पाठ 145 : डेरे का अनुक्रम

जिस समय इस्राएल के लोग सीनै पर्वत के निकट थे, परमेश्वर उन्हें तैयार कर रहा था। अब जब वे जाने की तैयारी कर रहे थे, मूसा ने उन्हें वह सिखाया जो परमेश्वर ने उसे पहाड़ पर दिखाया था। क्या आप दो लाख लोगों की कल्पना कर सकते हैं जिस समय वे मरुभूमि में पैदल यात्रा कर रहे थे? इसके बारे में सोचिये। इतने सारे तम्बू और बच्चे और भेड़-बकरियाँ और पशु। कैसे वे दुश्मन के इलाके में यात्रा करेंगे और महिलाओं और बच्चों और जानवरों को संरक्षित करेंगे? यात्रा करते समय कैसे वे मंदिर की पवित्र पवित्रता का सम्मान करेंगे? परमेश्वर किउपस्थिति के साथ कैसे वे अपना जीवन बिताएंगे, और उसके क्रोध को दूर रख पाएंगे? 

परमेश्वर के पास एक योजना थी। परमेश्वर ने कहा:

"'इस्राएल के लोगों को मिलापवाले तम्बू के चारों ओर अपने डेरे लगाने चाहिए। हर एक समुदाय का अपना विशेष झण्डा होगा और हर एक व्यक्ति को अपने समूह के झण्डे के पास अपना डेरा लगाना चाहिए।'"

सो राष्ट्र मंदिर को डेरे के बीच में रखेगा। प्रत्येक जनजाति को एक साथ रहना था, और प्रत्येक कबीले को अपने सदस्यों को दिखाने के लिए एक बड़ा बैनर लेना होगा। वे अपने बैनर के चारों ओर घूमेंगे। परमेश्वर ने उन्हें उसके पवित्र स्थान के आसपास रहने के और निर्देश दिये।

यहूदा के गोत्र को मंदिर के पूर्व की ओर होना था। यह मंदिर का प्रवेश द्वार था, और यह सबसे महत्वपूर्ण पक्ष था। यहूदा वादे के देश में जाने के लिए नेतृत्व करेंगे। वे सामने होंगे, और वे सबसे पहले राष्ट्र के दुश्मनों का सामना करेंगे। परमेश्वर की ओर से यह उनके लिए एक बहुत उच्च बुलाहट थी, लेकिन यह बहुत खतरनाक था। बाकि के जनजातियों के स्थानों को नीचे दिए चार्ट में वर्णित किया गया है। 

(Schnittjer के टोरा स्टोरी से चार्ट के लिए सूचना, पृष्ठ 388)

यहूदा के बगल में इस्साकार का गोत्र था, और उसके बगल में जबूलून का शक्तिशाली गोत्र था। मंदिर के पूर्वी हिस्से में तीनों गोत्र यहूदा के डेरे कहलाते थे। जब भी गोत्रों को स्थानांतरित करना होता था, यहूदा सबसे पहले जाता था। 

यहूदा के दाएं तरफ़, जो मंदिर के दक्षिण के चारों ओर था, वे थे गाद, शिमोन, और रूबेन। ये रूबेन का डेरा कहलाते थे। जब इस्राएलियों का डेरा यात्रा पर निकला, लेवी और मंदिर रूबेन के साथ आगे बढ़ना शुरू हो जाते थे। एप्रैम, मनश्शे और बिन्यामीन मंदिर के पश्चिम की ओर डेरा लगाते थे। जब इस्राएली यात्रा कर रहे थे, एप्रैम मंदिर के पीछे चलते थे। मनश्शे और बिन्यामीन पश्चिमी की ओर दूसरे और तीसरे स्थान पर चलते थे। ये एप्रैम का डेरा कहलाते थे। 

दान, आशेर, और नप्ताली उत्तर की ओर यात्रा करते थे। वे दान के डेरे में थे, और दान का गोत्र राष्ट्र के कूच करने पर अंतिम से तीसरे स्थान पर होते थे। दान राष्ट्र किरक्षा करने के लिए, सबसे पीछे होते थे। 

प्रत्येक जनजाति अपना बैनर ले कर चलता था ताकि लोग उनके पीछे चल सकें, और यात्रा के दौरान प्रत्येक अपनी यात्रा के साथ अपने ही लोगों के लिए जिम्मेदार था। अपने झंडे को लहराते देख वे कितना गर्व महसूस कर रहे होंगे। जब बादल का खम्बा उनके नेतृत्व के लिए उठता था, वे जान जाते थे की उन्हें अब यात्रा पर निकलना था। 

जिस समय इस्राएल का राष्ट्र कूच कर रहा था, हारून और उसके पुत्र तम्बू में जाकर अति पवित्र स्थान में सन्दूक को अलग करने वाले पर्दे को उतार देते थे। पर्दा सन्दूक को ऊपर से ढांक देता था। सन्दूक के किनारे समुद्र गायों किखाल के साथ ढांपे जाएंगे। फिर उन्हें नीले कपड़े से सन्दूक को ढाँपना था। बाकि कि स्वर्ण वस्तुओं को एक गहरे नीले कपड़े से ढाँपना था। फिर उन्हें समुद्र गायों कि खाल के चमड़े से बचा कर रखना था। कांस्य वेदी पर एक बैंगनी कपड़ा रखना था। लेवी के गोत्र के कहातियों को आकर उन पवित्र चीज़ों को उनके डंडे से उठाकर पूरे राष्ट्र को उस स्थान की ओर ले जाना था जिसका नेतृत्व परमेश्वर बादल और आग के साथ करेगा। 

जब परमेश्वर किउपस्थिति का बादल नीचे वापस आया, उन्हें रुकना था। यहोवा की पवित्र उपस्थिति को बीच में रख कर, लेवियों के याजकों द्वारा उसे घेरे रख कर, हज़ारों इस्राएलियों को परमेश्वर के आदेश के अनुसार डेरे को सुधारना था। बंजर मरुभूमि के शुरू होने से पहले, परमेश्वर के राष्ट्र ने चारों ओर से घेर लिया था। सब कुछ बीच से निकलता था, जहां परमेश्वर परम पवित्र स्थान में सन्दूक के ऊपर विराजमान था।