कहानी ६९: यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले का यीशु से प्रश्न पुछा जाना
यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला क़ैद में था। आप यह देखिये कि, उसने हेरोदेस राजा से कुछ ऐसे प्रश्न पूछे जो उसे पसंद नहीं आये। हेरोदेस ने अपने ही भाई की पत्नी को लिया और उससे शादी कर ली थी। यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने ऐसे घृणित काम कि निंदा कि, और हेरोदेस को बिल्कुल यह अच्छा नहीं लगा। तो उसने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले को क़ैद में डाल दिया।
जब यूहन्ना क़ैद में बैठा हुआ था, उसके चेले यीशु कि सेवकाई का बयान देने आये जिस समय वह गलील कि यात्रा कर रहा था। देखिये, यीशु वो नहीं कर रहे थे जो यूहन्ना ने अपेक्षा कि थी।
जब यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने पुराने नियम के नबियों कि मसीह के बारे में लिखीं भविश्वानियों को पढ़ा, उसने एक को देखा जो क्रोध और न्याय करने को आता है। उसने एक सामर्थी योद्धा को देखा जो इस्राएल के देश को उनके पापों से शुद्ध करेगा और उसके दुश्मनों के ऊपर विजय दिलाएगा। परन्तु यीशु ऐसा बिलकुल नहीं कर रहे थे! वे तो बीमारों को चंगा कर रहे थे और मुर्दों को जिला रहे थे! वे प्रेम, बलिदान और प्रार्थना के विषय में प्रचार कर रहे थे ! वह यह सिखा रहे थे कि कैसे परमेश्वर के नियम का पालन करना है जैसा कि परमेश्वर ने चाहा, लेकिन वह उस देश को शुद्ध नहीं कर रहा था जिसके लोग अनाज्ञाकारी थे! न्याय और क्रोध कहाँ था?
यूहन्ना भ्रमित हो गया था और यह एक विशाल भ्रम था। यह वो था जिसको मसीह के लिए रास्ता तैयार करना था। यूहन्ना के पूरे जीवन का उद्देश्य उसके जन्म सेभी पहले निर्धारित किया गया था। वह निश्चय जानता था कि यही अभिषेक किया हुआ यीशु ही है, परन्तु यीशु कि दृष्टी उससे नहीं मिलती थी। वे प्रभु के दिन को कब देखेंगे? यीशु के पास सवाल करने के लिए भेजा; "'क्या तू वही है ‘जो आने वाला था’ या हम किसी और आने वाले की बाट जोएं?”
जिस समय जब वे उसके पास सवाल पूछने पहुँचे, वह बड़े पैमाने पर चंगाई कि सेवकाई से घिरा हुआ था, नेत्रहीन अपनी दृष्टी पा रहे थे, लोगों को उनके रोगों से चंगाई मिल रही थी और दुष्ट आत्माएं राक्षसी ताक़तों से मुक्त हो रहे थे। यह परमेश्वर की आत्मा का उंडेलना था और यह बहुत शक्तिशाली सबूत था कि सर्व शांतिमान परमेश्वर उसके साथ था।
यीशु यूहन्ना कि उलझन को समझ गए थे। वह सब पुराने नियम कि आयतों को जानता था जो परमेश्वर के दिन में मसीह के आने का वर्णन करती हैं। वो एक विजयी राजा होकर आएगा। परन्तु वो यह भी जानता था कि विजय होने का समय नहीं आया है। पुराने नियम कि वे दूसरी आयतें थीं जो मसीह के उस सेवकाई का वर्णन करती हैं जिस समय यीशु इस पृथ्वी पर मनुष्य रूप में आया था। ये वो आयतें थी जिससे यूहन्ना को यह बताती कि यीशु उस समय गलील में क्या कर रहे थे। सो यीशु ने उनमें से कुछ को यूहन्ना के चेलों को बतायीं। उसने कहा:
“जो कुछ तुम सुन रहे हो, और देख रहे हो, जाकर यूहन्ना को बताओ कि,अंधों को आँखें मिल रही हैं, लूले-लंगड़े चल पा रहे हैं, कोढ़ी चंगे हो रहे हैं, बहरे सुन रहे हैं और मरे हुए जिलाये जा रहे हैं। और दीन दुःखियों में सुसमाचार का प्रचार किया जा रहा है।"
भावना के एक शक्तिशाली दिल से बोझ उठाना था, और यह सबसे उच्च भगवान उसके साथ था कि शक्तिशाली सबूत था।
यीशु वचनों में यशायाह का उदहारण दे रहे थे। ये आयतें परमेश्वर पिता के कार्यों को जो उसके बेटे यीशु के लिए उस समय के लिए बनायीं गयीं हैं। यशायाह में दूसरी आयतें हैं जो यह बताती हैं कि मसीहा क्या करेगा, लेकिन वो सब बातें आने को हैं। यीशु ने उन आयतों को एक मक़सद से छोड़ दी हैं। एक वह परमेश्वर के प्रतिशोध को उस परमेश्वर के दिन में लेके आएगा और तब वह दुनिया को बदल डालेगा। यशायाह 61 कि एक और आयत है जो यीशु ने छोड़ दी। वह क़ैदियों को उसके क़ैद से मुक्त करने के विषय में बताती है। यूहन्ना क़ैद में था, लेकिन यह यीशु का काम था कि उसे इस पृथ्वी के जीवन में मुक्त करे। यूहन्ना इस पृथ्वी पर के जीवन को स्वतंत्र होते नहीं देखेगा जब तक उसका जीवन खत्म नहीं हो जाता और वह सदा के आनंद और स्वतंत्रता में चला गया।
यीशु के यूहन्ना को उसके आखरी शब्द थे, "वह व्यक्ति धन्य है जिसे मुझे स्वीकार करने में कोई समस्या नहीं।” यीशु नहीं चाहते थे कि यूहन्ना निराश हो क्यूंकि उसकी सेवकाई उसके सोच के अनुसार नहीं थी। वो उसे अशिक्षित करना चाहता था और चाहता था कि यूहन्ना उस पर निर्भर करे जैसा कि उसने योजना बनाई!
