पाठ 57 : परमेश्वर की वेदियां: याकूब की बेतेल को वापसी
इब्राहीम के बच्चों ने एक नई प्रतिष्ठा कमाई थी। इब्राहिम जो शांति चाहने वाला व्यक्ति था, केवल रक्षा और बचाव के लिए युद्ध में जाता था। उसकी सैन्य शक्ति गुलामी और घोर गरीबी से अपने पड़ोसियों से बहाल कर सकता था। वह एक भ्रष्ट दुनिया में परमेश्वर का गवाह था। याकूब के पुत्रों ने बड़े शातिर द्वेष के साथ काम किया जो उनके समय को चिन्हित करता है। शकेम में महिलाओं और बच्चों के विलाप करने कि कल्पना कीजिये जब उन्होंने अपने पतियों और बेटों को मृत पाया। उस शांति की कल्पना कीजिये जो व्यापार और अपने शहर की खेती के रूप में हुई जब सब ठप्प हो गया। शिमोन और लेवी के भयानक प्रकोप के परिणामों पर विचार करते याकूब के परिवार की कल्पना कीजिये, जो दूरी से सब देख रहे थे।
परमेश्वर एक बार फिर याकूब के पास आये। उन्होंने उससे कहा कि समय आ गया था की उसे अपने परिवार के साथ यह बेतेल की यात्रा करनी होगी। उन्होंने कहा कि वह वही है, जो इतने सालों पहले उसको प्रकट हुए थे जब वह वादे के देश से दूर, एसाव के पास से भाग रहा था। यह वही परमेश्वर था जिसने उसकी रक्षा और प्रदान करने का वादा किया था।
अब याकूब वापस एक विशाल परिवार और महान धन के साथ अपने देश में था। अब उसे पलायन करने की जरूरत नहीं थी। परमेश्वर ने अपने अनुबंध को रखा था। याकूब को बेतहाशा रूप से आशीर्वाद दिया गया था। लेकिन याकूब ने अभी तक अपने पक्ष के वादे को नहीं रखा था। उसने वादा किया था कि यदि परमेश्वर उसकी रक्षा करेंगे और प्रदान करेंगे, वह बेतेल को लौटेगा और वहाँ परमेश्वर के घर का निर्माण करेगा। अपने सारे धन का दसवां हिस्सा देने का भी वादा किया। सो परमेश्वर ने याकूब को बेतेल जाकर अपने 'परिवार को वहां बसा कर, परमेश्वर के लिए एक वेदी का निर्माण करे।
ये वेदियां बहुत महत्वपूर्ण थीं। वे परमेश्वर के प्रति वफ़ादारी का प्रतीक थे। याकूब ने जब उन्हें उस स्थान में स्थापित किया, वह यह घोषित कर रहा था किउस क्षेत्र में अन्य किसी भी देवता कि पूजा नहीं करता है। प्रत्येक वेदी झूठी मूर्तियों के विरुद्ध दावा करती थीं जिन्होंने उस क्षेत्र के लोगों को पाप और लज्जा के बंधी बनाया हुआ था। यह याकूब के विश्वास का सिर्फ एक भौतिक प्रतिनिधित्व था। यह जीवित परमेश्वर कि सामर्थ की आत्मिक घोषणा थी।
याकूब जानता थाकिउसके घर के सदस्य अभी उन मूर्तियों के आगे दंडवत करते हैं। उसके अपने हृदय के शुद्ध होने के बाद वह मूर्तियों की उपस्थिति की अनुमति नहीं दे सकता था। कुछ बदलने की आवश्यकता थी। परमेश्वर के घर को शुद्ध करने की ज़रुरत थी। सो उसने कहा, "'जो झूठे देवता तुम लोगों के पास हैं उन्हें नष्ट कर दो। अपने को पवित्र करो। साफ कपड़े पहनो। हम लोग इस जगह को छोड़ेंगे और बेतेल को जाएँगे। उस जगह में अपने परमेश्वर के लिए एक वेदी बनायेंगे। यह वही परमेश्वर है जो मेरे कष्टों के समय में मेरी सहायता की और जहाँ कहीं मैं गया वह मेरे साथ रहा।'”
