पाठ 24 : दानिय्येल का परमेश्वर के न्याय के विषय में दी गयी भविष्यवाणी को स्मरण करना
दानिय्येल परमेश्वर से प्रार्थना करने में तत्पर रहा। वह परमेश्वर की स्तुति करने लगा और उसके भयावह समर्थ और वादा किये गए प्रेम के विषय में बताने लगा। अपने हृदय को जांचिए जिस समय आप उन शब्दों को सुनते हैं। क्या आपका हृदय भी दानिय्येल के समान परमेश्वर की प्रशंसा करने के लिए आराधना और उपासना करना चाहता है ? क्या आपका हृदय सुन और कठोर है ? क्या वह कुपित, ऊबा हुआ या बलवई है ? क्या वह हार्दिक और नम्रता से भरा होता है जिस समय आपको परमेश्वर का अद्भुत प्रेम स्मरण आता है जो वह आपसे करता है ? परमेश्वर हमारे ह्रदय की हालत को समझने में मदद कर सकता है कि किस प्रकार हम आराधना और स्तुति करते हैं। अच्छी बात यह है कि परमेश्वर प्रेमी और दयालु है। वह चाहता है कि हमारा ह्रदय भी उसके प्रति कोमल और उस पर निर्भय करने वाला हो जाये जिस प्रकार दानिय्येल अपने प्रभु के साथ करता था ! हमें केवल उसके पास उसी तत्पर प्रार्थनाओं के साथ आना जैसी दानिय्येल परमेश्वर को करता था !
अब दानिय्येल परमेश्वर के सामने जाएगा और याद करेगा की किस प्रकार इस्राएल के लोगों ने अपने परमेश्वर के प्रति उसकी आज्ञाओं को तोड़ा था। उस व्यक्ति की कल्पना कीजिये जो अति दुःखी होकर प्रार्थना कर रहा है। दानिय्येल जानता था कि उसके लोगों ने परमेश्वर के प्रति विश्वासघात किया है। परमेश्वर ने चुना था और उन्हें अत्यधिक प्रिय बनाया था, परंतु उन्होंने उस सोच से भी बढ़ कर बहुमूल्य उपहार को कुचल दिया था। परमेश्वर का उन पर उनके घृणित विद्रोह का न्याय वास्तव में एक अति करुणा और प्रेम था। सभी लोगों के हृदय कठोर होते जा रहे थे। उनका निर्वासन उनके घमंड और विद्रोह को तोड़ेगा और विनम्रता से उनके हृदय कोमल किया जाएंगे। उनके पापों के कारण, परमेश्वर की ताड़ना के द्वारा वे उस खतरनाक चढ़ाई से बचाये जाएंगे जिसकी ओर वे जा रहे हैं। और जब परमेश्वर की ताड़ना समाप्त होगी, वह उन्हें वादे के देश में वापस भेजेगा। वे देश को फिर से बहाल करेंगे जिनके शुद्ध किये गए हृदय उनके परमेश्वर के प्रति पूरी तौर से समर्पित थे। दानिय्येल जानता था कि समय जल्द आ रहा है, और वह जानता था कि परमेश्वर वफ़ादारी के साथ वह करेगा जो उसने वादा किया है।
इसलिए दानिय्येल परमेश्वर के आगे उसके लोगों के लिए गुहार लगाने के द्वारा उसके उद्धार की योजना में सम्मिलित हुआ। यह कितनी अद्भुत बात है कि परमेश्वर अपने वफादारों को उस काम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है जिसे वह करता है। वह उन्हें अपना सहभागी बनाता है और उन्हें इतने कठिन कार्य देता है कि वे उसे इसलिए करते हैं क्योंकि उनके हृदय शुद्ध हैं और वे परमेश्वर की ओर समर्पित हैं। वे बहुत विश्वास और वफ़ादारी के साथ चलते हैं, और संसार की बातों से भिन्न, वह सबसे शक्तिशाली राजा का भी ध्यान खींच लेता है, और परमेश्वर संसार के इतिहास को बदलने के लिए उसका उपयोग करता है ! हमने देखा है कि किस प्रकार