पाठ 95 : एलीमेलेक की कहानी: एक यहूदी लड़का विपत्तियों का गवाह

शालोम! मेरे लोगों के लिए, इसका मतलब है शांति, और मेरे नए दोस्त, मैं तुम्हें एक आशीर्वाद देता हूँ। शालोम का अर्थ है की, मेरी इच्छा है किसर्वशक्तिमान परमेश्वर कि सिद्ध शांति तुम्हारे जीवन के हर क्षेत्र में हो। इसीलिए शालोम!

मेरा नाम एलीमेलेक है, और मैं अपने परिवार का पहलौठा हूँ और मैं बिन्यामीन के गोत्रा में से हूँ। मैं अभी केवल बारह साल का हुआ हूँ। मेरे लोगों के लिए, जो इस्राएली हैं, मैं एक आदमी बन गया हूँ। हम जिस समय में हैं, इस दिन का सामान्य समारोह अब नहीं मनाया जाता है। जिस राष्ट्र में रहकर हम इसे मनाते थे, वैसा अब रेगिस्थान में मनाना बहुत कठिन है। 

एक साल पहले तक, मेरे ग्यारहवें जन्मदिन के कुछ दिनों के बाद, मेरे लोग जश्न मना रहे थे क्यूंकि फिरौन ने आखिरकार हमें मुक्त कर दिया था। मैं एक गुलाम की तरह बढ़ा और मैंने अपने माता पिता को उन मिस्र के स्वामियों के कोड़ों को खाते, दिन रात काम करते देखा है। मैं अपने दो चचेरे भाइयों से कभी नहीं मिला। उन्हें मिस्र के अधिकारी उठा ले गए और उन्हें तब मार दिया जब वे छोटे बालक ही थे। मेरे चाचा बताते हैं कि मेरी चाची उन दिनों के दुखों को भूल नहीं पाई है। जब मूसा आया, उसने कहा किइब्राहीम, इसहाक, और याकूब के परमेश्वर पिता ने कहा है कि वह अपने लोगों को छुड़ाएगा। यह लगभग विश्वास करना मुश्किल था। 

तब फिरौन ने मूसा कि बातों को अस्वीकार कर दिया और हमारे जीवन को इतना बदतर बना दिया। उसने हमारे माता-पिता से और अधिक मज़दूरी कराई। जब मैं अपने पिता को खून से लतपत हुआ देखता था तो मुझे मूसा से नफ़रत होती थी। लेकिन तब हमने मूसा के द्वारा परमेश्वर की शक्ति को काम करते देखा। नील पूरी तौर से लहू बन गयी थी जो उनके काम आने के लिए पूरी तरह बेकार हो गयी थी।मेंढ़क और टिड्डी और फोड़े सब आए। उनके शरीरों को बहुत कष्ट दिया और सैकड़ों रेंगने वाले जीव उनके घरों में घुस कर उन्हें बेहद हतोत्साह कर रहे थे। उनके विशाल झुंड और पशु ओलों के कारण नष्ट कर दिए गए। उनके महान राष्ट्र को नष्ट कर दिया जा रहा था।

हर बार जब फिरौन, मूसा के द्वारा लाये परमेश्वर के संदेश को अस्वीकार कर रहा था, कुछ भयंकर होता था, फिर भी हम सब इस्राएली संरक्षित किये जाते थे। मैंने अपने जीवन भर मिस्रवासियों को अपने कई देवताओं की पूजा करते देखा था, लेकिन अब हमारा परमेश्वर उन सब पर अपनी शक्ति को दिखा रहा था। उसने नील नदी को खून में बदल दिया जिसकी वे पूजा करते थे। वे गाय की पूजा करते थे, यहोवा ने बीमारी के द्वारा उनके पशुओं को नष्ट कर दिया। मिस्र के लोग फिरौन को एक देवता के रूप में पूजते थे, और यहोवा ने अगले फिरौन की जान ले ली, जो उस भयानक राजा का जेठा पुत्र था। 