क्या आप याकूब के आभार को सुन रहे हैं? क्या आप उसकी भक्ति को सुन रहे हैं? पता नहीं उसके बेटों के द्वारा किये शातिर हत्या उसके परिवार के लिए याकूब के नए विश्वास के जुनून के साथ या नहीं? याकूब के परिवर्तन होने की भूख जैसी भी थी, उसने काम किया। वह पहले वाले याकूब की तरह नहीं था। वह बहुत कुछ इब्राहीम कितरह बात करता था।
याकूब के घर के लोग वैसा ही करते थे जैसा कि वह कहता था। उन्होंने अपनी सारी मूर्तियां उसे सौंप दीं। अपनी कान की बालियां भी उसे दे दीं। ये उन देवताओं के ताबीज़ थे जिन्हें वे राक्षसी ताकतों से बचने के लिए पहना जाता था। याकूब ने शकेम में एक बलूत के पेड़ के नीचे इन सभी चीजों को दफन कर दिया था। फिर पूरे घराने को उन झूठी मूर्तियों कि उपासना करने का कारण प्रदूषित होने से अपने आप को शुद्धिकरण कराना था। वे परमेश्वर के बच्चे होना चाहते थे। वे शैतान और उसकी शैतानी शक्तियों की पूजा से कुल जुदाई की घोषणा कर रहे थे। वे देख चुके थे कि किस प्रकार उनके परिवार के सदस्यों के साथ हुआ जब उन्होंने शैतान के बीज की तरह काम किये। उन्होंने शकेम में उन विद्रोही प्रभावों को और शर्मनाक वस्तुओं को पीछे छोड़ा, और बेतेल को रवाना हुए।
याकूब अभी भी शायद शकेम में हुए नृशंस हत्याओं से भयभीत था जो उसके बेटों ने किये थे। फिर भी जहां जहां याकूब का वंश जाता था, उस क्षेत्र के लोगों पर परमेश्वर का भय आ जाता था। कोई भी उनका पीछा नहीं करता था और ना ही उन्हें नष्ट करने कि कोशिश करता था।
जब याकूब बेतेल में पहुंचा, उसने परमेश्वर के लिए एक वेदी बनाई। यह वही स्थान जहां उसने स्वर्गदूतों को स्वर्ग से एक सीढ़ी के ऊपर और नीचे आते देखा था। उस समय, वह हताश और डर से एसाव से भाग रहा था। परमेश्वर कि सामर्थ और कृपा के द्वारा सब कुछ बदल गया था। उसके पास पत्नियों और बच्चे थे। सबसे महत्वपूर्ण बात है, उसने अपने विश्वास को परमेश्वर पर डालना सीखा। परमेश्वर ने याकूब के दिल के अंदर जितना काम किया था उतना ही परिवर्तन उसके अपने जावक जीवन में भी बहुतायत से हुआ।
उस पवित्र स्थान पर, यहोवा एक बार फिर याकूब को दिखाई दिए। उन्होंने कहा:
"'तुम्हारा नाम याकूब है। किन्तु मैं उस नाम को बदलूँगा। अब तुम याकूब नहीं कहलाओगे। तुम्हारा नया नाम इस्राएल होगा ...मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूँ और तुमको मैं यह आशीर्वाद देता हूँ तुम्हारे बहुत बच्चे हों और तुम एक महान राष्ट्र बन जाओ। तुम ऐसा राष्ट्र बनोगे जिसका सम्मान अन्य सभी राष्ट्र करेंगे। अन्य राष्ट्र और राजा तुमसे पैदा होंगे। मैंने इब्राहीम और इसहाक को कुछ विशेष प्रदेश दिए थे। अब वह प्रदेश मैं तुमको देता हूँ।
उत्पत्ति 35: 10-12
वाह! परमेश्वर अपने राष्ट्र का निर्माण करने के लिए अकाल, युद्ध, छल, और पत्नियों कि दरिद्रता को दूर करेगा! वह अपने लोगों के पापों को भी दूर करेगा। उनकी नाकामी परमेश्वर कि योजनाओं को रोक नहीं सके, और परमेश्वर उनके विश्वास को बढ़ाने के लिए में उनकी कमजोरियों का प्रयोग करेगा।
