कहनी १२०: बड़ा भोज का पर्व

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यीशु एक प्रभावशाली फरीसी के मेज़ पर बैठे थे। क्षेत्र के प्रभावशाली सम्मानित धार्मिक पुरुष भी उनके साथ शामिल हो गए थे। आम तौर पर, रात के खाने का निमंत्रण दोस्ती को दर्शाता है, लेकिन इस मामले में, यह काफी विपरीत था। इन लोगों ने यीशु को फंसाने के लिए उसे आमंत्रित किया था। वे उसे मृत चाहते थे। लेकिन हमेशा की तरह, परमेश्वर ने उनकी बातचीत को उल्टा पुल्टा कर दिया। वह कितना चाहता था कि यह लोग जो यह दिखाते थे कि वे परमेश्वर पिता से प्रेम करते हैं, वे नम्रता और न्याय के लोग बन जाएं जैसा कि परमेश्वर चाहता था। सो वे उनके साथ कहानियों के ज़रिये उन्हें उन पात्र के विषय में बताता था जो बहुत कुछ उन्ही कि तरह पाप को करते थे। वह उन्हें दूसरी दिशा से उनके पुराने, आरोपित तरीकों को दिखाना चाहता था।

यीशु के पिछले दृष्टान्त में, उन्होंने कहा कि यदि वे वास्तव में परमेश्वर का सम्मान करना चाहते हैं तो उन्हें एक दावत में अपने मेहमानों में गरीब और लंगड़े और अंधों को बुलाएं। धार्मिक अगुवे जिन्हें परमेश्वर के प्रेम और अनुग्रह को दर्शन था, वे अपने घरों के दरवाज़ों को उन लोगों के लिए खोलना था जो पाप के कारण गिरे हुए संसार से पीड़ित थे। यह एक बहुत ही सुन्दर विचार था, और इसकी पवित्रता उस भोज को और चमकदार रूप से स्पष्ट कर दिया था। यह इतना स्पष्ट था, कि कमरे में असुविधा होने लगी।

सोचिये यह अगुवे कितने परेशान और क्रोधित हुए होंगे। किसी ने भी इस तरह से उनको चुनौती देने के लिए हिम्मत नहीं की होगी! यीशु कौन होता है उनके सम्मानित मेज़बान का सामना करने वाला? यह गरीबों के विषय में बात करने का वक़्त नहीं था! क्या इस यीशु के पास कोई शिष्टाचार नहीं थे?

फिर उसके साथ भोजन कर रहे लोगों में से एक ने यह सुनकर यीशु से कहा,“हर वह व्यक्ति धन्य है, जो परमेश्वर के राज्य में भोजन करता है!”

यीशु इस तरह से छोड़ने वाला नहीं था। उसने एक दूसर दृष्टांत से उत्तर दिया। इस बार उसने एक बड़े भोज के विषय में बताया। यह उस भोज के सामान था जो यहूदी समझते थे कि परमेश्वर जिसे अंतिम दिन के लिए तैयार कर रहा है। बिलकुल, यह फरीसी सोचते थे कि वे परमेश्वर के सम्मानित मेहमान बनके वहाँ वे जाएंगे। सोचिये उन्हें कितना झटका लगा होगा जब इस दृष्टान्त का खुलासा हुआ होगा:

“'एक व्यक्ति किसी बड़े भोज की तैयारी कर रहा था, उसने बहुत से लोगों को न्योता दिया। फिर दावत के समय जिन्हें न्योता दिया गया था, दास को भेजकर यह कहलवाया,‘आओ क्योंकि अब भोजन तैयार है।'"

अब कुछ एहसास करने कि आवश्यकता है। यह एक साधारण रात्रिभोज नहीं था। यह एक महान भोज था। मेज़बान ने अपने मेहमानो को कई हफ़्तों पहले बुलाया था। उसके परिवार ने बहुत खर्च करके, मेहमानों के लिए बहुत सी दूसरी चीज़ों का बलिदान करके उन पर आशीषें न्योछावर करीं। इसे एक महान दिन बना के लिए उन्होंने अपने समय और ताकत को लगाया। भोज के दिन निकट आने तक, घर में बहुत खाने पीने कि सामग्री आती रही। हर कोई उस क्षेत्र में बात करता था। व्यंजनों को तैयार करने के लिए बहुत लोगों कि मदद से सारा काम हुआ। वो सब व्यंजन तैयार होते रहे जो वह व्यक्ति अपने बड़े भोज के दिन दोस्तों के सामने परोसना चाहता था। सारी तैयारियां हो चुकी थीं। उन्होंने कुपियों में तेल डाल कर तैयार रखा हुआ था। पूरे घर में कितना उत्साह बढ़ता ही जा रहा था!

