पाठ 96 : एलीमेलेक की कहानी: लाल सागर
ऐसा लगता है मानो हमारा परमेश्वर पूरी दुनिया को एक बात साबित करना चाहता था। वे जान लेंगे कि वही है जो सब पर राज करता है। अपनी इच्छा को पूरी करने के लिए वह शक्ति के साथ कार्य करता है। मिस्र से भागते समय हमारे साथ जो हुआ वह चौंकाने वाली बात थी। हम जो उसके लोग हैं, हमारे लिए उससे एक सबक सीखने को मिला जो हमने अपनी आंखों के सामने देखा। और इसके बारे में अफवाहें सभी देशों में फ़ैल गयीं।
एक राष्ट्र के रूप में हमारी यात्रा काफी धीमी थी। सभी जानवरों और छोटे बच्चों, और परिवार के सभी लोगों के साथ धैर्य रखना बहुत कठिन था। रेगिस्तान कि रेत और वसंत किबढ़ती गर्मी से कोई मदद नहीं मिली। और ऐसा लग रहा था की शायद हम गलत दिशा में जा रहे थे। हमें वादे के देश में जाना था, तो क्यों मूसा हमें समुन्द्र कि ओर ले जा रहा था? आह, लेकिन यह तो उसकी उपस्थिति के बादल कि दिशा थी, सो चाहे यह गलत लग रहा था, हम जानते थे कि यह सही रास्ता था।
जब हम अपने सफ़र में जा रहे थे, हम महान समुन्द्र पर आ पहुंचे। अब हम कहाँ जाएंगे? फिर एक भयानक खबर आई। हमारे कुछ लोगों ने आकर हमें खबर दी की फिरौन अपने वचन से फिर गया है। उसने अपनी सबसे अच्छी सेना तैयार कर ली थी और वे हमारा पीछा कर रहे थे।हम एक ग़ुलामों का राष्ट्र थे। कैसे हम दुनिया के सबसे ताकतवर सैनिकों से लड़ सकते थे?
उस महान समुद्र को अपने सामने देख कर सारे लोग चिल्ला रहे थे। कहीं भी जाने का कोई रास्ता नहीं था! फिरौन एक क्रूर आदमी था, और उसने अभी अभी अपने उस पुत्र को खोया था जो मिस्र में शासन करने जा रहा था। अब क्यूंकि उसका
दु: ख खत्म हो गया था, उसकी क्रूरता और क्रोध कि कोई सीमा नहीं थी। हमें पकड़ने के बाद वह हमारे साथ क्या करेगा? वह हमें क्षमा करने के मूड में नहीं होगा। हम फिर से गुलाम बन जाएंगे, और यह पहले कि तुलना में दस गुना बदतर होगा।
कैसे हम सब पर शक और डर से भरे हुए थे! हम परमेश्वर के महान चमत्कारों और इस वास्तविक खतरे के बीच कितने बेबस थे!
हमें विश्वास करना चाहिए था। हमें अपने पूर्वजों के परमेश्वर पर विश्वास होना चाहिए था। हमें यह मालूम होना चाहिए था किपरमेश्वर अपनी महिमा का प्रदर्शन करने के लिए हमें इस भारी संकट से ले जा रहा था।
जब यह सब हो रहा तब मैं अपनी माँ को तसल्ली दे रहा था। पूरे डेरे की अव्यवस्था और शोर अविश्वसनीय थी। इस सब कोलाहल और डर के बीच में, मूसा ने अपनी छड़ी उठाई। पानी की आवाज़ अविश्वसनीय थी जिस समय यहोवा अपनी शक्ति में कार्य कर रहा था। हमारी आँखों के सामने लाल सागर का पानी दो ताकतवर लहरों में उठा। मेरे मन में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही थी। इससे कोई सांसारिक अर्थ नहीं निकलता था। पानी वह नहीं करता है जो पानी करता है। पानी विशाल लहरों में बनकर दो भागों में विभाजित हुआ। एक महान मार्ग समुन्द्र में।परमेश्वर ने एक रास्ता बनाया था! इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, सब आगे बढ़ने लगे। फिरौन की सेना पीछे से आ रही थी, और हमें जल्द से जल्द बच कर भागने कि जरूरत थी!
सारी रात हम पानी कि दिवारों के बीच से निकलकर परमेश्वर कि ज्योति की ओर चलते रहे जो उसने हमें दी थी। इन हज़ारों लोगों और जानवरों को संकीर्ण मार्ग से स्थानांतरित करने में बहुत समय लगा। मेरा परिवार दूसरी ओर पहुंचने में सबसे आगे था। हम पानी के रास्ते से बाहर निकले और फिर पीछे मुड़ कर देखा। वह कितना अद्भुत दृश्य था। परमेश्वर के आग के खम्भे का प्रकाश पानी पर एक चमक डाल रहा था। रात का अंधकार उस पानी के ऊपर एक रहस्यमय सौंदर्य से भर रहा था। समुन्द्र इस तरह विभाजित हो कर खड़ा था मानो दो महान हाथों ने उसे थाम रखा हो। लोगों कि भीड़ ऐसे उमड़ कर आ रही थी मानो वे कभी समाप्त नहीं होंगे। हर कोई खड़े हो कर यह देख रहा था कि अब उनके लोगों का क्या होगा। हम पूरी रात परमेश्वर के इस पराक्रमी चमत्कार को देखते रहे। वह बड़ी वफ़ादारी से, हर पुरुष, स्त्री और बच्चे के जीवन की रक्षा, जल को थाम कर कर रहा था।
सूरज की रोशनी क्षितिज के साथ आकाश में चमकने लगी थी। पानी की चमक को देख कर हमारा श्रद्धायुक्त भय और गहराया जब हमने उसकी महिमा को रात भर देखा। जब हमारे सभी लोग पानी से निकल आये, तब हम सोचने लगे कि आगे क्या होगा। लोगों के बीच एक करहाने की आवाज़ आने लगी जब हमने सुना कि फिरौन की सेना उसी रास्ते से हमारा पीछा कर रही है। हमें क्या करना चाहिए? हमने सारी रात कूच किया था।
एक राष्ट्र के रूप में हम पलायन करने के लिए शायद योग्य नहींथे। सूरज जब अपने वैभव मेंनिकला, परमेश्वर ने अपनी सामर्थ फिर से दिखाई। उसने पानी को छोड़ दिया और वह वापस बह गया।वे सबदुर्घटनाग्रस्त हो गए। पूरा देश सदमे और विस्मय होकर यह सब देख रहा था। जैसा जश्न हमने उस दिन मनाया, मालूम नहीं वैसा जश्नकभी पृथ्वी पर मनाया गया है। हमारा यहोवा महान और शक्तिशाली परमेश्वर था। जिस परमेश्वर ने उसशक्तिशाली सेना कोसमुद्र में फेंक दिया था, उसने हमें अपनी प्रजा के रूप में चुन लिया था। सारीदुनिया जान लेगी किहम उसी के हैं।