पाठ 26 : जिब्राएल दूत का दानिय्येल के पास आना
दानिय्येल परमेश्वर के आगे रोया और बहुत दिनों तक परमेश्वर से बड़े जुनून के साथ प्रार्थना करता रहा I दानिय्येल के साथ जो आगे होता है वह बहुत दिलचस्प है I वह सिखाता है कि किस प्रकार मनुष्य की दुनिया और परमेश्वर के स्वर्गदूतों का आत्मिक संसार जुड़ा हुआ है I
जिब्राएल दूत दोबारा दानिय्येल के पास सन्देश देने के लिए आता है I इस बार, किसी स्वप्न का अनुवाद करने के लिए नहीं, परन्तु दानिय्येल को उसकी प्रार्थना का उत्तर देने के लिए I सोचिये यह कितना अद्भुत है ! वही दूत जो मरियम के पास पांच सौ साल के बाद परमेश्वर के अपने पुत्र के आने की घोषणा करेगा, दानिय्येल के पास परमेश्वर के सन्देश को लेकर आया है ! हमारी प्रार्थना परमेश्वर के लिए एक सच्चे परमेश्वर के साथ वास्तविक चर्चा है, और सच्चे उत्तर मिलते हैं !
दानिय्येल समझाता है की उस अविश्वसनीय दिन क्या होता है,
“’मैं परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए ये बातें कर रहा था। मैं इस्राएल के लोगों के और अपने पापों के बारे में बता रहा था। मैं परमेश्वर के पवित्र पर्वत पर प्रार्थना कर रहा था। 21 मैं अभी प्रार्थना कर ही हा था कि जिब्राएल मेरे पास आया। जिब्राएल वही स्वर्गदूत था जिसे मैंने दर्शन में देखा था। जिब्राएल शीघ्रता से मेरे पास आया। वह सांझ की बलि के समय आया था। 22 मैं जिन बातों को समझना चाहता था, उन बातों को समझने में जिब्राएल ने मेरी सहायता की। जिब्राएल ने कहा, “हे दानिय्येल, मैं तुझे बुद्धि प्रदान करने और समझने में तेरी सहायता को आया हूँ। 23 जब तूने पहले प्रार्थना आरम्भ की थी, मुझे तभी आदेश दे दिया गया था और देख मैं तुझे बताने आ गया हूँ। परमेश्वर तुझे बहुत प्रेम करता है! यह आदेश तेरी समझ में आ जायेगा और तू उस दर्शन का अर्थ जान लेगा।“’”
वाह! क्या अपने यह सुना ? जिस समय दानिय्येल प्रार्थना करने लगा, परमेश्वर सुन रहा था I वास्तव में, उसके पास दानिय्येल के लिए उत्तर तैयार था I वह ऐसा परमेश्वर जो सब जानता है, और दानिय्येल की प्रार्थनाएं उसके अच्छे और सिद्ध योजना का एक भाग था ! उसने अपने तत्पर, पराक्रमी दूत जिब्राएल को उसके उत्तर को देने के लिए भेजा I
कभी कभी हम मनुष्यों के लिए यह मानना आसान होता है की पूरे विश्व में केवल हम हैं जो बोल सकते हैं और सोच सकते हैं I यद्यपि हम परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, यह कल्पना करना कठिन है की वह वास्तव में उपस्थित है I परन्तु वह है I एक पवित्र परमेश्वर स्वर्ग में है जो सुनता है और दूतों का दल जो उसकी इच्छा पूरी करने के लिए रुके रहते हैं I वाह! यह लुभावनी है और कल्पना करना कठिन है, परन्तु यह पूरी तौर से सच है I यह अनंत काल के लिए सबसे बेहतरीन, और सबसे महान सत्य है !
