पाठ 102 :आज्ञाएँ
जिस समय पहाड़ी काँप उठी, पूरा राष्ट्र सीनै पहाड़ी के नीचे एकत्र हो गया। मूसा और हारून उस ज्वलंत बादल के बीच में चले गए जहां से परमेश्वर किआग लपटें बनकर निकल रहीं थीं। और पहाड़ से यहोवा ने लोगों को अपनी बुलंद आवाज़ में इन आज्ञाओं को दिया जो उन्हें अपने पवित्र राजा के साथ अपनी वाचा में होकर रहना था:
“मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। मैं तुम्हें मिस्र देश से बाहर लाया। मैंने तुम्हें दासता से मुक्त किया। इसलिए तुम्हें निश्चय ही इन आदेशों का पालन करना चाहिए।
“तुम्हे मेरे अतिरिक्त किसी अन्य देवता को, नहीं मानना चाहिए।
“तुम्हें कोई भी मूर्ति नहीं बनानी चाहिए। किसी भी उस चीज़ की आकृति मत बनाओ जो ऊपर आकाश में या नीचे धरती पर अथवा धरती के नीचे पानी में हो। किसी भी प्रकार की मूर्ति की पूजा मत करो, उसके आगे मत झुको। क्यों? क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। मेरे लोग जो दूसरे देवताओं की पूजा करते हैं मैं उनसे घृणा करता हूँ। यदि कोई व्यक्ति मेरे विरुद्ध पाप करता है तो मैं उसका शत्रु हो जाता हूँ। मैं उस व्यक्ति की सन्तानों की तीसरी और चौथी पीढ़ी तक को दण्ड दूँगा। किन्तु मैं उन व्यक्तियों पर बहुत कृपालू रहूँगा जो मुझसे प्रेम करेंगे और मेरे आदेशों को मानेंगे। मैं उनके परिवारों के प्रति सहस्रों पीढ़ी तक कृपालु रहूँगा।
“तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के नाम का उपयोग तुम्हें गलत ढंग से नहीं करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति यहोवा के नाम का उपयोग गलत ढंग से करता है तो वह अपराधी है और यहोवा उसे निरपराध नहीं मानेगा।
“सब्त को एक विशेष दिन के रूप में मानने का ध्यान रखना। सप्ताह में तुम छः दिन अपना कार्य कर सकते हो। किन्तु सातवाँ दिन तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की प्रतिष्ठा में आराम का दिन है। इसलिए उस दिन कोई व्यक्ति चाहे तुम, या तुम्हारे पुत्र और पुत्रियाँ, तुम्हारे दास और दासियाँ, पशु तथा तुम्हारे नगर में रहने वाले सभी विदेशी काम नहीं करेंगे।” क्यों? क्योंकि यहोवा ने छ: दिन काम किया और आकाश, धरती, सागर और उनकी हर चीज़ें बनाईं। और सातवें दिन परमेश्वर ने आराम किया। इस प्रकार यहोवा ने शनिवार को वरदान दिया कि उसे आराम के पवित्र दिन के रूप में मनाया जाएगा। यहोवा ने उसे बहुत ही विशेष दिन के रूप में स्थापित किया।
“अपने माता और अपने पिता का आदर करो। यह इसलिए करो कि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा जिस धरती को तुम्हें दे रहा है, उसमें तुम दीर्घ जीवन बिता सको”
“तुम्हें किसी व्यक्ति की हत्या नहीं करनी चाहिए”
“तुम्हें व्यभिचार नहीं करना चाहिए”
“तुम्हें चोरी नहीं करनी चाहिए”
“तुम्हें अपने पड़ोसियों के विरुद्ध झूठी गवाही नहीं देनी चाहिए।”
“दूसरे लोगों की चीज़ों को लेने की इच्छा तुम्हें नहीं करनी चाहिए। तुम्हें अपने पड़ोसी का घर, उसकी पत्नी, उसके सेवक और सेविकाओं, उसकी गायों, उसके गधों को लेने की इच्छा नहीं करनी चाहिए। तुम्हें किसी की भी चीज़ को लेने की इच्छा नहीं करनी चाहिए।”
इस्राएलियों ने अपने परमेश्वर की बात सुनी। इन आज्ञाओं का पालन करना उनका अपने आप में वादा करना था। वे परमेश्वर को किस प्रकार प्रसन्न कर सकते थे, यह उसने उनसे नहीं छिपाया था। उसने उन्हें उसे सम्मानित करने का एक बहुत ही स्पष्ट तरीका दिखा दिया था। उन्हें केवल उसका पालन करना था। जिस समय सीनै पर्वत काँप उठा, लोग पूरी तरह से घबराये हुए थे। परमेश्वर की उपस्थिति से उत्पन्न होने वाली आवाज़ें, उन्हें अपने प्रभु की एक पूरी नई समझ दे रहा था। यहोवा कि विशाल शक्ति की महानता से उन्हें उसकी सामर्थ का एहसास हुआ। यह वही था जिसके साथ उन्होंने एक वाचा बनाई थी। यही था जिसे उन्हें पूरी दुनिया के सामने उसका प्रतिनिधित्व करना था!
इस्राएली परमेश्वर से कुछ दूरी पर जा खड़े हुए और मूसा से विनती करने लगे, “'यदि तुम हम लोगों से कुछ कहना चाहोगे तो हम लोग सुनेंगे। किन्तु परमेश्वर को हम लोगों से बात न करने दो। यदि यह होगा तो हम लोग मर जाएंगे।”'
तब मूसा ने लोगों से कहा,“'डरो मत! यहोवा यह प्रमाणित करने आया है कि वह तुमसे प्रेम करता है।'”
अब जब कि वे वाचा में प्रवेश कर चुके थे, उन्हें अपने हृदयों कि रक्षा करनी थी। उन्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर कि धार्मिकता और श्रद्धायुक्त भय कि आवशयकता थी। परमेश्वर कि आज्ञाओं का पालन ना करने के लिए उन्हें संसार की बहुत सी बातें विचलित करेंगी। परन्तु जो परमेश्वर सब देखता है, वह उन्हें उसके प्रति पूरी भक्ति के साथ उनका पालन करने में सहायता करेगा।
उन समयों को याद कीजिये जब आपने अपने माता पिता की आज्ञा नहीं मानी थी। मान लीजिये मेज़ पर एक कैंडी का जार रखा हुआ है, और उन्होंने आपको उसे खाने के लिए मना किया है। क्या उनकी आज्ञा मानना उस समय आसान होगा जिस समय वे कमरे में आप के साथ बैठे हैं? क्या आज्ञा मानना उस समय कठिन होगा जब वे आपको कैंडी के जार के साथ कमरे में अकेले छोड़ देते हैं? जिस समय आपके माता पिता कमरे में हैं तब आज्ञा मानना आसान है। क्यूँ? क्यूंकि हम मुसीबत में पड़ने से डरते हैं। यह हमें सही बात करने के लिए मदद करता है!
सीनै पर्वत ने इस्राइलियों को यह दिखा दिया की उनका परमेश्वर वास्तव में वहां था। उसे इस तरह जान लेना उन्हें उनके पापों से स्वतन्त्र करेगा। सीनै पर्वत की गड़गड़ाहट ने उन्हें यहोवा के दास होने की एक जीती जागती तस्वीर दिखा दी, जो एक भस्म करने वाली आग के समान है।