पाठ 92 : अंधेरी रात और उज्जवल भोर
मूसा ने इस्राएल के बुज़ुर्गों को बुलाया और वह सब बताया जो परमेश्वर ने उसे फसह के पर्व के विषय में बताया था। उसने उसे उसके लोगों के बीच जाकर वध के लिए भेड़ के बच्चे को चुनना था। उन्हें सुनिश्चित रूप से चौखट पर लहू को लगाना था। यह आज्ञाकारिता जीवन और मौत के बराबर थी। सुबह तक किसी को बाहर जाने किअनुमति नहीं थी। इस्राएलियों के घरों की उस रात के वैराग्यपन की कल्पना कीजिये। परमेश्वर कि भावना की कल्पना कीजिये जब वह पृथ्वी के वायुमंडल से होते हुए यूनानियों के जनजातियों पर गुज़र कर गया। रात की अँधेरी चुप्पी। मिस्र के पुत्रों कि माताओं के रोने कि कल्पना कीजिये जो वे अपने बेटों के लिए कर रहीं थीं जिन्हें उन्होंने खो दिया था। एक बार फिर, मानवता को परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह करने के कारण एक भयानक अभिशाप को भुगतना पड़ा। फिरौन का घमंड उसके लोगों पर अभिशाप को ले आया।
उस पलकिकल्पना कीजिये जब फिरौन को अपने पुत्र किमृत्यु का पता चला। जो दर्द और क्लेश वह इस्राइलियों पर दशकों से करता आया, वही क्लेश उसके घर में भी आया। एक राजा होते हुए भी वह अपने आप को विद्रोह के अभिशाप से अलग नहीं कर सका। मिस्र के सिंहासन का वारिस चला गया था।
फिरौन टूट गया था। उसने शपत खाई थी किवह फिर कभी मूसा को अपने सामने नहीं आने देगा, लेकिन अब उसने मूसा और उसके भाई को स्वयं तलब किया। "'उठो!' उसने कहा। "'जाओ और अपने यहोवा की उपासना करो। और तुम लोग जैसा तुमने कहा है कि तुम चाहते हो, अपनी भेड़ें और मवेशी अपने साथ ले जा सकते हो, जाओ! और मुझे भी आशीष दो!'”
मूसा और हारून ने अपने लोगों में वापस जाकर खबर फैलाई। समय आ गया था! अपना सामान इकट्ठा करो! हम आ रहे हैं! जिस समय इस्राएली अपनी गृहस्थी को समेट रहे थे, उन्हें सुनिश्चित रूप से खाने का भी ध्यान रखना था। उन्होंने जल्दी से रोटी के आटे को रख लिया, भले ही उन्होंने उसमें खमीर नहीं डाला हो। खमीर रोटी को हल्का फूला हुआ बना देता है, लेकिन इसे आटे में कई घंटों के लिए छोड़ दिया जाता है ताकि यह उठ सके। इसके बगैर रोटी चपटी और कुरकुरी बनती है। जिस प्रकार परमेश्वर ने मूसा से कहा था, वह समय आएगा जब इस्राएलियों के पास इतना भी समय नहीं होगा की आटा खमीर हो सके। उन्हें शीग्र ही जाना होगा!
मिस्र के लोग उन्हें जाते देख खुश हो रहे थे। यदि इस्राएली रुकते हैं, तो यहोवा उन सब को मार सकता है! यहोवा ने मिस्र के पड़ोसियों से सोने और चांदी और कीमती चीज़ों के लिए पूछने के लिए इस्राएलियों से कहा था। परमेश्वर ने मिस्र के लोगों के दिलों में कार्य किया था। उनके पूर्व ग़ुलामों के प्रति वे अनुकूल और दयालू थे। उन्होंने उन्हें स्वतंत्र रूप से अपनी कीमती चीजें दे दी थीं। एक नियमित युद्ध में, जो राष्ट्र जीतता है वह उन लोगों से उनकी कीमती चीज़ें ले लेता है जिन्हें वे हराते हैं। लेकिन परमेश्वर और फिरौन के बीच के इस युद्ध में, विजय प्राप्त किया हुआ राष्ट्र अपनी कीमती चीजों को दे देता है!
इस्त्राएलियों ने इन कीमती चीज़ों को अपने गधों और गाड़ियों पर लादा और वापस चल दिए। उन्होंने अपने मवेशियों और सभी बकरियों और भेड़ों को घेर कर रेगिस्तान कि ओर एक झुण्ड बना कर चल दिए। यह देखने लायक दृश्य रहा होगा! महिलाओं और बच्चों के साथ छह लाख पुरुष थे! वादे के देश में जाने वाले लगभग दो लाख लोगों से अधिक थे।
जब वे अपनी लंबी यात्रा पर निकले, तो वे अपनी स्वतंत्रता में साहसपूर्वक बाहर निकल गए। अंत में वे उस देश को अपनी पीठ दिखा सके जिसने उन्हें बहुत सताया था। वे अब दास नहीं थे! वे अब तक चार सौ तीस वर्ष तक एक प्रजा के रूप में मिस्र में रह रहे थे। मूसा ने ध्यान पूर्वक अपने साथ यूसुफ की हड्डियों को भी ले लिया था। वह याकूब का पुत्र, एक महान पूर्वज था, जो मिस्र में पहली बार इब्राहिम के बच्चों को लाया था। जब वह बहुत वृद्ध हुआ, उसने अपने बच्चों से वादा लिया की एक दिन, वे उसकी हड्डियों को वादे के देश में लेकर आएंगे। चार शताब्दियों तक यहोवा के बच्चों ने उसकी हड्डियों की देखभाल की थी। वे अपने लोगों के पित्रों के प्रति वफ़ादार रहे, और मूसा यूसुफ कि हड्डियों को लाने में वफ़ादार होगा।
जंगलों में चलते हुए इस्त्राएलियों कि आपस में बात चीत कितनी अद्भुत रही होगी। जबकि एक भी इस्राएली ने युद्ध में अपना हाथ नहीं उठाया था, उनके दुश्मन पूरी तरह से नष्ट हो गए थे। मिस्र एक टूटी हुई भूमि थी। उनकी फसलें, उनके पालतू जानवर मर चुके थे, और उनकी अगली पीढ़ी में बनने वाले अगुवे पुत्र भी ख़त्म हो चुके थे। जब इस्राएल उनके सभी सोने और चांदी को ले जा रहे होंगे, इसके बारे में सोचना कितना अद्भुत रहा होगा। यहोवा ने अपनी शक्ति से यह सब किया था। उसने उस देश के ऊपर सम्पूर्ण विजय पा ली थी जिसने उसके लोगों पर अत्याचार किया था। यह न्याय का कितना एक अविश्वसनीय प्रदर्शन है! इस तरह कि एक शानदार जीत स्थायी रूप से इस्राएलियों के दिलों पर लिख जानी चाहिए। उनके परमेश्वर कि महानता और शक्ति मक्खियों, टिड्डी, दुर्घटना तूफान, और कुल, मूक, घोर अंधकार पूरे आकाश में लिख देना चाहिए। क्या वे विश्वास के साथ उसके महान काम का प्रत्युत्तर देंगे? क्या वे इस अद्भुत यहोवा पर विश्वास करेंगे?