कहानी ३१: गलील में मसीह की सेवकाई
प्रभु काना के शहर उत्तरी सामरिया से होते हुए गया। यह वही जगह थी जहान यीशु ने एक विवाह में पानी से दाखरस बनाया था। यह उसका पहला चमत्कार था, और इस्राएल की दुल्हन के आगमन का प्रचार कर रहा था।
मसीह के विषय में सभी क्षेत्र के चारों ओर फैल गया था। सब जानते थे कि वह उत्तर की और यहूदिया से आ रहा था, और वह किसी भी दिन गलील से आ पहुंचेगा। सबने उसका स्वागत किया। वे येरुसालेम में फसह के पर्व के लिए आये थे। उन्होंने उसका प्रचार सुना हुआ था और उसके चमत्कारों को देखा भी था। उनमें से कई वहाँ थे जिस समय यीशु ने मंदिर में मुद्रा बदलने वालों कि मेज़ पलट दी थी। यह यीशु जो भी था, वह बहुत शक्तिशाली और गतिशील था। वह अब आज्ञ क्या करने वाला था?
गलील के लोग यीशु नाम के इस व्यक्ति से बहुत प्रभावित थे लेकिन यह उसके सत्य के वचनों के लिए नहीं था। उनके ह्र्दय परमेश्वर या उसकी योजनाओं के लिए भूखे नहीं थे। वे चमत्कार देखना चाहते थे। वे एक जिन्न को चाहते थे जो उनकी सब इच्छाओं को पूरा कर देता।वे एक विजयी योद्धा को चाहते इस्राएल के सैकड़ों सालों के राष्ट्रीय घमंड को चंगा कर देता। उन्होंने सामरियों की तरह उसका स्वागत नहीं किया। गलील के लोग एक सच्चे नबी को नहीं चाहते थे। वे तो केवल एक चमत्कार करने वाले कि खोज में थे। वे ऐसे को चाहते तो उनको अचंभित करे और उनका मनोरंजन करे। गलील, में कुछ ऐसे थे जिनके ह्र्दय तैयार थे। क्या बाकि भी उस उद्धारकर्ता को मान लेते?
काना में जब यीशु पहुंचा, एक व्यक्ती उसके पास अपने जीवन के सबसे बड़ी ज़रुरत को लेकर आया। वह गलील में रहने वाला एक शाही रोमियो सरदार था और उसका बेटा बेहद बिमार था। उसका घर कफरनहूम के गाओं में था। उसके बेटा मौत के करीब था। वह कितना उतावला हो रहा होगा! कितना बेबस! परन्तु उसने इस यीशु के विषय में सुना था जिसके पास चंगा करने की सामर्थ थी, और वह उसने ढुंढने के लिए निकल पड़ा। जब उसे यीशु मिल गाय वह उससे मिन्नत करने लगा।
यीशु जानता था की गलील के लोग बिना चमत्कार देखे उस पर विश्वास नहीं करेंगे।
उस शाही अधिकारी ने मिन्नत करते हुए कहा, "स्वामी , इसके पहले की मेरा बेटा मर जाये, आप आ जाइये।'"
यीशु ने उसकी और देखा और कहा, "जा, तेरा बेटा जीएगा।'"
वह व्यक्ती को यीशु की बातों पर यकीन था और वह अपने घर को चला गया। कफ़रनूम को वह लम्बा रास्ता था। क्या आप कल्पना कर सकते हैं की वह रास्ते भर क्या सोचता हुआ जा रहा होगा? वह अभी दुसरे दिन रास्ते में ही था जब उसके सेवक लोग उसे मिले। वे अच्छी खबर लेकर आ रहे थे। बालक जीवित था!
उस व्यक्ति ने उनसे पुछा की बालक किस समय ठीक हुआ था। उन्होंने कहा, "कल लगभग दिन के सांतवे पहर।'" यह दोपहर के एक बजे का समय था। उस व्यक्ती को याद आया कि उसी समय यीशु ने उसे कहा था की 'जा, तेरा बेटा जीएगा ' परमेश्वर ने उस चंगाई की घडी का उपयोग किया ताकि यह प्रमाणित हो सके की यह वास्तव में यीशु का चमत्कार है।
आप कल्पना कर सकते हैं की वह अधिकारी घर जाने के लिए कितना उत्साहित होगा! उसके पूरे परिवार में वह बड़ी ख़ुशी और अपने बेटे को गले से लगाना! उस राह चलते प्रचारक के विषय में वे सब कितनी बातें करते होंगे जो मीलों दूर चल कर चंगाई को घोषित कर देता है। उस अधिकारी के सब घर के लोगों ने वह अद्बुध कहानी को सुना की क्या हुआ था और यीशु पर विश्वास करा।
यीशु इसके बाद उस क्षेत्र में कुछ और समय रुका। जब वह प्रचार करने लगा, वह यहूदी मंदिरों में गया और लोगों को सुसमाचार सुनाने लगा। यह वो मंदिर थे जहां यहूदी लोग सबत के दिन आराधना करने के लिए जाते थे। ये गिरजाघर की तरह ही होते थे। ये उपासनगर फरीसियों ने बनवाये थे ताकी वे यहूदी लोगों को परमेश्वर के वचन से सुना सकें। आदरणीय यहूदी पुरुष उस पुराने नियम के पवित्र पुस्तक से पर्हते थे, और वफादार यहूदी लोग बैठ कर के परमेश्वर के वचन को सुनते थे।
अब प्रभु आ गये थे, और उनका पहला काम था की परमेश्वर के बच्चों को इतिहास के उस बड़े काम के विषय में बताये। नया समय आ गया था, और उनके ह्रदयों को तैयार रहना ज़रूरी था। उद्धार का दिन आ गया था! पुराने नियम की भविष्वाणियां उनके आँखों के सामने पूरी होने लगी थीं। क्या वे विश्वास करेंगे?
उसके जीवन के विषय में जब हम पढ़ेंगे, उसके गौरवशाली चमत्कार की कहानियां सुनेंगे। वे यीशु के अधिकार के विषय में बताएंगे जो उसने शैतान की तावतों पर किया जिन्होंने उसके समय में लोगों को सताया था। और उसके सृष्टी के ऊपर वह महान शक्ति के बारे में अद्भुद और सच्ची कहानियां होंगी। यह सब बातें बताती हैं की यीशु ही वो है जिसका उनको इंतज़ार था! वह जीवित परमेश्वर के सामर्थ में होकर आया था! हम भी उसके प्रचार किये हुए वचनों को सुनेंगे। भिन्न भिन्न लोग इस कहानी में भिन्न भिन्न तरीके से यीशु की ओर प्रतिक्रिया दिखाएंगे। पहले तो, गलीली याशु से प्रसन्न रहते थे। वे चिन्ह और चमत्कार देखना चाहते थे और उसकी समर्थ को देखकर बहुत आन्नदित होते थे। परन्तु क्या वे उसपर विश्वास करेंगे? हमें भी एक अवसर मिला है कि हम अपने विश्वास को उस पर डालें। आप इस दुनिया के उद्धारकर्ता पर कैसे प्रतिक्रिया दिखाएंगे ?