कहानी ८२: दो अन्धे और एक गूंगे कि चंगाई
यीशु ने लोगों की कड़ी हार्दिकता के बावजूद गलील में सुसमाचार को सुनाता रहा। वो पश्चाताप जिससे परमेश्वर के लोगों को उनके उद्धारकर्ता के आने पर चिह्नित होना चाहिए था? पवित्र आत्मा के खिलाफ यहूदी नेतृत्व की दुश्मनी ने उनके ह्रदय को कठोरता में ढकेल दिया था जिससे उनका अनंतकाल का भाग्य बंद हो गया था। अब सुसमाचार का सन्देश राष्ट्र को नहीं दिया जाएगा। यह उन व्यक्तियों को दिया जाएगा जो दृष्टान्तों से ढके हुए हैं। चमत्कार धार्मिक नेताओं के शक्तिशाली आवाज के खिलाफ सच्ची श्रद्धा से चलने वाले उन लोगों के लिए निजी क्षेत्र में किया जाएगा।
यीशु जब वहाँ से जाने लगा तो दो अन्धे व्यक्ति उसके पीछे हो लिये। वे पुकार रहे थे,“हे दाऊद के पुत्र, हम पर दया कर।”
उन्होंने उसे दाऊद कि संतान ख कर क्यूँ पुकारा? वे यह घोषणा कर रहे थे कि यीशु ने परमेश्वर के उस दिव्य वायदे को जो दाऊद राजा के लिए किया था उसे पूरा कर रहा है। वे विश्वास करते थे कि वही मसीहा है, और वो पराक्रमी योद्धा है जो उसके सुनहरे साल के लिए इस्राएल के राष्ट्र को बहाल करेगा! यह लोग यह नहीं समझ पाये कि मसीह युद्ध करने नहीं आया था, लेकिन वे यह मानते थे कि परमेश्वर ने उसे भेजा है!
यीशु जब घर के भीतर पहुँचा तो वे अन्धे उसके पास आये। तब यीशु ने उनसे कहा,“क्या तुम्हें विश्वास है कि मैं, तुम्हें फिर से आँखें दे सकता हूँ?” उन्होंने उत्तर दिया, “हाँ प्रभु!”
इस पर यीशु ने उन की आँखों को छूते हुए कहा, “तुम्हारे लिए वैसा ही हो जैसा तुम्हारा विश्वास है।”
और अंधों को दृष्टि मिल गयी। उनके श्रद्धायुक्त भय कि कल्पना कीजिये जब वे पतरस के घर में खड़े अपने चारों ओर देख रहे थे। उस क्षण ने उनके जीवन को कैसे परिवर्तित कर दिया था! उनके लिए पूर्ण रूप से सुनहरे अवसर खुल गए थे। आपको कैसा लगेगा जब आपके साथ ऐसा हो तो? फिर यीशु ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा,“इसके विषय में किसी को पता नहीं चलना चाहिये।”
जैसा कि आप देख सकते हैं, यहूदी दुनिया पहले से ही उसके खिलाफ शत्रुतापूर्ण थी। अगुवों ने पहले से ही जीवित परमेश्वर की आत्मा को अपमानित किया था। प्रभु यीशु उन्हें अपने पिता के खिलाफ और पाप करने के लिए और मौके नहीं देना चाहता था। आपको लगेगा कि वे उसकी सुनते हैं जिसे वे "'प्रभु'" कहकर पुकारते हैं। परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया। उनके जाने के बाद, उन्होंने गलील के क्षेत्र में चारों ओर जाकर सबको बताया कि यीशु ने उनके लिए क्या किया।
जब वे दोनों वहाँ से जा रहे थे तो कुछ लोग यीशु के पास एक गूँगे को लेकर आये। गूँगे में दुष्ट आत्मा समाई हुई थी और इसीलिए वह कुछ बोल नहीं पाता था। जब दुष्ट आत्मा को निकाल दिया गया तो वह गूँगा, जो पहले कुछ भी नहीं बोल सकता था, बोलने लगा। तब भीड़ के लोगों ने अचरज से भर कर कहा, “इस्राएल में ऐसी बात पहले कभी नहीं देखी गयी।” किन्तु फ़रीसी कह रहे थे,“वह दुष्टात्माओं को शैतान की सहायता से बाहर निकालता है।”
