कहानी १६८: वापस पिलातुस के पास
हेरोदेस, मसीह के मामले में, किसी भी निष्कर्ष तक पहुँचने में सक्षम नहीं था, इसलिए उसने यीशु को पिलातुस के पास वापस भेज दिया। अब, पिलातुस की यहूदी लोगों के साथ एक परंपरा थी। हर फसह के पर्व पर, वह उनसे किसी एक कैदी की रिहाई का अनुरोध लेता, और वह उसे मुक्त कर देता। उस समय, रोमीयों ने बरब्बा नाम के एक खुख्यात अपराधी को कैदी बनाया था। वह एक यहूदी विरोध आंदोलन का हिस्सा था जो यहूदिया पर रोमन सरकार की सत्ता को उखाड़ फेंकना चाहता था। उन्होंने पिलातुस के खिलाफ विद्रोह छेड़ी हुई थी। बरब्बा ने इस प्रक्रिया में हत्या और डकैती भी की थी। लेकिन यहूदी लोगों को उसके कारण से सहानुभूति थी। वे रोमी शासन से नफरत करते थे, और इसलिए बरब्बा अपने साहसी, घातक कारनामे के लिए उनके लिए एक हीरो था।
यहूदी इस फसह के कैदी को रिहा करवाने के लिए, पिलातुस से मांग करने के लिए एकत्र हुए। इस बीच, पिलातुस ने धार्मिक नेताओं और महायाजकों को बुलाया और यीशु के विषय में कहा, "'तुम इस आदमी को लाए हो, यह कहते हुए कि यह विद्रोह करने के लिए लोगों को उकसाता है; और तुम्हारे सामने इसे जांचने के बाद, देखो, मैं इस आदमी को तुम्हारे आरोपों के बल पर, दोषी नहीं पाता हूँ। और न तो हेरोदेस ने, क्यूंकि उसने हमें इसे वापस भेजा। ेदेखो, इसने मौत के योग्य कुछ नहीं किया है।" पिलातुस को इस बात का एहसास था कि इन लोगों का यीशु को उनके समक्ष लाने का एक ही कारण था - ईर्ष्या। उनकी ईर्ष्या एक निर्दोष आदमी को मारने के लिए कोई कारण नहीं था।
पिलातुस भीड़ के पास बाहर चला गया और अपने सिंघासन पर बैठ गया। उसने पूछा: "तुम रिहाई के लिए किसे चाहते हो? बरब्बा या यीशु, जो मसीह कहलाता है?" निश्चित रूप से भीड़ उपदेशक के पक्ष पर होगी!
जब पिलातुस वहां बैठा हुआ था, उसे अपनी पत्नी से एक संदेश प्राप्त हुआ। "'उस धर्मी आदमी के साथ कुछ नहीं करना, क्यूंकि कल रात मैंने उसकी वजह से एक सपने में काफी पीड़ा उठाई।'"
इस बीच, महायाजक और पुरनी, भीड़ के बीच में बाहर जा कर, उन्हें यीशु के बजाय बरब्बा की रिहाई के लिए उकसा रहे थे। वे यीशु को मार डालने की मांग के लिए उकसा रहे थे। उनकी शातिर नफरत कैसी सक्रिय थी!
पिलातुस ने कहा: "'इन दोनों में से तुम किसे रिहा चाहते हो?'"
"'इस आदमी को दूर कर दो!'" भीड़ बोल उठी, "और हमें बरब्बा रिहा कर दो!'"
