पाठ 146 : विवाह के संकल्प की पवित्रता में रहना - राहेल का दु: ख और जीत भाग 1
गिनती 5 में, परमेश्वर ने इस्राएलियों को अपने लोगों के बीच विवाह की पवित्रता की रक्षा के लिए एक आदेश दिया था। इतने सारे लोगों के एक बड़े राष्ट्र में, समस्याओं का होना बाध्य था। विवाह को अलग करने वाली पवित्र दिवार जो प्रत्येक पति और पत्नी को एक दूसरे के प्रति समर्पित रहने के लिए मज़बूत करती है, वह बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो सकती है। परमेश्वर प्रत्येक व्यक्ति को पति या पत्नी को देता है, और वह वाचा पवित्र है। प्रत्येक विवाह परमेश्वर का रचनात्मक काम है, और उसका उल्लंघन करना एक उद्दंड और भयावह पाप है। सबसे दर्दनाक और विनाशकारी समस्या महिलाओं की है जब वे अपने पति से विश्वासघात कर के अन्य पुरुषों के साथ हो लेती हैं। परन्तु क्या यदि एक पति अपनी पत्नी के विश्वासघात को साबित ना कर पाये? क्या यदि वह अपने पति की कसम खाए और अपनी सिद्धता को साबित नहीं कर सकी? परमेश्वर ने अपने लोगों को एक समाधान प्रदान किया। अदालत में एक पति की पत्नी को दोष या निर्दोष साबित करने के लिए परमेश्वर स्वयं एक चमत्कारी समाधान प्रदान करेगा। यहोवा के लिए इस्राएलियों के विवाह इतने महत्वपूर्ण थे की, हर बार जब यह अदालत में आता था, उसका बीच-बचाव करना महत्वपूर्ण था। यहाँ एक कहानी है जो इस आदेश के विषय में बताती है किलोगों के जीवन इसके द्वारा किस प्रकार प्रभावित होते थे।
मेरा नाम राहेल है। मैं बिन्यामीन के गोत्रा में से हूँ, और मेरा नाम हमारे जनजातियों के महान पूर्वज की माँ के नाम पर रखा गया है। मेरे गोत्र के लोगों को राहेल कि महान सुंदरता अच्छी लगती थी। जब याकूब ने उसे देखा था, तो वह उसकी सुंदरता से इतना प्रभावित हुआ की वह उससे शादी करने के लिए सात साल के लिए काम करने के लिए तैयार हो गया। जब मैं पैदा हुई, मेरे माता-पिता को लगा की मैं सबसे खूबसूरत प्राणी हूँ। माता-पिता ऐसे ही होते हैं। लेकिन जैसे जैसे मैं बढ़ती जा रही थी, मेरे विशेष सौंदर्य के कारण मैं अपने कबीले में प्रसिद्ध हो गयी। लेकिन इस आशीष को पाने के लिए मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया था।
सुंदरता बहुत आशीषों के साथ आती है। जैसे जैसे मैं बड़ी होती जा रही थी, मैंने देखा किलोग मेरी बहनों से ज़्यादा मेरे साथ मेहरबान थे। लेकिन इसी प्रकार, सुंदरता एक अभिशाप के समान भी हो सकती है। जिनको मैं नहीं जानती थी उनसे मेहरबानियाँ मिलीं, और जिनके मैं करीब रहना चाहती थी उनसे ईर्ष्या और प्रतिद्वंद्विता मिला। मेरे साथ की लड़कियां मुझसे ज़्यादा दूसरी लड़कियों के नज़दीक थीं। कई बार उनके चेहरे पर मुझे दर्द किचमक दिखाई देती थी और मैं समझ नहीं पाती थी किऐसा क्यूँ है। मैं समय के साथ समझने लगी। हम सब विवाह किव्यवस्था की उम्र की ओर बढ़ रहे थे। हमारे छोटे से समुदाय में, युवा पुरुष मुझसे शादी करने के लिए होड़ लगाये हुए थे। मेरे माता-पिता को मेरे लिए वर ढूंढने की चिंता करने कि ज़रुरत नहीं थी। उन्होंने कई साल आनंदित होकर इस विचार के साथ गुज़ारे की किस व्यक्ति के साथ मैं जाउंगी, और किस प्रकार यह हमारे परिवार में सम्मान लाएगा। इस्राएल में, दुल्हन के परिवार को दहेज दूल्हे का परिवार देता था। मेरी सुंदरता एक दिन मेरे परिवार के लिए बड़ा खज़ाना लाएगी। लेकिन यह मुझे प्यार नहीं खरीद सकता।
