कहानी १४७: साँतवा अभिशाप-भविष्यद्वक्ताओं को मारने वाले
यीशु परमेश्वर के पवित्र मंदिर पर खड़े होकर फरीसियों और धार्मिक अगुवों को क्रोध के साथ ऐलान कर रहा था। अब साँतवे और अंतिम अभिशाप का समय आ गया था। पाप और भ्रष्टाचार के प्रति यीशु कि सच्ची नफ़रत अचंबित फटकार के रूप में बह कर आ रही थी। जब आप पढ़ेंगे कि उसने क्या कहा, आवाज़ में उस भयंकर और पवित्र उत्साह पर ध्यान दीजियेगा:
“'अरे कपटी यहूदी धर्मशास्त्रियों! और फरीसियों! तुम नबियों के लिये स्मारक बनाते हो और धर्मात्माओं की कब्रों को सजाते हो। और कहते हो कि ‘यदि तुम अपने पूर्वजों के समय में होते तो नबियों को मारने में उनका हाथ नहीं बटाते।’ मतलब यह कि तुम मानते हो कि तुम उनकी संतान हो जो नबियों के हत्यारे थे। सो जो तुम्हारे पुरखों ने शुरु किया, उसे पूरा करो!'"
वह अपनी तेजस्वी महिमा में कितना महाप्रतापी लगता होगा, जो उन दुष्टों के स्वार्थ भरे हेकड़ी को ललकारता है। बाइबिल परमेश्वर के क्रोध को एक कप से तुलना करती है जिसे क्रोध से भर दिया जाता है। जब परमेश्वर का क्रोध ऊपर तक भर जाता है, इसका मतलब है कि इतना पाप अब काफी है और वह उन लोगों पर अपना न्याय उँडेलेगा जिन्होंने अब तक पश्चाताप नहीं किया है। यह एक ऐसा भयंकर और भयानक तस्वीर जो हमें प्रार्थना में हमें अपने घुटनों पर आने के लिए मजबूर कर दे!
हज़ारों सालों तक, इस्राएल के पापी अगुवों ने परमेश्वर के सेवकों को सताया है। दुष्ट राजाओं ने परमेश्वर के पवित्र राष्ट्र में मूर्तियों को लाकर झूठे भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा लोगों को झूठी बातें सुनाईं। परमेश्वर ने अपने राष्ट्र को पवित्र करने के लिए पवित्र न्यायी और भविष्यद्वक्ताओं को भेजा, परन्तु दुष्ट लोग उन्हें परमेश्वर का वचन सुनाने के लिए सताते थे। परमेश्वर का क्रोध उन दुष्टों के प्रति उसके पवित्र कप कि तरह भर गया था। धार्मिक अगुवे जिस प्रकार उद्धारकर्ता को इंकार कर रहे थे, वे उस कप को पूरा भर रहे थे। समय आ रहा था कि परमेश्वर अपने वफादारों को स्थापित करेगा। उसका क्रोध उंडेला जाने वाला था।
वह धार्मिक अगुवे को चालाकी से चलते और आदर कि मांग करते, वे अब बेनकाब हो जा रहे थे। इस्राएल के दुष्ट लोग ही उनके सच्चे पिता थे। वे अब्राहम के बच्चे होने का आदर पाना चाहते थे और यर्मियाह और यशायाह कि तरह सच्चाई को सुनाने वाले बनना चाहते थे। परन्तु यीशु ने मंदिर पर खड़े होकर इस बात कि घोषणा की कि वे उन लोगों के समान थे जिन्होंने यशायाह को दो भाग में काट दिया था। वे इतिहास के गलत तरफ थे और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के दुश्मन। क्या वे सीखेंगे?
यीशु ने आगे कहा: “'अरे साँपों और नागों की संतानों! तुम कैसे सोचते हो कि तुम नरक भोगने से बच जाओगे।'"
धार्मिक अगुवों का पाप ना केवल राष्ट्र कि आशा को नष्ट कर रहा था, वह उनके अनंतकाल के भाग्य को बंद कर रहा था। परमेश्वर के पुत्र ने जब उनके अंतिम अंजाम का ऐलान किया, क्या उनके ह्रद्य ज़रा भी कांपे?
