पाठ 49 : याकूब का अपने चाचा लाबान के घर पर आगमन

याकूब अपनी यात्रा पर चलते चलते उस वादे के देश से अलग निकल गया जहां उसकें परिवार ने परमेश्वर का इंतज़ार किया था। वह उसी क्षेत्र में फिर जा रहा था जिसे उसके महान और सम्मानजनक दादा ने सौ साल पहले छोड़ दिया था। 

हर सुबह, याकूब अकेले अपनी यात्रा पर चल देता था। एक दिन, जब याकूब जा रहा था, वह एक कुएँ के पास पहुंचा। वहां तीन भेड़ों का झुण्ड पानी पीने के लिए रुका हुआ था। चरवाहे जब उस बड़े पत्थर को कुएँ के मुँह से हटाएंगे तब पानी बर्तनों में भरेगा और वो भेड़ें पानी पी सकेंगी। याकूब कुछ सवाल पूछने के लिए उनके पास चला गया; 

"'याकूब ने वहाँ गड़ेंरियों से कहा, “भाईयो, आप लोग कहाँ के हैं?”

उन्होंने उत्तर दिया, “हम हारान के है।”

तब याकूब ने कहा, “क्या आप लोग नाहोर के पुत्र लाबान को जानते हैं?”

गड़ेंरियों ने जवाव दिया, “हम लोग उसे जानते हैं।”

तब याकूब ने पूछा, “वह कुशल से तो है?”

उन्होंने कहा, “वे ठीक हैं। सब कुछ बहुत अच्छा है। देखो, वह उसकी पुत्री राहेल अपनी भेड़ों के साथ आ रही है।”                                                                       उत्पत्ति 29: 4-6 

 

 

याकूब ने नज़र उठाई और देखा कि राहेल उसकी ओर चली आ रही है। उसने उठकर उस पत्थर को हटाया ताकि उसकी भेड़ें पानी पी सकें। फिर उसने उसके पास जाकर उसे गले से लगाया और चूमते हुए उसे बताया की वह रिबका का पुत्र था। फिर वह ज़ोर से रोने लगे। इतने दिन के अलगाव और जंगल में रहने के बाद अपने ही परिवार से मिलने में कितनी राहत मिली। परमेश्वर ने याकूब को बहुतायत से प्रदान किया था, फिर भी हम याकूब को प्रशंसा देते नहीं सुनते हैं। जिस उपासना को हमने देखा था जब इब्राहीम अपने भाई के घर गया था वह उपासना अब कहाँ थी? परमेश्वर की इच्छा को जानने वाली प्रार्थना कहां थी? इन मूक अनुपस्थिति से क्षितिज पर मुसीबत के संकेत दिख रहे थे। याकूब विश्वास में सक्रिय नहीं था। 

 

राहेल को जब पता चला यह उत्साही व्यक्ति उसका अपना रिश्तेदार था, वह दौड़ कर अपने पिता को बुलाने गई। लाबान अपने भतीजे को मिलने के लिए तुरंत आया। रिबका ने जब इब्राहीम के नौकर के ऊंटों को पानी दिया था तब से लेकर कितने उल्लेखनीय साल बीत गए थे। जब उसने अपनी प्रिया बहन के बेटे को देखा, उसने उसे गले लगाया और उसे चूमा और अपने घर में उसे ले आया। कई घंटों उन्होंने एक दूसरे के परिवार्पण के विषय बहुत सारी बातें कीं, और लाबान ने याकूब को अपना खून मान कर स्वीकार किया। 

 

एक महीना गुज़र गया और याकूब ने अपने चाचा के घर कड़ी मेहनत करके उसके बड़े घर की देखभाल की। लाबान ने अपने भतीजे को देखा और कहा, “यह ठीक नहीं है कि तुम हमारे यहाँ बिना बेतन में काम करते रहो। तुम रिश्तेदार हो, दास नहीं। मैं तुम्हें क्या वेतन दूँ?”

