कहानी ७६: फसल का दृष्टान्त

यीशु स्वर्ग के राज्य के बारे में दृष्टान्तों में अपने चेलों से बात करने लगा था। बाकि कि भीड़ वहाँ थी जब यीशु नाव से प्रचार कर ही रहे थे, परन्तु अधिकतर लोगों के लिए यह कहानियां रहस्मय थीं। यीशु ने इस तरह सिखाया:

“स्वर्ग का राज्य उस व्यक्ति के समान है जिसने अपने खेत में अच्छे बीज बोये थे। पर जब लोग सो रहे थे, उस व्यक्ति का शत्रु आया और गेहूँ के बीच जंगली बीज बोया गया। जब गेहूँ में अंकुर निकले और उस पर बालें आयीं तो खरपतवार भी दिखने लगी।  तब खेत के मालिक के पास आकर उसके दासों ने उससे कहा, ‘मालिक, तूने तो खेत में अच्छा बीज बोया था, बोया था ना? फिर ये खरपतवार कहाँ से आई?’

 “तब उसने उनसे कहा, ‘यह किसी शत्रु का काम है।’

“उसके दासों ने उससे पूछा, ‘क्या तू चाहता है कि हम जाकर खरपतवार उखाड़ दें?’

“वह बोला, ‘नहीं, क्योंकि जब तुम खरपतवार उखाड़ोगे तो उनके साथ, तुम गेहूँ भी उखाड़ दोगे। जब तक फसल पके दोनों को साथ-साथ बढने दो, फिर कटाई के समय में फसल काटने वालों से कहूँगा कि पहले खरपतवार की पुलियाँ बना कर उन्हें जला दो, और फिर गेहूँ को बटोर कर मेरे खते में रख दो।’”

इस दृष्टान्त का मतलब क्या हो सकता है उसकी कल्पना कर सकते हैं आप? खैर, चेले सुनिश्चित नहीं थे, इसलिए भीड़ के जाने के बाद उन्होंने यीशु से पूछा। उन्होंने कहा :

"'जिसने उत्तम बीज बोया था, वह है मनुष्य का पुत्र। और खेत यह संसार है। अच्छे बीज का अर्थ है, स्वर्ग के राज्य के लोग। खरपतवार का अर्थ है, वे व्यक्ति जो शैतान की संतान हैं।  वह शत्रु जिसने खरपतवार बीजे थे, शैतान है और कटाई का समय है, इस जगत का अंत और कटाई करने वाले हैं स्वर्गदूत। ठीक वैसे ही जैसे खरपतवार को इकट्ठा करके आग में जला दिया गया, वैसे ही सृष्टि के अंत में होगा। मनुष्य का पुत्र अपने दूतों को भेजेगा और वे उसके राज्य से सभी पापियों को और उनको, जो लोगों को पाप के लिये प्रेरित करते हैं, इकट्ठा करके धधकते भाड़ में झोंक देंगे जहाँ बस दाँत पीसना और रोना ही रोना होगा। तब धर्मी अपने परम पिता के राज्य में सूरज की तरह चमकेंगे। जो सुन सकता है, सुन ले!'"

आप देखा कैसे यीशु ने मानव इतिहास में होने जा रहेबातों को समझाने के लिए एक खेत पर कि चीजों को इस्तेमाल किया? यह एक महत्वपूर्ण सन्देश था क्यूंकि यह हमें दुनिया के बारे में बहुत कुछ सिखाता है और कैसे परमेश्वर अपने समय में कार्य कर रहा है। जब यूहन्ना ने स्वर्ग के राज्य के बारे में सिखाया और जब यीशु आये और पहली बार प्रचार किया, उन्होंने सब को पश्चाताप करने कि चेतावनी दी थी। प्रभु का दिन आ रहा था। हर एक सुनने वाले को जो इन वचनों को सुनता है, उसे बदलाहट लाने का अद्भुद मौका दिया जाता था। उनका निर्णय यह दर्शाता कि यदि वे परमेश्वर के लिए जमा किये जाने वाले कीमती गेहूं हैं, वे बेकार जंगली पौधे हैं जो जला दिए जाएंगे। इनका कोई विकल्प नहीं है।