नूह ने परमेश्वर पर विश्वास करके नाव को उस स्थान में बनाया जहां कोई समुन्दर नहीं था, अब्राहम जो जंगल में गया और वादा किये हुए पुत्र के लिए पच्चीस वर्ष प्रतीक्षा की, और मूसा जिसने फरौन का और उसके अपने लोगों के विद्रोह का सामना किया। हमने यही विश्वास यहोशू में देखते हैं जब वह वादे के देश में जाने में प्रभु के कार्य को करता है, गिदोन और दबोरा नबी जब उन्होंने देश को बचाया था, रुथ जब वह अपने देश को छोड़ अपनी सास की सेवा खेतों में काम करके दिखाती है I हन्ना परमेश्वर के कार्य में, शामुएल, उसका पहलौठा पुत्र, को देकर सम्मिलित हुई, ताकि वह परमेश्वर के मंदिर में सेवा कर सके I दाऊद वफ़ादारी से परमेश्वर के कार्य में सम्मिलित हो रहा था जब उसने शाऊल की सेवा की, जब उसने शाऊल को मारने से इंकार किया, और हब वह राजा बना I नबी परमेश्वर के कार्य में जुड़ रहे थे जब उन्होंने उसके न्याय के शब्द और इस्राएल और अन्य देशों को उसके तसल्ली का शब्द सुनाये I दानिय्येल ने परमेश्वर के कार्य को अपने पूरे जीवन के द्वारा किया जब उसने बुतपरस्त राज्यों के राजाओं की सेवा की थी I और अब वह प्रार्थना में अपने घुटनों को टेक कर परमेश्वर के अद्भुत कार्य के साथ जुड़ रहा था I जिस प्रकार सभी परमेश्वर के शक्तिशाली सेवकों के साथ सत्य है, दानिय्येल ने विश्वास और प्रार्थना का जीवन चुना, और अब दानिय्येल प्रभु के पास फिर से आता है I परमेश्वर से वह कहता है;
“’हे यहोवा, तू खरा है, और तुझमें नेकी है! जबकी आज हम लज्जित हैं। यरूशलेम और यहूदा के लोग लज्जित हैं—इस्राएल के सभी लोग लज्जित हैं। वे लोग जो निकट हैं और वे लोग जो बहुत दूर हैं। हे यहोवा! तूने उन लोगों को बहुत से देशों में फैला दिया। उन सभी देशों में बसे इस्राएल के लोगों को शर्म आनी चाहिये। हे यहोवा, उन सभी बुरी बातों के लिये, जो उन्होंने तेरे विरूद्ध की हैं, उन्हें लज्जित होना चाहिये। हे यहोवा, हम सबको लज्जित होना चाहिये। हमारे सभी राजाओं और मुखियाओं को लज्जित होना चाहिये, हमारे सभी पूर्वजों को लज्जित होना चाहिये। ऐसा क्यों ऐसा इसलिये कि हे यहोवा, हमने तेरे विरूद्ध पाप किये हैं। किन्तु हे यहोवा, तू दयालु है। लोग जो बुरे कर्म करते हैं तो तू उन्हें, क्षमा कर देता है। हमने वास्तव में तुझसे मुँह फेर लिया था। हमने अपने यहोवा परमेश्वर की आज्ञा का पालन नही किया। यहोवा ने अपने सेवकों,अपने नबियों के द्वारा हमें व्यवस्था का विधान प्रदान किया। इस्राएल का कोई भी व्यक्ति तेरी शिक्षाओं पर नहीं चला। वे सभी भटक गये थे।‘”
दानिय्येल अपने देश के पापों के पश्चाताप को लेकर प्रभु के पास आया I इस्राएल की बदनामी पहले से चली आ रही थी, और वह ठीक रीती से अपना सम्मान खो चुका था I उसके शहर बंजर हो चुके थे और यरूशलेम, उसकी राजधानी अपनी सुन्दरता और छवि के साथ एक पहाड़ पर बसा हुआ था, एक मलबे का आपदा बन गया था I परन्तु दानिय्येल ने परमेश्वर की दया और क्षमा के लिए प्रार्थना की I इस्राएल के पास वही एक आशा बची थी, परन्तु दुनिया में वही सबसे उत्तम आशा थी I इस्राएल को पहले ही इसी आशा पर भरोसा रखना चाहिए था ! चाहे वे इसके योग्य नहीं थे, इसलिए की उनका परमेश्वर कौन था, उनके पास आशा थी I दानिय्येल आगे कहता है;