जिब्राएल दूत ने जो अगली बात कही वह थी कि दानिय्येल परमेश्वर के द्वारा अत्यधिक सम्मानित किया गया था I वाह I कल्पना कीजिये I परमेश्वर के महान दूतों में से एक, जिसे वह उसके एकलौते पुत्र के जन्म की घोषणा करेगा, जानता था कि दानिय्येल परमेश्वर की नज़रों में अलग किया गया था I वह बहुत ही एक महान और बहुमूल्य खजाना था I सारे इस्राएल में और संसार में, अधिकतर लोग गिर गए और परमेश्वर के भेंट को गंवा दिया I परन्तु दानिय्येल एक शापित दुनिया के परीक्षणों और कष्टों में दानिय्येल स्थिर रहा I वह एक साधारण व्यक्ति था जो विश्वास के द्वारा असाधारण बना, और इसके द्वारा उसे परमेश्वर के महान दूतों का निष्ठा और सम्मान मिला I जब हम इस कहानी को पढ़ते हैं, हम दो लोगों के बीच के वार्तालाप को पढ़ रहे हैं जिनके पास परमेश्वर पर भरोसा रखने का अकथ्य गरिमा और सम्मान था I जिब्राएल जानता था कि जब वह दानिय्येल से बात कर रहा था, वह उस व्यक्ति से बात कर रहा था जो उस महान युद्ध में उसके प्रभु के साथ संलग्न था, और उनके बीच की बातचीत दो महान योद्धाओं के समान थी I
जिब्राएल दानिय्येल को बताता है कि किस प्रकार परमेश्वर उसकी प्रार्थनाओं का उत्तर देने जा रहा था I परमेश्वर ने दानिय्येल को यिर्मयाह की भविष्यवाणी के द्वारा दिखाया था कि इस्राएल के लोग बाबेल में सत्तर वर्ष के लिए बंधूआई में होंगे I वह समय लगभग समाप्त हो चुका था I जल्द वे वापस वादे के देश में जा सकेंगे I वे दोबारा मंदिर का निर्माण करेंगे और परमेश्वर की वहाँ उपासना करेंगे I न्याय का समय अंत जाएगा I
जिब्राएल समझाता है कि यरूशलेम के दोबारा निर्माण के लिए यहूदियों के इस्राएल में लौटने के पश्चात्, एक सत्तर बार ‘सात’ का समय आएगा जो परमेश्वर अपने लोगों के लिए ठहराएगा I इसका मतलब सत्तर बार सात वर्ष, या 490 वर्ष I जिब्राएल ने इन सत्तर सात को तीन भागों में तोड़ दिया था I सत्तर सात का एक समय था, बासठ सातों को दूसरे समय में, और अंतिम बार केवल एक ही सात को I यदि आप इन तीन भागों को जोडें, तो सत्तर बार सात होते हैं I क्या आप इससे परेशान हुए ? यद्यपि, शायद सबसे महत्वपूर्ण बात जिसे समझना होगा वह है कि इन तीनों प्रत्येक भाग में इसिहस के वास्तविक भाग हैं I दो भाग हो चुके हैं, और हम परमेश्वर के लिए रुके हैं कि वह तीसरे भाग को भी लाये I
जिब्राएल ने कहा कि उस समय में पहली बार, सत्तर बार सात, (या सत्तर बार सात, जो 49 वर्ष होते हैं), इस्राएल के लोग यरूशलेम के शहर को बनायेंगे I फिर बासठ बार सात का समय आएगा, या 434 वर्ष I उस समय के अंत में, जिब्राएल ने समझाया कि एक चौंकाने वाली घटना होगी I पाप का अंत होगा, दुष्टता का प्रायश्चित (या चुकाया गया) किया जाएगा, और परमेश्वर अनंतकाल के लिए धार्मिकता को लाएगा I यह वह समय भी था जब परमेश्वर का अति पवित्र जन जो अभिषेक किया जाएगा, परन्तु उसे काट दिया जाएगा I और यरूशलेम का शहर और मंदिर फिर से नष्ट किया जाएगा I
क्या आप जानते हैं कि दानिय्येल के इस भविष्यवाणी को सुनने के पांच वर्ष के बाद क्या हुआ था ? यीशु जन्मा ! परमेश्वर का पुत्र संसार में आया, एक धार्मिक जीवन जीया, और फिर कष्ट सहा और क्रूस पर मारा गया I वह काटा गया I परन्तु वह फिर से जी उठा ! उसने पाप के ऊपर जीत हासिल की और उन सबके लिए अनंतकाल की धार्मिकता को लाया जिन्होंने उस पर विश्वास किया ! यीशु के मरने के चालीस वर्षों के बाद, यरूशलेम का शहर और मंदिर रोमी राज्य द्वारा पूरी तौर से नाश किया गया I संसार में मुक्ति लाने के लिए प्रभु परमेश्वर पूरी तरह से नियंत्रण में था I इतिहास में जो कुछ हुआ वह सब वैसा ही हुआ जैसा परमेश्वर ने कहा था की होगा I
(अंतिम दो अनुच्छेद को दोबारा पढ़िए, और फिर दानिय्येल 9:25-27 पढ़िए यदि आप अपना दिमाग लगाना चाहते हैं ! यह यीशु के आने के 500 वर्ष पहले लिखा गया था I वाह I)