पाठ 147 : राहेल के दु: ख और जीत भाग 2
मेरे पति का परिवार एक सत्ता और प्रतिष्ठा का परिवार था। उन्हें विशेष आदर और सम्मान मिलता था। वे यह मान कर चलते थे की वे महत्वपूर्ण हैं और उन्हें दूसरों से ज़्यादा ग्रहण किया जाता है। मैं सोचती हूँ वह क्षणिक मुस्कान उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा से अधिक मूल्य थी। उसके उग्र क्रोध की मैं पहले कभी कल्पना नहीं कर सकती थी।
जिस समय यह सब हो रहा था, मुझे संदेह होने लगा कि मेरा पहला बच्चा होने वाला है। मैंने कितना सोचा था की इससे उसका क्रोध शांत हो जाएगा, लेकिन इससे बातें दस गुना और बदतर हो गयीं। उसे विश्वास हो गया की यह उसका बच्चा नहीं था। उसने मुझे धमकी दी और मुझे मजबूर किया किमैं उस पाप को स्वीकार करूँ जिसके बारे में मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी। और जब मैंने इस झूठ को स्वीकार नहीं किया, तो वह मुझे अदालत में ले गया। यह कितना एक भयानक अपमान था। पूरा कबीला जानता था की मेरे अपने पति मुझ पर शक कर रहे हैं, और मेरे सदाचार पर सवाल उठाये जा रहे हैं। मैं सड़क पर अपना सिर उठा कर नहीं चल सकती थी। मैं अपनी माँ की आँखों में नहीं देख सकती थी। पड़ोसी उन पुरुषों के बारे में आपस में बातें करते थे जो मुझे देखते थे। वो पुरुष जिनसे मैं कभी मिली ही नहीं थी और ना ही जिनकी परवाह थी। अचानक, जो सुंदरता एक उपहार की तरह थी, वह एक भयानक अभिशाप बन गयी थी। और सब से बुरा, मेरे पति एलिज़र को अदालत में ले आये।
मेरे जीवन का सबसे बुरा क्षण अदालत में नहीं था। वो दिन जिस दिन उसकी पत्नी से मुलाकात हुई थी। उसके चेहरे का दर्द बता रहा था की उसे यकीन नहीं था की जो आरोप लगाये जा रहे थे वे झूठे थे। उसका पति ऐसी सुंदरता को कैसे रोक सकता था? मैं अपने नाखून से अपने चेहरे को खरोंचना चाहती थी।
न्यायाधीश ने मुझे निर्दोष घोषित कर दिया। किसी भी गलत बात को साबित नहीं किया जा सका। जब कुछ हुआ ही नहीं था तो कोई कैसे हमारे खिलाफ गवाही दे सकता था? लेकिन इससे मेरे पति का शक शांत नहीं हुआ। कैसे कोई इस बात का प्रमाण देगा किकुछ हुआ ही नहीं है? मैं उसे कैसे दिखाउं किजो बच्चा मेरे गर्भ में है वह उसका ही है?
हम इस्राएलियों को यहोवा किओर से कुछ ऐसे नियम दिए गए हैं कि उन्हें पहली बार में समझना मुश्किल था। लेकिन जब हम उनका पालन करते हैं, हम देखते हैं कि वे हमारे जीवन में कितनी आशीष लाते हैं। जिस समय हम सीनै पर डेरा डाल कर रह रहे थे, तब शायद सैकड़ों बार मुझे इन नियमों के ज्ञान का एहसास हुआ। उनमें से एक नियम लगता था कि विशेष रूप से मेरे लिए लिखा गया है। परमेश्वर ने एक ईर्ष्यालु पति के क्रोध से प्रत्येक इस्राएली स्त्री कि रक्षा की। और वह एक नए चमत्कार के साथ सुरक्षा को ले आता था।
मूसा ने एक व्यवस्था दी जो मुझे अजीब लगी। यदि एक आदमी अपनी पत्नी पर शक करता है, तो वह उसे मंदिर में लेकर आ सकता है। याजक मंदिर के पवित्र फर्श से धूल ले कर पवित्र जल के साथ मिलाएगा। फिर वह उसे अपनी पत्नी को पीने को देगा। यदि वह अपनी शादी में अविश्वास किदोषी ठहरती है, तो परमेश्वर उसे कड़ी पीड़ा देकर उसका न्याय करेगा। उसका पेट फूल जाएगा। उसके फिर कभी औलाद नहीं होगी। यह उसके अपराध का एक संकेत होगा, और वह इस्राएल के लोगों के बीच शापित हो जाएगी। उसके पति किईर्ष्या की पुष्टि हो जाएगी। लेकिन यदि महिला निर्दोष होती है, तो परमेश्वर पानी को उस पर प्रभावित होने नहीं देगा। मैं चाहती थी कि कैसे मेरी बेगुनाही साबित हो जाये! कैसे मैं घृणा और शर्म की बातों को रोक सकती थी?
