पाठ 93 : यहोवा अपने लोगों का चंडावल है
जब इस्राएली मिस्र को छोड़ने के लिए इकट्ठे हुए, तो वे एक बड़े पैमाने पर, अराजक समूह में नहीं गए। परमेश्वर ने पहले ही उन्हें संगठित कर दिया था। उसने उन्हें लड़ाई के लिए सशस्त्र और तैयार किया था। और एक सुंदर तरीके से उसने अपने लोगों का नेतृत्व किया। दिन के दौरान वह बादल का एक बड़ा स्तंभ बन कर आया। सूरज निकलने पर वे इस बादल को नहीं देख पाते, इसीलिए रात को परमेश्वर कि उपस्थिति आग के खम्भे में आई। वे दिन और रात सफ़र कर सकते थे, और उन्हें उसकी उपस्थिति का निरंतर, दृश्य आश्वासन दिया गया था। यह कितना एक दयालु और चिंता करने वाला परमेश्वर है!
लेकिन तब परमेश्वर उन्हें ऐसी राह पर ले गया जिसकी किसी को भी उम्मीद नहीं थी। वादे के देश में जाने के लिए एक आसान लगने वाला रास्ता था, जो चलकर जाने के लिए बेहतर साबित हो रहा था। लेकिन यह उनके दिलों के लिए एक बेहतर साबित नहीं होता। छोटा रास्ता उन्हें पलिश्तियों के देश से लेकर जाता। पलिश्ती इस यात्रा करते हुए देश से युद्ध करना चाहते हों। एक युद्ध हो जाता। यहोवा अपने लोगों की कमजोरी को समझ गया। वह जानता था की उनके पास पलिश्तियों से लड़ने का साहस नहीं था। बेहतर हो कि वे मिस्र में वापस ग़ुलाम बनने के लिए चले जाएं बजाय खुले युद्ध कि चुनौती लेना।
परमेश्वर को मालूम था की वह इस्त्राएलियों को मिस्र के ऊपर विजय दिला सकता है। यहोवा सर्वशक्तिमान है। लेकिन इस्राएल के लोगों को इसे मानने के लिए विश्वास नहीं था। उन्हें अभी भी विकसित होना था। तो वह उन्हें एक अलग राह पर ले गया। यह एक लंबी सड़क थी, लेकिन यह उनके दिल के लिए एक सुरक्षित सड़क थी। परमेश्वर ने लाल सागर कि ओर अपने लोगों का नेतृत्व किया। जो बिना विश्वास के इस कहानी को पढ़ेंगे उनके लिए यह निर्णय बहुत अजीब लगेगा। लाल सागर कि ओर जाने वाला रास्ता बंद था। पानी के कारण इस्त्राएलियों का रास्ता बंद था। और यह गलत दिशा में था। यह वादे के देश के विपरीत दिशा में था! लेकिन हमेशा कि तरह, परमेश्वर के पास एक शानदार योजना थी। वह जानता था कि उसके लोगों पर नज़र रखने के लिए फिरौन ने अपने आदमियों को तैनात किया था। जब उसने यह सुना की वे गलत रास्ते पर जा रहे थे और रेगिस्तान और लाल सागर के बीच बाहर डेरा लगा रहे थे, वह जान गया की वे खो गए और फंस गए हैं।परमेश्वर फिरौन के हृदय को एक आखिरी बार कठोर कर देगा। वह उन लोगों का पीछा करेगा जिन्हें परमेश्वर ने मुक्त किया था, जिससे परमेश्वर को अपनी महान और गौरवशाली शक्ति दिखाने का एक और मौका होगा।
और वास्तव में, जब फिरौन और उसके अधिकारियों को इस्राएलियों के भाग जाने की खबर मिली, तो वे बहुत परेशान हुए। अचानक, उनके परिश्रम करते ग़ुलामों का जाना एक बुरे विचार की तरह लगा। उन्होंने कहा, "'हमने इस्राएल के लोगों को क्यों जाने दिया? हमने उन्हें भागने क्यों दिया? अब हमारे दास हमारे हाथों से निकल चुके हैं।'” कितने कठोर दिल थे!
फिरौन ने तुरंत इस्राएलियों का जंगल में पीछा करने के लिए अपनी सेना को तैयार किया। वह अपने साथ रथ में छह सौ पुरुषों को ले आया।फिरौन की सेना जब परमेश्वर के लोगों के करीब आने लगी, तो इस्राएलियों ने उन्हें आते देखा। वे भय के कारण बहुत भयभीत हुए। वे घबरा कर मूसा से रो रो कर कहने लगे;
“'तुम हम लोगों को मिस्र से बाहर क्यों लाए? तुम हम लोगों को इस मरुभूमि में मरने के लिए क्यों ले आए? हम लोग शान्तिपूर्वक मिस्र में मरते, मिस्र में बहुत सी कब्रें थीं। हम लोगों ने कहा था कि ऐसा होगा। मिस्र में हम लोगों ने कहा था, ‘कृपया हम लोगों को कष्ट न दो। हम लोगों को यहीं ठहरने और मिस्रियों की सेवा करने दो।’ यहाँ आकर मरुभूमि में मरने से अच्छा यह होता कि हम लोग वहीं मिस्रियों के दास बनकर रहते।'”(निर्गमन 14: 11-12)
लोग कैसे अपने निडरता से भय में कांपने लगे। लेकिन मूसा विश्वास के गहरे सबक को सीख रहा था। यहां तक कि दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना उन पर चढ़ी आ रही थी, वह उस परमेश्वर पर विश्वास कर रहा था जिसने उसके लोगों के लिए बहुत कुछ किया था। जिस परमेश्वर कि वह सेवा कर रहा था वह उस पर वास्तव में विश्वास करने लगा। मूसा ने ज़बरदस्त गरिमा और शक्ति के साथ लोगों से कहा, "'डरो नही! भागो नहीं! रूक जाओ! ज़रा ठहरो और देखो कि आज तुम लोगों को यहोवा कैसे बचाता है। आज के बाद तुम लोग इन मिस्रियों को कभी नहीं देखोगे! तुम लोगों को शान्त रहने के अतिरिक्त और कुछ नहीं करना है। यहोवा तुम लोगों के लिए लड़ता रहेगा।'”(निर्गमन 14:13b -14)
परमेश्वर ने मूसा से कहा, "'अपने हाथ की लाठी को लाल सागर के ऊपर उठाओ और लाल सागर फट जाएगा। तब लोग सूखी भूमि से समुद्र को पार कर सकेंगे। मैंने मिस्रियों को साहसी बनाया है। इस प्रकार वे तुम्हारा पीछा करेंगे। किन्तु मैं दिखाऊँगा कि मैं फ़िरौन, उसके सभी घुड़सवारों और रथों से अधिक शक्तिशाली हूँ।'" (निर्गमन 13-17a)
परमेश्वर का दूत इस्राएल के आगे आगे उनका मार्गदर्शन कर रहा था, लेकिन अब वह पीछे से उनकी रक्षा कर रहा था। वाह। रात हुई और परमेश्वर किउपस्थिति एक बादल बनकर इस्राएलियों के लिए आग का एक स्तंभ के रूप में तब्दील हो गया। रात के अंधेरे में, वे देख सकते थे कि परमेश्वर स्वयं उनकी रोशनी था। लेकिन परमेश्वर की उपस्थिति अंधेरे को ले आई और वे कुछ नहीं देख पाये। वे अपने दुश्मनों को नहीं ढूंढ पाये, और इसलिए परमेश्वर ने उन्हें पूरी रात भर इस्राएलियों से अलग रखा।