पाठ 85 : मूसा और हारून की यात्रा
परमेश्वर कि योजनाएं हमेशा सही होती हैं। जब वह मूसा के साथ उस चमत्कारी, ज्वलंत झाड़ी के पास बात कर रहा था, वह मूसा के भाई, हारून को उसे जंगल में उसे लेने के लिए तैयार कर रहा था। परमेश्वर हमेशा अपने बच्चों को आशीर्वाद देने के लिए तैयार रहता है।
परमेश्वर ने हारून से कहा,“'मरूभूमि में जाओ और मूसा से मिलो।'” इसलिए हारून गया और परमेश्वर के पहाड़ पर मूसा से मिला। यह कितना अद्भुत एक पुनर्मिलन रहा होगा! उन्होंने चालीस साल से एक दूसरे को नहीं देखा था। उसके पहले, मूसा हत्या और मौत की सज़ा से भाग रहा था। अब वह एक पति और दो बच्चों का पिता था और परमेश्वर ने उसे बंधुओं को छुड़ाने के लिए बुलाया था! अपने उस भाई को चुंबन देने में हारून को कितना अच्छा लगा होगा जो इतने सालों से अलग हो गया था!
वे मूसा किपत्नी और बेटों के साथ मिस्र को निकल पड़े। रास्ते भर उन्होंने कितनी अद्भुत बातें की होंगी!
जब वे मिस्र में पहुंचे, वे इस्राएल कि जनजातियों के पास गए और बुद्धिमान और विश्वासी बुज़ुर्गों को बुलाया। हारून ने मूसा के लिए उन्हें वो सब बताया जो परमेश्वर ज्वलंत झाड़ी के माध्यम से उसे करने के लिए कहा था। मूसा ने ज़मीन पर अपनी लाठी को फेंका और वह एक सांप बन गया। लोग हैरान हुए। फिर उसने अपने बागे में अपना हाथ डाला और उसे बाहर निकाला। यह रोग से छदित था। उसने उसे वापस अंदर डाला। जब उसने उसे बाहर निकाला, तो उसका हाथ स्वच्छ और स्वस्थ मांस था। लोगों ने इन अद्भुत चमत्कारों को देखा और उनके दिल विश्वास से मज़बूत हुए। केवल परमेश्वर स्वयं ही इन चीजों को कर सकता है! उसने वास्तव में मूसा से बात की है! परमेश्वर ने वास्तव में अपने लोगों के दर्द और पीड़ा को देखा था! जब इस्राएलियों को परमेश्वर के उनके प्रति प्रेम का एहसास हुआ और समझा की परमेश्वर ने उनकी सुन ली है, तो वे उसको दंडवत करके उसकी उपासना करने लगे।
इस्राएलियों ने मूसा और हारून पर भरोसा किया। लोगों ने उन्हें अपने लोगों से बात करने का अधिकार दिया। मूसा और हारून फिरौन की अदालत में गए। उन्होंने कहा;
“'इस्राएल का परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘मेरे लोगों को मरुभूमि में जाने दें जिससे वे मेरे लिए उत्सव कर सके।’”
किन्तु फ़िरौन ने कहा, “यहोवा कौन है? मैं उसका आदेश क्यों मानूँ? मैं इस्राएलियों को क्यों जाने दूँ? मैं उसे नहीं जानता जिसे तुम यहोवा कहते हो। इसलिए मैं इस्राएलियों को जाने देने से मना करता हूँ।'”
फिरौन ने अपनी शाही अदालत के सामने सारे ब्रह्मांड के परमेश्वर को अस्वीकार कर दिया! लेकिन एक बार फिर, हारून और मूसा ने फ़िरौन से कहा कि वह परमेश्वर के लोगों को जाने दे। उन्होंने कहा कि यदि वे उसे बलिदान नहीं चढ़ाएंगे तो वह भयानक विपत्तियों को भेजेगा।
मिस्र का राजा हसने लगा। वह मूसा और उसके भाई को यह कहकर अपमानित करने लगा कि उन्हें याद रखना चाहिए कि उनके लोग उसके पैरों के नीचे थे। वे उसके शक्तिशाली देश में केवल शक्तिहीन ग़ुलाम थे। उसने कहा,“मूसा और हारून, तुम लोगों को परेशान कर रहे हैं। तुम उन्हें काम करने से हटा रहे हो। उन दासों को काम पर लौटने को कहो। यहाँ बहुत से श्रमिक हैं तुम लोग उन्हें अपना काम करने से रोक रहे हो।” फिरौन इस्राएलियों के साथ ऐसे व्यवहार करता था जैसे किउनका मूल्य केवल कठोर, क्रूर श्रम में था, जो वे उसके लिए कर रहे थे। अपने परमेश्वर की उपासना करने के वे योग्य नहीं थे।
लेकिन जब परमेश्वर ने अपने प्रेम को अपने लोगों पर दर्शाया तो वह उनके लिए बहुत बहुमूल्य था। उसने उन्हें आशीर्वाद दिया, और इस्राएलियों के और अधिक बच्चे पैदा होते रहे। वे एक महान प्रजा बन गए थे! वास्तव में, परमेश्वर का आशीर्वाद इस्राएलियों के लिए फिरौन की क्रूरता सबसे बड़ा कारण था। उसे डर था की यदि वे ऐसे ही निरंतर बढ़ते रहे तो उसके राष्ट्र पर प्रबल हो सकते हैं।
उसी दिन, फिरौन ने परमेश्वर के विरुद्ध और बढ़कर विद्रोह किया। उसने इस्राएलियों के पीठ पर भयानक बोझ डालने वालों को आदेश भेजा। उसने आदेश दिया की उनकी हालत और बदतर कर दी जाये। इस्राएलियों को शहरों के निर्माण के लिए मिट्टी और भूसे के साथ ईंटों को बनाना था। आम तौर पर, मिस्री उन्हें मिट्टी और पुआल लेकर देते थे। इस्त्राएलियों को दिन भर ईंटों में भारी, घने मिट्टी की सजावट को फिर से इमारत के स्थान पर लाना होता था। फिरौन ने आदेश दिया की उन्हें और भूसे ना प्रदान किये जाएं। इस्राएलियों को बाहर जाकर उन्हें स्वयं खोजना था। उन्हें अतिरिक्त समय और मदद नहीं दी जाती थी। तब भी उन्हें उतनी ही ईंटें बनानी थीं।
फिरौन ने ग़ुलामों को चलाने वालों से कहा कि इस्राएली आलसी थे। उसने कहा की अतिरिक्त काम उन्हें व्यस्त रखेगा और वे मूसा और हारून किबात नहीं सुनेंगे। एक अगुवा महान बुराई या महान भलाई के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करता है, और मिस्र के राजा ने अपना चुनाव कर लिया था। जिस परमेश्वर के विरुद्ध वह जा रहा था उसका उसको कोई अवधारणा नहीं था।