जब यीशु ने और यूहन्ना ने स्वर्ग राज्य के विषय में पहला प्रचार किया, उन्होंने कहा कि स्वर्ग का राज्य निकट है। अब यीशु बता रहे थे कि वह इस युग के खत्म होने पर आ जाएगा। यह तो बहुत लम्बा समय मालूम होता है! इसका क्या अर्थ था? इस दृष्टान्त में, यीशु बता रहे थे कि जब गेहूं उगेगा। एक किसान जानता है कि फसल उगने में कई महीने लग जाते हैं। गेहूं के उगने में बहुत से खतरे आते हैं, और यीशु ने इस कहानी में यीशु ने जंगली पौधों का उद्धारण लेते हुए बताया कि फसल को कौन नष्ट करता है। उस समय, शैतान राज्य को तोड़ने के लिए पापी और विद्रोही लोगों को प्रभु के लोगों के बीच में लेकर आएगा। परमेश्वर ऐसा होने देगा ताकि वे जो वफादार हैं उन्हें चोट लग सकती है। सो वह उस महान दिन के लिए रुकेगा जब गेहूं और जंगली पौधों को अलग किया जाएगा।

जो समय गेहूं उगने का है वह समय यह है जिसमें हम हैं! यीशु ने आकर सुसमाचार के बीज को संसार में उगाया। उसके मृत्यु और जी उठने के बाद, उसके उगने में उसके चेले मदद करेंगे। हम उस उगने के समय में हैं! यह दृष्टान्त हमारे बारे में है। हम में से जिन्होंने यीशु पर विश्वास किया है, हम समझ सकेंगे कि क्यूँ दुष्ट लोगों को परमेश्वर के राज्य में लोगों के बीच में कार्य करने दिया जा रहा है।

जब भीड़ और धार्मिक अगुवों ने यह कहानी सुनी, वे केवल किसान कि बात तक ही समझ पाते हैं। उसके पीछे का सामर्थी अर्थ उनसे छुपा रहेगा। केवल चेले और जो यीशु के करीब हैं वही समझ सकते हैं। जब उन्हें यीशु के चमत्कारों और शिक्षण के द्वारा परमेश्वर के महान विश्वास के विषय में बताया गया, उन्होंने उसे अस्वीकार कर दिया। उनके ह्रदय कठोर थे, और जितना सत्य वे सुनते उनके ह्रदय और कठोर होते जाते। इसलिए यीशु ने अपने उपदेश को सीखने के लिए उसका तरीका ही बदल डाला। लेकिन कुछ तरीकों में, उन्होंने सन्देश को ही बदल डाला।

जब यीशु राज्य के विषय में सन्देश लेकर आये, वे एक अद्भुद प्रस्ताव लेकर आये। वे उन महान भविष्वाणियों को पूरा करेंगे, अपने मसीहा को अपनाएंगे और एक विजयी राष्ट्र बनेगा जो पूरे संसार के लिए आशीष का कारण बनेगा। लेकिन अपने पापों कि गहराई में, उन्होंने मुक्तिदाता को ही अस्वीकार कर दिया। उन्होंने परमेश्वर के ज्ञान के विषय में सुना था, तो उसे अपने पॉव के नीचे कुचल डाला। जैसे आदान के बाग़ का पाप था ठीक वैसा ही यह भी था। उन्होंने परमेश्वर कि ना सुनकर शैतान कि सुनी।

अब, मानवता के इतिहास में इस जबरदस्त मोड़ पर, प्रभु का अनुग्रह प्रस्ताव एक राष्ट्र के रूप में इसराइल से दूर किया जा रहा था। यह दूसरों को, जिनके मन शक्तिशाली पवित्रता और दुनिया के उद्धारकर्ता के प्यार को स्वीकार करेंगे उन लोगों के लिए दिया जा रहा था। मसीह को इस दुनिया में लाने के लिए परमेश्वर ने जो कार्य किया उन्होंने अब्राहिम के वंश के द्वारा कार्य किया और एक महान राष्ट्र बनाया। सरे विश्वके लिए वे आशीष का कारण होने जा रहे थे।इस्राएल के पापों और असफलता के बावजूद परमेश्वर संसार को अशिक्षित करने के लिए अपनी योजनाओं को जारी रखेगा। यीशु के नय राज्य के विषय में सन्देश उसके चेलों को सिखाएगा कि परमेश्वर ने कैसे यह सब करने कि योजना बनाई है।