जब बड़े भोज का दिन आया, स्वंय ने अपने नौकरों को भेज कि वे मेहमानों को बुलाएं क्यूंकि समय आ पहुंचा था। लेकिन जब नौकर मेहमानों को बुलाने के लिए गए, कुछ अद्भुद होने लगा। यीशु ने कहा:

"'……वे सभी एक जैसे आनाकानी करने लगे। पहले ने उससे कहा, ‘मैंने एक खेत मोल लिया है, मुझे जाकर उसे देखना है, कृपया मुझे क्षमा करें।’फिर दूसरे ने कहा, ‘मैंने पाँच जोड़ी बैल मोल लिये हैं, मैं तो बस उन्हें परखने जा ही रहा हूँ, कृपया मुझे क्षमा करें।’  एक और भी बोला, ‘मैंने पत्नी ब्याही है, इस कारण मैं नहीं आ सकता।’"

अस्वीकृति स्वंय को भोज करने से नहीं रोकने वाली थी, और उसके नौकर यह बात जानते थे! जो नये मेहमान होंगे वे वो होंगे जो पिसे हुए और टूटे हुए होंगे। ये वो लोग हैं जिन्हें कोई अपने शानदार भोज में नहीं बुलाना चाहेगा। कल्पना कीजिये कि कैसे अंधे और लेंगे उस शानदार भोज में लाये गए होंगे। उन्होंने कैसे मेज़बान के तोहफों को लेकर ख़ुशी मनाएगी होगी! उस भोजन का स्वाद उन भूखे लोगों को कितना बढ़िया लगा होगा!

जिन मेहमानों को पहले बुलाया गया था उन्होंने ने क्या किया? जब उन्हें पता चला कि किस तरह के लोग भोज में बुलाये गए तो क्या वे हसे? क्या उन्होंने उपहास किया क्यूंकि मेज़बान ने गरीबों के साथ भोज को बाटा? क्या वे एक दुसरे घरों में जा कर उन मेहमानों के बारे में हसी मज़ाक करने लगे जो चिथड़ों में आये थे? उन्होंने ने जो कुछ किया हो, लेकिन उनके बुरे विचारों का उस स्वामी पर कोई असर नही होने वाला था:

"'……फिर स्वामी ने सेवक से कहा, ‘सड़कों पर और खेतों की मेढ़ों तक जाओ और वहाँ से लोगों को आग्रह करके यहाँ बुला लाओ ताकि मेरा घर भर जाये। और मैं तुमसे कहता हूँ जो पहले बुलाये गये थे उनमें से एक भी मेरे भोज को न चखें!’”    --लूका १४:१६-३४

अब सब यात्री और सड़क से लोगों को अंदर आने का आमंत्रण था। लेकिन उन दुष्ट रईसों को अंदर आना सख्त मना था। अपने गंदे मक़सद में, उन्होंने उस शानदार जश्न से अपने आप को अलग कर दिया था। उस ख़ुशी के जश्न जो जिन्होंने "हाँ" कहा था उन्हें ही वह आनंद मिल सका।

जब फरीसी यीशु को सुन रहे थे, उन्होंने उसकी बात को पकड़ लिया। तीन साल से, इस्राएल के धार्मिक अगुवों को यीशु कि ओर से निमंत्रण दिया गया था, और ना केवल उन्होंने अस्वीकार किया, उन्होंने उस पर आरोप भी लगाये! उन्होंने सेनाएं बना कर यीशु से पीठ मोड़ ली। फिर वे लोगों को यह कह कर कि जो व्यक्ति ऐसे अद्भुद चमत्कार करता है और ऐसी अचरच करने वाली सच्चाई को बताता है, वह शैतान कि शक्ति में होकर कार्य करता है! वे उस कहानी में रईस व्यक्ति के समान थे, और यीशु के जीवन के दौरान, वे वो सब कुछ कर रहे थे जिससे कि उसे शर्मिंदा होना पड़े। लेकिन सच्चाई में, यह उनके स्वयं के अनंतकाल कि लज्जा के लिए था। यीशु कितने सब्र से इन लोगो को समझा रहा था कि वे कितनी आपत्तिजनक गलती कर रहे थे। वह कितनी निष्ठुरता से उनकी अंधी आँखों कि मदद कर रहा था कि वे देख सकें! लेकिन उन्होंने नहीं देखा, और ना ही देखेंगे, और वे उस भोज में शामिल नहीं हो पाएंगे।

यीशु ने उनके आराधनालय को छोड़ कर इस्राएल के सड़कों पर जाकर परमेश्वर के राज्य के विषय में प्रचार करने लगा कि वह आने वाला है। उसने गरीबों को सुसमाचार सुनाया और बंधन में जकड़े लोगों को आज़ाद किया। और अब, इस दृष्टान्त में, यीशु एक बड़ी सेवकाई कि पुष्टि कर रहा था। स्वंय के सेवक दुनिया में जाएंगे, और हर एक कौम और देश और हर एक भाषा के लोगों को आमंत्रित करेंगे। वे जो यीशु के निमंत्रण को "हाँ" कहते हैं वे अंतिम दिनों के महान भोज में शामिल होंगे!