कहानी १५: मसीह का जन्म
यीशु के जन्म की कहानी पढ़ने के लिए सबसे अच्छा तरीका है लूका की पुस्तक से सीधे पढ़ना, क्यूंकि यह कहानी अपने आप में इतनी सुंदर, स्पष्ट और उत्तम है। लूका ने यहां ऐसा लिखा है;
उन दिनों में औगूस्तुस कैसर की ओर से आज्ञा निकली, कि सारे जगत के लोगों के नाम लिखे जाएं।
यह पहली नाम लिखाई उस समय हुई, जब क्विर्नियुस सूरिया का हाकिम था।
और सब लोग नाम लिखवाने के लिए अपने अपने नगर को गए।
वाह। क्या आपने देखा कि लूका इतिहास के विवरण को कैसे ध्यान से दर्ज कर रहा हैं? हम इतिहास की पुस्तकों में इन सभी शासकों के नामों को पा सकते हैं! परमेश्वर ने अपने अनदेखे हाथ के साथ समय में ऐसा काम किया कि सब कुछ वैसा ही हो जैसा उसने योजना की थी। अगस्तुस, रोमी साम्राज्य का सबसे बड़ा सम्राट, जानना चाहता था कि उसके साम्राज्य में कितने लोग रहते थे। इस्राएल के सभी लोगों को अपने प्राचीन परिवारों के शहरों और देश के लिए लौटना पड़ा ताकि रोमी उनको गिन कर, उनका हिसाब रख सके। इसका मतलब यह था कि यूसुफ और मरियम को बेतलेहेम जाना था।लूका ने यह लिखा;
सो यूसुफ भी इसलिए कि वह दाऊद के घराने और वंश का था, गलील के नासरत नगर से यहूदिया में दाऊद के नगर बैतलहम को गया।
कि अपनी मंगेतर मरियम के साथ जो गर्भवती थी नाम लिखवाए।
उस के वहां रहते हुए उसके जनने के दिन पूरे हुए।
और वह अपना पहिलौठा पुत्र जनी और उसे कपड़े में लपेटकर चरनी में रखा: क्योंकि उन के लिए सराय में जगह न थी।
और उस देश में कितने गड़ेरिथे थे, जो रात को मैदान में रहकर अपने झुण्ड का पहरा देते थे।
और प्रभु का एक दूत उन के पास आ खड़ा हुआ; और प्रभु का तेज उन के चारों ओर चमका, और वे बहुत डर गए।
तब स्वर्गदूत ने उन से कहा, मत डरो; क्योंकि देखो मैं तुम्हें बड़े आनन्द का सुसमाचार सुनाता हूं जो सब लोगों के लिए होगा।
कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिए एक उद्धारकर्ता जन्मा है, और यही मसीह प्रभु है।
और इस का तुम्हारे लिए यह पता है, कि तुम एक बालक को कपड़े मे लिपटा हुआ और चरनी में पड़ा पाओगे।
तब एकाएक उस स्वर्गदूत के साथ स्वर्गदूतों का दल परमेश्वर की स्तुति करते हुए और यह कहते दिखाई दिया।
कि आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृय्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है शान्ति हो।।
वाह! क्या ही शानदार प्रदर्शन! क्या आप सोच सकते हैं कि यह उन चरवाहों को कैसा लगा होगा? अपने मन में इसकी तस्वीर बनाइये। वे अपनी भेड़ खिला रहे थे और सभी उनके आसपास रात में बाहर सो रहे थे - वे आम आदमी थे। उस समय में बिजली न होने की वजह से, रात घोर और अँधेरी रही होगी। विशाल, स्याह काले आकाश में सितारों की चमक की कल्पना करो। उस गुप सन्नाटे की कल्पना करो जिसमे कोई कार या रेडियो या टीवी की आवाज़ नहीं थी। जो कुछ एकांत आवाजें रही होंगी, वो प्रकृति की होंगी - पेड़ों के बीच हवा, भेड़ों का मिमियाना, और उनके अपने स्वयं की धीमी आवाजें। और अचानक, एक स्वर्गदूत, एक तेजस्वी प्राणी उनके सामने था... और स्वयं परमेश्वर की महिमा उनके चारों ओर थी! परमेश्वर ने इन गरीब मजदूरों को दुनिया की सबसे बड़ी घोषणा सुनने के लिए चुना था! उद्धारकर्ता आया था!
जब स्वर्गदूत उन के पास से स्वर्ग को चले गए, तो गड़ेरियों ने आपस में कहा, आओ, हम बैतलहम जाकर यह बात जो हुई है, और जिसे प्रभु ने हमें बताया है, देखें।
और उन्होंने तुरन्त जाकर मरियम और यूसुफ को और चरनी में उस बालक को पड़ा देखा।
इन्हें देखकर उन्होंने वह बात जो इस बालक के विषय में उन से कही गई यी, प्रगट की।
और सब सुननेवालों ने उन बातों से जो गड़िरयों ने उन से कहीं, आश्चर्य किया।
परन्तु मरियम ने यह सब बातें अपने मन में रखकर सोचती रही।
और गड़रिये जैसा उन से कहा गया था, वैसा ही सब सुनकर और देखकर परमेश्वर की महिमा और स्तुति करते हुए लौट गए।।
परम प्रधान परमेश्वर ने, अपने संपूर्ण, सिद्ध सुंदरता और बुद्धि में, अपने जन्म की रात को, यह ठहराया था की इस महान राजा या मसीहा के दूत, आम मजदूरों के बीच से होंगे। क्यूंकि राजा, ऐसे ही पुरुषों के उद्धार के लिए आया था!