पिलातुस ने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे यीशु को लेजाकर चाबुक के साथ कोड़े लगाए। अगर धार्मिक नेता यीशु को अपमानित और दंडित होते देखते, तो शायद वे संतुष्ट हो जाते।
सैनिक पूरे दिन इस यीशु की अफवाहें सुन रहे थे। जब तक उन्हें सैनिकों के पास लाया गया था, यह आरोप अच्छी तरह से जाना जा चुका था कि वह राजा होने का दावा कर रहे थे। यह एक नीच, छोटे यहूदी के लिए इतनी हास्यास्पद बात थी, कि वे उसके बारे में ठठ्ठा उड़ाने के प्रलोभन को रोक नहीं सके। अपने अंधेरे आत्माओं की हिंसा और द्वेष में, उन्हें यीशु को चाबुक से मारने में इतनी प्रसन्नता मिली कि यीशु का रक्त उनकी पीठ से नीचे बह गया। जब तक वो यह सब कर चुके थे, यीशु की पीठ पर मांसपेशियों, हड्डियों से अलग होकर फट गई थी। लेकिन रोमी सैनिकों की क्रूर बर्बरता अभी तक संतुष्ट नहीं हुई थी। उनमें से कुछ लम्बे कांटों के साथ शाखाए काटने चले गए। उन्होंने उसका मुकुट बुना और उनके सिर पर उसे कुचल दिया। तब उन्होंने एक शाही बैंगनी रंग का एक वस्त्र उसके नुचे, लहू-लुहान पीठ पर डाल दिया। "जय हो, यहूदियों के राजा!" उन्होंने कहा और उन्हें उग्र अवमानना के साथ चेहरे पर मारने लगे।
सैनिक यीशु को पिलातुस के पास वापस लाए। जो यातना मसीह ने सही, वो स्पष्ट थी। निश्चित रूप, से यह पर्याप्त होगा। पिलातुस भीड़ के पास बाहर चला गया और कहने लगा: "'सुनो, मैं उसको तुम्हारे सामने वापस ला रहा हूँ, ताकि तुम जानो कि मै उसमे कोई दोष नहीं पाता हूँ।" तब यीशु को लोगों के सामने बाहर लाया गया। रक्त उनके सिर पर कांटों के ताज से बह रहा था, और बैंगनी वस्त्र उनके खूनी पीठ से चिपक गया था। पिलातुस ने कहा: "'देखो इस आदमी को'"। उसकी यह आशा थी कि यीशु को इस तरह की भयानक स्तिथि में देखने के सदमे के बाद, वे नरम होंगे और उनकी रिहाई के लिए मांग करेंगे। लेकिन भीड़ ने ऐसा नहीं किया। "'मैं यीशु अर्थार्त, यहूदियों का राजा के साथ क्या करू?'" उन्होंने पूछा।
महायाजक चिल्लाने लगे, "उसे क्रूस पर चढ़ा दो, उसे क्रूस पर चढ़ा दो! '" भीड़ भी शामिल हुई। लोगों का रोष बड़ता जा रहा था।
'' क्यों? इसने क्या दुष्कर्म किया है? मैंने उस में मौत की मांग लायक कोई दोष नहीं पाया है, इसलिए मैं उसे सज़ा देकर उसे रिहा कर दूंगा,'"पिलातुस ने कहा। लेकिन भीड़ काबू से बाहर हो गई। "'उसे क्रूस पर चढ़ा दो!'" वे चीखने लगे।
इस अव्यवस्था के बीच में, कुछ यहूदियों ने बताया: "'हमारा एक कानून है, और उस कानून के अंतर्गत, उसे मरना चाहिए क्यूंकि उसने खुद को परमेश्वर का बेटा बोला है।'"
इसने पिलातुस को और डरा दिया। यीशु ने पहले से ही उसको बोला था कि वो किसी और जगह का एक राजा था, और उसकी पत्नी को उसके बारे में सपने आ रहे थे। वो वहां गया जहाँ यीशु को रखा जा रहा था और उनसे पूछा: "'तुम कहां से हो?'"