यह अंतिम विपत्ति, जिसमें मिस्र के सभी पहलौठे मारे गए, वह था जिसने हमें अंत में मुक्त कर दिया था। मेरे पिता ने, मूसा के कहने के अनुसार, एक बेदाग भेड़ के बच्चे को लेकर बलिदान चढ़ाया। उन्होंने मेरे जीवन की रक्षा के लिए चौखट पर खून लगाया। शायद यह एक बच्चे के विचार हैं, और शायद अब जब मैं एक आदमी हूँ मुझे इन बातों को अधिक नहीं सोचना चाहिए, लेकिन मैं यह सोच कर परेशान रहा कि मुझे जीवित रखने के लिए उस छोटे से प्राणी के जीवन को लेना पड़ा। लेकिन मुझे लगा की मैं अधिक मूल्य का हूँ। लेकिन सभी घटनाओं में जो परमेश्वर पूर्व में लेकर आया था, उसने मुझे स्मरण रखा। अन्य सभी इस्राएल के पहलौठे और मैं परमेश्वर के लिए कीमती थे। उसके विशाल महान, महाकाव्य योजना में, परमेश्वर के लिए हमारे जीवन कि रक्षा करना अधिक महत्वपूर्ण था। जब भी यह कहानी पीढ़ी भर में सुनाई जाएगी, मैं उन बेटों में रहूंगा जिनके लिए खून बहाया था। 

जिस रात मुझे लगा कि मैं डर जाउंगा, मुझे एक अजीब शांति महसूस होती है। यह यहोवा जिसे लोग सैकड़ों वर्ष से पूजते आये, वह ना केवल अपने आप को एक शक्तिशाली परमेश्वर के रूप में दिखा रहा था, वह अपने आप को विश्वासयोग्य दिखा रहा था। उसने वही किया जो उसने कहा। किसी तरह मुझे मालूम था कि यदि उसने कहा है कि मुझे बचाने के लिए केवल एक बेदाग भेड़ के बच्चे का खून ही काफ़ी है, तो यह सत्य होगा। 

मिस्र के लोगों के लिए वो रात कितनी भयंकर रही होगी जब परमेश्वर का दूत रात के अँधेरे में निकल कर उनके पहलौठों की जान ले रहा था।उस रात जब मैं लेटा हुआ था तो कल्पना कर रहा था की कैसे सड़कों पर उन लोगों के रोने और विलाप करने की आवाज़ें आ रही होंगी जिनके बेटे नहीं रहे। ऐसा क्यों हुआ? परमेश्वर के उन शक्तिशाली कार्यों को देखने के बाद भी फिरौन ने क्यूँ नहीं समर्पण किया? सृष्टिकर्ता परमेश्वर के आगे क्यूँ उसने इतने कठोर हृदय के साथ विद्रोह किया? वह अपने ही लोगों पर यह सब क्यूँ लेकर आया? अपने ऊपर क्यों वह यह सब ले आया? 

अगले दिन, दुखित मिस्री हमें जाते देख प्रसन्न हुए। उनके शोक में, उन्होंने हमें अपने स्वयं के सोने और चांदी के भव्य उपहार के साथ भेज दिया। मेरे परिवार को ऐसे कीमती सोने के गहने और चांदी के सिक्के प्राप्त हुए जो केवल वर्षों के परिश्रम से ही प्राप्त होते हैं। हमें बहुत अमीर महसूस हुआ! लेकिन फिर भी, हमने जाने के लिए कोई भी समय बर्बाद नहीं किया। हमने अपना सामान बांधा और शीग्र ही वहां से चले गए।फिरौन एक राजा था, लेकिन वह यहोवा राजा के सामने कुछ भी नहीं था। वह अक्सर अपना मन बदल देता था और वापस अपने शब्द ले लेता था। वह एक सच्चा व्यक्ति होने के बारे में चिन्तित नहीं था। 

जब पूरा राष्ट्र मिस्र से बाहर निकल कर रेगिस्थान में प्रवेश कर रहा था, आग एक शानदार खम्बा बनकर हमारे सामने दिखाई दिया। यह स्वयं परमेश्वर किउपस्थिति थी। यह बहुत लुभावनी थी। वह अपनी सिद्ध स्पष्टता के साथ हमारा मार्गदर्शक बन गया। कौन सारी दुनिया में इस तरह का परमेश्वर है? 

हम एक बड़े और धीमी गति से चलने वाले कबीले थे। अप्रैल कि गर्मी का मौसम था, और बच्चे इस बदलाहट के कारण चिड़चिड़ा रहे थे। भेड़ और बकरियां और गायें भी खुश नहीं थीं। मुझे परवाह नहीं थी। मैं बहुत उत्साहित था। यह एक नया रोमांच था। चार सौ साल बाद, हमारे लोग वादे के देश में जा रहे थे!