यह इन धार्मिक नेताओं का पवित्र आत्मा के काम की निन्दा करते जान कितना लुभावनी बात है! परमेश्वर पिता अपने बेटे के माध्यम से अद्भुत चमत्कार कर रहा था। एक मिनट के लिए यहाँ उस बड़ी तस्वीर की समीक्षा करते हैं। यह इन धार्मिक शासकों के द्वारा बनाय भयानक और विनाशकारी त्रुटि की भयावहता को देखने के लिए हमें मदद करेगा।
जहां कहीं भी यीशु गया, हर जगह उसने शाप के भयानक प्रभाव को पूर्ववत करने के लिए शानदार शक्ति का प्रदर्शन किया। यह अभिशाप मानवता पर बहुत जल्द आ गया था। आदम और हव्वा के पाप, जो हर इंसान के माता- पिता हैं, परमेश्वर के खिलाफ बलवा किया, और इसलिए उन्होंने दुनिया में और सभी वंशजों के जीवन में पाप और मृत्यु को आमंत्रित किया। हजारों साल से मानव जाति ने परमप्रधान परमेश्वर के विरुद्ध पाप करके यह प्रमाण दे दिया कि मनुष्य का ह्रदय कितना दुष्ट है।
मानव इतिहास को देखते हुए, ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि सब समाप्त हो गया है। सबसे शातिर शासकों ने कमजोरों की पीठ पर जीत के लिए उनके मार्ग प्रशस्त किया है। खाने के लिए पर्याप्त भोजन विकसित करने के लिए उन्हें सूर्य के तहत कड़ी मेहनत के रूप में अब आदन के बगीचे कि शांति और पूर्णता मानव जाति की स्मृति में एक मीठी कल्पना से अधिक नहीं था। इस तूफान और सूखे और अकाल में जो श्राप इस दुनिया में लेकर आया, उसमें जीवित रहने के लिए हम इतना ही कर सकते थे। पाप ने मानवता के दिल की गहराई को अच्छी तरह से विकृत क्र दिया था। एक पुरुष और स्त्री के बीच में विवाह का अचंबित रूप, इंसान के लगातार पाप और भृष्ट, विकृत कर देने वाला परमेश्वर कि ओर उसके सच्चे प्रेम को त्यागना, लगातार उल्लंघन कर रहा था। राष्ट्र राष्ट्र के खिलाफ लड़ रहा था, और पड़ोसी दुसरे पडोसी से स्वार्थ के लिए एक कभी नहीं समाप्त होने वाले चक्र में फसे थे। पाप वो भार था जिसने मनुष्य को पाप कि गंदगी में खींच लिया था और जिसके अपमान को आदम और हव्वा कभी कल्पना नहीं कर सकते थे जो उन्होंने अच्छे और बुरे कि समझ को पाने के लिए उस फल को खाया।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपने सृष्टि को उस अंधकार के त्रासदी में नहीं छोड़ेगा जो शैतान उसे नष्ट करने के इरादे से बना रहा था। उन्होंने एक राष्ट्र को चुना जो पूरे संसार को सही जीने के तरीके को प्रदर्शित कर के दिखा सके। उन्होंने पवित्र और कीमती लोग इब्राहीम के वंश से चुने। वे नियम के माध्यम से पाप और मृत्यु को नष्ट नहीं करेंगे, लेकिन वे पाप और मृत्यु से दागी दुनिया को सबसे उच्च परमेश्वर के पीछे चलने का रास्ता दिखाएंगे।
