पाठ 99 : पिता यित्रो की मुलाक़ात
इस्राएलियों किसमुन्द्र के माध्यम से शानदार मुक्ति के कुछ महीनों बाद, वे मिस्र से दूर मिद्यान को यात्रा करते हुए उस जगह पहुंचे जहाँ मूसा और उसकी पत्नी चालीस साल तक रहे। वे वापस उसी जगह जा रहे थे जहां मूसा ने अपने झुंड को चराया था। वे उस पहाड़ी के पास पहुंच रहे थे जहाँ यहोवा ने जलती हुई झाड़ी से मूसा को पुकारा था। जैसे जैसे पूरा राष्ट्र करीब आ रहा था, मूसा के ससुर, यित्रो, ने संदेसा भेजा की वह उससे मिलने आ रहा है। वह मूसा कि पत्नी सिप्पोरा और उसके दो बेटों को ला रहा था।
जब यित्रो पहुंचा, तो मूसा ने अपने ससुर को वह सब बताया जो यहोवा ने किया था। विपत्तियाँ, तरह तरह के रोग, नील नदी का ख़ून बन जाना, और दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना का हारना। वाह! परमेश्वर के सभी महान, चमत्कारी कार्य कुछ ही महीनों पहले हुए थे और परमेश्वर के चुने हुए लोगों को वह सब स्मरण था। उसने उन्हें कष्ट और पीड़ा से बचाया था। वे मिस्र में बुरी तरह से ग़ुलाम थे, लेकिन अब उनके पास अपना एक राष्ट्र का निर्माण करने का एक मौका था! उन्हें अपने ही लोगों को सत्तारूढ़ करने का गरिमा होगा। अब फिरौन कि कठोर मजदूरी का उत्पीड़न उन्हें सहना नहीं पड़ेगा। यहोवा ने अपनी प्रजा को एक बहुत ही लुभावना तोहफ़ा दिया।
यित्रो उन कहानियों को सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ जहां परमेश्वर ने उसके दमाद को सामर्थी कामों को करने के लिए उसका इस्तेमाल किया था। जब उसने वह अद्भुत जीत को व्यक्त किया, उसने यह घोषणा की:
"'यहोवा की स्तुति करो! उसने तुम्हें मिस्र के लोगों से स्वतन्त्र कराया। यहोवा ने तुम्हें फ़िरौन से बचाया है। अब मैं जानता हूँ कि यहोवा सभी देवताओं से महान है, उन्होंने सोचा कि सब कुछ उनके काबू में है लेकिन देखो, परमेश्वर ने क्या किया!”'
यह बोलने के लिए केवल यित्रो ही अकेला व्यक्ति नहीं था। यह खबर की, कैसे इस्राएल के लोगों के परमेश्वर ने पृथ्वी के सबसे बड़े और भयानक राष्ट्र के ऊपर काबू पा लिया है, सब जगह फ़ैल रही थी। अन्य राजा और उनके देशों के लोग इस यहोवा के विषय में सुनकर जागृत हो गए, कि कैसे इस शक्तिशाली परमेश्वर ने अपने लोगों को अपने सामर्थी कामों के द्वारा उन्हें बचाया। किसी और परमेश्वर ने ऐसा नहीं किया था... यह सामर्थी परमेश्वर कौन था?
इस्राएल जब मरुभूमि से जा रहे थे, तो अन्य जनजाति के लोग उन्हें देख कर सोच रहे थे की वे क्या कर रहे हैं। वे कहाँ रुकेंगे? कौन से स्थान को वे अपना बनाएँगे? क्या यह इस्राएलियों का परमेश्वर उन्हें अपने रास्ते में आने वाले किसी भी राष्ट्र पर विजय दिला सकता है? मिस्र में परमेश्वर के अविश्वसनीय कार्य ने इस्राएलियों पर एक रोशनी डाल दी थी। ये किस तरह के लोग थे, और यह यहोवा कैसा था जिसने उन्हें बचा लिया?
यित्रो यहोवा कि प्रशंसा करने के लिए एक होमबलि को लाया। हारून सभी अगुवों को लेकर यित्रो के पास भोजन करने के लिए गया। उन्होंने परमेश्वर की उपासना की और मिलकर उसकी पवित्र उपस्थिति में एक साथ भोजन किया। इतना सब कुछ से सहने के बाद कितनी राहत महसूस हो रही होगी। परमेश्वर के महान पराक्रमी कामों के विषय में यह कितना अच्छा पर्व था। परमेश्वर के कामों को बड़ाई देने के लिए यह कितना अच्छा एक दिन था।
उत्सव के बाद, यित्रो मूसा को देखा करता था जब वह न्याय के सिंघासन पर बैठ कर लोगों के मुकदमों को सुना करता था जो वे एक दूसरे के विरुद्ध में करते थे। इस्त्राएलियों की जो भी समस्याएँ थीं, वे उन्हें मूसा के पास लाते थे और वह सही है या गलत का निर्णय लेता था। यदि एक व्यक्ति को लगता था की दूसरे व्यक्ति ने उसकी बकरी चुराई है, तो वे उसे मूसा के पास ले आते थे। यदि दो लोगों में झगड़ा हुआ तो मूसा को उसका न्याय करना होता था। डेरे में दो लाख लोग थे, इसका मतलब है कि बहुत सी समस्याएं आ सकती थीं। सुबह से लेकर शाम तक लोग मूसा के न्याय के लिए उसके पास जमा हो जाते थे।
जब यित्रो ने यह देखा, उसे यह एहसास हुआ किएक व्यक्ति के लिए यह काम बहुत बड़ा था, यहां तक की मूसा जैसे महान और बुद्धिमान व्यक्ति के लिए भी। उसने पूछा, '''तुम ही यह क्यों कर रहे हो? एक मात्र न्यायाधीश तुम्हीं क्यों हो? और लोग केवल तुम्हारे पास ही सारे दिन क्यों आते हैं?'”
