पाठ 143 : पुरुषों की जनगणना

जब इस्राएल देश सीनै कि मरुभूमि में था, तब परमेश्वर ने मूसा को सभी नियम और आदेश सौंप दिए थे। उसने मूसा को पर्वत पर मंदिर को बनाने के विषय में दर्शन दिया। उनके याजकों को विस्तृत निर्देश दिये की किस प्रकार प्रत्येक बलिदान को देना है। उसने इन नियमों में लोगों को सिखाया कि उन्हें अपने व्यवहार से किस प्रकार दूसरे राष्ट्रों से भिन्न होना है। उन्हें एक दूसरे के साथ व्यवहार कर के अपनी भक्ति को प्रदर्शित करना है। 

 

गिनती कि किताब मंदिर के निर्माण और याजकों के तीन महीने सेवा करने के बाद शुरू हुई। पूरे दिन वे परमेश्वर के आगे लोगों की भेंटों को ग्रहण करते थे, और प्रति शाम मंदिर की सेवाओं को बंद करने के लिए एक मेमने की भेंट चढ़ाते थे। पूरी रात उस भेंट को वेदी पर रखा जाता था, ताकि उसका जलना परमेश्वर के आगे समाप्त ना हो। 

 

इस्राएल का डेरा लगभग एक वर्ष तक सीनै पर्वत कि छाया में रहा (वाल्टन, 179)। एक बार फिर, मूसा मिलापवाले तम्बू में परमेश्वर के पास गया और वहां उसके साथ बात की। परमेश्वर ने मूसा से इस्राएल के पूरे राष्ट्र कि एक जनगणना लेने को कहा। उसे इस्राएल के प्रत्येक जनजाति में पता करना था किबीस साल से ऊपर कितने पुरुष थे। इस आयु के पुरुष युद्ध के लायक थे। समय आ रहा था जब इस्राएलियों को फिर से यात्रा पर जाना था। उन्हें वादे के देश की ओर बढ़ना था, और उन्हें रास्ते में दुश्मनों का सामना करना होगा। कुछ राष्ट्र स्नेहशील होंगे, लेकिन दूसरे इस बात से खुश नहीं होंगे की दो लाख लोग उनके राष्ट्र की ओर बढ़ रहे हैं। सभी इन लोगों से घबरा रहे होंगे जिनके परमेश्वर ने हाल ही में दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र को नष्ट कर दिया था। वे सब जानते थे की मिस्र में क्या हुआ था, और उनका एक भी राजा वो नहीं चाहता था जो फिरौन के साथ हुआ था। युद्ध तो होंगे, और परमेश्वर इस्राएल की शक्ति को उन देशों के ऊपर उपयोग करेगा जिनके पाप के कारण दण्ड आया। उन्हें यह जानना आवश्यक था की उनके कितने पुरुष लड़ सकते थे। उन्हें युद्ध के लिए तैयार होना आवश्यक था। 

 

सीनै पर्वत के आस पास शायद दो लाख इस्राएली तम्बुओं में रह रहे थे। बहुत लोग थे! पुरुषों को गिनना एक बहुत बड़ा काम था। लेकिन परमेश्वर बहुत संगठित तरीके से काम करता है। उसने मूसा को बताया की कौन सी जनजाति के लिए कौन सा व्यक्ति मुखिया होगा। एलिसूर रूबेन के गोत्र को गिनेगा, शलूमीएल शिमोन के गोत्र को, और नहशोन यहूदा के गोत्रा की गिनती करेगा। प्रत्येक गोत्र के लिए परमेश्वर ने बारह जनजातियों में से प्रत्येक व्यक्ति को काम करने के लिए तैयार किया था। वे अगुवे थे, जो पैतृक गुटों में से प्रत्येक के प्रमुख थे।

 

सोचिये प्रत्येक गोत्र के अगुवे के पास कितना काम होगा जब उन्हें अपने गोत्रों के पुरुषों की गिनती करनी थी। क्या आपने कभी सौ तक गिना है? क्या आपने हज़ार तक गिनती की है? इन लोगों को हज़ारों की गिनती करनी थी। और प्रत्येक पुरुष का नाम सूचीबद्ध किया! बीस साल से ऊपर कि आयु के पुरुषों की सूची यह है:

 

रूबेन: 46,500

शिमोन: 59,300

गाद: 45,650

यहूदा: 74,600

इस्साकार: 54,400

जबूलून: 57,400

यूसुफ:

एप्रैम: 40,500

मनश्शे: 32,200

बेंजामिन: 35,400

दान: 62,700

आशेर: 42,500

नप्ताली: 53,400

वाह। ये कितने सारे पुरुष हैं! ऐसा लगता है कि एक समस्या है। इस्राएल में बारह गोत्र थे। प्रत्येक गोत्र याकूब के पुत्रों में से एक वंशज है। वे बारह थे। लेवियों को नहीं गिना जाना था। वे परमेश्वर के याजक होने के लिए अलग किये गए थे, और वे युद्ध में भी नहीं जा सकते थे। तो सूचीबद्ध में बारह गोत्रों के नाम कैसे हैं? क्या केवल ग्यारह गोत्र नहीं होने चाहिए? आप देखेंगे की यूसुफ के तहत, दो विशेष गोत्र हैं। एप्रैम और मनश्शे यूसुफ के बेटे हैं, और किसी कारणवर्श, उनके वंशजों को अलग से गिना गया था। कुछ लोग समझते हैं किपरमेश्वर युसूफ को, जो एक बहुत धर्मी पुत्र था, विशेष रूप से सम्मान दे रहा है। जब वे वादे के देश में होंगे, तो युसूफ के दोनों पुत्रों को अपनी ही ज़मीन मिलेगी।  

इब्राहीम, इसहाक, और याकूब के छोटे से आदिवासी परिवार के बारे में सोचना बहुत अद्भुत है। परमेश्वर ने वादा किया था की उनके वंशज आकाश में सितारों की तरह होंगे। अब वे वास्तव में थे! चार सौ साल बाद, वे वापस उसी देश में जा रहे थे जो परमेश्वर ने इब्राहीम से वादा किया था। परमेश्वर अपने वादे को रखता है। वह इतना अच्छा और सिद्ध और पवित्र है, और वह वही करता है जो वह कहता है। इस्राएल के देश में बीस साल से ऊपर पुरुषों किकुल संख्या 603,550 थी।