कहानी ४३ः भीड़ का आना
प्रभु यीशु फरीसियों के निकट जाने से पीछे हटते हैं, लेकिन भीड़ उनके पीछे हो लेती है।
यीशु जानते थे कि फरीसी और अन्य यहूदी उससे बहुत ज़यादा खूनी भावना से नफरत करते थे। सो वे उस नगर से चले गए जहाँ उनकी संख्या अधिक थी, और गलील के समुन्दर कि ओर चले गए जहां वो खुल कर के बोल सकते थे।
गलील के सभी गांवों और शहरों से लोग उसे सुनने के लिए आए। कल्पना कीजिये कि वे कैसे रास्तों पर और सड़कों पर बातें करते और हस्ते हुए जा रहे होंगे। सोचिये कैसे वे अपने बीमार बच्चों को और लंगड़े बूढ़े दादा-दादी को एक नयी आशा के साथ ला रहे होंगे। सोचिये कैसे लकवा मारा हुआ व्यक्ति वहाँ से अपने ही पैरों पर चल कर के गया होगा, एक विकलांग जो पूर्णरूप से चंगा किया गया। लोगों के गुप्त और लगातार बात चीत जो वे घर लौटते समय करते हुए जा रहे होंगे। उन्होंने कितनी ही अद्भूद बातें रोज़ होते देखीं! सच्च में यह मनुष्य एक नया दौर लेकर आया, एक नया संसार! क्या वह मसीहा था?
उसके अद्भुत चंगाई के बारे में सारे इस्राएल में और बाकी के देशों में फैल गया। हताश और जीवन में चोट खाये हुए उनके लोग उसके पास चंगाई के लिए आते थे। और परमेश्वर कि आत्मा ने उसे महान शक्ति दी, और सब लोग, शैतानी आत्माओं से मुक्त कर दिए गए। और यहूदिया और यरूशलेम से जो लोग दूर दूर से चलके आते थे वे उसके कामों को देखकर आश्चर्यजनक रेह जाते थे। यह कौन सी आश्चर्यजनक आशा थी जो इस संसार में आ गयी थी? यह कौन व्यक्ति था जिसके पास यह अद्भुद शक्ति थी?
हज़ारों लोग यीशु के पास अपने नूझ को लेकर आते थे। न केवल वे गलील के क्षेत्र और दक्षिण इस्राएल से आने लगे। वे यहूदि शहरों के बाहर नगर टायर और सिदोन से भी आने लगे।डेकपोलिस से अनजाती लोग भी आने लगे, जो यरदन नदी के दूसरी छोर दस शहरों का गुट था। अंजातियों का जीवन श्राप के कारण अंकित हो गया था। वे अपने प्रियाजनों से, जो लंगड़े और बिमारियों से पीड़ित थे, प्रेम करते थे। जब उन्होंने ने इस यहूदी चंगा करने वाले के बारे में सुना, वे सैकड़ों मील दूर से उससे मिलने को आये।
कितना दिलचस्प होगा अगर आप और मैं यीशु के साथ उस मार्ग पर चलने के लिए उन लोगों के साथ चल सकते। आप को क्या लगता है कि वे क्या बातें करते होंगे? उनमें से कई यह आशा रखते होंगे कि वही मसीहा है। दूसरे उसे नबी सोचते होंगे। अविश्वासी उसे जादूगर या उनके मूर्तियों के सामान कोई ईश्वर होगा। लेकिन उनमें से कोई यह नहीं समझ पा रहा था कि वह परमेश्वर है जिसने सारी शृष्टि को बनाया और उसे अपने सामर्थी शब्द से चलाता है। क्या वे आश्चर्य करते थे कि उसके पास इतनी सामर्थ कहाँ से आयी? क्या वे अचम्भा करते थे कि वह इन सब चंगाइयों के लिए कोई पैसे नहीं लेता?
जो लोग यीशु के पीछे आये उनके पास उम्मीद कि इतनी आशा थी कि वे जानते थे कि यीशु टूटे हुए हालत को और बिमारियों कि सामर्थ को ख़त्म कर सकता था। वे इतना भी नहीं समझ पा रहे थे कि यीशु इनसे भी बढ़कर कार्य करने के लिए आया था। अंत में, वह पाप और मृत्यु पर जय पाने वाला था। हम अब जानते हैं, और हम अब सीख भी सकते हैं कि कैसे यीशु ने स्वार्ग के राज्य कि एक झलक अपने सामर्थी कामों के द्वारा दिखाई जब वह सुसमाचार सुनाता था।
यह देखने लायक सुन्दर दृश्य होगा जिस समय यीशु समुन्द्र के किनारे प्रचार करते होंगे। पानी से निरंतर एक ठंडी हवा बेह रही। ताज़ी हवा, चमकता हुआ नीला पानी या फिर बादल के ऊपर वह प्रभावशाली कोरा वस्त्र। हज़ारों हज़ारों लोगों के बीच में एक लम्बे सफ़र के बाद बैठना। आप शायद धुल से लतपत और प्यासे होंगे और यहाँ ये झील का ठंडा पानी आपके और आपके परिवार के लिए उपलब्ध् है।
लोगों कि सेवा करने के बीच में यीशु ने अपने चेलों को एक कश्ती तैयार करने को कहा। अपने निराशाजनक ज़रूरतों के लिए लोग उसे घेरे होंगे और उसे एक अलग जगह चाहिए थी। उनमें से बहुत से चंगे हो चुके थे परन्तु बहुत से उसके पास चंगा होने के लिए उतावले हो रहे थे। उसे छूने के लिए वे उसे पर गिरे जा रहे थे। जब शैतानी आत्माओं ने उसे देखा, तो वे जो सताए हुए लोग थे उनको वह नीचे फेंक रहे थे और उनमें वे चिल्ला रहे थे, "'तू परमेश्वर का पुत्र है!'" ये दुष्ट आत्माएं यीशु के पक्ष में नहीं थीं। वे सुसमाचार का प्रचार नहीं कर रही थीं। वे यीशु कि सेवकाई को तोड़ना चाहते थे। अभी समय नहीं आया था कि यीशु को पूर्णरूप से प्रकाशित किया जाये। सो यीशु ने उनको चेतावनी दी के वे किसी को न बताएं। और वह क्यूँ परमेश्वर है, उनको वह चेतावनी गम्भीरता से लेनी थी।
इन सब में, यशायाह कि भविष्वाणी पूरी हो रही थी। यशायाह ४२ः१-४ कहता है;
“मेरे दास को देखो!
मैं ही उसे सभ्भाला हूँ।
मैंने उसको चुना है, मैं उससे अति प्रसन्न हूँ।
मैं अपनी आत्मा उस पर रखता हूँ।
वह ही सब देशों में न्याय खरेपन से लायेगा।
वह गलियों में जोर से नहीं बोलेगा।
वह नहीं चिल्लायेगा और न चीखेगा।
वह कोमल होगा।
कुचली हुई घास का तिनका तक वह नहीं तोड़ेगा।
वह टिमटिमाती हुई लौ तक को नहीं बुझायेगा।
वह सच्चाई से न्याय स्थापित करेगा।
वह कमजोर अथवा कुचला हुआ तब तक नहीं होगा
जब तक वह न्याय को दुनियाँ में न ले आये।
दूर देशों के लोग उसकी शिक्षाओं पर विश्वास करेंगे।”
अवश्य, जैसे टायर, सिदोन और देकपोलिस के लोग आय, उन्होंने ने यह दिखाया कि संसार उसमें ही आशा रखता है।