कहानी ९: दाऊद की वंशज
जैसे हम इब्राहीम के वंशज (और यीशु के 'पूर्वजों!) के बारे में अगले भाग में देखेंगे, हम दाऊद राजा के पोतों और परपोतों के बारे में भी पड़ेंगे। यह यहूदा के शक्तिशाली राजाओं की एक सूची है! यह पुरुष, परमेश्वर के पवित्र राष्ट्र के अभिषिक्त अगुए थे। उनमें से कुछ बहुत अच्छे राजा थे जिन्होंने परमेश्वर की दाऊद के साथ वाचा को निभाया। लेकिन उनमें से कई भयानक राजा थे, जिन्होंने परमेश्वर की संतानों को मूर्ति पूजा और भीषण पापों की ओर ढकेला।
जब दाऊद राजा बहुत बूढ़ा हो गया, तो उसके बेटे सुलैमान को नए राजा के रूप में अभिषेक किया गया। राजा सुलैमान ने परमेश्वर के आदर में एक भव्य मंदिर का निर्माण किया। उसने मंदिर को ठीक उसी तरह बनाया जैसे परमेश्वर ने कहा। मंदिर का अंतरतम कमरा परम पवित्र था - पृथ्वी पर परमेश्वर की विशेष, शक्तिशाली उपस्तिथि की जगह। उन्होंने इस परम पवित्र स्थान पर वाचा का संदूक, इस दुनिया की परमेश्वर के सिंघासन की चरणों की चौकी के रूप में रखा! यह स्वर्ग में परमेश्वर की पराक्रमी, गौरवशाली सिंहासन की छवि या एक तस्वीर थी! इस्राएल का देश इस पवित्र सम्मान के लिए चुना गया था - वो कितना धन्य था! मंदिर के समर्पण के उत्सव के दिन, इस्राएल के सभी लोगों यरूशलेम में जश्न बनाने इकठ्ठा हुए। जैसे जैसे उन्होंने परमेश्वर की स्तुति आराधना करी, उन्होंने परमेश्वर की उपस्थिति को एक बादल के रूप में मंदिर पर और परम पवित्र में उतरते देखा! क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि उन्हें एक जुट होके, एक महान लोग होने के रूप में कितनी ख़ुशी हुई होगी? क्या आप कल्पना कर सकते है कि वे उस दिन कैसे नाचे और गाए होंगे?
मनुष्य का पापी स्वभाव, इस्राएल के राष्ट्र की शुद्ध आराधना और हर्षित एकता के समय को आगे समय में काटने को थी। सुलैमान के मरने के बाद,उसके बेटे यारोबाम ने यरूशलेम का सिंहासन लिया। वह इतना अभिमानी था, कि उसके नेतृत्व ने राष्ट्र को दो हिस्सों में तोड़ दिया। उसने अपने बुजुर्गों के ज्ञान को अनसुना किया, और बहुत स्वार्थी निर्णय लिए जिससे लोगों का रोष उसके विरोध भड़का। इस्राएल के बारह जनजातियों में से, उत्तर में से दस जनजातियां, दक्षिण के शेष दो जनजातियों से विभाजित हो गई।
यह दो दक्षिणी गोत्र, यहूदा और बिन्यामीन के गोत्र, राजा यारोबाम के प्रति वफादार रहे। जबकि वो बहुत ही दोषपूर्ण राजा था, यह परमेश्वर की आँखों में सही काम था। यारोबाम दाउद का वंशज था - परमेश्वर का विशेष अभिशिक्त राजा - और इसका मतलब यह था कि परमेश्वर के लोगों को उसके पीछे चलना था। दस गोत्रों को परमेश्वर के सम्मुख राजा का हृदय बदलने के लिए रोना चाहिए था। इसके बजाय, उन्होंने खुद को बलवे से अलग कर दिया। राजा यारोबाम की मूर्खता और दस गोत्रों की आज्ञा उल्लंघन की वजह से, दाऊद के बचे हुए वंशजों को एक टूटे हुए राज्य पर शासन करना था। उस समय से, परमेश्वर के लोग, उसका पवित्र राष्ट्र, विभाजित हो गया। अगर एक यहूदी पाठक मत्ती की वंशावली में यारोबाम का नाम सुनता,तो यह महान राष्ट्रीय पाप उसको मानो एक तमाचा मारता!