अपने पवित्र देश के बीच से, पमेश्वर ने अपने ही बेटे को इस दुनिया के लिए एक उद्धारकर्ता के रूप में भेजा। वह इस पृथ्वी पर चले फिरेगा और एक सिद्ध और पाप से मुक्त जीवन व्यतीत करेगा। वह वैसा जीवन व्यतीत करेगा जैसा कि आदन में मनुष्य को जीना चाहिए था, एक परिपूर्ण परमेश्वर के साथ का सम्मिलित जीवन जो उसके लिए पूर्ण रूप से आज्ञाकारिता में हो। उसके द्वारा, परमेश्वर की अच्छाई प्रवाह करेगी, और भयानक दर्द और लाया हुआ शाप वापस स्वास्थ्य और पूर्णता में बदल जाएगा।
यह मसीहा के पुराने नियम का वादा था। यह यहूदियों देखना चाहिए था जो यीशु ने चमत्कार कर के दिखाय थे। जहां कहीं भी यीशु गए, शानदार चमत्कार हुए और शैतानी ताकतों की शक्ति से बंदी मुक्त किये गए। लंगड़े चलने लगे, सूखा हाथ पूर्ण रूप से चंगे हुए, मृत जिले गए,और लंबे समय से चलने वाले रोग थके हुए शरीर से भाग गए। जब यीशु गलील में महीनों गलील से यात्रा करते रहे, उन चमत्कारिक बातों के बारे में सोचने का समय उन लोगों को मिला। वे वचन को खोज कर यह देख सकते कि कैसे यीशु नबियों के वचन को पूरा कर पते हैं। यह इन धार्मिक अगुवों को दिए हुए अद्भुत, महाकाव्य, शानदार भूमिका थी जो यीशु ने उन्हें दिए थे। उन्हें यीशु के काम को देखना चाहिए था और सारी दुनिया को घोषणा करनी चाहिए थी कि," यह ही है वो! उसके पास आओ!'" और उन्हों उसके पास आकर श्रद्धालु श्रद्धा से उसके चरणों में झुकना चाहिए था, जिस तरह पतरस नि उस कश्ती में किया था जब उसने वो पहला चमत्कार देखा था।
बहुतों ने किया भी। हम उस शांत निकुदेमुस की कहानी को जानते हैं जब वह रात केअँधेरे में यीशु से मिलने को गया। परमेश्वर कि आत्मा शांत शद्धालुओं के मध्य में कार्य कर रही थी। परन्तु उन लोगों द्वारा स्थापित पद निर्धारित किये हुए थे। उनकी घोषणा यह थी कि यीशु शैतान की शक्ति से बाहर कार्य कर रहा था, और वे उस शक्ति को आराधनालय से परमेश्वर के लोगों को उससे दूर करने के लिए उपयोग करेंगे।
घरों और गांवों और नियमित रूप से यहूदी परिवारों के शहरों में इस यीशु और गलील के बाहर चल रहीं उन अद्भुत कहानियों कि चर्चा जब हो रही थी, वे उसके बारे में अपनी ही राय बनाने में लगे हुए थे। और परमेश्वर पिता ने जो हर एक ह्रदय को जांचता है, वह हर एक बुलाय हुओं के विश्वास कि गहराई को समझ पाया। अपने बेटे के माध्यम से उस शानदार अनुग्रह और दया को जो वह दे रहा था, परमेश्वर उन्हें वह बेहतरीन उपहार भेंट में दे रहा था। देश के अगुवों ने पहले से ही अपने निर्णय ले लिए थे। उनके ह्रदय उनके गर्व के कारण कठोर हो गए थे। लेकिन इस्राएल के लोगों निर्णय लेना होगा कि किस राह पर चलना है। क्या वे येरूशलेम के मंदिर और आराधनालय के नेतृत्व में चलकर मसीह को अस्वीकार करेंगे? या वे परमेश्वर कि आत्मा को अनुमति देंगे कि वह बोले और यीशु कि महानता को प्रदर्शित करे? आप क्या निर्णय लेंगे?