उस अद्भुत क्षण को चिह्नित करने के लिए याकूब ने उसी समय वहां पत्थर के खम्भे की स्थापना की। उसने उस पर पीने कि चीज़ों को और तेल को उंडेला। यह याकूब के साथ बेतेल में उसकी पहली बार परमेश्वर के साथ किये वाचा को चिह्नित करने के लिए बनायीं, यह दर्शाने को कि यह वाचा पहले से और अधिक मज़बूत हो गयी है।
याकूब और उसका कबीला एप्राता को गए। भविष्य में इसे बेतलेहेम का नाम दिया जाएगा। दुनिया के इतिहास का सबसे अद्भुत क्षण यहां होने जा रहा था। यह वो स्थान होगा जहां स्वयं परमेश्वर मनुष्य रूप धारण करके इस दुनिया में जन्म लेंगे। लेकिन यह कई सैकड़ों साल दूर था।
राहेल के दूसरा बच्चा होने को था। रास्ते में जब वे रहे थे, वह अपने बच्चे को जन्म देने लगी। सब कुछ ठीक तरीके से नहीं हो रहा था। राहेल दर्द के कारण तड़प रही थी। ऐसा प्रतीक होता की शायद वह जीवित नहीं रहेगी। बच्चा आने को था, लेकिन राहेल कि ताकत लगभग चली गई थी।
राहेल कि धाय ने उसे देखा और कहा, “राहेल, डरो नहीं। तुम एक और पुत्र को जन्म दे रही हो।” पुत्र को जन्म देते समय राहेल मर गई। मरने के पहले राहेल ने बच्चे का नाम बेनोनी रखा। किन्तु याकूब ने उसका नाम बिन्यामीन रखा, जिसका अर्थ है "मेरा दाहिना हाथ।" उसको ऐसा नाम देकर, याकूब ने इस शिशु का मूल्य दिखाया। किसी के दाहिने हाथ होना महान सम्मान को दिखाता है।
याकूब कि खुशी के साथ भयानक दु: ख भी आया। याकूब ने उस पत्नी को खो दिया जिसे वह दिल से चाहता था। एप्राता को आनेवाली सड़क पर राहेल को दफनाया गया। और याकूब ने राहेल के सम्मान में उसकी कब्र पर एक विशेष चट्टान रखी।
दिलचस्प बात यह है की जब यह कहानी चार सौ से अधिक वर्षों पहले लिखी जा रही थी, तब लेखक ने एक विशेष विस्तार को जोड़ा। उसका नाम मूसा था, और हम बाद में उसके बारे में बहुत कुछ पढ़ेंगे। वह परमेश्वर का चुना हुआ दास था और वह इस्राएल देश को वादे के देश में ले जाने का नेतृत्व कर रहा था। जब उसने ऐसा किया, इस्राएलियों ने याकूब द्वारा स्थापित उस स्तंभ को देखा जो राहेल की कब्र पर लगाया था। यह याकूब के जीवन के ख़ज़ाने किगवाही को दर्शा रहा था।
याकूब ने एदेर नामक जगह पर यात्रा की। राहेल की मौत ने पूरे घराने को उलट पुलट कर के रख दिया था। पूरे घराने में वह याकूब सबसे मुख्य पत्नी थी, और सब पर अधिकार चलाने का उसे पूरा हक़ था। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी। परिवार की संस्कृति पूरी तरह से उसके व्यक्तित्व के द्वारा प्रभुत्व किया जा सकता था। याकूब के साथ उसके रिश्ते के कारण हर कोई उसके साथ के रिश्ते के अनुसार अपने स्थान को जानता था।
उन दिनों के खानाबदोश जीवन में, एक व्यक्ति का परिवार ही उसका सब कुछ था। वे और कहीं नहीं जा सकते थे! उनका प्यार या स्थिति या सम्मान उनके परिवार के द्वारा ही आ सकता था। डिग्री कमाने के लिए कोई कॉलेज या विश्वविद्यालय नहीं था। कोई ऐसा व्यवसाय नहीं था जहां जाकर काम किया जा सके। हर एक व्यक्ति अपने परिवार में उसके स्तर के अनुसार या तो ऊपर उठाया जाता था या फिर लज्जा के कारण नीचे होता था। याकूब के साथ राहेल कि मज़बूत स्थिति ने उसे जबरदस्त शक्ति दी।