पृथ्वी पर किसी ने भी परमेश्वर के समय को नहीं समझा। वे नहीं जानते थे कि मसीह सबसे पहले बंधी को छुड़ाने आया है और फिर स्वयं दुःख उठाने और मरने के लिए आया। परमेश्वर ने इसे गुप्त रखा था!उसने इस बात को कि प्रभु का दिन हज़ारों साल के बाद आएगा इसे घोषित नहीं किया। हम अभी भी यीशु का इंतज़ार कर रहे हैं कि वो उस दिन को लाने के लिए फिर से आएगा। और वह होगा! हम बेसब्री से बड़ी उम्मीद के साथ उसकी बात जोते हैं। यीशु पहली बार मृत्यु पर जय पाने के लिए आया था, और हम जो उसके मृत्यु और जी उठने पर विश्वास करते हैं उसके आने को लेकर भयभीत नहीं होते। हम उसी के हैं, और हम स्वर्ग में अनन्त जीवन के लिए एक दिन उसमें शामिल हो जाएंगे।
यूहन्ना के चेले जब उसके सन्देश को लेकर गए, यीशु ने उस भीड़ कि तरफ मुड़ कर देखा जो उन दिनों में हमेश उसके साथ रहती थी। उसने उनसे यूहन्ना कि शानदार सेवकाई के विषय में बताया।
"'तुम बियाबान जंगल में क्या देखने गये थे? क्या हवा में झूलता कोई सरकंडा? नहीं? फिर तुम क्या देखने गये थे? क्या कोई पुरुष जिसने बहुत उत्तम वस्त्र पहने हों? नहीं, वे लोग जो उत्तम वस्त्र पहनते हैं और जो विलास का जीवन जीते हैं, वे तो राज-भवनों में ही पाये जाते हैं। किन्तु बताओ तुम क्या देखने गये थे? क्या कोई नबी? हाँ, मैं तुम्हें बताता हूँ कि तुमने जिसे देखा है, वह किसी नबी से कहीं अधिक है। यह वही है जिसके विषय में लिखा गया है:
‘देख मैं तुझसे पहले ही अपना दूत भेज रहा हूँ, वह तुझसे पहले ही राह तैयार करेगा।’
मैं तुम्हें बताता हूँ कि किसी स्त्री से पैदा हुओं में यूहन्ना से महान् कोई नहीं है। किन्तु फिर भी परमेश्वर के राज्य का छोटे से छोटा व्यक्ति भी उससे बड़ा है।'"
भीड़ जब यीशु को सुन रही थी तो वे पूरे ह्रदय से सहमत थे। यहाँ तक कि चुंगी लेने वाले भी यूहन्ना के पास बपतिस्मा लेने के लिए गए थे, और उन्होंने उसके प्रचार को सुना। उन्होंने पश्चाताप किया और परमेश्वर के कार्य को अपने जीवन में बहने दिया! वे यह मानते थे कि यूहन्ना कोई पुराने नबियों के समान है! वे जानते थे कि उसकी सेवकाई परमेश्वर कि ओर से है।
लेकिन फरीसियों और कानून के शिक्षकों ने यूहन्ना कि सेवकाई को अपने दिलों को छूने की अनुमति नहीं दी। यूहन्ना जब परमेश्वर के वचन को बाँट रहा था, उन्होंने सुनने से इंकार कर दिया और अपने ह्रदय कठोर कर लिए। उन्होंने पश्चाताप करने का और परमेश्वर कि सामर्थ से बदलने का अवसर खो दिया था और बपतिस्मा लेने से भी इंकार कर दिया। परमेश्वर अपनी सामर्थ के द्वारा इस संसार को नए सिरे से तोड़ने जा रहा था, और ये मुर्ख लोग अपने धार्मिक गर्व के कारण, परमेश्वर कि उनके जीवन के लिए योजना को ठुकरा दिया! सब कुछ जो सही है उसका कितना भयंकर उल्लंघन! सब बातों में अपने सृष्टिकर्ता को ठुकरा देना! और कितनी भयंकर शोकपूर्ण घटना! यह मनुष्य जिस मक़सद के लिए बनाय गए थे उसके कारण से चूक गए!