यारोबाम अबिय्याह का पिता था, और अबिय्याह आसा का पिता था। बाइबल कहती है कि राजा आसा ने प्रभु की दृष्टि में अच्छा किया। वो यहोशापात का पिता था, जो कई मायनों में एक बहुत अच्छा राजा था। उसने भी वही किया जो परमेश्वर की आँखों में अच्छा था। उसने कई भयानक गलतियाँ भी करी क्यूंकि उसने परमेश्वर पर भरोसा नहीं किया। यहोशापात यहोराम का पिता था, जिसने परमेश्वर की आँखों में महान बुराई की। वह एक बहुत बुरा राजा था। लेकिन क्योंकि राजा दाऊद के साथ परमेश्वर ने अपनी वाचा बांधी थी, प्रभु ने उसे सुरक्षित रखा।
क्या अपने यह नोट किया कि यहूदा के राजा किस प्रकार प्रभु के प्रति आज्ञाकारी विश्वास और विद्रोह के बीच आगे पीछे हो रहे थे? इन राजाओं के पास परमेश्वर के लोगों की अगुवाई करने की महान शक्ति और जिम्मेदारी थी। प्रत्येक राजा ने लोगों को या तो गहरे धार्मिकता में बड़ाया या फिर गहरे विद्रोह में!
यहोराम के पोते का एक पोता था जिसका नाम उज्जिय्याह था, और उसने भी राज गद्दी संभाली। (उज्जिय्याह के पिता और दादा और परदादा ने उससे पहले राज किया था, लेकिन मत्ती ने उनका उल्लेख नहीं किया है। प्राचीन दुनिया की वंशावलियों में ऐसा कई बार किया जाता था ताकि उन्हें मुंह जुबानी याद करना आसान हो जाए।) उज्जिय्याह का योताम नाम का एक बेटा था। योताम के पास आहाज नाम का एक बेटा था, और वह एक भयानक राजा था। उसने अपने पूरे राज्य को घृणित पाप में उकसाया। उसने अपने ही बेटे को एक झूठे देवता को बलिदान किया और यरूशलेम के हर गली नुक्कड़ पर झूठे देवताओं की मूर्तियों बनवाई। और तो और उसने परमप्रधान के पवित्र मंदिर में एक सीरियाई देवता की एक मूर्ति रखी! क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि वह कितना विद्रोही था?वह परमेश्वर के प्रति कितना बड़ा गद्दार था - वही परमेश्वर जिसने उसे सिंघासन पर बैठाया!
