पाठ 144 : लेवी

एक गोत्र था जिसे परमेश्वर ने मूसा को गिनने से मना किया। एक गोत्र था जिसके पुत्र और पिता युद्ध में नहीं जाएंगे। वह लेवियों का गोत्र था। उन्हें परमेश्वर के पवित्र याजक होने के लिए अलग किया गया था। उन्हें मंदिर के काम को हारून और उसके पुत्रों के साथ करना था। 

अब, परमेश्वर ने इस्राएल के परिवारों की प्रत्येक स्त्री के अपने पहलौठे पुत्र को उसे समर्पित करने कि आज्ञा दी। परमेश्वर ने प्रत्येक पहलौठे को अपने लिए माँगा। यह परमेश्वर के प्रति प्रत्येक परिवार की भक्ति थी जो उन्हें उसे भेंट के रूप में लानी थी। 

प्राचीन देश जो इस्राएल को घेरे हुए थे, प्रत्येक परिवार स्वयं मूर्तियों की पूजा करते थे। वे अपने मृत पूर्वजों की भी पूजा करते थे। इन झूठे देवताओं का इन परिवारों पर एक शक्तिशाली नियंत्रण था जिसके प्रति वे बहुत वफ़ादार थे। और सबसे बड़ा पुत्र परिवार के धार्मिक जीवन का निर्देश करता था। लेकिन परमेश्वर ने प्रत्येक परिवार में से अपने लिए पहलौठे पुत्र को चुना था। इस्राएल का राष्ट्र अपने घरों में किसी भी झूठे देवताओं की पूजा नहीं कर सकता था। वे मरे हुए लोगों से प्रार्थना नहीं कर सकते थे। सभी पहलौठे पुत्र, जो प्रत्येक गोत्र के अगुवे बन चुके थे, उन्हें केवल परमेश्वर किही उपासना करनी थी। सभी परिवारों और जनजातियों को मिलकर परमेश्वर किउपासना करनी थी। उन्हें एक पूरे राष्ट्र के रूप में उसकी उपासना करनी थी। 

वाह। क्या इसका मतलब यह है किप्रयेक परिवार को अपने पहलौठे पुत्र को मंदिर में काम करने के लिए भेजना था। हाँ! लेकिन परमेश्वर कृपालु और दयालु है। उसने ऐसी व्यवस्था कि थी कि इस्राएली अपने पुत्रों को अपने निकट रख सकते थे। उसने लेवी के पूरे गोत्र को इस्राएल के पहलौठे पुत्रों की जगह निर्धारित किया। परमेश्वर ने कहा:

"'लेवी के परिवार समूह के सभी लोगों को याजक हारून के सामने लाओ। वे लोग हारून के सहायक होंगे। लेवीवंशी हारून की उस समय सहायता करेंगे जब वह मिलाप वाले तम्बू में सेवा करेगा और लेवीवंशी इस्राएल के सभी लोगों की इस समय सहा.ता करेंगे जिस समय वे पवित्र तम्बू में उपासना करने आएंगे। इस्राएल के लोग मिलापवाले तम्बू की हर एक चीज की रक्षा करेंगे, यह उनका कर्तव्य है। किन्तु इन चीजों की देखभाल करके ही लेवीवंश के लोग इस्राएल के लोगों की सेवा करेंगे। पवित्र तम्बू में उपासना करने की उनकी यही पद्धति होगी।

इस्राएल के सभी लोगों में से लेवीवंशी चुने गए थे। ये लेवी, हारून और उसके पुत्रों की सहायता के लिए चुने गए थे। तुम हारून और उसके पुत्रों को याजक नियुक्त करोगे। वे अपना कर्तव्य पूरा करेंगे और याजक के रूप में सेवा करेंगे। कोई अन्य व्यक्ति जो पवित्र चीज़ों के समीप आने का प्रयत्न करता है, मार दिया जाना चाहिए।'''