मुझे लगा मेरे पति यह सोच सोच कर पागल हो जाएंगे कियह बच्चा उनका है या नहीं। यह उनका पहलौठा होगा। यदि लड़का होता है, तो क्या वह अपने बच्चे पर दूसरे आदमी को अधिकार दे देगा?
जिस दिन हम मंदिर में इस दर्द को ले कर गए, वो दिन हमारा महान मुक्ति का था। मैं मिलापवाले तम्बू के द्वार पर घबराहट के साथ खड़ी थी। मैं चाहती थी ये अफवाहें और झूठ समाप्त हो जाये। महीनों से शक के काले बादल मेरे ऊपर मंडरा रहे थे, और मैं और नहीं सह सकती थी।
मेरे पति ने याजक को जौ के आटे कि एक भेंट दी। याजक ने मेरे पास आ कर मेरे बालों को खोल कर मेरे कंधे पर डाल दिए। जब हम इस्राएली स्त्रियां दु: ख और शोक मनाती हैं तो ऐसे बाल करती हैं। जिस दिन से मेरे पति का मुझ पर से विश्वास उठ गया था, मेरे लिए यह दुःख दर्द की एक उपयुक्त छवि थी। याजक ने मेरे हाथों में अनाज डाला और मुझ पर कसम ली, जो मेरे लिए एक भयानक अभिशाप हो सकता था यदि मैं दोषी होती। लेकिन मैं दिल से जानती थी की मैं निर्दोष हूँ, और इसीलिए मैंने बिना डरे कहा, ''आमीन, ऐसा ही हो।''
याजक ने एक पुस्तक पर शाप को लिखा और फिर पवित्र जल में स्याही को धो दिया। जब उसने वह पानी मुझे पीने को दिया, मैंने उसे एक भयंकर आनन्द के साथ ले लिया। मेरा परमेश्वर मुझे साबित करेगा। हमारा पवित्र यहोवा सब बातों को जानता है। वह जानता था की मैं अपनी शादी के वादों के साथ कभी धोखा नहीं करूंगी। वे स्वयं परमेश्वर के साथ एक वाचा थे, और मेरी वफ़ादारी उसके साथ थी।
मैं ने पानी कि हर बूंद पिया, और अभिशाप का मुझ पर कोई अधिकार नहीं था। सब ने मेरे देखा की मैं निर्दोष थी। मेरे पति को विश्वास करने के लिए बहुत दिन लगे। मुझे लगता है वह मेरे बीमार होने का इंतजार कर रहा था। फिर भी दिन प्रति दिन, मेरे गर्भ में मेरा बच्चा स्वस्थ और पूर्णरूप से बढ़ रहा था। पूरे समाज ने मेरा पेट बढ़ते देखा। जो मुझसे प्यार करते थे वे परमेश्वर की मेरी बेगुनाही के सुंदर घोषणा और उन अनमोल आशीषों पर आनन्दित थे। और जब मेरा पुत्र जन्मा, मेरे पति को यकीन हो गया की जो बच्चा उसकी अपनी बाहों में है वह उसी का है। मेरा पुत्र यहोवा की बुद्धि और रक्षा का प्रतीक होगा, जो हमारा दयालू परमेश्वर है।