 

हम जो बाइबिल पढ़ते हैं, जानते हैं की यह एक उदार का प्रस्ताव लगता है। लेकिन यह ऐसा नहीं था। लाबान याकूब को खूँटी लगा रहा था। याकूब के साथ लाबान के परिवार के साथ भी एक सम्मानित सदस्य की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए था। एक परिवार का सदस्य स्वेच्छा से परिवार के निर्माण करने के लिए कार्य करता है। वे अपने काम के लिए भुगतान की मांग नहीं करते हैं क्यूंकि वे समझते हैं की परिवार का सरदार उसकी देखभाल स्वयं करेगा। लाबान याकूब को यह सम्मान नहीं देना चाहता था और ना ही उसकी जिम्मेदारी लेना चाहता था। यह बहुत मूल्यवान था। लाबान लालची था, और उसने हिसाब लगाया की यदि वह उसे भाड़े में रखता है तो उससे बहुत काम करवा सकता था। उसने उनके संबंध को इस तरह स्थानांतरित कर दिया की इसहाक चाचा नहीं बल्कि उसका स्वामी बन गया। जो चालबाज़ी याकूब ने इसहाक और एसाव के खिलाफ इस्तेमाल की थी अब वह घूम कर उस पर ही आ रही थी। 

 

याकूब अपने ही दिल कि सटीक इच्छाओं को जानता था। वह अपनी मजदूरी चांदी और सोने के रूप में नहीं चाहता था। उसकी दृष्टि में इससे भी बढ़कर एक खज़ाना था। उनके चाचा लाबान कि बेटी राहेल एक सुंदर लड़की थी। वह देखने में बहुत आकर्षक थी, और उसके चेहरे को देखकर उसका दिल कूद पड़ता था। याकूब उससे भयंकर प्रेम करता था। उसने अपने चाचा से कहा की वह उसके लिए सात साल के लिए उसके लिए काम करेगा यदि उसे उसकी सबसे छोटी बेटी से विवाह करने दे। उन दिनों के रिवाज़ के मुताबिक, उसने अपने चाचा को कोई दहेज या दुल्हन कि कीमत नहीं दी। उसके पास कोई स्वर्ण कंगन और नाक का छल्ला नहीं था जैसे कि इब्राहीम के दास ने रिबका को दिया था। उसे अपनी दुल्हन के लिए धैर्य और परिश्रम के साथ सेवा करनी होगी।  

 

लाबान ख़ुशी से अपनी बेटी को उसे देने को तैयार था जो उसके परिवार के विरासत का हिस्सा था। उसने कहा, “यह उसके लिए अच्छा होगा कि किसी दूसरे के बजाय वह तुझसे विवाह करे। इसलिए मेरे साथ ठहरो।”

 

बाइबिल कहती है, "इसलिए याकूब ठहरा और सात साल तक लाबान के लिए काम करता रहा। लेकिन यह समय उसे बहुत कम लगा क्योंकि वह राहेल से बहुत प्रेम करता था।(उत्पत्ति 29:20) उन सात साल के अंत में, वह अपने चाचा के पास गया और शादी करने के लिए कहा। उसके पास जाने के लिए वह कितना बेचैन था!

 

इसलिए लाबान ने उस जगह के सभी लोगों को एक दावत दी। जब शाम हुई, और जब याकूब और उसकी पत्नी अकेले हुए, लाबान ने एक बहुत नीच काम किया। उसकी एक बड़ी बेटी थी जिसका नाम लिआ था। उस समय का एक महत्वपूर्ण और अपरिवर्तनीय परंपरा यह थी कि पहले सबसे बड़ी बेटी का ब्याह होता था, लेकिन उसके लिए कोई पति अब तक नहीं मिला था। उसकी आँखें कमज़ोर थीं, और उसका अपनी छोटी बहन के समान अद्भुत सौंदर्य नहीं था। लिआ के दिल को कितना दुःख हुआ होगा। 

 

लाबान परंपरा और अपनी दोनों बेटियों किशादी को देखने के लिए उसकी इच्छा के प्रति जागरूक था। सो जब याकूब कि उसकी पत्नी को लाने का समय आया तो, वह अपने भतीजे के लिए राहेल की जगह लिआ को ले आया। यह उन तीनों पर एक क्रूर धोखा किया गया था। रात के अंधेरे में, याकूब को पता नहीं चला की उसके साथ धोखा हुआ है, और वह पति पत्नी के समान उसके साथ सोया।उनका वैवाहिक संबंध पूरा हो गया था। लेकिन जब वह अगली सुबह उठा, उसने अपने चाचा के खेल को जाना , और वह नाराज़ हो गया।  