गिनती 3: 6-10

लेवी के पुत्रों ने अन्य सभी जनजातियों के पहलौठे पुत्रों की जगह ले कर मंदिर के काम को किया। परमेश्वर ने मूसा से कहा कि वह इस्राएल के सभी एक महीने से अधिक आयु के पुत्रों कि गिनती करे। वे 22,273 थे। उन्होंने पहले से ही उन लेवी के बालकों को गिन लिया था जो एक महीने से अधिक आयु के थे। वे 20,000 थे। परमेश्वर ने मूसा से कहा किइस्राएल के राष्ट्र को हारून और मंदिर को पांच शेकेल चांदी उन ग्यारह गोत्र के 273 अतिरिक्त पहलौठे पुत्रों को देना होगा। मूसा ने 1365 शेकेल एकत्र किये और परमेश्वर किइस आज्ञा के अनुसार, हारून को दे दिए। 

परमेश्वर किसेवा करने का सौभाग्य लेवियों को विशेष रूप में दिया गया था, और उन्हें पूरे दिल से यह करना था। वे युद्ध के लिए नहीं जा सकते थे। मंदिर के चारों ओर याजकों का एक पवित्र घेरा बना कर उन्हें मंदिर को घेरना था। लेवी गोत्र तीन छोटे गुटों से बना हुआ था। ये तीन गुट गेर्शोन, कहात और मरारी के वंशज थे। परमेश्वर ने इन तीनों गुटों को मंदिर के चारों और रहने का विशेष स्थान दिया था, और परमेश्वर की सेवा करने के लिए, उसने प्रत्येक को अलग अलग काम सौंपे। यह चार्ट दिखाता है किपरमेश्वर ने प्रत्येक समूह को बताया कि उन्हें किस जगह डेरा डालना है।                                                                                                      

हारून को मूसा और उसके बेटों के साथ, मंदिर के द्वार के सामने रखा गया था। गेर्शोन के गोत्र में एक महीने से अधिक के 7,500 बालक थे। उन्हें मंदिर के पीछे, पश्चिम की ओर डेरा लगाना था। उन्हें मंदिर की देखभाल करनी थी। उन्हें मंदिर के आंगन और तम्बू के आसपास के पर्दों को संभालना था। जब इस्राएल के डेरे का जाने का समय आ गया था, उन्हें इन सब वस्तुओं को भी लाना था। 

कहात के गोत्र में 8600 एक महीने से अधिक के बालक थे। उन्हें परमेश्वर के स्थान किदेखभाल करनी थी। उन्हें धूप की स्वर्ण वेदी, दीवट, मेज और अपने सभी बर्तनों और संदूक की देखभाल करनी थी। जब इस्राएल एक स्थान से दूसरे स्थान में यात्रा करेंगे, तब कोहाती इन पवित्र, सुनहरी चीज़ों को ले जाएंगे। यह एक ज़बरदस्त सम्मान था, लेकिन एक बड़ी ज़िम्मेदारी भी थी। यदि कोई भी कोहाती उन पवित्र वस्तुओं को छू लेता है, तो वह मर जाएगा। जब सब एक स्थान पर बस जाते थे, तो कोहातियों को मंदिर के दक्षिण कि ओर पड़ाव डालना था। 

मरारी गोत्र में 6,200 एक महीने से अधिक आयु के बालक थे। उन्हें मंदिर के लकड़ी के तख्ते और तम्बू के खम्बों की देखभाल करनी थी। जब इस्राएलियों को नई जगह पर स्थानांतरित करने के लिए समय आता था, प्रत्येक मरारी को इनमें से कोई एक वास्तु को सम्भालना था। 

तीस से पचास वर्ष कि आयु के लेवी पुरुषों को सेवा का काम करना होता था। परमेश्वर के देश में लेवियों को पवित्रता के साथ रहना था। यदि अन्य जनजाति मंदिर के निकट रहते थे, तो वे अपने पापों के कारण परमेश्वर के प्रकोप से नष्ट हो सकते थे। लेकिन लेवियों को पवित्रता में ही रहना था और मंदिर में सेवा करनी थी। उसके चारों ओर उनकी उपस्थिति राष्ट्र के बाकी हिस्सों किरक्षा करेगी।