कहानी १०८: विशाल चेतावनियां - भाग १
जिस समय से यीशु ने अपनी सेवकाई शुरू कि और कहानी में अब तक, ढाई साल से अधिक हो गए हैं। वह और उसके चेले स्वर्ग राज्य के सत्य का प्रचार और लुभावने चमत्कार और दया का दिल प्रतिपादन कृत्यों के माध्यम से सबसे उच्च परमेश्वर की शक्ति का प्रदर्शन, इस्राएल के शहरों और गांवों में जाकर किया। जब यीशु स्वर्ग के राज्य के बारे में उपदेश चारों ओर जा कर दे रहा था, तो उसको सुनने के लिए कान और देखने के लिए आँखें हों कि वास्तव में वही मसीहा है।सरे सबूत वहाँ थे। पश्चाताप करने की केवल एक ही सिद्ध उचित प्रतिक्रिया थी।
लेकिन जब हम पढ़ते हैं, हम उस शोकाकुल सच्चाई को देख सकते हैं। परमेश्वर के लोगों ने पश्चाताप नहीं किया। वहाँ यीशु के लिए समर्पित केवल थोड़े ही लोग थे, लेकिन एक तब्दील राष्ट्र और उनके सर्वशक्तिमान परमेश्वर की योजनाओं के लिए खुद को समर्पित करने के लिए उत्सुक लोगों की उज्ज्वल, प्रज्वलन आशा कहीं नहीं पाई जा रही थी। और इसलिए यीशु ने चेतावनी देनी शुरू की। चाहे वे कठोर थे, वे दया से भरी चेतावनी थी। वे उस प्रकार थीं जिस प्रकार एक पिता अपने बालक को आग या ज़हर से दूर रहने को प्रेम भरी कठोर चेतावनी दे देता है। लोगों का अहंकार उन्हें मोहित कर रहा था। उन्हें लगा कि उनके पास एक से अधिक विकल्प हैं, और उन्हें बिना किसी परिणाम के परमेश्वर कि योजनाओं को अस्वीकार कर देना चाहिए। शैतान का यह एक बहुत बड़ा झूठ था, जो उसने आदम और हव्वा से भी किया था। जिन्होंने यीशु को अस्वीकार किया था वे अपने ही मार्ग में जाना चाहते थे। वे चाहते थे कि मसीहा उनके लिए सब ठीक कर दे, और उनके ह्रदय अपनी इच्छाओं को छोड़ सब बातों के प्रति कठोर हो गया था।
जिस मार्ग को आदम और हव्वा नहीं समझ पाये और सभी पापी इंकार कर रहे हैं जो परमेश्वर उन्हें दिखा रहा है, केवल एक ही मार्ग है जिसको वे इंकार कर रहे हैं। शैतान उन्हें और विकल्प दिखा कर झूठ बोल रहा है। परमेश्वर को छोड़ और कोई रास्ता है ही नहीं। इतिहास और उद्धार कि योजनाएं उसकी केवल एक ही है। वह सब चीज़ों में है और सब कुछ उसी से चलती हैं।।
परमेश्वर को इंकार करना हवा के लिए इंकार करने के बराबर है। सोचिये यदि कोई यह निर्णय लेता है कि वह बिना सांस लिए जियेगा। ऐसा कब तक चलेगा? हवा के बिना जीवन नहीं है। ठीक उसी प्रकार, परमेश्वर के बिना कोई जीवन नहीं है, और उसकी दी हुई आशा के अलावा और कोई आशा नहीं है। अन्य सब विकल्प बिना सांस लेके के समान है। उसके सच्चे अनुग्रह के कारण से परमेश्वर सब मनुष्यों को जीवित रखता है चाहे वे पाप करते रहे और उसके पुत्र का इंकार करें। वह अपने न्याय को रोक रखता है जब तक वे अपने जीवन के अंत में ना आ जाते हैं।
अब इसके विषय में सोचिये। यदि परमेश्वर सब चीज़ों में जान डालना छोड़ देता है, तो सब कुछ थम जाएगा! ज़रा सोचिये, जब हम, जिनकी सांस परमेश्वर के हाथों में है, उसकी योजनाओं का तिरस्कार करते हैं! फिर भी यीशु स्वर्ग से अपने पिता का सन्देश लेकर आया था, और वास्तव में उसका पवित्र राष्ट्र यही कर रहा था!
यीशु ने अपने लोगों को वो महान चेतावनियां दे दी थीं। यदि राष्ट्र परमेश्वर के पीछे नहीं चलता है, तो फिर वह उन तक पहुँचेगा जो चाहते हैं। बाकि लोग जो भी करते हों, लेकिन जो थोड़े हैं, उन्हें तैयार रहना है। यीशु ने कहा:
“'कर्म करने को सदा तैयार रहो। और अपने दीपक जलाए रखो। और उन लोगों के जैसे बनो जो ब्याह के भोज से लौटकर आते अपने स्वामी की प्रतीज्ञा में रहते है ताकि, जब वह आये और द्वार खटखटाये तो वे तत्काल उसके लिए द्वार खोल सकें।'" --लूका १२:३५-३६
इस छोटी सी कहानी में, यह स्पष्ट है कि यीशु इसका स्वामी है, और उसके सेवक उसके वफादार अनुयायी हैं। लेकिन क्यों वे उसके लिए प्रतीक्षा कर रहे थे? बहुत सी बातें जो यीशु उनसे कह रहा था वे रहस्य के समान थीं, और यह उसकी बातों का एक ख़ूबसूरत हिस्सा है। उसके शब्द केवल उसी क्षण में होने वाली बातों के लिए नहीं थे। उसके शब्द भविष्य को लेकर पूर्व में गुज़री बातों कि महान भविष्यवाणियों को लेकर थे।
यीशु अपने चेलों को उस महान दिन के लिए तैयार रहने को कहता था। उन्हें इस तरह नहीं सोचना था कि यह संसार ही उनका घर है। उन्हें यीशु के दुसरे आगमन कि तैयारी में रहना था, जब वह अपने पूरे जय और सामर्थ और न्याय में एक विजयी राजा बन कर आएगा! यीशु इस कहानी में आगे होने वाली अद्भुद बातों को बताता है।
"'वे सेवक धन्य हैं जिन्हें स्वामी आकर जागते और तैयार पाएगा। मैं तुम्हें सच्चाई के साथ कहता हूँ कि वह भी उनकी सेवा के लिये कमर कस लेगा और उन्हे, खाने की चौकी पर भोजन के लिए बिठायेगा। वह आयेगा और उनहे भोजन करायेगा। वह चाहे आधी रात से पहले आए और चाहे आधी रात के बाद यदि उन्हें तैयार पाता है तो वे धन्य हैं। सो तुम भी तैयार रहो क्योंकि मनुष्य का पुत्र ऐसी घड़ी आयेगा जिसे तुम सोच भी नहीं सकते।'”
--लूका १२:३७,३८,४०
जब यीशु फिर आएगा, वह अपनेसेवकों को अनंत जीवन में लेकर आएगा। जिन्होंने यीशु को इस जीवन में स्वीकार किया था वे अनंतकाल के जीवन में प्रवेश करेंगे। वे स्वर्ग के महान भोज के आदरणीय मेहमान होंगे, और स्वयं यीशु, परमेश्वर का पुत्र, उनकी सेवा करेगा! वह उनके प्रेम और उसकी सेवा जो उन्होंने इस संसार में की, उसके लिए वह उन पर अंतिम दिन अपने प्रेम को न्योछावर करेगा!