"'इसलिये मैं तुम्हें बताता हूँ कि मैं तुम्हारे पास नबियों, बुद्धिमानों और गुरुओं को भेज रहा हूँ। तुम उनमें से बहुतों को मार डालोगे और बहुतों को क्रूस पर चढ़ाओगे। कुछ एक को तुम अपनी आराधनालयों में कोड़े लगवाओगे और एक नगर से दूसरे नगर उनका पीछा करते फिरोगे।
“परिणामस्वरूप निर्दोष हाबील से लेकर बिरिक्याह के बेटे जकरयाह तक जिसे तुमने मन्दिर के गर्भ गृह और वेदी के बीच मार डाला था, हर निरपराध व्यक्ति की हत्या का दण्ड तुम पर होगा। मैं तुम्हें सत्य कहता हूँ इस सब कुछ के लिये इस पीढ़ी के लोगों को दंड भोगना होगा।'”
यह एक भविष्यवाणी थी। यीशु ने ऐलान किया कि वह लोगों को उसकी सच्चाई को बताने के लिए उठाएगा, और यही लोग उन्हें ढूंढ कर उन्हें मार डालेंगे। उसने ऐलान किया कि परमेश्वर का क्रोध इतिहास के पूरे समय पर था जब उसके धार्मिक जन सताय जा रहे थे। और यीशु ने भविष्यवाणी की कि यह उन सब के जीवन में होगा जो मंदिर पर उस दिन खड़े थे।
हम उस पीढ़ी कि ओर देख कर बता सकते हैं कि यीशु का वचन सत्य था। यही धार्मिक अगुवे जिन्होंने मसीह का विरोध किया था वे यीशु के सेवकों को भी सताएंगे। वे उसके चेलों को मृत्यु देंगे और य्ररुशलेम से बाहर निकल देंगे। वे परमेश्वर का शानदार आशीष को ठुकरा देंगे जो इस्राएल के उसके उद्धारकर्ता के आदर के लिए था। यीशु इससे कितना दुःख हुआ! उसे इस बात से कितना दुःख था कि उन्होंने उससे वापस प्रेम नहीं किया!
उसने कहा:“'ओ यरूशलेम, यरूशलेम! तू वह है जो नबियों की हत्या करता है और परमेश्वर के भेजे दूतों को पत्थर मारता है। मैंने कितनी बार चाहा है कि जैसे कोई मुर्गी अपने चूज़ों को अपने पंखों के नीचे इकट्ठा कर लेती है वैसे ही मैं तेरे बच्चों को एकत्र कर लूँ। किन्तु तुम लोगों ने नहीं चाहा। अब तेरा मन्दिर पूरी तरह उजड़ जायेगा। सचमुच मैं तुम्हें बताता हूँ तुम मुझे तब तक फिर नहीं देखोगे जब तक तुम यह नहीं कहोगे: ‘धन्य है वह जो प्रभु के नाम पर आ रहा है!'"
एक बार फिर, यीशु ने भविष्यवाणी की। जब वह दाऊद के शहर से जा रहा था, वह अपने लोगों को अपनी बाहों में लेकर उन्हें अपनी सुरक्षा में लेना चाहता था लेकिन उन्होंने उसे ऐसा नहीं करने दिया। इसलिए एक महान तन्हाई आने वाली थी।
जिस शहर को उसका स्वागत करना था उसने अस्वीकार किया। यीशु कि पीढ़ियों में, येरूशलेम पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया जाएगा। हम जानते हैं कि यह भविष्यवाणी अब पूरी होगी। ७० AD में, रोमी राज ने य्ररुशलेम का पूरी तरह से विनाश कर दिया था, और वह नक़्शे में से मिट गया था। यहूदी लोग दूसरे शहरों में भाग गए। वे वायदे के नगर से बाहर दिए गए थे और बुतपरस्त देशों में उनका निर्वासन कर दिया गया था। इस्राएल का देश अगले दो हज़ार सालों के लिए एक राष्ट्र नहीं बनेगा। लेकिन एक दिन, यीशु वापस आएगा। यीशु ने उस दिन भविष्वाणी की थी कि येरूशलेम के लोग यह गीत गाएंगे,"धन्य हैं वह जो यीशु के नाम में आता है।" अंत में वह अपने लोगों को अपने पंखों में ले लेगा।