क्या यह दिलचस्प नहीं है की लाबान ने अपनी असमर्थता के माध्यम से याकूब को धोखा दिया? याकूब ने भी अपने पिता को इसी प्रकार से धोखा दिया था। पता नहीं यदि याकूब यह देख सकता था की वह भी अपने चाचा कि तरह ही था। पता नहीं यदि वह यह देख पाया की जो उसने बोया था वही वह काट रहा था। पता नहीं यदि वह अपने आप को बदलना चाह रहा हो अब क्यूंकि वह झूठ के दूसरे पक्ष पर था। 

 

याकूब ने लाबान से कहा, “तुमने मुझे धोखा दिया है। मैंने तुम्हारे लिए कठिन परिश्रम इसलिए किया कि मैं राहेल से विवाह कर सकूँ। तुमने मुझे धोखा क्यों दिया?”

 

लिआ के दर्द और अपमान की कल्पना कीजिये। पूरा घर इस भयानक अस्वीकृति के बारे में सुनेगा।ईमानदारी से सात साल सेवा करने के बाद धोखा मिलने के बाद याकूब की हताशा और क्रोध की कल्पना कीजिये। राहेल के दिल की कल्पना कीजिये जो, इतनी लालसा से उस व्यक्ति के पास जाने को बेताब थी जिससे वह इतना प्रेम करती थी। लाबान के दिल की कल्पना कीजिये जो चाहता था कि उसकी दोनों बेटियां पूर्ण विवाहित जीवन और परिवार को पा सकें। 

 

लाबान ने कहा,“हम लोग अपने देश में छोटी पुत्री का बड़ी पुत्री से पहले विवाह नहीं करने देंगे। किन्तु विवाह के उत्सव को पूरे सप्ताह मनाते रहो और मैं राहेल को भी तुम्हें विवाह के लिए दूँगा। परन्तु तुम्हें और सात वर्ष तक मेरी सेवा करनी पड़ेगी।”

 

वाह! कितना नीच आदमी था। अब उसकी दोनों बेटियों का इंतज़ाम हो गया था, और याकूब और सात साल के लिए, परिश्रम करेगा। 

 

इसलिए याकूब ने यही किया और एक और सप्ताह उसके साथ बिताया। तब लाबान ने अपनी पुत्री राहेल को भी उसे उसकी पत्नी के रूप में दिया। याकूब लिआ से ज़्यादा राहेल से प्यार करता था। लिआ के लिए उसकी जो भावनाएं थीं उसके लिए जो शब्द बाइबिल में दिया है वह है नफ़रत का। यह हर किसी को स्पष्ट हो गया होगा। 

 

लिआ का यह दर्द बहुत बड़ा था। अभिशाप का टूटा, पापी क्षति मानवता के व्यवहार में और परमेश्वर के परिवार में गहराई से घुसा हुआ था। परमेश्वर ने विवाह को एक पुरुष और एक स्त्री के लिए बनाया था। उनका आपस का प्रेम परमेश्वर के प्रेम को प्रतिबिंब करने के लिए था। लिआ का जीवन उसके दिल में बुराई के कारण टूट गया था। परन्तु परमेश्वर को लिआ का ध्यान था इसीलिए उसके दु: ख के विषय में इंजील में लिखा गया है। वे उसकी रक्षा करेंगे और उसके लिए प्रदान करते हैं, और उसकी सोच से भी बढ़कर उसे आशीर्वाद देंगे। 

 

लाबान ने अपनी बेटियों के लिए जो अब याकूब कि पत्नियां थीं, उन्हें विशेष दासियाँ दीं। राहेल की दासी का नाम था बिल्हा, और लिआ की जिल्पा, और उनकी भी परमेश्वर के परिवार के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका थी।  

 

परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना।  

जिस समय परमेश्वर लाबान और याकूब के जीवन की देख भल कर रहे थे, उनके क्या विचार रहे होंगे? आपको लगता है की वह प्रसन्न थे? परमेश्वर ने निश्चित किया की हम पूरी कहानी को समझ सकें। हम लिआ, राहेल और याकूब, लाबान की वंचना की निराशा का दर्द देख सकते हैं। परमेश्वर यह सब देखता है! लिआ के लिए, यह बहुत तसल्ली की बात होगी। परमेश्वर ने उसके दर्द को समझा। लाबान के लिए, यह बहुत बुरी खबर थी। आपको कैसा लगता है यह जान कर की परमेश्वर हमारे कामों को और हृदय के विचारों को देखता और जानता है? आपको कैसा लगता है जब आप याद करते हैं कियीशु ने आपके सब पापों के लिए एक दाम दे दिया और हमारे लिए उद्धार मोल लिया? 

 

मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।  

एक बार फिर, पाप के कारण परमेश्वर के परिवार में फिर से भयानक पाप आ गया था। लाबान के प्रवंचना के कारण जो समस्याएं आयीं उससे याकूब के परिवार को विभाजित होना पड़ेगा। एक दिन, परिवार में यह एक बड़े संकट को लाएगा। ये कहानियां एक रूप से हमारे लिए उदाहरण हैं जिनके द्वारा हम जान सकते हैं कि कैसे परमेश्वर नहीं चाहता की हम एक दूसरे के साथ व्यवहार करें। प्रत्येक चरित्र के पास अब एक विकल्प है। क्या वे अपने ही स्वार्थी लाभ के लिए लड़ते रहेंगे या फिर एक दूसरे से प्रेम करेंगे? क्या आपके परिवार में ऐसी कोई परिस्थिति होती है जहां आपको ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं? आपके लिए प्रेम करना कब कठिन है? 

 

जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर। 

सभी मनुष्य गर्व के साथ संघर्ष करते हैं। क्या आप अपने नुकसान या ईर्ष्या या क्रोध या प्रतिस्पर्धा को परमेश्वर के पास लाएंगे? क्या आप परमेश्वर को बुलाएंगे की वह आपके हृदय को जाँचे कि उसमें कोई बुराई तो नहीं है? मसीह के अनुयायियों के रोज़ के जीवन में, यीशु चाहता है की हम एक पछतावा किये हुए दिल के साथ उसके पास आएं। वो हमारे दिल में आना चाहता है और परिवर्तन लाना चाहता है। यदि हम उसके पास ईमानदारी के साथ आएं, वह हमें शुद्ध करके दूसरों के प्रति सच्चे प्रेम से भर देगा। क्या यह सुंदर नहीं है? यीशु ने बाइबिल में इस प्रकार वर्णित किया है: 

 

"हे प्यारे मित्रों, हम परस्पर प्रेम करें। क्योंकि प्रेम परमेश्वर से मिलता है और हर कोई जो प्रेम करता है, वह परमेश्वर की सन्तान बन गया है और परमेश्वर को जानता है। वह जो प्रेम नहीं करता है, परमेश्वर को नहीं जाना पाया है। क्योंकि परमेश्वर ही प्रेम है। परमेश्वर ने अपना प्रेम इस प्रकार दर्शाया है: उसने अपने एकमात्र पुत्र को इस संसार में भेजा जिससे कि हम उसके पुत्र के द्वारा जीवन प्राप्त कर सकें। सच्चा प्रेम इसमें नहीं है कि हमने परमेश्वर से प्रेम किया है, बल्कि इसमें है कि एक ऐसे बलिदान के रूप में जो हमारे पापों को धारण कर लेता है, उसने अपने पुत्र को भेज कर हमारे प्रति अपना प्रेम दर्शाया है। हे प्रिय मित्रो, यदि परमेश्वर ने इस प्रकार हम पर अपना प्रेम दिखाया है तो हमें भी एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए। परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा है किन्तु यदि हम आपस में प्रेम करते हैं तो परमेश्वर हममें निवास करता है और उसका प्रेम हमारे भीतर सम्पूर्ण हो जाता है।"