे।ये पाठ प्रभु के आने के बारे में नहीं थे। यह उसके विषय में थे कि राज्य अंतिम दिन से पहले कैसा दिखेगा। एक बार यीशु मर के फिर से जी उठे, एक समय होगा कि जब पूरे दुनिया भर में उसका राज्य विकसित हो जाएगा। उसके चेले उस विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होंगे। वे सुसमाचार के सन्देश को लेंगे और उस देश भर में फैलाएंगे।
प्रभु यीशु ने इन पुरुषों और महिलाओं को राज्य के नए दूत समझा। यहूदियों को दिया गया विशेषाधिकार उनसे दूर कर के और किसी अनुयायियों को नहीं दिया गया था। इस दुनिया में अभिशाप के होते, अब समय था कि उन्हें परमेश्वर के राज्य के बारे में सिखाया जाये। परमेश्वर कैसे अपने शासन के साथ आकर राज कर सकता था? यह कैसा लगेगा?
खैर, हमने पहले से ही यह सीखा है कि राज्य एक बीज की तरह है। यदि यह अच्छी मिट्टी के साथ एक अच्छे दिल में लगाया गया है, तो यह एक सौ गुना तक बढ़ जाएगा। लेकिन इस दुनिया, गलतफहमी, और शैतान बहुत बुरी मिट्टी थे, और यदि ये बीज इन से पीड़ित होकर दिल में उतरा है, तो राज्य का बीज उस दिल में विकास नहीं करेगा। हमने अगले दृष्टान्त से सीखा कि, राज्य वहाँ है जहां परमेश्वर के वफादार लोगों में परमेश्वर कि आत्मा होती है। लेकिन शैतान आएगा और अपने ही अनुयायियों को लाकर परमेश्वर से प्रेम करने वालों के बीच उन्हें संयंत्र कर देगा। फसल तक, उस प्रभु के महान दिन तक, स्वार्ग राज्य के लोगों को सचेत रहना होगा, क्यूंकि परमेश्वर के दुश्मन इनके बीच में होंगे। यीशु ने पहले अपने शिष्यों को एक चेतावनी के रूप में इन दृष्टान्तों को बताया, लेकिन वे हमारे लिए भी एक चेतावनी दे रहे हैं। हम अपने जीवन में यीशु को खोजते हैं, हमें तैयार रहने की जरूरत है।कई सच सुनेंगे और दूर हट जाएंगे, और यीशु से प्रेम करने का झूठा दावा करने वाले गलत लोग भी होंगे, लेकिन वे परमेश्वर के राज्य को नष्ट करने के लिए आए हैं।
परमेश्वर के राज्य में दुश्मन कैसे कार्य करेंगे इसके बारे में यीशु ने अपने पहले दृष्टान्त के द्वारा समझा दिया था। अब यीशु वे दृष्टान्त समझाएगा कि कैसे परमेश्वर का राज्य उनके ह्रदय में काम करता है जो सच में विश्वास करते हैं। जब आप उन्हें पढ़ते हैं, यीशु क्या मतलब था इसका पता लगाने की कोशिश कीजिये:
"'फिर उसने कहा, “परमेश्वर का राज्य ऐसा है जैसे कोई व्यक्ति खेत में बीज फैलाये। रात को सोये और दिन को जागे और फिर बीज में अंकुर निकलें, वे बढ़े और पता नहीं चले कि यह सब कैसे हो रहा है। धरती अपने आप अनाज उपजाती है। पहले अंकुर फिर बालें और फिर बालों में भरपूर अनाज। जब अनाज पक जाता है तो वह तुरन्त उसे हंसिये से काटता है क्योंकि फसल काटने का समय आ जाता है।'”
आप को क्या लगता है कि यीशु राज्य के विषय में क्या कह रहे थे? यह दृष्टान्त बहुत सरल है। राज्य के दूत जाते हैं और परमेश्वर के वचन को फैलते हैं, और जब वे ऐसा करते हैं, वे वफादार होते हैं। जिस तरह किसान नहीं जानता कि कैसे वह छोटा सा बीज एक सुंदर पौधे में विकसित होता है, इसी तरह राज्य के सन्देश को फ़ैलाने वाले भी नहीं जानते कि कैसे परमेश्वर का वचन लोगों के ह्रदय में काम करके उन्हें यीशु पर विश्वास करने को ले आता है। यह हमारे लिए रहस्यमंद बात है। यह परमेश्वर के लिए एक रहस्य नहीं है। फसल के बढ़ने के लिए हम उस पर भरोसा कर सकते हैं, और वे उस पर इस बात के लिए विश्वास कर सकते हैं कि समय आने पर वह अपने बच्चों को उपज करेगा।
यीशु आगे कहते हैं:
'“हम कैसे बतायें कि परमेश्वर का राज्य कैसा है? उसकी व्याख्या करने के लिए हम किस उदाहरण का प्रयोग करें? वह राई के दाने जैसा है जो जब धरती में बोया जाता है तो बीजों में सबसे छोटा होता है। किन्तु जब वह रोप दिया जाता है तो बढ़ कर भूमि के सभी पौधों से बड़ा हो जाता है। उसकी शाखाएँ इतनी बड़ी हो जाती हैं कि हवा में उड़ती चिड़ियाएँ उसकी छाया में घोंसला बना सकती हैं।'”