यह स्पष्ट था कि अक्सर राहेल ने इस शक्ति का दुरूपयोग किया था। आपको याद है किस प्रकार लिआ ने राहेल के पति के साथ एक शाम बिताने के लिए सौदा किया था? यह भी स्पष्ट था की राहेल के बेटों को दूसरे पुत्रो से अधिक सम्मान मिला था। अब वह चली गयी थी, और उसकी जगह भरने की जरूरत थी। एक मुख्य पत्नी के रूप में कौन उन जिम्मेदारियों को लेगा? पूरे घर में किस स्त्री के पास सबसे अधिक अधिकार होगा? क्या यह लिआ, याकूब की पहली पत्नी के पास जाएगा? या फिर यह राहेल कि दासी बिल्हा के पास जाएगा?
अपनी माँ के साथ ऐसे महान अपमान को सहते देख लिआ के पुत्रों पर क्या बीती होगी। लिआ के प्रति उनकी वफ़ादारी उतनी ही उत्तम थी जितनी दीना के साथ थी। लेकिन वफ़ादारी के नाम पर जो कुछ किया जाता है वह सब महान या धर्मी नहीं होता है।
याकूब के सबसे बड़े बेटे, रूबेन, ने अभी तक वो सबक नहीं सीखा था। उसने यह ठान लिया था कि उसकी ही माँ परिवार की मुखिया पत्नी बनेगी। लेकिन परमेश्वर की ओर जाने के बजाय, उसने एक बहुत नीच हरकत की। उसने बिल्हा के साथ सम्बन्ध बनाया जो केवल एक पति और पत्नी के बीच होता है। अपने ही पिता की उपपत्नी के साथ वह सोया। उसने उसका अनादर किया और उसे याकूब की मुख्य पत्नी के रूप में पदभार होने के लिए असंभव कर दिया। ऐसा करने में, रूबेन ने अपनी माँ, लिआ के लिए मुख्य पत्नी किस्थिति सुरक्षित कर दी।
इसके पीछे कुछ और भी था। रूबेन जेठा पुत्र था, लेकिन याकूब ने राहेल के बेटों के लिए उनकी पसंद को बहुत स्पष्ट कर दिया था। उसका जेठा पुत्र यूसुफ था, और रूबेन ने एक खतरे के रूप में उसे देखा होगा। वह शायद परिवार के नेता के रूप में याकूब की भूमिका को लेने के लिए मार्ग प्रशस्त करने की कोशिश कर रहा था। प्रतिकारक रूप से वह इस जल्द से जल्द इस सम्मान को हासिल करने की कोशिश में था। धार्मिकता सही तरीके से सही समय पर और सही बात करता है। रूबेन ने गलत तरीके से गलत समय पर गलत काम किया। वह शैतान की आक्रामक और विश्वासघाती मार्ग का चयन कर रहा था। वह कान और हैम की तरह व्यवहार कर रहा था।
उस समय के समाज और पुराने नियम के लोगों के पापों के नियम हमें बहुत अजीब लगते हैं। यह याद रखना महत्वपूर्ण है की वे एक अलग ज़माने के थे। चार हज़ार साल एक कहानी के इतिहास में वापस यात्रा करने के लिए एक लंबा समय है! हम उन अभिलेख से यह जान गए हैं की उस युग के लोगों के लिए पाप और सामाजिक नियम सामान्य थे। यह पाठकों का काम है कि वे इन दबाव और नियमों को समझें जिनसे यह नियम बनाए गए हैं। वे शाप के भयानक प्रभाव से आये हैं, और वे गहराई से परमेश्वर के परिवार में भरे गए हैं।