लेकिन यीशु ने उसे जवाब नहीं दिया। पिलातुस क्रोध के साथ बोला: "'तुम मुझसे बात नहीं करते? क्या तुम नहीं जानते कि मेरे पास तुम्हे रिहा करने का अधिकार है या क्रूस पर चढाने का अधिकार है? "
यीशु ने उससे कहा: "यह अधिकार आपको ऊपर से दिया गया था, नहीं तो आपका मेरे ऊपर कोई अधिकार नहीं होता; इस कारणवश, जिसने मुझे पकड़वाया है, उसका पाप ज्यादा महान है।"
वाह। मसीह की आश्वास विश्वास की लहर उनके हर शब्द में थी। यह लहर उनकी चुप्पी में भी थी। पिलातुस का यह गलत मानना था कि वह उस दिन का सबसे उच्च अधिकारी था। यीशु ने उसे बताया कि वास्तव में, पिलातुस ने अपना अधिकार परमेश्वर से प्राप्त किया था।
जब पिलातुस ने यह सुना, तो उसने यीशु को बचाने के लिए और अधिक से अधिक प्रयास करना शुरू किया। लेकिन यहूदियों का रोष अधिक बढ़ रहा था और वो नियंत्रण से बाहर हो रहे थे। उसे इस बात का एहसास हो गया था कि वो एक दंगा शुरू करने वाले है। कुछ यहूदियों ने कहा: "'अगर आप इस आदमी को रिहा करते हैं, तो आप कैसर के कोई दोस्त नहीं हैं। जो कोई भी खुद को राजा प्रतीत करवाता है, वो कैसर का विरोध करता है।"
उनके शब्दों रोम के कैसर के प्रति वफादारी के शब्द नहीं थे। यहूदी, सम्राट से उतनी नफरत करते थे जितनी वे पीलातुस और हेरोदेस से करते थे। वे एक खतरा बन रहे थे। अगर पिलातुस ने यीशु को क्रूस पर नहीं चड़ाया , वे इसका एक मामला बना कर रोम तक खीचते। वे उस पर सम्राट के खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगाते।
जब पिलातुस ने यह सुना, तो वह बाहर जा कर सिंघासन पर फिर से बैठ गया। इस समय तक, सुबह के शुरुआती घंटे बीत गए थे और दोपहर हो रही थी। मंदिर में फसह उत्सव का जश्न पूरे जोर शोर था। दोपहर में, फसह के भेड़, पंद्रह सौ साल पहले मिस्र में उस अंधेरी रात में इस्राएल के पहलौठे बेटों को बचाए जाने खून की याद में कुर्बान कर दिए जाएंगे। यह राष्ट्र के लिए के लिए रास्ता बनी। अब परमेश्वर का पहलौठा पुत्र, सभी राष्ट्रों के उद्धार को लाने के लिए अपने खून को भेट कर देंगे।
पिलातुस ने यीशु को लोगों के सामने बाहर बुलाया - "'देखो, तुम्हारा राजा!'" उसने कहा।
"'इसको हमारे से दूर कर दो, इसे क्रूस पर चढ़ा दो!'" लोग चीखने लगे। भीड़ का उन्माद बहुत बड़ गया था।
"'क्या मैं तुम्हारे राजा को क्रूस पर चड़ा दूँ?" पिलातुस ने पूछा।
महायाजकों ने कहा - "'हमारा, केसर को छोड़, कोई राजा नहीं है!"
वाह। इस्राएल के देश के महायाजकों ने परमेश्वर के पुत्र को अस्वीकृत घोषित कर दिया। उनकी आवाज, पिलातुस की निर्दोष आदमी को मौत की सज़ा सुनाने की अनिच्छा पर विजय प्राप्त करने लगी। यह स्पष्ट था कि अब कुछ नहीं किया जा सकता था। पिलातुस ने थोड़ा पानी लिया और उस अराजक, उग्र भीड़ के सामने अपने हाथ धोए। "'मैं इस आदमी के रक्त से निर्दोष हूँ'" उसने घोषणा की। "'अब इस मामले को खुद ही देख लो।'"
भीड़ वापस चिल्लाई - "'उसका खून हम पर और हमारे बच्चों पर हो!'"
तब पिलातुस ने यीशु के खिलाफ, मौत की सज़ा सुनाई। धार्मिक नेताओं और भीड़ की मांगों को स्वीकृत किया जा रहा था। बरब्बा को स्वतंत्र कर दिया गया, लेकिन यीशु को क्रूस पर चढ़ाने के लिए दे दिया गया।