इस्राएल का कोई भी व्यक्ति तेरी शिक्षाओं पर नहीं चला। वे सभी भटक गये थे। उन्होंने तेरे आदेशों का पालन नहीं किया। मूसा, (जो परमेश्वर का सेवक था) की व्यवस्था के विधान में शापों और वादों का उल्लेख हुआ है। वे शाप और वादे व्यवस्था के विधान पर नहीं चलने के दण्ड का बखान करते हैं और वे सभी बातें हमारे संग घट चुकी हैं क्योंकि हमने यहोवा के विरोध में पाप किये हैं।
“’परमेश्वर ने बताया था कि हमारे साथ और हमारे मुखियाओं के साथ वे बातें घटेंगी और उसने उन्हें घटा दिया। उसने हमारे साथ भयानक बातें घटा दीं। यरूशलेम को जितना कष्ट उठाना पड़ा, किसी दूसरे नगर ने नहीं उठाया। वे सभी भयानक बातें हमारे साथ भी घटीं। यह बातें ठीक वैसे ही घटीं, जैसे मूसा के व्यवस्था के विधान में लिखी हुई हैं। किन्तु हमने अभी भी परमेश्वर से सहारा नहीं माँगा है! हमने अभी भी पाप करना नहीं छोड़ा है। हे यहोवा, तेरे सत्य पर हम अभी भी ध्यान नहीं देते। 14 यहोवा ने वे भयानक बाते तैयार रख छोड़ी थीं और उसने हमाने साथ उन बातों को घटा दिया। हमारे परमेश्वर यहोवा ने ऐसा इसलिये किया था कि वह तो जो कुछ भी करता है, न्याय ही करता है। किन्तु हम अभी भी उसकी नहीं सुनते।‘”
एक बच्चे के रूप में, दानिय्येल इस्राएल के भयानक विद्रोह को देखता हुआ बड़ा हुआ I उस समय वह नौजवान था जब उसने परमेश्वर के उस न्याय को देखा जिसके विषय में मूसा ने चेतावनी दी थी, वह उनके महान कष्ट के समय यरूशलेम में था I उसने बाबेल में इस्राएल के ऊपर परमेश्वर के न्याय को अपने जीवन भर देखा था I उसने वह सब देखा, और वह यहाँ यह प्रार्थना कर रहा है कि परमेश्वर ने अपने लोगों पर जो न्याय चलाया वह पूरी तरह से सिद्ध था I परन्तु एक समस्या है I दानिय्येल प्रार्थना में यह मानता है कि परमेश्वर के न्याय के बावजूद, बाबेल में रह रहे यहूदियों ने अब तक पश्चाताप नहीं किया है I उनके कष्टों ने उन्हें सही रीती से नम्र होना नहीं सिखाया I वे अभी भी प्रार्थना नहीं कर रहे और परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी होकर उसके अनुग्रह को नहीं ढूंढ रहे I
परमेश्वर ने अपने प्रेम के द्वारा अपने लोगों से प्रेम किया, परन्तु वह एक बेरहम हृदय से निकली प्रार्थना से प्रसन्न नहीं है I वह उन लोगों की प्रार्थना से प्रसन्न नहीं है जो अपने पापों को लेकर बहुत जिद्दी और घमंडी हैं ! दानिय्येल इसलिए पश्चाताप और रो रहा है क्योंकि वह जानता है कि इस्राएल को एक गहरे पश्चाताप की आवश्यकता है यदि वह देश परमेश्वर की आशीषों को दोबारा प्राप्त करना चाहता है I इसलिए दानिय्येल उस स्थान में खड़ा हुआ, एक पुल के समान, परमेश्वर के सिद्ध न्याय के और लोगों के कठोर विरोध के I उसने इस्राएल की ओर से पश्चाताप किया, और उसने परमेश्वर से निवेदन किया, यह मानते हुए की वे उसके अनुग्रह के योग्य नहीं थे I