मूसा ने उससे कहा,
"'लोग मेरे पास आते हैं और अपनी समस्याओं के बारे में मुझ से परमेश्वर का निर्णय पूछते हैं। यदि उन लोगों का कोई विवाद होता है तो वे मेरे पास आते हैं। मैं निर्णय करता हूँ कि कौन ठीक है। इस प्रकार मैं परमेश्वर के नियमों और उपदेशों की शिक्षा लोगों को देता हूँ।'”
यित्रो ने अपने दामाद से कहा;
"'जिस प्रकार तुम यह कर रहे हो, ठीक नहीं है। इससे तुम थक जाते हो और इससे लोग भी थक जाते हैं। तुम यह काम स्वयं अकेले नहीं कर सकते। मैं तुम्हें कुछ सुझाव दूँगा। मेरी प्रार्थना है कि परमेश्वर तुम्हारा साथ देगा। तुम्हें परमेश्वर के सामने लोगों का प्रतिनिधित्व करते रहना चाहिए, और तुम्हें उनके इन विवादों और समस्याओं को परमेश्वर के सामने रखना चाहिए। तुम्हें परमेश्वर के नियमों और उपदेशों की शिक्षा लोगों को देनी चाहिए। उन्हें बताओ कि वे क्या करें। तुम्हें अपने विश्वासपात्र आदमियों का चुनाव करना चाहिए अर्थात् उन आदमियों का जो परमेश्वर का सम्मान करते हों। उन आदमियों को चुनो जो धन के लिए अपना निर्णय न बदलें। इन आदमियों को लोगों का प्रशासक बनाओ। हज़ार, सौ, पचास और दस लोगों पर भी प्रशासक होने चाहिए। इन्हीं प्रशासकों को लोगों का न्याय करने दो। यदि कोई बहुत ही गंभीर मामला हो तो वे प्रशासक निर्णय के लिए तुम्हारे पास आ सकते हैं। किन्तु अन्य मामलों का निर्णय वे स्वयं ही कर सकते हैं। इस प्रकार यह तुम्हारे लिए अधिक सरल होगा। इसके अतिरिक्त, ये तुम्हारे काम में हाथ बटा सकेंगे। यदि तुम यहोवा की इच्छानुसार ऐसा करते हो तब तुम अपना कार्य करते रहने योग्य हो सकोगे। और इसके साथ ही साथ सभी लोग अपनी समस्याओं के हल हो जाने से शान्तिपूर्वक घर जा सकेंगे।'”
मूसा ने यित्रो कि बात सुनी और उसके साथ सहमत हुआ। उसने वैसा ही किया जैसा की उसके ससुर ने सुझाव दिया था। वे पूरे डेरे में बुद्धिमान लोगों को ढूंढते रहे जो उनकी समस्याओं को हल कर सकते थे। वे यहोवा के कानूनों और आदेशों को सीखेंगे, और समस्याएं आने पर अपने लोगों को सिखाएंगे। केवल सबसे गंभीर बातें हल करने के लिए मूसा के पास लाई जाती थीं। वह परमेश्वर और उसके लोगों के बीच मध्यस्थ करता था। महत्वपूर्ण मामलों के लिए, वह एक नबी के रूप में परमेश्वर के वचन को सुनता था और ऐसे निर्णय लेता था जिनसे लोग पूरी तरह सुनिश्चित हो सकते थे।
यह कितना दिलचस्प है किजब भी इस्राएलियों के बीच में कोई समस्या या लड़ाई होती थी, वे सिर्फ इसे मनुष्यों के ही बीच की समस्या नहीं समझते थे। परमेश्वर भी इसका एक हिस्सा था। यहोवा को अपने लोगों के साथ होने वाले व्यव्हार में बहुत दिलचस्पी थी। अपने लोगों के बीच न्याय करना उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण था! उसके लिए लोगों के बीच का इंसाफ बहुत महत्वपूर्ण था। मूसा उनका सर्वोच्च न्यायाधीश था क्यूंकि वह परमेश्वर कि इच्छा को स्पष्ट रूप से समझता था।
यित्रो द्वारा दिए गए विचारों के लिए मूसा उसका बहुत आभारी रहा होगा। उस भारी बोझ की कल्पना कीजिये जिसे वह उठाये हुए था। इस्राएल के डेरे में सच्चे न्याय को लाने के लिए और भी लोग उसके साथ शामिल हो जाएंगे। मिस्र छोड़ने से पहले, इस्राएली मिस्र की सरकार के कानूनों और सत्ता के अधीन में रहते थे। मिस्र और उनके दमनकारी नेतृत्व के नियम अब जा चुके थे। परमेश्वर अपने लोगों को एक मजबूत राष्ट्र बनाने के लिए यित्रो और मूसा का इस्तेमाल कर रहा था। मूसा यित्रो को देखकर प्रसन्न हुआ होगा कि वह उससे मिलने के लिए आया।परमेश्वर ने उसे सही समय पर एक बुद्धिमान व्यक्ति को भेजा, और मूसा ने उसकी बातों को सुना। तब मूसा ने यित्रो को उसके देश वापस भेज दिया।