यीशु यहाँ राज्य के बारे में क्या कह रहे हैं? यह यहाँ कैसे शुरू होता है? बहुत छोटा है। जब यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था तब वे अकेले थे। उनके चेलों के छोटे से समूह ने उन्हें अकेला छोड़ दिया था, और केवल उनकी माँ, यूहन्ना, और मरियम मगदलीनी क्रूस के निकट थे जब यीशु पाप और मृत्यु पर विजय प्राप्त कर रहे थे। लेकिन अब दुनिया भर में परमेश्वर के राज्य को देखो। वह आम यहूदी बढ़ई अब पूरी दुनिया में जीवित परमेश्वर के पुत्र के रूप में उसकी आराधना की जाती है। आज भी, जब परमेश्वर के राज्य के दूत जब यीशु के सुसमाचार को फ़ैलाने जाते हैं, उसका बीज छोटे से शुरू होता है। खोए हुओं को जब वह सामर्थी गवाही दी जाती है, कुछ हैं जो विश्वास करते हैं,और वे जो सुसमाचार को सुनते हैं उन्हें सताया भी जाता है। फिर भी वे पूरा विश्वास और उम्मीद रख सकते हैं कि जिस बीज को उन्होंने बोया वह विश्वास में दूसरों के जीवन में बढ़ गया है। परमेश्वर विश्वासयोग्य है। इस श्रापित दुनिया में रहते हुए हमें परमेश्वर का राज्य छोटा लगता है। परन्तु वह सर्वशक्तिमान राजा सब पर विराजमान है, और एक दिन, राज्य को स्थापित करेगा और सब पर रज्य करेगा!
यीशु ने उन्हें एक और दृष्टान्त बताया। उन्होंने कहा:
"'स्वर्ग का राज्य खमीर के समान है, जिसे किसी स्त्री ने तीन बार आटे में मिलाया और तब तक उसे रख छोड़ा जब तक वह सब का सब खमीर नहीं हो गया।'”
क्या आपने कभी रोटी बनाने के लिए खमीर का इस्तेमाल किया है? यदि आप पानी और आटा और नमक ले, तो आप स्वादिष्ट रोटी के लिए आटा बना सकते हैं। पर यदि आप थोडा सा खमीर मिला देते हैं वह सब कुछ बदल देता है। यदि आप खमीर को आते में कुछ समय के लिए छोड़ देते हैं तो उसमें छोटे छोटे छेद से हो जाते हैं। जब आप उसे सेकते हैं, एक मुलायम और फूली हुई ब्रेड कि तरह बन जाती है। परमेश्वर का राज्य ऐसा ही है। जब सुसमाचार ह्रदय तक पहुँचता है, तो वह उस व्यक्ति के जीवन कि सभी बातों को बदल देता है। वह फ़ैल जाता है। और फिर, क्यूंकि वह व्यक्ति बदल चूका है, वे दूसरों पर परिवर्तित होने वाली सामर्थ का स्रोत बन जाते हैं। वे दूसरों में परमेश्वर के राज्य को फैला देते हैं, जैसे कि हर एक खमीर का दान जो हवा के बुलबुले के समान पूरे आते में फ़ैल जाता है। परमेश्वर के राज्य में हर एक का कार्य करने का महत्पूर्ण हिस्सा है।
भीड़ को सुनाने के लिए यीशु के पास राज्य के विषय में सीखने के लिए थोड़े ही दृष्टान्त थे। वह उन्हें जाने के बाद समझाता था, ताकि उसके चेले राज्य के विषय में वो रहस्यमंद बातों को समझ सकें। मत्ती कि किताब में ऐसा लिखा है कि जब यीशु ने ऐसा किया, उसने भविष्वाणी को पूरा किया। ऐसा लिखा है:
“'मैं दृष्टान्त कथाओं के द्वारा अपना मुँह खोलूँगा। सृष्टि के आदिकाल से जो बातें छिपी रही हैं, उन्हें उजागर करूँगा।'”
यह भविष्वाणी भजन सहित ७८:२ से है। यह इस्राएल देश के लोगों के लिए लिखा गया ताकि वे यहूदियों कि तरह उन पापों को ना दोहराएँ। उन्हें परमेश्वर के वाचा के आज्ञाकारी होते हुए उसकी वफादारी और अनुग्रह और महिमा को याद करना था। हज़ारों साल बाद, इस्राएल का देश ऐसा करने से दोबारा असफल रहा। दुनिया में एक नया महाकाव्य का दौर शुरू हो रहा था। परमेश्वर का पुत्र यह बता रहा था कि कैसे स्वर्ग का राज्य इस श्रापित संसार को बदल रहा था। ये रहस्यमंद बातें हज़ारों साल से परमेश्वर के ह्रदय में छुपी हुईं थीं। और अब वह रहस्य उनके लिए खुलने वाला था जिन्होंने अपने भरोसा उस पर डाला था। क्या हम भी वैसा ही करेंगे?