आहाज वास्तव में बहुत दुष्ट था, लेकिन उसका पुत्र हिजकिय्याह, इस्राएल के इतिहास में सबसे माहान राजाओं में से एक था। उसने अपने पिता द्वारा इस्राएल पर लाइ गई बुराई को वापस ठीक करने की कोशिश की। उसने लोगों को परमेश्वर के पवित्र मंदिर में, आहाज के शासनकाल द्वारा बनाए गए सभी मूर्तियों को तोड़ने में मदद की और शुद्ध आराधना से बहाल कर दिया।
यह बड़े शोक की बात है कि अंत में हिजकिय्याह भी अपने पिता से कुछ अलग नहीं निकला। उसने बहुत ही अलग और बुरे रूप से प्रभु के विरुद्ध पाप किया। अब हद्द हो चुकी थी। इस्राएल के विश्वासघाती पाप अब बहुत लंबे समय से हो रहे थे। महान नबी यशायाह ने हिजकिय्याह को बताया कि उसके पाप की वजह से, परमेश्वर एक विदेशी सेना को आक्रमण करने, उसके राज्य पर जीत पाने, और यरूशलेम के शहर को नष्ट करने की अनुमति देगा। यहूदा के लोगों को विदेशी देशों में बंदी करके ले जाया जाएगा और निर्वासन में डाल दिया जाएगा। उनमे से केवल कुछ ही, एक धर्मी अवशेष,वापस लौटेंगे। यशायाह ने हिजकिय्याह को यह भी बताया कि यह भयानक बातें उसके जीवनकाल में नहीं होंगी। कई अधिक पीड़ियाँ गुजरने के बाद ही, परमेश्वर इसराइल के दक्षिणी राज्य पर अपने न्याय को लाएगा।
हिजकिय्याह का पुत्र मनश्शे भी एक बहुत बुरा राजा था।मत्ती हमें बताता है कि वह आमोन का पिता था जो योशिय्याह का पिता था। योशिय्याह एक अद्भुत राजा था। बाइबिल हमें बताती है कि उसने वो किया जो परमेश्वर की आंखों में सही था। यह एक सबसे महत्वपूर्ण गुण था जो दाऊद के एक राजा पास हो सकती थी। राजा योशिय्याह महान विश्वास का एक आदमी था, लेकिन वह अपने प्रभु के खिलाफ बलवा करने वाले कई राजाओं के बाद आया था। बहुत साल पहले, परमेश्वर ने योशिय्याह के दादा के दादा हिजकिय्याह को कहा था कि वो उसके लोगों को कई साल के विश्वासघात और मूर्ती पूजा की वजह से दंडित करेंगे। परमेश्वर का यह उद्देश्य योशिय्याह के पुत्र, यकोन्याह के जीवन के दौरान, सच हो गया। जब बाबुल के देश ने यरूशलेम पर हमला किया, तब उसे और उसके भाइयों को बंधी बना लिया गया था। शहर नष्ट हो गया था और इसराइल का राष्ट्र टूट गया था। परमेश्वर के अधिकतर लोगों को निर्वासन में ले लिया गया था। वे सत्तर वर्ष के लिए वादे के देश में नहीं लौट सकते थे।
यकोन्याह अब राजा के रूप में शासन नहीं कर सकता था, और न उसके बेटे। निर्वासन के बाद, दाऊद का कोई राजा कभी भी यरूशलेम के सिंहासन पर नहीं बैठा। जबकि कई यहूदी लोगों ने लौट कर शहर का पुनर्निर्माण किया, राज्य पूरी तरह से बहाल नहीं हो पाया। यहूदी उस दिन से यीशु के आने तक, अन्य देशों की सत्ता और प्रभाव में रहे। वे एक तुच्छ और हारे हुए लोग बने रहे। अब,पहले से भी अधिक, इसराइल में विश्वासी लोग इस दिन की राह देख रहे थे कि दाऊद की पीड़ी से कब एक राजा आएगा। वे परमेश्वर के वादों पर विश्वास रखते थे, और ताकि यह राजा उनके आँखों से निकल न जाए, वे दाऊद की वंशजों पर विशेष नजर रखते थे!
यकोन्याह का बेटा शालतीएल, जरूब्बाबेल का पिता था। वो अबियूद का पिता था जो एल्याकीम का पिता था। वो आज़ोर का पिता था जो ज़दोक का पिता था। ज़दोक इलियूड का पिता था जो एलीएजेर का पिता था। एलीएजेर का पुत्र मथान था जो याकूब का पिता था। याकूब का यूसुफ नाम का एक बेटा था, और इस यूसुफ का मरियम पति था। और इस मरियम को यीशु जन्मा। लंबे समय से प्रतीक्षित मसीहा आ गया था!
अगर कोई यहूदी व्यक्ति इन नामों को पढ़ता, तो उसे वही इतिहास पढ़ने को मिलता जो वो छुटपन से पढ़ता आ रहा होगा। वे वंशावली के माध्यम से परमेश्वर की योजना की एक प्रतिमा देखते, और वे समझ जाते कि इस यीशु ने परमेश्वर द्वारा उनके आने वाले राजा के मापदंड को पूर्ण किया है!