परमेश्वर में विश्वास से भरे एक घर में, प्रत्येक व्यक्ति को उस स्थिति के साथ शांति से जीना चाहिए जो परमेश्वर ने दिया है। हर व्यक्ति को सम्मान और प्रेम दिया जाएगा क्यूंकि उपरमेश्वर ने कहा की वे उसकी छवि में बनाये गए हैं। लेकिन याकूब का घर एक गहरे विभाजन और पक्षपात की एक जगह थी। राहेल की तरह, जिन लोगों को सम्मानित किया गया था, वे वास्तव में सम्मानित किये गए थे। लिआ की तरह, जो परिवार के सदस्य लज्जित और अपमानित हुए, उनके साथ बहुत लज्जा और घृणा के साथ व्यवहार किया गया।
रूबेन परिवार का जेठा पुत्र था। उसके पिता कि विरासत में से, उसे सबसे बड़ा हिस्सा दिया गया था। इसके पहले की उसके पिता बिल्हा के साथ सोते, उसने बड़े अहंकार के साथ अपने अधिकारों का दावा करने की कोशिश की। यह एक बहुत ही शर्मनाक पाप था, और उसके पिता का अपमान हुआ।इसकी वजह से, रूबेन ने अपने जन्मसिद्ध अधिकार को खो दिया, और उसके इस शर्मनाक व्यवहार को पूरे इतिहास में दर्ज किया गया। परमेश्वर के पवित्र राष्ट्र के लिए धर्म का एक आदर्श बनने के बजाय, रूबेन विश्वासघाती पाप का एक उदाहरण था।
पहलौठा कहलाने का अविश्वसनीय विशेषाधिकार अब लेवी और साइमन को मिलना था। लेकिन उन्होंने भी बहुत पाप किये थे। शकेम के विरुद्ध किये हिंसा ने यह साबित कर इया था की वे परिवार का नेतृत्व करने के लिए अयोग्य थे। पीढ़ी में, यहूदा, लिआ का चौथा पुत्र, और यूसुफ, राहेल का सबसे बड़ा बेटा ही अगले थे। उन दिनों में, पुत्र जन्मसिद्ध अधिकार प्राप्त होना बहुत महत्व रखता था। याकूब के बारह पुत्रों में से, परमेश्वर किसे चुनेगा जो उसके पवित्र राष्ट्र का पिता बने?
याकूब और उसका कबीला अंत में मम्रे को गए, जो उसके पिता इसहाक और उसके दादा इब्राहीम का घर था। पहली बार वह अपने पिता मिलाने बारह बेटों को मिलाने लाया। लिआ ने रूबेन, शिमोन, लेवी, यहूदा, इस्साकार और जबूलून को पैदा किया था। राहेल ने उसे यूसुफ और बिन्यामीन दिया। राहेल कि दासी बिल्हा ने दान और नप्ताली को जन्म दिया। लिआ दासी जिल्पा ने गाद और आशेर को जन्मा। कल्पना कीजिये कैसे वे सभी इसहाक के पास इकट्ठे हुए होंगे।
इसहाक एक सौ अस्सी साल कि उम्र तक जीया। बाइबिल इस महान कुलपति कि मौत के बारे में यह कहती है;
"'इसहाक बहुत वर्षों तक जीवित रहा। जब वह मरा, वह बहुत बुढ़ा था। उसके पुत्र एसाव और याकूब ने उसे वहीं दफनाया जहाँ उसके पिता को दफनाया गया था।(उत्पत्ति 35:29) "
अब परमेश्वर का परिवार पूरी तरह से याकूब के नेतृत्व में किया गया था।
परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना।
जब याकूब ने अपने बेटों के महान पापों को देखा कि किस प्रकार वे करते हैं, उसने अपने घर के नेतृत्व को बड़े नाट्य रूप से बदल दिया। लेकिन उसने अपने परिवार और नौकरों को झूठी मूर्तियों की मूर्तिपूजक पूजा को करने दिया। शायद लेवी और शिमोन के भयानक रूप को देख कर उसे इस बात से मदद मिली की कैसे इब्राहिम और इसहाक के पवित्र परमेश्वर कि उपासना करने के लिए उसे अपने परिवार को सीखना है। याकूब शकेम में सब दुष्टता को पीछे छोड़ना चाहता था। क्या आप ऐसे समय से गुज़रे हैं जब अपने अपने आप को पुरानी आदतों से साफ़ किया हो?
मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।
हम किस प्रकार अपने जीवन को जीते हैं और कैसे हम सेवा करते हैं, इससे हमारे चारों ओर लोगों पर प्रभाव डलता है। जब हम उन राक्षसी ताकतों के झूठे ईश्वरों की उपासना करते हैं, तो यह उन लोगों के पास आ जाती हैं जिनसे हम प्रेम करते हैं। पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के अलावा और किसी अन्य देवता का यदि हम दावा करते हैं तो हमें उन्हें त्यागना होगा।
केवलशैतानीशक्तियांहीनहींहैंजिन्हेंहमपरमेश्वरके सामनेरखसकतेहैं।कभी-कभीहमअपनीसंपत्तियाहमारेसौंदर्य, हमारीप्रतिभायाव्यवसाय यापैसेकीपूजाकरतेहैं।कभीकभीहमज्ञानकिभी पूजाकरतेहैं! जब हमइनचीज़ोंसेअधिकलगावकरतेहैं, हमअपनेचारोंओरपर्यावरणकोभीदूषितकरदेतेहैं।इसके बजायकिहमपरमेश्वरकोपूरेदिलसेखोजें, हमदूसरोंकेलिए दबावऔरप्रतिस्पर्धापैदाकरदेतेहैं।लेकिनजब हमसबसेपहले एकही सच्चेपरमेश्वरकीउपासना करतेहैं, तब वहउनअन्यचीजोंकोलेकर उन्हेंशुद्धकरदेताहै।वेउसकीउपासनाकरनेकिवस्तुएंबनजातीहैं।परमेश्वरकेलिएआपकीभक्तिक्याकिसीअन्यचीज़के साथप्रतिस्पर्धाकरसकतीहै?
परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।
यह प्रार्थना विशेष रूप से झूठी राक्षसी देवताओं के किसी भी प्रकार की उपासना को त्यागने के लिए लिखी गयी है।चाहे आप यीशु मसीह के आलावा और किसी के आगे ना झुके हों, फिर भी यह प्रार्थना करना अच्छा रहेगा। ये शब्द एक जादू कि तरह नहीं हैं। यह केवल प्रार्थना का एक नमूना है:
"प्रिय परमेश्वर, मैं आत्मा कि परिपूर्णता और आपके वचन कि रोशनी में चलने के लिए मेरी इच्छा को व्यक्त करता हुईं। प्रिया परमेश्वर, मैं अपने अतीत और परमेश्वर के दुश्मन से पूर्ण स्वतंत्रता चाहता हूं। मैं दुष्ट कि शक्ति से मिला कोई भी नुकसान, यीशु मसीह के नाम से अपनी सुरक्षा और स्वतंत्रता, का दावा करता हूँ। मैं अपने परिवार और अपने सभी चाहने वालों के लिए सुरक्षा को पकड़ लेता हूँ। मेरी इच्छा है की मैं तेरे वचन कि सच्चाई में और तेरी आज्ञाओं के लिए आज्ञाकारिता में रहूँ। मैं इसलिए झूठी पूजा के कृत्यों में किसी भी पिछले भागीदारी का त्याग, दुष्ट शक्तियां, और अन्य किसी भी प्रकार के धर्म या विश्वास प्रणाली को त्याग देता हूँ। प्रभु यीशु, मैं अपने दिल, आत्मा, मन, और ताकत को आपकी सामर्थ के आगे रख देता हूँ। "लाने और बचत प्रभु यीशु, हो सकता है. "
(डगलस हेवर्ड द्वारा "हमारे अतीत के बंधन तोड़कर", पेज 3 और 5)