मेरे अपने दिल के लिए, मैं केवल एक लड़के से विवाह करना चाहती थी। एलिज़र हमारे पड़ोसियों का बेटा था। हम मिस्र में और बच्चों के साथ बड़े हुए थे। मैं हमेशा उसकी ओर खिची चली जाती थी। वह बहुत दयालु और ईमानदार था, और वह हमेशा देखता था की हर कोई निष्पक्ष तरीके से खेले। वह एक अच्छे परिवार से आया था। तभी भी वे गरीब थे। किसी तरह इतने कुछ वर्षों में मैंने समझा कि मुझे उससे विवाह करने के बारे में नहीं सोचना चाहिए। कई बार लगता था की वह मुझे चाहता है, और मैं सोचती हूँ की वह जानता था। वह अपने परिवार में सबसे बड़ा बेटा था, और मुझसे थोड़ा बड़ा। उसके माता पिता उसकी शादी कराना चाहते थे और जल्द एक दुल्हन लाने के लिए उत्सुक थे। एक साधारण और बहुत प्यारी लड़की के विवाह का होना मेरे जीवन का सबसे दुखद भाग हो सकता है। मुझे लगता नहीं किमैं उससे प्यार करती थी। मैं केवल यह जानती हूँ कि वह मेरे अंदर एक हलचल पैदा करता था।
कई साल बाद मेरे विवाह का समय आया, और मेरी सुंदरता हमारे सभी जनजाति भर से लड़के ले आई। मेरे माता-पिता मुझे बहुत प्यार करते थे, लेकिन उनकी इच्छा प्यार और करूणा से बढ़कर सामाजिक प्रतिष्ठा से अधिक परिभाषित थी। मेरे पति बहुत धनी और शक्तिशाली हैं, लेकिन वह कोमल नहीं है। हमारी शादी बहुत धूम धाम से हुई, और मिस्र में हमारा प्यार सा घर था। जिस जगह मैं बड़ी हुई वहां हम पडोसी नहीं थे, क्यूंकि वह वहां रहता था जहां सब अमीर लोग रहते थे। मैं अपने माता और पिता से दूर थी, और मुझे शक था की मैं फिर कभी एलिज़र को देखूँगी। शायद यह अच्छे के लिए ही था। तभी भी यह उतना दुखित नहीं था। फिरौन के तहत हमारे लोगों की पीड़ा मेरे नए परिवार पर नहीं गिरी। हमारे धन ने हमारी रक्षा की। लेकिन जब मूसा आया, हम जानते थे किहमें यहोवा के लोगों के साथ खड़ा होना है।
उस महान कूच के बाद, सब कुछ बदल गया था। अब हम सब उसी स्थिति में हैं। हम सब तम्बुओं में रहते हैं, और हम खानाबदोश हैं। हमारे भटकने का सबसे बड़ा आशीर्वाद यह है किहमारे तम्बू मेरे पिता के तम्बू के करीब है। तब भी वह एलिज़र के तम्बू के भी करीब है, और सारी मुसीबतें वहीं से शुरू हुईं।
एक उज्जवल सुबह, मेरे पति और मैं अन्नबलि लेकर मंदिर की ओर जा रहे थे। मैं डेरे में सैर करना चाहती थी। वहाँ कितनी सारी सुगंध और ख़ूबसूरत नज़ारे थे। और घर के रास्ते पर, हमें अपने पिता के तम्बू के पास रुकने का एक मौका था। जब मेरे पति और मैं डेरे से निकल रहे थे, हम एलिज़र और उसकी पत्नी के टेंट के पास से निकले। उनके दो बच्चे बाहर खेल रहे थे, और उसकी पत्नी नाश्ते के लिए मन्ना तैयार कर रही थी। मैंने उसे देख कर मुस्कुराया। जैसे ही हम प्रवेश द्वार से गुज़रे, एलिज़र बाहर आया, और जैसे ही मैंने उसे देखा, मेरी मुस्कान जो उसकी पत्नी के लिए थी वह उसे भी मिल गयी। उस तक पहुंचने का मेरा कोई इरादा नहीं था, और यह केवल क्षणभर के लिए था। लेकिन मेरे पति ने उसे देख लिया। वह उस पल को कभी नहीं भूलेगा। और शायद उसकी ईर्ष्या मेरे चेहरे पर उस अद्वितीय स्नेह को देख कर बढ़ गयी। मैंने एलिज़र और उसके परिवार के लिए यहोवा से बहुत प्रार्थना की थी, और उन्हें कुशल देख कर मैं बहुत खुश थी। और दूसरों की भलाई एक प्रकार की कोमलता को बाहर खींचता है। मैंने इससे पहले अपने पति को कभी ऐसे नहीं देखा था।